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JEE Main और JEE Advanced के बीच क्या अंतर है?

JEE Main or JEE Advanced: जो स्टूडेंट्स नॉन मेडिकल फील्ड से हैं और आगे चलकर इंजीनियरिंग में पढ़ाई करना चाहते हैं तो उनका सपना देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने का होता है। अब भारत सरकार के द्वारा इसके लिए हर वर्ष JEE का एग्जाम लिया जाता है लेकिन बहुत से स्टूडेंट्स ऐसे हैं जो JEE के इस एग्जाम के दो नाम सुनकर शंका में पड़ जाते हैं।

दरअसल JEE एग्जाम के दो हिस्से होते हैं जिन्हें हम JEE Main और JEE Advanced के नाम से जानते हैं। पहले के समय में इनके कुछ और नाम थे लेकिन आज के समय में इनके नाम JEE Main और JEE Advanced है। अब जो स्टूडेंट्स इंजीनियर बनना चाहते हैं और इसके लिए JEE का एग्जाम देना चाहते हैं वे अवश्य ही यह जानना चाहते हैं कि JEE Main और JEE Advanced के बीच क्या अंतर (JEE Main and JEE Advanced Difference in Hindi) है।

ऐसे में आज हम आपकी इसी शंका का समाधान करने हेतु ही यहाँ आए हैं। आज के इस लेख में आपको ना केवल इन दोनों पेपर के बीच का समूचा अंतर जानने को मिलेगा बल्कि साथ ही हम आपको यह भी बताएँगे कि JEE Main और JEE Advanced क्या है (JEE Main or JEE Advanced Kya Hai) और इनका क्या महत्व है। तो चलिए शुरू करते हैं।

JEE Main और JEE Advanced के बीच क्या अंतर है?

सबसे पहले तो आप यह जान लें कि यह दोनों ही एग्जाम स्टूडेंट्स के देशभर के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन करवाने के लिए लिए जाते हैं। बस एक छोटा लेवल है तो दूसरा थोड़ा बड़ा लेवल है। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो JEE Main का एग्जाम होता है, वो फर्स्ट लेवल होता है तो वहीं JEE Advanced का लेवल आखिरी लेवल होता (JEE Main and JEE Advanced Difference in Hindi) है।

अब कुछ स्टूडेंट्स तो IIT और JEE के बीच क्या अंतर होता है (IIT and JEE Difference in Hindi), इसके बारे में भी जानना चाहते हैं। वह इसलिए क्योंकि हम में से बहुत से JEE के एग्जाम को IIT का एग्जाम भी कह देते हैं जो कि गलत भी नहीं है। ऐसे में आर्टिकल के लास्ट में हम आपको इसके बारे में भी बताएँगे। तो चलिए शुरू करते हैं।

#1. फुल फॉर्म और पुराने नाम

JEE Main और JEE Advanced के बीच के अंतर को समझने से पहले आप यह समझ लें कि इन दोनों की फुल फॉर्म क्या है और इनका पहले क्या नाम था। इनकी फुल फॉर्म और इनके पुराने नाम जानकर आपको दोनों के बीच का आधे से ज्यादा अंतर तो यहीं क्लियर हो जाएगा क्योंकि लोगों ने इनके पुराने नाम ही सुन रखे होते हैं।

तो JEE Main की फुल फॉर्म Joint Entrance Examination – Main होती है तो वहीं JEE Advanced की फुल फॉर्म Joint Entrance Examination – Advanced है। अब आप कहेंगे कि इससे हमें क्या ही पता चला क्योंकि दोनों में JEE की फुल फॉर्म तो एक जैसी ही है। ऐसे में आप इनका पुराना नाम सुन लें।

तो JEE Main को पहले AIEEE के नाम से जाना जाता था तो वहीं JEE Advanced को IIT – JEE के नाम से जाना जाता था। अब बहुत लोगों ने अवश्य ही AIEEE का नाम सुन रखा होगा। वह इसलिए क्योंकि AIEEE का एग्जाम देशभर की NIT में एडमिशन के लिए लिया जाता था तो वहीं IIT – JEE का एग्जाम IIT में एडमिशन के लिए लिया जाता था। आज भी वैसा ही होता है लेकिन कुछ परिवर्तनों के साथ।

#2. किस कॉलेज में एडमिशन मिलेगा

अब यह तो आप जान ही गए हैं कि JEE के यह दोनों ही एग्जाम स्टूडेंट्स को देश के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन करवाने के उद्देश्य से कंडक्ट करवाए जाते हैं लेकिन किस एग्जाम से किस तरह के कॉलेज में एडमिशन मिलता है, यह जानना भी तो जरुरी है।

तो JEE Main के द्वारा आपको देशभर की 32 NITs (National Institutes of Technology), 26 IIITs (Indian Institutes of Information Technology) और 40 GFTIs (Government Funded Technical Institutes) में एडमिशन मिलता है। वहीं यदि आप JEE Advanced को क्लियर कर देते हैं तो आपको देशभर की 23 IITs (Indian Institutes of Technology) में एडमिशन मिलता है।

#3. एग्जाम कौन लेता है?

अब बात करते हैं JEE Main और JEE Advanced का एग्जाम कंडक्ट करवाने वाली एजेंसी के बारे में। तो JEE Main का एग्जाम NTA अर्थात National Testing Agency के द्वारा कंडक्ट करवाया जाता है वर्ष 2018 तक तो यह एग्जाम Central Board of Secondary Education कंडक्ट करवा रही थी लेकिन 2019 से यह दायित्व नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के द्वारा निभाया जा रहा है।

वहीं यदि हम JEE Advanced एग्जाम की बात करें तो इसे आईआईटी ज्वाइंट एडमिशन बोर्ड (IIT Joint Admission Board) के द्वारा कंडक्ट करवाया जाता है। इसमें 23 IIT में से टॉप 7 IIT आती है जिनके नाम रुड़की, खड़गपुर, दिल्ली, कानपुर, बॉम्बे, हैदराबाद और गुवाहाटी आईआईटी है। अब यह रोटेशन के हिसाब से हरेक IIT के द्वारा कंडक्ट करवाया जाता है।

#4. एग्जाम की शुरुआत

यह भी JEE Main और JEE Advanced के बीच का एक महत्वपूर्ण अंतर (JEE Main and JEE Advanced Difference in Hindi) है। इसलिए आपका इसके बारे में भी जानना जरुरी हो जाता है। तो JEE Main एग्जाम की शुरुआत आज से लगभग 22 वर्ष पहले सन 2002 में हुई थी तो वहीं JEE Advanced की शुरुआत आज से 63 वर्ष पहले सन 1961 में ही हो गई थी। कहने का अर्थ यह हुआ कि JEE Main एग्जाम JEE Advanced से बहुत बाद में शुरू हुआ था।

#5. एग्जाम का स्तर

अब करते हैं JEE Main और JEE Advanced के स्तर की बात। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि इन दोनों एग्जाम में से कौन सा एग्जाम ज्यादा कठिन होता है और कौन सा ज्यादा सरल। तो यह तो सीधी सी बात है कि लेवल एक का एग्जाम लेवल दो वाले से सरल ही होगा। इस तरह से JEE Main का एग्जाम JEE Advanced की तुलना में थोड़ा सरल जरुर होता है लेकिन इतना भी नहीं। वह इसलिए क्योंकि हर वर्ष इसमें लाखों स्टूडेंट्स बैठते हैं लेकिन सेलेक्ट होने वाले स्टूडेंट्स बहुत कम होते हैं।

साथ ही स्टूडेंट्स को टॉप लेवल के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए स्कोर भी उसी लेवल का लाना होता है। ऐसे में उसे टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ना चाहिए अन्यथा वह JEE Main में ही सेलेक्ट नहीं हो पाएगा, JEE Advanced तो बहुत दूर की बात है। भारत के कुछ टॉप JEE कोचिंग इंस्टीट्यूट के नाम मैट्रिक्स अकैडमी सीकर, कोटा का एलन इंस्टीट्यूट, दिल्ली आकाश इंस्टीट्यूट है।

