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नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए?

NEET me Kitne Marks Chahiye: बहुत से स्टूडेंट्स यह जानना चाहते हैं कि आखिरकार उन्हें नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए? अब इसके बारे में यदि आप इंटरनेट पर सर्च करते हैं तो हर वेबसाइट आपको गोल-गोल जवाब देती है या गलत जानकारी देती है। आप चाहे हिंदी भाषा की कोई वेबसाइट देख लें या फिर अंग्रेजी में, आपको कहीं से भी इसका सही से उत्तर नहीं मिलेगा।

यहाँ तक कि आपको नीट की आधिकारिक वेबसाइट पर भी इसके बारे में सही से जानकारी नहीं मिलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि नीट के तहत सरकारी कॉलेज में एडमिशन लेने का प्रोसेस बहुत ही पेचीदा और जटिल है। ऐसे में अधिकतर या यूँ कहें कि जो लोग इस फील्ड से नहीं गुजरे हैं, उन्हें इसके बारे में सही से नहीं पता होता है। हमने भी इंटरनेट पर इसके बारे में बहुत छानबीन की लेकिन ठीक से क्लेअरिटी नहीं मिली।

आखिर में जाकर हमने नीट में सेलेक्ट हो चुके स्टूडेंट्स और टॉप सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़ रहे स्टूडेंट्स से इस प्रोसेस को जाना। इसके बाद ही हम यह आर्टिकल लिख रहे हैं ताकि आप तक संपूर्ण जानकारी सही रूप में पहुंचे। इस आर्टिकल से हम आपके नीट में पास होने के लिए कितने नंबर चाहिए (NEET me Passing Marks Kitne Chahiye) से लेकर नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए, इत्यादि सभी डाउट क्लियर करने वाले हैं। चलिए शुरू करते हैं।

नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए?

तो जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि यह प्रक्रिया बहुत ही पेचीदा है और इसके तहत सरकारी कॉलेज में एडमिशन लेने की प्रक्रिया भी बहुत जटिल है। अब डॉक्टर की पढ़ाई करना और एक अच्छा डॉक्टर बनना कोई सरल काम थोड़ी ना है। ठीक वैसे ही नीट का एग्जाम क्लियर करना और फिर अच्छा सरकारी कॉलेज लेना कोई सरल काम कैसे हो सकता है।

इसके लिए हम आपको शुरू से लेकर अंत तक इस जटिल प्रक्रिया को विभिन्न भागों में समझाने का प्रयास करेंगे। तो इसमें मुख्य रूप से जो संस्थान भूमिका निभाते (NEET me Kitne Marks Chahiye) हैं, उनके नाम हैं:

  1. National Testing Agency (NTA) / राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी
  2. Medical Counselling Committee (MCC) / मेडिकल काउंसलिंग कमेटी
  3. State Medical Counselling Committees / राज्य मेडिकल काउंसलिंग कमेटी
  4. All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) / अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)
  5. अन्य केंद्रीय व राज्य सरकारी मेडिकल कॉलेज

तो यदि आपको नीट के तहत सरकारी कॉलेज में एडमिशन लेना है तो आपको ऊपर बताई गई इन पांच संस्थाओं का नीट के एग्जाम में क्या कुछ योगदान होता है, उसके बारे में समझना होगा। इसके बाद ही आप यह जान पाएंगे कि नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर (NEET Exam me Kitne Marks Chahiye) चाहिए। तो चलिए जानते हैं।

#1. National Testing Agency (NTA) / राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी

नीट एग्जाम में सबसे पहला और मुख्य रोल आता है NTA का जिसे हम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी भी कहते हैं। वह इसलिए क्योंकि नीट का एग्जाम यही कंडक्ट करवाती है। ऐसे में नीट का एग्जाम बनाना, उसके नंबर देना और स्टूडेंट्स को रैंक देना, इसी संस्थान के द्वारा किया जाता है। तो NTA का काम नीट का एग्जाम कंडक्ट करवाने से लेकर सभी स्टूडेंट्स को नीट के तहत उसके नंबर और रैंक देने तक ही सीमित होता है।

#2. Medical Counselling Committee (MCC) / मेडिकल काउंसलिंग कमेटी

अब सरकारी मेडिकल कॉलेज में दूसरा मुख्य भाग है एमसीसी का जो केंद्रीय स्तर पर मेडिकल काउंसलिंग कमेटी होती है। इसके तहत देशभर के बड़े से बड़े डॉक्टर और चयन करने वाला पैनल बैठता है। इनका काम स्टूडेंट्स को नीट में मिले नंबर और रैंक के आधार पर देशभर के सेंट्रल और स्टेट मेडिकल कॉलेज में उनका एडमिशन करवाने के लिए काउंसलिंग करने का होता है।