#6. एक साल में कितनी बार

अब बात करते हैं कि यह JEE Main और JEE Advanced का एग्जाम एक साल में कितनी बार कंडक्ट करवाया जाता है और कब-कब करवाया जाता है। तो JEE Main का एग्जाम एक साल में दो बार लिया जाता है। पहला पेपर जनवरी में होता है तो दूसरा पेपर अप्रैल के महीने में होता है। ऐसे में अगर आपका जनवरी वाला पेपर अच्छा नहीं गया है तो आप अप्रैल में वापस इसे दे सकते हैं।

वहीं JEE Advanced का एग्जाम साल में बस एक बार लिया जाता है और वह JEE Main के दोनों एग्जाम हो जाने के बाद उसके रिजल्ट के आधार पर लिया जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि जिन स्टूडेंट्स ने JEE Main का एग्जाम पास कर लिया है और टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आए हैं, वे ही JEE Advanced के एग्जाम में बैठ सकते हैं। JEE Advanced का एग्जाम जून के महीने में लिया जाता है।

#7. एग्जाम का क्राइटेरिया

अब आपने यह तो जान लिया है कि JEE Main और JEE Advanced का एग्जाम (JEE Main or JEE Advanced) साल में कितनी बार लिया जाता है लेकिन साथ में यह भी जान लें कि यह एग्जाम कितनी शिफ्ट में होता है। तो JEE Main का पेपर एक ही शिफ्ट में होगा जो 3 घंटे की होगी। इसमें आपसे फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स के प्रश्न पूछे जाएंगे।

वहीं अगर हम JEE Advanced की बात करें तो इसमें एक ही दिन में दो शिफ्ट में पेपर होते हैं। हरेक शिफ्ट 3-3 घंटे की होती है और सब्जेक्ट्स वही रहते हैं। इस तरह से JEE Main का एग्जाम 3 घंटों का तो वहीं JEE Advanced का एग्जाम 6 घंटों का होता है।

#8. किस लैंग्वेज में होता है एग्जाम

JEE Main का एग्जाम हिंदी व अंग्रेजी सहित 13 भारतीय भाषाओं में लिया जाता है। यह 13 भाषाएँ हिंदी, अंग्रेजी, आसामी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू है। वहीं JEE Advanced का एग्जाम केवल हिंदी और अंग्रेजी में ही लिया जाता है।

#9. एग्जाम फीस

अब यदि हम आपके साथ JEE Main और JEE Advanced को देने के लिए फीस की बात करें तो वह भी एक मुख्य अंतर है। वह इसलिए क्योंकि JEE Advanced की फीस JEE Main की तुलना में बहुत ज्यादा होती है। अब यह फीस भी स्टूडेंट्स की जातियों के अनुसार अलग-अलग होती है। JEE Main के लिए जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट्स को 1000 रुपए, जनरल EWS व OBC को 900 रुपए, SC, ST, विकलांग और थर्ड जेंडर के लिए 500 रुपए होती है।

वहीं JEE Advanced की फीस भारतीय नागरिकों के लिए 3200 से लेकर 1600 रुपए के बीच में होती है। वहीं यदि हम विदेशी नागरिकों की बात करें तो यह 100 से 200 डॉलर तक होती है जो भारतीय मुद्रा के अनुसार 9 से 20 हज़ार के बीच होती है।

#10. एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

अब करते हैं JEE Main और JEE Advanced के बीच मुख्य अंतर की बात। वह है JEE का एग्जाम कौन दे सकता है और कौन नहीं। तो इसके लिए वैसे तो कई मापदंड होते हैं लेकिन यहाँ हम आपको दोनों के बीच के अंतर वाले क्राइटेरिया को बताने जा रहे हैं। तो JEE Main एग्जाम को देने के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती है जबकि JEE Advanced के लिए अधिकतम आयु सीमा 25 वर्ष (आरक्षित वर्ग के लिए 30 वर्ष) है।

JEE Main को लगातार तीन वर्षों तक अधिकतम 6 प्रयास के तहत दिया जा सकता है तो वहीं JEE Advanced के लिए अधिकतम 2 प्रयास और वह भी बारहवीं के साथ वाला वर्ष और उसका अगला वर्ष ही होता है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई स्टूडेंट 2024 में अपनी बारहवीं का एग्जाम देता है तो वह वर्ष 2024 और 2025 का JEE Advanced का एग्जाम ही दे सकता है, 2026 या उसके बाद के वर्षों का नहीं।

JEE Main और JEE Advanced क्या है?

अब जब आपने JEE Main और JEE Advanced के बीच के सभी अंतर को जान लिया है तो बारी आती है इन दोनों के बीच क्या समानता है, इसके बारे में जानने की। कहने का मतलब यह हुआ कि भारत सरकार को यह दो एग्जाम क्यों लेने पड़ते हैं और JEE Main और JEE Advanced का आपस में क्या संबंध (JEE Main or JEE Advanced Kya Hai) है, इसके बारे में भी तो आपको जानना चाहिए।

तो सबसे पहले तो आप यह जान लें कि केवल वही स्टूडेंट्स JEE Advanced के एग्जाम में बैठ सकते हैं जिन्होंने JEE Main का एग्जाम दे रखा हो और वे टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आते हो। इस तरह से JEE Advanced का एग्जाम JEE Main एग्जाम के रिजल्ट के आधार पर कंडक्ट करवाया जाता है। साथ ही JEE Main के तहत एलिजिबिलिटी के जो भी क्राइटेरिया हैं, वे अपने आप ही JEE Advanced के लिए मान्य होते हैं।

आइए सिलसिलेवार तरीके से जान लेते हैं:

  1. JEE Main का एग्जाम देशभर के सभी केंद्रीय व राज्य सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज (IIT को छोड़कर) में एडमिशन के लिए कंडक्ट करवाया जाता है।
  2. इसके लिए देश के मान्यता प्राप्त बोर्ड से पढ़ रहे स्टूडेंट को नॉन मेडिकल स्ट्रीम या फिर फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ सब्जेक्ट के साथ अपनी बारहवीं कक्षा में न्यूनतम 75 प्रतिशत अंक (आरक्षित वर्ग के स्टूडेंट्स के लिए 65 प्रतिशत) लाना अनिवार्य होता है।
  3. यदि कोई स्टूडेंट न्यूनतम प्रतिशत वाले क्राइटेरिया में फेल हो जाता है लेकिन यदि वह अपने बोर्ड के टॉप 20 प्रतिशत स्टूडेंट्स में आता है तो भी वह JEE Main के एग्जाम में बैठ सकता है।
  4. अब वह स्टूडेंट हर वर्ष आयोजित होने वाली दोनों JEE Main में बैठ सकता है जो जनवरी और अप्रैल में होती है।
  5. अब यदि स्टूडेंट JEE Main को अच्छे स्कोर के साथ पास कर लेता है और टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आ जाता है तो वह JEE Advanced का एग्जाम दे सकता है।
  6. इसमें इस बात का ध्यान रखें कि यदि उस स्टूडेंट ने 2023 में JEE Main का एग्जाम दिया है और पहले 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आया है तो वह 2024 के JEE Advanced में नहीं बैठ सकता है।
  7. अब यदि स्टूडेंट ने साल में होने वाली दोनों JEE Main की परीक्षा दी है तो उसने जिस भी परीक्षा में अच्छा स्कोर किया है या बेस्ट स्कोर किया है तो वही मान्य होगा।
  8. इस तरह से JEE Main के सभी नियमों का पालन करते हुए और इस एग्जाम में सेलेक्ट होने वाले टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स ही JEE Advanced के एग्जाम में बैठ सकते हैं।
  9. JEE Advanced का एग्जाम एक ही दिन में दो शिफ्ट में होता है और इसमें पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या और अंक निर्धारित नहीं होते हैं।
  10. फिर कुछ ही दिनों में JEE Advanced का रिजल्ट आ जाता है और स्टूडेंट्स को उनके स्कोर के आधार पर IIT में एडमिशन मिलता है और बाकी स्टूडेंट्स अन्य कॉलेज में एडमिशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

इस तरह से आपने जान लिया है कि यह JEE Main और JEE Advanced का एग्जाम (JEE Main or JEE Advanced) कितना मुश्किल होता है और इसमें आपको अच्छा स्कोर करना कितना जरुरी है। इसलिए आपको टॉप लेवल के JEE कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ना होगा। इसमें कुछ एक नाम ही आते हैं जो मैट्रिक्स सीकर, एलन कोटा और आकाश दिल्ली है।

IIT और JEE में क्या अंतर है?