#3. State Medical Counselling Committees / राज्य मेडिकल काउंसलिंग कमेटी

अब एमसीसी तो केंद्रीय स्तर पर ही मुख्य भूमिका निभाता है क्योंकि स्टेट या राज्य के मेडिकल कॉलेज में राज्य की मेडिकल काउंसलिंग कमेटी का ज्यादा वर्चस्व होता है। ऐसे में हर राज्य की अपनी अलग एमसीसी होती है। उदाहरण के तौर पर हरियाणा की अलग एमसीसी होगी तो वहीं उड़ीसा की अलग। यह उसी राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स की नीट के स्कोर के तहत काउंसलिंग करते हैं।

#4. All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) / अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)

यह देश के टॉप लेवल के मेडिकल कॉलेज होते हैं। जिस प्रकार इंजीनियरिंग के लिए देश के टॉप कॉलेज IIT होते हैं तो उसी तरह मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए एम्स को टॉप कॉलेज की श्रेणी में रखा गया है। अभी देश में 20 एम्स है तो वहीं जल्द ही कुछ और एम्स को शुरू करने का काम चल रहा है। एम्स में सेंट्रल एमसीसी के जरिए ही एडमिशन लिया जा सकता है।

#5. अन्य केंद्रीय व राज्य सरकारी मेडिकल कॉलेज

मेडिकल कॉलेज में केवल एम्स ही नहीं आते हैं बल्कि अन्य केंद्रीय व राज्य स्तरीय कॉलेज भी आते हैं। अब अगर हम एम्स के अलावा अन्य केंद्रीय सरकारी मेडिकल कॉलेज की बात करें तो उसमें कुछ के नाम JIPMER, BHU, AMU इत्यादि हैं। वहीं राज्य स्तर पर कई तरह के मेडिकल कॉलेज होते हैं। केंद्रीय कॉलेज में केंद्रीय एमसीसी तो वहीं राज्य के कॉलेज में केंद्र और राज्य एमसीसी दोनों काउंसलिंग लेते हैं।

तो इस तरह से आपने नीट में सरकारी कॉलेज लेने के लिए प्रमुख संस्थाओं और उनकी कार्यप्रणाली के बारे में जान लिया है। इससे आपको यह तो पता चल गया होगा कि नीट का एग्जाम क्लियर करना और उसके तहत अच्छा सरकारी मेडिकल कॉलेज लेना कितना कठिन काम होता है। तो इसके लिए आपको कोचिंग भी टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से ही लेनी चाहिए।

तो कुछ प्रसिद्ध नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट के नाम मैट्रिक्स सीकर, आकाश दिल्ली, एलन कोटा है। यदि आप इन इंस्टीट्यूट से नीट की कोचिंग लेते हैं तो अवश्य ही आप जल्द से जल्द नीट का एग्जाम अच्छे स्कोर के साथ क्लियर कर पाएंगे। इसमें भी मैट्रिक्स अकैडमी ने तो पिछले कुछ वर्षों में ही नीट की कोचिंग देनी शुरू की है और देखते ही देखते पहले नंबर पर आ गई है।

अब बात करते हैं, नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए (NEET me Kitne Marks Chahiye), के बारे में। तो अब जब आपने सभी संस्थाओं के बारे में जान लिया है तो आइए इस रहस्य से भी पर्दा उठा लिया जाए। आइए जाने।

नीट में कितने नंबर पर सरकारी कॉलेज मिलेगा?

इसे हम चरण दर चरण समझाने का प्रयास करते हैं। चलिए शुरू करते हैं।

  1. सबसे पहले तो आपको नीट का फॉर्म भरना होगा। उसके तहत NTA आपका नीट एग्जाम कंडक्ट करवाएगा और आपको पूरी तैयारी के साथ वह देना होगा।
  2. अब NTA के द्वारा नीट का रिजल्ट निकाला जाएगा और उसके अनुसार आपको पासिंग मार्क्स, कट ऑफ नंबर व रैंक दी जाएगी।
  3. अब यह पासिंग मार्क्स तो सभी के एक समान होते हैं लेकिन एक स्टूडेंट को रैंक 4 तरह की दी जाती है।
  4. सबसे पहले रैंक उसकी All In India (AIQ) रैंक होती है तो वहीं दूसरी उसकी अपनी जाति के अनुसार AIQ होती है।
  5. तीसरी रैंक उसके राज्य के कुल स्टूडेंट्स के अनुसार रैंक होती है तो चौथी रैंक उसके राज्य में जाति के अनुसार उसकी रैंक होती है।
  6. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि सेंट्रल और स्टेट मेडिकल कॉलेज में राज्य और स्टूडेंट्स की जाति के अनुसार सीट्स आरक्षित होती है।
  7. अब जब आपको NTA के द्वारा नंबर और रैंक दे दी जाती है तो शुरू होता है MCC और स्टेट MCC का काम।
  8. MCC की ऑफिसियल वेबसाइट में आप काउंसलिंग के लिए आवेदन करते हैं तो साथ के साथ स्टेट की एमसीसी में भी आवेदन करना होता है।
  9. इसमें आपको अपनी प्रेफेरेंस और रैंक को ध्यान में रखकर सभी कॉलेज को क्रमानुसार भरना होता है। देशभर में लगभग 400 मेडिकल कॉलेज हैं। आप इसमें से सभी को या कुछ चुनिंदा को क्रमानुसार भर सकते हैं।
  10. अब जो सेंट्रल मेडिकल कॉलेज होते हैं, उसमें 100 प्रतिशत सीट्स पर काउंसलिंग सेंट्रल एमसीसी ही करती है और किसी भी राज्य का स्टूडेंट इसमें जा सकता है। हालाँकि सीट्स के लिए स्टूडेंट्स की जाति को अवश्य देखा जाता है।
  11. वहीं जो राज्य स्तर के मेडिकल कॉलेज हैं, उस पर 85 प्रतिशत सीट्स पर काउंसलिंग स्टेट एमसीसी करता है तो बाकी 15 प्रतिशत सीट्स पर सेंट्रल एमसीसी करता है।
  12. कहने का मतलब यह हुआ कि स्टेट के सभी मेडिकल कॉलेज पर उसी राज्य की काउंसलिंग कमेटी 85 परसेंट सीट्स पर स्टूडेंट्स को एडमिशन दिलवाती है तो बाकी 15 परसेंट पर सेंट्रल मेडिकल काउंसलिंग कमेटी।
  13. इसे आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि मध्य प्रदेश के किसी राज्य स्तर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में कुल 100 सीट है तो उसमें मध्य प्रदेश राज्य के ही 85 स्टूडेंट्स लिए जाएंगे जो स्टेट एमसीसी चुनेगी तो वहीं 15 स्टूडेंट्स मध्य प्रदेश सहित पूरे देश के किसी भी राज्य से हो सकते हैं जिन्हें सेंट्रल एमसीसी चुनती है।
  14. इसी कारण हर स्टूडेंट की राज्य स्तरीय कट ऑफ भी अलग निकलती है। वह इसलिए क्योंकि हर राज्य में नीट का एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स, उसमें पास होने वाले स्टूडेंट्स, वहाँ के मेडिकल कॉलेज में कुल खाली सीट इत्यादि अलग-अलग होती है।
  15. हर स्टूडेंट को अपनी रैंक और कट ऑफ मार्क्स के हिसाब से सरकारी मेडिकल कॉलेज मिलता है। ऐसे में सभी स्टूडेंट्स को बहुत ही ध्यान से काउंसलिंग में भाग लेना होता है और कॉलेज के क्रम चुनने होते हैं।

यह प्रक्रिया पेचीदा जरुर है क्योंकि इसमें केंद्र और राज्य स्तर पर मेडिकल कॉलेज का वर्गीकरण किया गया है। बहुत से स्टूडेंट्स इस प्रक्रिया को सही भी नहीं मानते हैं क्योंकि कुछ राज्यों में मेडिकल सीट पर बहुत ज्यादा कम्पटीशन देखने को मिलता (NEET Exam me Kitne Marks Chahiye) है तो कुछ में बहुत कम।

उदाहरण के तौर पर केरल राज्य में कम्पटीशन बहुत कम है तो वहीं राजस्थान में बहुत ज्यादा है। जहाँ कुछ राज्यों में जनरल श्रेणी के लिए नीट की कट ऑफ 640 नंबर से ऊपर चली जाती है तो कुछ राज्यों में यह 580 के आसपास रहती है। हालाँकि यदि आप जनरल श्रेणी में आते हैं तो आपको 600 से ऊपर नंबर और आरक्षित श्रेणी वालों को 550 से ऊपर नंबर स्कोर करने पर ध्यान देना चाहिए।

नीट में पास होने के लिए कितने नंबर चाहिए?