अब आप यह भी जान लें कि IIT और JEE में क्या अंतर (IIT and JEE Difference in Hindi) है। वैसे तो आपको अभी तक का आर्टिकल पढ़कर इसके बारे में समझ आ ही गया होगा। तो IIT का अर्थ तो केंद्रीय सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से होता है जबकि JEE का अर्थ देश की IIT सहित अन्य केंद्रीय सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन पाने के लिए कंडक्ट करवाया जाने वाला एग्जाम होता है।

निष्कर्ष

इस तरह से आपने इस आर्टिकल को पढ़कर यह जान लिया है कि JEE Main और JEE Advanced के बीच क्या अंतर होता (JEE Main and JEE Advanced Difference in Hindi) है और दोनों में क्या संबंध है। आशा है कि अब आपके मन में JEE के इन दोनों एग्जाम को लेकर कोई शंका शेष नहीं रह गई होगी।

जिन स्टूडेंट्स को IIT में एडमिशन लेना होता है, उसे यह दोनों ही एग्जाम देने होते हैं तो जिन स्टूडेंट्स को IIT के अलावा अन्य टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में जाना होता है तो उसके लिए केवल JEE Main का एग्जाम देना ही सही रहता है।

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प्रश्न: जेईई मेंस और एडवांस में क्या फर्क है?

उत्तर: जेईई मेंस और एडवांस में इतना सा फर्क होता है कि JEE Main NIT, IIIT और अन्य सरकारी कॉलेज में एडमिशन के लिए कंडक्ट करवाया जाता है तो वहीं JEE Advanced का एग्जाम IIT में एडमिशन करवाता है।

प्रश्न: 12 वीं के बाद jee एडवांस के लिए कितने प्रयास होते हैं?

उत्तर: 12 वीं के बाद jee एडवांस के लिए लगातार दो वर्षों तक दो प्रयास मिलते हैं।

प्रश्न: जेईई एडवांस का मतलब क्या होता है?

उत्तर: जेईई एडवांस का मतलब होता है देशभर के 23 IIT में एडमिशन करवाने के लिए लिया जाने वाला एग्जाम। इसके तहत स्टूडेंट्स को हर वर्ष IIT की इंजीनियरिंग ब्रांच में एडमिशन दिया जाता है।

प्रश्न: क्या हमें जेईई मेन और एडवांस दोनों देना है?

उत्तर: जो स्टूडेंट्स IIT से पढ़ना चाहते हैं उन्हें अवश्य ही यह दोनों एग्जाम देने होंगे। वहीं जो स्टूडेंट्स IIT के अलावा अन्य सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ना चाहते हैं वे बस जेईई मेन दे सकते हैं।

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IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत | IIT Ke Liye 12 Me Kitne Percentage Chahiye

बहुत से स्टूडेंट्स यह सोच-सोच कर परेशान रहते हैं कि IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत (IIT Ke Liye 12 Me Kitne Percentage Chahiye) कितने चाहिए होते हैं। दरअसल IIT में एडमिशन लेने के लिए क्राइटेरिया बहुत टफ होता है और उसका पालन किया जाना बहुत ही जरुरी होता है। अगर कोई भी स्टूडेंट किसी भी क्राइटेरिया में थोड़ा सा भी चूक जाता है तो उसका IIT में सिलेक्शन नहीं हो पाता है, फिर चाहे उसने JEE का एग्जाम क्लियर ही क्यों ना कर लिया हो।

इसलिए भारत के शिक्षा मंत्रालय व नेशनल टेस्टिंग एजेंसी जो कि IIT JEE का पेपर लेती है, उसके द्वारा जो भी नियम बनाए जाते हैं, उसके बारे में आपको अवश्य ही जानकारी होनी चाहिए। वहीं कुछ स्टूडेंट्स ऐसे भी हैं जो IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत के बारे में जानने को इच्छुक रहते हैं।

ऐसे में आज हम आपको IIT में एडमिशन लेने के लिए आपको बारहवीं में कुल कितने प्रतिशत अंक (IIT Ke Liye Kitne Percentage Chahiye) लाने होते हैं और यदि आपके उतने अंक नहीं आते हैं तो फिर क्या नियम हैं, इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। चलिए जानते हैं।

IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत | IIT Ke Liye 12 Me Kitne Percentage Chahiye

क्या आप जानते हैं कि भारत सरकार के किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना हो तो वहाँ स्टूडेंट्स की जाति के आधार पर अलग-अलग स्टैण्डर्ड बनाए गए होते हैं। यह स्टैण्डर्ड एग्जाम फीस से लेकर उसमें सिलेक्शन से जुड़े होते हैं।

कहने का मतलब यह हुआ कि आपको चाहे JEE का एग्जाम देने के लिए फीस भरनी हो, उसमें आयु का क्राइटेरिया हो या 12 वीं में नंबर का या फिर टोटल एटेम्पट का या कोई और, हर किसी को जाति के आधार पर बांटा गया होता (JEE Main Ke Liye 12th Me Kitne Percentage Chahiye) है।

ऐसे में जो मापदंड जनरल कैटेगरी के लिए हैं, वह OBC, SC, ST के लिए भी हो, यह जरुरी नहीं है। ऐसे में IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत OBC के लिए अलग हो सकते (IIT Ke Liye Kitne Percentage Chahiye) हैं तो SC, ST के लिए अलग। इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको स्टूडेंट्स को हरेक वर्ग या जाति के आधार पर IIT में एडमिशन लेने के लिए मिनिमम कितने नंबर चाहिए और उसके लिए क्या क्राइटेरिया होता है, उसके बारे में बताने वाले हैं।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत Open/ General

सबसे पहले बात करते हैं उन स्टूडेंट्स के बारे में जो जनरल कैटेगरी या यूँ कहें कि ओपन कैटेगरी में आते हैं। सीधे शब्दों में कहा जाए तो वे सभी स्टूडेंट्स जो OBC, SC, ST कैटेगरी में नहीं आते हैं और ना ही वे विकलांग हैं। साथ ही वे आर्थिक रूप से सक्षम भी हैं।

अब उन सभी स्टूडेंट्स को IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत के रूप में 75 प्रतिशत का स्कोर लेना जरुरी होता है। कहने का मतलब यह हुआ कि जिन जनरल स्टूडेंट्स के 12 वीं में 75 प्रतिशत से कम अंक आए हैं, वे JEE का एग्जाम नहीं दे सकते हैं।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत General EWS

अब बात करते हैं उन स्टूडेंट्स के बारे में जो हैं तो जनरल कैटेगरी में लेकिन वे आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं या निर्धन परिवार या कम आय की श्रेणी में आते हैं। ऐसे स्टूडेंट्स को भी अपनी बारहवीं कक्षा में कम से कम 75 प्रतिशत का स्कोर करना जरुरी होता है अन्यथा वे भी IIT में प्रवेश नहीं ले सकते हैं।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत OBC

अब आती है बात OBC कैटेगरी के स्टूडेंट्स की। इसकी फुल फॉर्म होती है Other Backward Classes जो कई जातियों का समूह होता है। यह बहुत बड़ी कैटेगरी होती है और इन्हें ही सबसे ज्यादा रिजर्वेशन भी मिलता है जो कि 27 प्रतिशत के आसपास है।

हालाँकि भारत सरकार के द्वारा OBC कैटेगरी में आने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत का आंकड़ा 75 प्रतिशत ही रखा गया है। ऐसे में यदि आप OBC श्रेणी में आते हैं तो भी आपको 75 प्रतिशत या उससे अधिक अंक अपनी बारहवीं कक्षा के बोर्ड में लाने होंगे।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत SC

अब यदि हम Schedule Caste की बात करें तो उन्हें भारत सरकार के द्वारा राहत दी गई है। इस श्रेणी में आने वाले सभी स्टूडेंट्स को बारहवीं क्लास में कम से कम 65 प्रतिशत अंक लाने होते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो स्टूडेंट्स SC कैटेगरी में आते हैं, उन्हें IIT में एडमिशन लेने के लिए कम से कम 65 प्रतिशत अंक अपनी बारहवीं क्लास में लाने होंगे।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत ST

अब जो स्टूडेंट्स ST कैटेगरी में आते हैं, उन्हें भी SC कैटेगरी की तरह ही अपनी बारहवीं क्लास में न्यूनतम 65 प्रतिशत अंक स्कोर करने होते हैं तभी वे IIT में एडमिशन लेने के लिए एलिजिबल हो पाते हैं।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत PwD

अब वे सभी स्टूडेंट्स जो चाहे ऊपर दी गई किसी भी श्रेणी में आते हैं लेकिन यदि वे शारीरिक रूप से विकलांग हैं तो उन्हें भी भारत सरकार राहत प्रदान करती है। तो विकलांग की श्रेणी में आने वाले सभी तरह की जातियों के स्टूडेंट्स को 12 वीं क्लास में न्यूनतम 65 प्रतिशत अंक लाने होते हैं। यह सभी जाति के स्टूडेंट्स के लिए एक समान है फिर चाहे वह जनरल श्रेणी का हो या ST का।

न्यूनतम प्रतिशत के साथ बेस्ट कोचिंग का महत्व

अब आपने अपनी कैटेगरी के हिसाब से न्यूनतम प्रतिशत अंक प्राप्त कर लिए हैं या आपको विश्वास है कि इतने प्रतिशत तो आपके आ ही जाएंगे तो केवल इतना ही काफी नहीं होता है। वह इसलिए क्योंकि आप बारहवीं में न्यूनतम प्रतिशत अंक लेकर IIT के लिए होने वाले JEE के एग्जाम में बैठने के लिए तो एलिजिबल हो जाएंगे लेकिन तब क्या होगा जब आप एग्जाम ही ना क्लियर कर पाएं या इसमें टॉप स्टूडेंट्स में अपनी जगह ना बना पाएं।

इसलिए जितना ध्यान आपको अपनी बारहवीं क्लास के न्यूनतम प्रतिशत पर देने की जरुरत है, उतना ही ध्यान आपको JEE एग्जाम की तैयारी पर देने की भी है। इसके लिए आपको जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी से ही इस पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए। यहाँ हम आपको JEE एग्जाम की तैयारी करने के लिए देश के कुछ चुनिंदा कोचिंग सेंटर्स के नाम देने जा रहे हैं जहाँ से आप अपनी तैयारी को मजबूत कर सकते हैं:

  1. मैट्रिक्स IIT अकैडमी, सीकर
  2. आकाश इंस्टीट्यूट, दिल्ली
  3. एलन इंस्टीट्यूट, कोटा
  4. प्रिंस अकैडमी, सीकर
  5. कौटिल्य अकैडमी, सीकर

एक तरह से यह कुछ ऐसे इंस्टीट्यूट या JEE के कोचिंग सेंटर हैं जहाँ पढ़कर आप अपनी तैयारी को और मजबूत कर सकते हैं। वह इसलिए क्योंकि टॉप और अच्छे कोचिंग सेंटर से आपको सही गाइडेंस मिलती है, एग्जाम को कैसे क्रैक किया जाता है, इसके सीक्रेट पता चलते हैं और समय पर आपके सभी डाउट सोल्व होते हैं।

मैट्रिक्स और एलन जैसे इंस्टीट्यूट इसमें बहुत अच्छा काम कर रहे हैं तो वहीं आकाश ने तो देशभर में अपनी ब्रांच खोल रखी है। मैट्रिक्स अकैडमी पिछले कुछ वर्षों से टॉप पर बनी हुई है क्योंकि वहाँ टोटल स्टूडेंट्स में से IIT में सेलेक्ट होने वाले स्टूडेंट्स का नंबर अन्य इंस्टीट्यूट की तुलना में बहुत बेहतर है।

IIT के लिए कौन-से बोर्ड हैं मान्य?

अब आप सोच रहे हैं कि आप जिस बोर्ड से हैं, क्या उस बोर्ड से भी आप IIT में बैठ सकते हैं या उसमें एडमिशन ले सकते हैं। तो यहाँ हम आपको एक चीज़ पहले ही क्लियर कर दें कि भारत सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त बोर्ड से पढ़ने पर ही आपको JEE एग्जाम में बैठने दिया जाएगा या फिर यूँ कहें कि IIT में एडमिशन मिल पाएगा।

तो इसमें केंद्र सरकार के दोनों मुख्य बोर्ड जिन्हें हम सीबीएसई और ICSE के नाम से जानते हैं, वह आते हैं। इसके अलावा सभी राज्य के राज्य बोर्ड भी इसके अंतर्गत आते हैं। उदाहरण के तौर पर राजस्थान राज्य का राजस्थान बोर्ड, मिजोरम राज्य का मिजोरम बोर्ड, छत्तीसगढ़ राज्य का छत्तीसगढ़ बोर्ड इत्यादि।

इस तरह से CBSE, ICSE और सभी राज्यों के स्टेट बोर्ड में पढ़ रहे सभी स्टूडेंट्स को IIT में प्रवेश पाने के लिए अपनी अपनी जाति के अनुसार न्यूनतम प्रतिशत का क्राइटेरिया पूरा करना होता है। इसके बाद जाकर वह IIT में एडमिशन ले सकता है।

शिक्षा मंत्रालय का एक नया नियम

अब यहाँ पर आप इस बात को ध्यान से पढ़ें क्योंकि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के द्वारा वर्ष 2023 में एक अधिसूचना जारी की गई थी और इसमें IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत (IIT Ke Liye 12 Me Kitne Percentage Chahiye) के नियम में थोड़ी ढील दी गई है। पहले वाले नियम के अनुसार सामान्य/ जनरल, OBC और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को न्यूनतम 75 प्रतिशत तो वहीं SC, ST व विकलांग श्रेणी में आने वाले स्टूडेंट्स को न्यूनतम 65 प्रतिशत अंक बारहवीं कक्षा में लाने होते थे और तभी वे IIT के लिए एलिजिबल हो पाते थे।

हालाँकि बहुत वर्षों से यह प्रश्न उठाया जा रहा था कि कई स्टेट बोर्ड में मार्किंग बहुत ही हार्ड होती है, जैसे कि राजस्थान बोर्ड को ही ले लीजिए। ऐसे में कुछ स्टेट बोर्ड के स्टूडेंट्स अपने बोर्ड में अच्छे परसेंटेज लाकर भी IIT के लिए न्यूनतम प्रतिशत का क्राइटेरिया पूरा नहीं कर पाते थे। ऐसे में शिक्षा मंत्रालय ने पहले वाले नियम को तो रखा ही है लेकिन जो स्टूडेंट्स इस नियम में फेल हो जाते हैं, उन्हें कुछ राहत दी गई है।

नए नियम के अनुसार वे सभी स्टूडेंट्स भी IIT में एडमिशन लेने और JEE का एग्जाम देने के लिए सक्षम माने जाएंगे जो अपने-अपने बोर्ड में टॉप 20 परसेंट स्टूडेंट्स में आते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि आपने राजस्थान बोर्ड से बारहवीं का एग्जाम दिया है और आप जनरल श्रेणी के हैं लेकिन यदि आपके केवल 70 प्रतिशत आते हैं तो पहले वाले नियम के अनुसार आप IIT में नहीं बैठ पाएंगे।

लेकिन नए नियम के अनुसार यदि आप राजस्थान बोर्ड में चयनित होने वाले टोटल स्टूडेंट्स में से फर्स्ट 20 परसेंट में आते हैं तो फिर आप बारहवीं में 70 प्रतिशत होने के बावजूद भी IIT में बैठ सकते हैं और JEE का एग्जाम दे सकते हैं। यह नियम सभी जातियों के स्टूडेंट्स के लिए एक समान है।

IIT में एडमिशन कैसे मिलेगा?