अब बात करते हैं नीट में पासिंग मार्क्स के बारे में (NEET me Passing Marks Kitne Chahiye)। अभी तक तो आपने जाना कि नीट में सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए या क्या कट ऑफ रहती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कट ऑफ से कम नंबर पाने वाले स्टूडेंट्स नीट एग्जाम में फेल हो जाते हैं। दरअसल नीट एक फार्मूला के तहत पासिंग मार्क्स भी निकालती है जिसे Minimum Qualifying Percentile कहा जाता है।

अभी तक आपने परसेंटेज के बारे में सुन रखा होगा लेकिन यह परसेंटाइल इससे अलग होती है। इसके लिए एक फार्मूला बनाया गया है, जो कि इस प्रकार है:

नीट में Minimum Qualifying Percentile = (आपके टोटल नंबर * 100) / टॉप करने वाले स्टूडेंट के मार्क्स

अब इसे एक उदाहरण से समझ लेते हैं। मान लीजिए कि नीट का एग्जाम 100 नंबर का होता है और उसमें आपके 45 नंबर आए हैं। इस हिसाब से आपके परसेंट तो 45 प्रतिशत बने लेकिन नीट में प्रतिशत कोई मायने नहीं रखते और इसके लिए परसेंटाइल ही मायने रखती है। तो ऊपर दिए गए फार्मूला के अनुसार हमें टॉप स्टूडेंट के मार्क्स जानने हैं। तो मान लीजिए जिस स्टूडेंट ने टॉप किया है, उसने नीट में 100 में से 90 नंबर लिए हैं। तो फार्मूला लगाकर देखते हैं।

(45 * 100) / 90 = 4500 / 90 = 50

तो इस तरह से आपने देखा कि आपके परसेंट तो 45 थे लेकिन टॉप स्कोर करने वाले स्टूडेंट के हिसाब से आपके परसेंटाइल 50 हो गए। अब यदि वह स्टूडेंट 100 में से 100 नंबर लेकर आता है तो आपके परसेंटाइल 45 होते। इसी तरह नीट में मिलने वाले पासिंग मार्क्स अर्थात परसेंटाइल टॉप स्टूडेंट के द्वारा स्कोर किए गए मार्क्स पर निर्भर करते हैं।

अब यह पासिंग मार्क्स भी जातियों के आधार पर होते हैं। जनरल कैटेगरी वाले स्टूडेंट्स को न्यूनतम 50 परसेंटाइल, जनरल विकलांग को 45 परसेंटाइल, अन्य सभी आरक्षित वर्ग व उसके तहत आने वाले विकलांगों को 40 परसेंटाइल लाने होते हैं।

इसलिए यदि आप जल्द से जल्द नीट में अपना सिलेक्शन करवाना चाहते हैं और वह भी अच्छे मार्क्स के साथ तो आपका टॉप लेवल के नीट कोचिंग सेंटर में पढ़ना बहुत जरुरी हो जाता है। मैट्रिक्स सीकर, आकाश दिल्ली, एलन कोटा जैसे इंस्टीट्यूट इस मामले में आपको सही गाइडेंस और स्टडी मटेरियल देते हैं। मैट्रिक्स में तो इसके लिए अलग से डाउट सेंटर भी बनाए गए हैं जहाँ स्टूडेंट्स किसी भी समय जाकर अपने डाउट क्लियर कर सकते हैं।

निष्कर्ष

उक्त लेख के माध्यम से आपने नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए (NEET me Kitne Marks Chahiye), के बारे में पूरी जानकारी ले ली है। यह प्रक्रिया पेचीदा अवश्य है लेकिन हमने आपको इस लेख में साफ़ व स्पष्ट शब्दों में समझाने का प्रयास किया है। यदि अभी भी आपको कोई शंका है या कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट कर हमसे पूछ सकते हैं।

Related FAQs

प्रश्न: अगर मुझे नीट में 550 अंक मिलते हैं तो क्या मुझे सरकारी कॉलेज मिल सकता है?

उत्तर: यदि आपको नीट में 550 अंक मिलते हैं तो आपको सरकारी कॉलेज मिल सकता है लेकिन यह पूर्ण रूप से उस समय निकाली गई कट ऑफ, आपके राज्य की मेडिकल सीट और आपके द्वारा काउंसलिंग के समय चुने गए कॉलेज की प्रेफेरेंस पर निर्भर करता है।

प्रश्न: Obc के लिए mbbs के लिए नीट में कितने अंक आवश्यक हैं?

उत्तर: Obc के लिए mbbs के लिए नीट में कम से कम 500 से अधिक अंक आवश्यक हैं। हालाँकि यह आंकड़ा हर राज्य के अनुसार बदल भी सकता है।

प्रश्न: नीट में कितने marks आने पर सरकारी कॉलेज मिलता है?

उत्तर: यदि आप सामान्य श्रेणी में आते हैं तो आपका ध्यान नीट में 620 से अधिक अंक लाने पर होना चाहिए, तभी जाकर आपको सरकारी कॉलेज मिलेगा।

प्रश्न: क्या नीट में 600 अंकों वाला सरकारी कॉलेज मिल सकता है?

उत्तर: नीट में 600 अंक एक अच्छा स्कोर है लेकिन आज के समय में कम्पटीशन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। ऐसे में आपका ध्यान 620 से अधिक अंक लेने पर होना चाहिए लेकिन यदि आप आरक्षित वर्ग से आते हैं तो 600 में काम चल जाएगा।

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