अब हम आपको सीधे सीधे शब्दों में IIT में एडमिशन लेने की पूरी प्रक्रिया समझा देते हैं। इसके लिए आपको मुख्य तौर पर तीन चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। इसमें पहला चरण बारहवीं में न्यूनतम प्रतिशत (IIT Ke Liye Kitne Percentage Chahiye) वाला है तो दूसरा और तीसरा चरण JEE के ही दो तरह के एग्जाम से जुड़ा हुआ है। चलिए इसके बारे में भी जान लेते हैं।

  • बारहवीं में न्यूनतम प्रतिशत या टॉप 20 प्रतिशत स्टूडेंट्स

सबसे पहले तो आपको ऊपर बताए गए नियमों के अनुसार बारहवीं क्लास में न्यूनतम अंक लाने होंगे। IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत OBC, General, GEN-EWS स्टूडेंट्स के लिए 75 प्रतिशत तो वहीं SC, ST और विकलांग स्टूडेंट्स के लिए 65 प्रतिशत है।

वहीं जो स्टूडेंट्स अपने-अपने बोर्ड में पास होने वाले टॉप 20 परसेंट स्टूडेंट्स में आए तो वे भी IIT में बैठ सकते (JEE Main Ke Liye 12th Me Kitne Percentage Chahiye) हैं, फिर चाहे वे ऊपर वाले नियम में पास होते हो या फेल।

  • JEE Main में पहले 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आना

अब जिन स्टूडेंट्स ने ऊपर वाला नियम पास कर लिया है तो वे JEE Main एग्जाम में बैठने को एलिजिबल हो जाते हैं। यह एग्जाम वर्ष में दो बार (जनवरी और अप्रैल) आयोजित करवाया जाता है। इसमें लाखों स्टूडेंट्स बैठते हैं। ऐसे में यदि आप शुरूआती 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आते हैं तो आप आगे का एग्जाम देने के लिए एलिजिबल हो जाते हैं।

  • JEE Advance की कट ऑफ क्लियर करना

अब जो स्टूडेंट्स JEE Main के शुरूआती 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आते हैं उनका मई-जून के महीने में JEE एडवांस का एग्जाम लिया जाता है। इसमें पास होने के लिए कट ऑफ को क्लियर करना जरुरी होता है जो हर वर्ष अलग-अलग हो सकती है।

इस कट ऑफ को क्लियर करने के बाद आपको अपनी पसंद के कॉलेज और स्ट्रीम के अनुसार आगे की तैयारी करनी होती है जो कि अलग प्रक्रिया है। इसी के बाद ही आपको IIT में प्रवेश मिल पाता है।

निष्कर्ष

इस तरह से आपने यह जान लिया है कि IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत (IIT Ke Liye 12 Me Kitne Percentage Chahiye) कितने चाहिए होते हैं। आज के इस आर्टिकल में हमने आपको स्टूडेंट्स की कैटेगरी अर्थात जातियों के आधार पर यह बता दिया है कि किस स्टूडेंट को कितने प्रतिशत अंक चाहिए होते हैं ताकि वह IIT में एडमिशन पा सके।

साथ ही हमने आपको शिक्षा मंत्रालय के द्वारा स्टूडेंट्स को न्यूनतम प्रतिशत में दी गई राहत के बारे में भी बता दिया है जो वर्ष 2023 में दी गई थी। ऐसे में अब बहुत से ऐसे स्टूडेंट्स जिनकी बोर्ड मार्किंग बहुत टफ होती थी, उन्हें भी राहत मिलती है।

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प्रश्न: Jee में सिलेक्शन के लिए कितने मार्क्स चाहिए?

उत्तर: Jee में सिलेक्शन के लिए मार्क्स या यूँ कहें कि कट ऑफ हर वर्ष अलग-अलग निकलती है। ऐसे में आपको अधिक से अधिक स्कोर करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

प्रश्न: आईआईटी का पेपर कितनी बार दे सकते हैं?

उत्तर: आईआईटी का पेपर अपनी बारहवीं कक्षा का एग्जाम देने वाले वर्ष और उसके अगले वर्ष तक ही दे सकते हैं। इस तरह से एक स्टूडेंट आईआईटी का पेपर अधिकतम 2 बार ही दे सकता है।

प्रश्न: आईआईटी का एग्जाम कौन सा स्टूडेंट दे सकता है?

उत्तर: आईआईटी का एग्जाम वह स्टूडेंट दे सकता है जिसने JEE Main का एग्जाम देने के सभी नियमों का पालन किया हो और उसका रिजल्ट टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स में से हो।

प्रश्न: IIT में कितने चांस मिलते हैं?

उत्तर: IIT में हर स्टूडेंट को अधिकतम दो चांस मिलते हैं। यह चांस भी उसे बारहवीं कक्षा के एग्जाम वाले वर्ष और उसके अगले वर्ष तक ही मिलता है।

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12वीं के बाद इंजीनियरिंग कोर्स की पूरी लिस्ट | Engineering Courses List

Engineering Courses List: क्या आप 12वीं के बाद इंजीनियरिंग कोर्स के विकल्प देख रहे हैं? आज के समय में इंजीनियरिंग एक ऐसी फील्ड है जो लोगों की पहली पसंद बनता जा रहा है। अब आप चाहे अपने परिवार की बात कर लें या फिर दोस्तों की, हर जगह आपको इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हुए स्टूडेंट्स या उसमें पढ़ाई पूरी करके नौकरी करते हुए जान पहचान के लोग मिल जाएंगे।

ऐसे में यदि आप भी आगे चलकर इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने को इच्छुक हैं तो उसके लिए आपको अभी से ही तैयारी करने की जरुरत है। हालाँकि हमारा आज का विषय इंजीनियरिंग करने या नहीं करने से नहीं जुड़ा हुआ है बल्कि इंजीनियरिंग में क्या कुछ किया जा सकता है, उससे जुड़ा हुआ है। वह इसलिए क्योंकि जब भी इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने की बात आती है तो ज्यादातर सभी को कुछ एक डिग्री के नाम ही पता होते हैं।

उदाहरण के तौर पर आपको कंप्यूटर साइंस, सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग करने या बीटेक की डिग्री के बारे में पता होगा। लेकिन यदि हम आपको कहें कि मेडिकल की फील्ड में भी बीटेक की जाती है तो यह सुनकर आपको कैसा लगेगा!

ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम आपके सामने लगभग सभी तरह की इंजीनियरिंग फील्ड और उनके बारे में बेसिक जानकारी (B Tech Branches List) रखने जा रहे हैं। आइए जाने बीटेक में कौन कौन सी ब्रांच होती है।

12वीं के बाद इंजीनियरिंग कोर्स | Engineering Courses List

अब ऊपर आपने इंजीनियरिंग की डिग्री से जुड़े जो भी नाम पढ़े, वह सबसे फेमस है। कहने का मतलब यह हुआ कि यह तीन से चार डिग्री इंजीनियरिंग या बीटेक में सबसे ज्यादा चुनी जाने वाली डिग्री होती है लेकिन इनके अलावा या इनके जैसी और भी डिग्री होती है जो स्टूडेंट्स की पसंद बनकर उभर रही (Engineering Courses List After 12th) है।

वहीं कुछ स्टूडेंट्स यह भी जानना चाहते हैं कि बीटेक में सबसे अच्छी ब्रांच कौन सी है या फिर इंजीनियरिंग में कौन सी ब्रांच अच्छी है!! तो आज हम आपको आपके इस प्रश्न का भी उत्तर देंगे। इसी के साथ ही आपको देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज अर्थात IIT में एडमिशन लेने के लिए किन टॉप इंस्टीट्यूट से पढ़ना चाहिए, इसके बारे में भी बताएँगे।

कुछ चुनिंदा इंस्टीट्यूट के नाम मैट्रिक्स अकैडमी सीकर, आकाश इंस्टीट्यूट दिल्ली है। इसके बारे में हम आपको बाद में बताएँगे। इसलिए आर्टिकल को आखिर तक पढ़ना ना भूलें।

तो आइए सबसे पहले जान लेते हैं कि बीटेक में कौन कौन सी ब्रांच होती है (B Tech Branches List) और उसमें क्या कुछ पढ़ाया जाता है या उससे आप भविष्य में क्या बन सकते हैं।

#1. कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (Computer Science Engineering)

आज के समय में जो इंजीनियरिंग ब्रांच सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है या जिसका सबसे ज्यादा बोलबाला है, वह यही कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग है। वह इसलिए क्योंकि हर जगह ऑनलाइन व डिजिटल प्लेटफार्म का दबदबा है। ऐसे में उसे हैंडल करने या उसे नियंत्रित करने के लिए कंप्यूटर साइंस इंजीनियर की ही जरुरत पड़ती है।

इस इंजीनियरिंग को करने वाले लोग सॉफ्टवेयर कंपनियों सहित अन्य उन सभी कंपनियों में काम करते हैं, जहाँ सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर इंजीनियर की जरुरत पड़ती है। अब यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के तहत किस तरह के कोर्स को करते हैं या किस चीज़ पर ज्यादा फोकस करते हैं।

वह इसलिए क्योंकि इंजीनियरिंग की इस फील्ड में अलग अलग लैंग्वेज सहित कई तरह के कोर्स होते हैं जो समय के साथ-साथ अपडेट भी होते हैं और बदलते भी रहते हैं। उदाहरण के तौर पर आज के समय में लोग इस फील्ड में AI या इससे संबंधित कोर्स को भी करने लगे हैं। इसमें आपको कोडिंग सिखाई जाती है और वही आगे चलकर आपका मुख्य काम होता है।

#2. इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग (Information Technology Engineering)

अब बात करते हैं सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में ही एक दूसरी मुख्य फील्ड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के बारे में। तो यह भी कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की तरह ही एक अन्य इंजीनियरिंग ब्रांच मानी जाती है। तो कुछ स्टूडेंट्स कंप्यूटर साइंस में पढ़ते हैं तो वहीं कुछ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में पढ़ते हैं।

इन दोनों में मूलभूत अंतर यही होता है कि जहाँ एक ओर कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर दोनों की पढ़ाई करवाई जाती है तो वहीं इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी की इस फील्ड में आपको मुख्यतया सॉफ्टवेयर की ही पढ़ाई करवाई जाएगी। इस कोर्स को करके आप डाटा साइंटिस्ट, कंप्यूटर साइंस इंजीनियर, एनालिस्ट इत्यादि की नौकरी कर पाते हैं।

#3. इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (Electronics and Communication Engineering)

यह वाली फील्ड भी कुछ हद्द तक ऊपर वाली दोनों फील्ड से मिलती जुलती ही है लेकिन इसका काम थोड़ा अलग होता है। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों की पढ़ाई करवाई जाती है तो वहीं इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी वाली इंजीनियरिंग में सॉफ्टवेयर पर ध्यान रखा जाता है।

तो वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग वह होती है, जहाँ हार्डवेयर वाले पार्ट पर ज्यादा फोकस किया जाता है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स वाले उपकरण किस तरह से काम करते हैं, उनमें क्या कुछ पार्ट्स होते हैं, वे आपस में किस तरह से कम्यूनिकेट करते हैं, इत्यादि के बारे में जानकारी दी जाती है। इसे पढ़कर भी आपकी सॉफ्टवेयर कंपनियों सहित हार्डवेयर और टेलिकॉम कंपनियों में नौकरी लगती है।

#4. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Electrical Engineering)

जिस प्रकार कंप्यूटर साइंस और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी मिलती जुलती फील्ड मानी जाती है, ठीक उसी तरह इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग भी मिलती जुलती इंजीनियरिंग फील्ड है। जहाँ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में हार्डवेयर पर ज्यादा फोकस रखा जाता है और कुछ सॉफ्टवेयर वाला पार्ट भी पढ़ाया जाता है तो वहीं इलेक्ट्रिकल पूर्ण रूप से हार्डवेयर पर फोकस रखती है।

हालाँकि इस वाली इंजीनियरिंग फील्ड में आपको पॉवर अर्थात बिजली के बारे में ज्यादा पढ़ाया जाएगा। ऐसे में पॉवर को समझना और उसे हैंडल करने का काम ही इस इंजीनियरिंग फील्ड का मुख्य फोकस होता है।

#5. केमिकल इंजीनियरिंग (Chemical Engineering)

यह पूरी तरह से एक अलग इंजीनियरिंग फील्ड हो जाती है। नॉन मेडिकल में जो केमिस्ट्री या रसायन विज्ञान पढ़ाया जाता है, बस उसी को ही एडवांस और उच्च स्तर पर इस इंजीनियरिंग फील्ड में पढ़ाया जाता है। तभी इसका नाम केमिकल इंजीनियरिंग रखा गया है अर्थात रसायन में इंजीनियरिंग।

इसमें आपको थर्मोडायनामिक्स, फ्लूइड मैकेनिक्स, केमिकल प्रोसेस डिज़ाइन इत्यादि सब्जेक्ट्स के बारे में पढ़ाया जाता है। वहीं यदि हम नौकरी की बात करें तो आपको फर्टिलाइजर इंडस्ट्री, पेट्रोकेमिकल कंपनियाँ, फार्मा मैन्युफैक्चरिंग इत्यादि में नौकरी मिल सकती है।

#6. सिविल इंजीनियरिंग (Civil Engineering)

अब हम जो भी कंस्ट्रक्शन का काम देखते हैं, फिर चाहे वह बड़े-बड़े भवन हो, सरकारी ऑफिस हो, पुल, ब्रिज, सड़क इत्यादि कुछ भी हो, वह सभी काम सिविल इंजीनियर ही करता है। एक तरह से जो भी निर्माण कार्य हो रहा है, वह सिविल इंजीनियरिंग के अंतर्गत ही पढ़ाया और सिखाया जाता है।

इसमें आपको मुख्य तौर पर फिजिक्स और उससे मिलते जुलते सब्जेक्ट्स के बारे में पढ़ाया जाएगा। वहीं यदि हम नौकरी लगने के बारे में बात करें तो इंजीनियरिंग की इस फील्ड में सरकारी नौकरियां भी अन्य इंजीनियरिंग फील्ड की तुलना में बहुत ज्यादा होती है। वहीं प्राइवेट काम भी इसमें बहुत अच्छा है।

#7. मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Mechanical Engineering)

ऊपर आपने जो इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के बारे में पढ़ा तो वह तो बात थी इलेक्ट्रिकल उपकरण की सेटिंग करने की बात लेकिन यदि हम मशीन के डिजाईन की बात करें तो वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग के अंतर्गत आती है। कहने का मतलब आप ऐसे समझ सकते हैं कि बहुत हद्द तक इंजीनियरिंग की इन फ़ोनों फील्ड का काम एक दूसरे से जुड़ा हुआ भी होता है।

मैकेनिकल इंजीनियरिंग का काम किसी मशीन को डिजाईन करना, उसका प्रोटोटाइप बनाना, थर्मल एनर्जी में काम करना या मैन्युफैक्चरिंग में काम करना इत्यादि होता है। इस कारण ही इसे मैकेनिकल इंजीनियरिंग का नाम दिया गया है क्योंकि इसमें सब खेल मशीन से ही जुड़ा हुआ होता है।

#8. बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग (Biotechnology Engineering)

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि इंजीनियरिंग में सिर्फ कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स इत्यादि ब्रांच ही नहीं होती है। ऐसे में यदि आप 12वीं के बाद इंजीनियरिंग कोर्स (Engineering Courses List) देख रहे हैं तो उसमें एक ब्रांच मेडिकल फील्ड की भी है। मेडिकल फील्ड का नाम सुनते ही लोगों को लगता है कि इसमें सिर्फ डॉक्टर या फिर नर्स, फार्मा इत्यादि की पढ़ाई होती है तो आप गलत हैं।

बायोटेक्नोलॉजी या बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में आपको दवाइयों और उनके फार्मूला के बारे में पढ़ाया जाता है। अब आप या हम जब भी बीमार होते हैं तो डॉक्टर हमें दवाइयां लिख कर देता है। तो यह दवाइयां बनाने वाली कंपनियां भी तो अपने यहाँ रिसर्च करने और नई दवाइयां बनाने, अभी की दवाइयों की टेस्टिंग करने इत्यादि के लिए इंजीनियर रखती है। तो उसी की पढ़ाई इस ब्रांच में करवाई जाती है।

#9. एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (Aerospace Engineering)

इस वाली फील्ड को हम प्रीमियम इंजीनियरिंग ब्रांच भी कह सकते हैं क्योंकि यह सभी तरह के कॉलेज में नहीं होती है। वह इसलिए क्योंकि इसकी पढ़ाई एकदम अलग और एडवांस होती है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह एयरोस्पेस से जुड़ी हुई इंजीनियरिंग फील्ड है जिसमें स्पेस क्राफ्ट्स, उनके पार्ट्स, इंजन, सिस्टम इत्यादि के बारे में बताया जाता है।

एक तरह से इस इंजीनियरिंग फील्ड में आपको स्पेस क्राफ्ट के डिजाईन और उसके विकास के बारे में बताया जाता है। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़कर आपको इसरो, नासा, डिफेंस जैसी फील्ड में नौकरी मिल सकती है।

#10. मरीन इंजीनियरिंग (Marine Engineering)

जहाजों और समुद्री उपकरणों के डिज़ाइन और मैन्युफैक्चरिंग के बारे में पढ़ने के लिए मरीन इंजीनियरिंग की जाती है। इसमें जहाजों के उपकरण और उसमें रहन-सहन इत्यादि के बारे में पढ़ाया जाता है। यह भी एक प्रीमियम इंजीनियरिंग फील्ड होती है जिसमें नौसेना में नौकरी मिलती है।

#11. ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग (Automobile Engineering)

यह एक तरह से मैकेनिकल इंजीनियरिंग ही हो जाती है लेकिन इसमें मुख्यतया व्हीकल के निर्माण से संबंधित सिखाया और पढ़ाया जाता है। इसमें पढ़ाई करने के बाद आपको कार कंपनियों में नौकरी मिल सकती है।

#12. इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग (Electrical and Electronics Engineering)

यह इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का मिला जुला रूप होता है। इसमें आपको दोनों तरह की इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवाई जाती है।

#13. रोबोटिक्स इंजीनियरिंग (Robotics Engineering)

पहले इस इंजीनियरिंग फील्ड का चलन कम था लेकिन आज के समय में और भविष्य को देखते हुए इस इंजीनियरिंग फील्ड में स्कोप बहुत बढ़ गया है। वह इसलिए क्योंकि आगे का जमाना रोबोट्स पर ही निर्धारित रहने वाला है और उसके लिए रोबोटिक्स इंजीनियरिंग करना बहुत जरुरी है।

#14. फूड टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग (Food Technology Engineering)

आप जो भी खाना खाते हैं, उसकी क्वालिटी और उसकी शुद्धता मापने का काम फूड टेक्नोलॉजी इंजीनियर का ही होता है। यहाँ हम सरकारी अधिकारी की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि उन इंजीनियर की बात कर रहे हैं जिनकी सहायता से सरकारी अधिकारी इस क्षेत्र में काम करते हैं। तो खाने से जुड़ी हुई यह इंजीनियरिंग फील्ड भी बहुत महत्वपूर्ण होती है।

#15. अन्य इंजीनियरिंग कोर्स

ऊपर हमने आपको सभी मुख्य इंजीनियरिंग फील्ड के बारे में बता दिया है। हालाँकि हमने आपको यह भी कहा था कि आज हम आपको छोटी से लेकर बड़ी इंजीनियरिंग फील्ड के बारे में बताने वाले हैं। ऐसे में अब हम आपको अन्य इंजीनियरिंग फील्ड के बारे में भी बता देते हैं।

  • नैनो टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग (Nanotechnology Engineering)
  • एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग (Agricultural Engineering)
  • एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग (Environmental Engineering)
  • माइनिंग इंजीनियरिंग (Mining Engineering)
  • पेट्रोलियम इंजीनियरिंग (Petroleum Engineering)
  • टेक्सटाइल इंजीनियरिंग (Textile Engineering)
  • मैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग (Material Science and Engineering)
  • इंडस्ट्रियल एंड प्रोडक्शन इंजीनियरिंग (Industrial and Production Engineering)
  • सेरेमिक इंजीनियरिंग (Ceramic Engineering)
  • बायोमेडिकल इंजीनियरिंग (Biomedical Engineering)
  • ऑप्टिकल इंजीनियरिंग (Optical Engineering)
  • मैटेरियल्स इंजीनियरिंग (Materials Engineering)
  • टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (Telecommunication Engineering)
  • इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग (Instrumentation Engineering)
  • पावर इंजीनियरिंग (Power Engineering)
  • साउंड इंजीनियरिंग (Sound Engineering)
  • गेमिंग इंजीनियरिंग (Gaming Engineering)
  • ओशन इंजीनियरिंग (Ocean Engineering)
  • रेलवे इंजीनियरिंग (Railway Engineering)
  • कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग (Construction Engineering)
  • फायर प्रोटेक्शन इंजीनियरिंग (Fire Protection Engineering)
  • फिजिक्स इंजीनियरिंग (Engineering Physics)
  • कंट्रोल सिस्टम इंजीनियरिंग (Control Systems Engineering)
  • डाटा इंजीनियरिंग (Data Engineering)

आशा है कि अब आपको यह समझ में आ गया होगा कि बीटेक में कौन कौन सी ब्रांच होती (Engineering Courses List After 12th) है। अब हम आपको यह भी बताने वाले हैं कि इंजीनियरिंग में कौन सी ब्रांच अच्छी है। तो आइए उसके बारे में भी जान लेते हैं।

बीटेक में सबसे अच्छी ब्रांच कौन सी है?

अब यदि आप इंजीनियरिंग की सबसे अच्छी या टॉप मोस्ट ब्रांच की बात करें तो वह आज के समय में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग मानी जाती है। वह इसलिए क्योंकि आज के समय में सब काम ऑनलाइन होने लगा है। अब जब सब काम ऑनलाइन हो रहा है तो अवश्य ही उसे हैंडल करने या उसे बनाने के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर चाहिए होते हैं।

अब वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर का काम कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग करके ही हो पाता है। साथ ही कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के अंदर ही आपके पास कई तरह के विकल्प होते हैं। यहाँ हम आपको यह समझाना चाह रहे हैं कि आपको इसी इंजीनियरिंग फील्ड के अंतर्गत ही कई अन्य इंजीनियरिंग फील्ड या ऑप्शन मिलेंगे। जैसे कि:

  • डेटा साइंस (Data Science)
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (AI & Machine Learning)
  • साइबर सिक्योरिटी (Cybersecurity)
  • क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing)
  • सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट (Software Development)
  • वेब डेवलपमेंट (Web Development)
  • नेटवर्किंग (Networking)

अब इसमें और भी कई फील्ड होती है जिसके बारे में हम आपको किसी अन्य आर्टिकल में विस्तार से बताएँगे। ऐसे में अगर आज के समय में बीटेक में सबसे अच्छी ब्रांच की बात हो तो वह कंप्यूटर साइंस इंजीनियर है। उसके बाद इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स, सिविल व मैकेनिकल ब्रांच का नंबर आता है।

इंजीनियरिंग करने के लिए टॉप कोचिंग इंस्टीट्यूट

अब हम आपको यह भी बता दें कि यदि आपको इंजीनियरिंग या बीटेक करनी है तो उसके लिए भारत में सबसे बेस्ट कॉलेज IIT होते हैं और उसके बाद NIT का नंबर आता है। इसलिए यदि आपको इन कॉलेज में एडमिशन लेना है और वो भी अपनी मनपसंद की इंजीनियरिंग ब्रांच में तो उसके लिए आपको JEE का एग्जाम अच्छे स्कोर के साथ पास करना होता है।

इसके लिए आपको टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ना होता है। ऐसे में भारत के कुछ टॉप इंजीनियरिंग कोचिंग सेंटर के नाम इस प्रकार हैं:

  1. मैट्रिक्स IIT अकैडमी, सीकर
  2. आकाश इंस्टीट्यूट, दिल्ली
  3. एलन इंस्टीट्यूट, कोटा
  4. प्रिंस अकैडमी, सीकर
  5. कौटिल्य अकैडमी, सीकर

तो आप इनमें से किसी भी इंस्टीट्यूट से JEE की तैयारी कर सकते हैं। इनमें से मैट्रिक्स अकैडमी नंबर एक पर आती है क्योंकि वहाँ के स्टूडेंट्स का रिजल्ट पिछले कुछ वर्षों में टॉप लेवल का रहा है। वहाँ की सबसे मुख्य बात यह है कि वहाँ स्टूडेंट टीचर रेश्यो और स्टूडेंट्स के डाउट का खासतौर पर ध्यान रखा जाता है। इसी कारण वहाँ का रिजल्ट भी टॉप लेवल का आ रहा है।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने 12वीं के बाद इंजीनियरिंग कोर्स (Engineering Courses List) के सभी ऑप्शन के बारे में विस्तार से जानकारी ले ली है। इसी के साथ ही आपने उन सभी इंजीनियरिंग फील्ड के बारे में थोड़ा बहुत जान भी लिया है। इतना ही नहीं, हमने आपको टॉप लेवल के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए कहाँ से तैयारी करनी चाहिए, इसके बारे में भी बता दिया है।

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प्रश्न: Engineering कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: Engineering कई प्रकार की होती है जिसमें से मुख्य इंजीनियरिंग ब्रांच कंप्यूटर साइंस, सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल इत्यादि है।

प्रश्न: इंजीनियर की सबसे बड़ी डिग्री कौन सी है?

उत्तर: इंजीनियर की सभी डिग्री अपने आप में बड़ी और मुख्य होती है। फिर भी कुछ प्रीमियम इंजीनियरिंग की डिग्री की बात की जाए तो उसमें एयरोस्पेस, मरीन इंजीनियरिंग की डिग्री आती है।

प्रश्न: भविष्य में कौन सी इंजीनियरिंग की मांग है?

उत्तर: भविष्य में AI, डाटा साइंस से संबंधित कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग और रोबोटिक्स इंजीनियरिंग की मांग सबसे ज्यादा रहने वाली है।

प्रश्न: सरकारी नौकरी के लिए कौन सा इंजीनियर सबसे अच्छा है?

उत्तर: सरकारी नौकरी में सबसे ज्यादा सिविल इंजीनियर को लिया जाता है। इसके बाद इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल व कंप्यूटर साइंस इंजीनियर को लिया जाता है।

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Medical Courses List | NEET के बिना 12 वीं के बाद मेडिकल कोर्स लिस्ट

Medical Courses List: जब कभी भी मेडिकल फील्ड की बात आती है तो सबसे पहले सभी के दिमाग में एक ही कोर्स आता है और वह है MBBS। अब वे सभी लोग गलत भी नहीं हैं क्योंकि डॉक्टर बनने की पहली सीढी यही MBBS की डिग्री ही होती है। हालाँकि डॉक्टर बनने के लिए यही डिग्री ली जाए, यह जरुरी नहीं है।

वह इसलिए क्योंकि MBBS की डिग्री केवल एलोपैथी डॉक्टर बनने के लिए जरुरी है, वहीं आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक या अन्य तरह का डॉक्टर बनने के लिए अलग डिग्री होती है। अब मेडिकल कोर्स लिस्ट में डॉक्टर के अलावा भी कई सारी फील्ड होती है। जैसे कि नर्सिंग, फार्मास्युटिकल, तकनीशियन इत्यादि। डॉक्टर बनने के लिए तो नीट का एग्जाम देना पड़ता है जो बहुत मुश्किल होता है।

वहीं कई स्टूडेंट्स ऐसे भी होते हैं जो NEET के बिना 12 वीं के बाद मेडिकल कोर्स (Bina NEET ke Medical Course) के बारे में जानने को इच्छुक होते हैं। ऐसे में आज हम आपको नीट एग्जाम के बिना 12वीं में कौन-कौन से मेडिकल कोर्स होते हैं और नीट के साथ कौन-कौन से कोर्स होते हैं, इन सभी के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं। चलिए शुरू करते हैं।

मेडिकल कोर्स लिस्ट | Medical Courses List

वैसे तो मेडिकल लाइन में कई तरह के कोर्स होते हैं लेकिन उसमें सबसे पहली फील्ड या यूँ कहें कि सबसे टॉप की फील्ड डॉक्टर की ही होती है। उसमें भी सबसे महत्वपूर्ण कोर्स MBBS का ही माना जाता है। वह इसलिए क्योंकि आगे जाकर एक बड़ा डॉक्टर या सर्जन बनने के लिए MBBS ही शुरूआती कोर्स होता है। इसे मेडिकल का अंडर ग्रेजुएशन कोर्स भी कहा जाता है। उसके बाद स्टूडेंट्स पोस्ट ग्रेजुएशन करते हैं जो अलग-अलग कैटेगरी में होती है।

हालाँकि इसके अलावा भी कई तरह के कोर्स होते हैं जिन्हें हम मेडिकल लाइन कोर्स लिस्ट (Medical Line Course List) के तहत आपको देने वाले हैं। ऐसे में आइए जाने मेडिकल कोर्स लिस्ट के तहत आने वाले हरेक कोर्स के बारे में।

#1. अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्स (Undergraduate Medical Courses)

यहाँ पर हम उन सभी कोर्स के बारे में बताने वाले हैं जो 12 वीं के बाद मेडिकल कोर्स लिस्ट में आते हैं। इनमें से ज्यादातर कोर्स को करने के लिए आपको नीट का एग्जाम पास करना होता है तो वहीं कुछ में नीट के बिना भी एडमिशन लिया जा सकता है। आइए जाने।

  • MBBS (Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery): यह डॉक्टर बनने का मुख्य कोर्स होता है। इसके लिए नीट यूजी का एग्जाम देना होता है जिसकी फुल फॉर्म National Eligibility cum Entrance Test – Undergraduate होती है। इसकी पढ़ाई 5.5 वर्ष की होती है जिसमें 4.5 वर्ष के लिए पढ़ाई और एक वर्ष के लिए इंटर्नशिप होती है।

MBBS की पढ़ाई आप सरकारी और प्राइवेट में से किसी में भी कर सकते हैं। जहाँ सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए नीट एग्जाम का पास करना जरुरी होता है तो प्राइवेट में इंटरनल प्रोसेस होता है। नीट एग्जाम को जल्द से जल्द पास करने के लिए आपका टॉप कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ना जरुरी है।

देश के कुछ टॉप नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट के नाम मैट्रिक्स अकैडमी सीकर, कोटा इंस्टीट्यूट कोटा, आकाश इंस्टीट्यूट दिल्ली है। सरकारी मेडिकल कॉलेज में MBBS की प्रति वर्ष फीस 10 हज़ार से एक लाख के बीच तो वहीं प्राइवेट में 10 लाख से 25 लाख तक होती है। टॉप मेडिकल कॉलेज में एम्स आते हैं।

  • BDS (Bachelor of Dental Surgery): अब अगर आप डेंटिस्ट बनना चाहते हैं तो उसके लिए BDS का कोर्स करना होता है। इसकी अवधि 5 साल की होती है जिसमें 4 साल की पढ़ाई और एक साल की इंटर्नशिप होती है। इसका खर्चा सरकारी में अधिकतम एक लाख और प्राइवेट में 5 लाख प्रति वर्ष का होता है।
  • BAMS (Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery): अब यदि आप आयुर्वेद में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो उसके लिए यह कोर्स करना होता है। इसके लिए भी नीट एग्जाम पास कर सरकारी कॉलेज में एडमिशन लिया जाता है। यह भी 5.5 साल का कोर्स है। सरकारी कॉलेज में प्रति वर्ष 50 हज़ार तो वहीं प्राइवेट में 3 लाख तक लगते हैं।
  • BHMS (Bachelor of Homeopathic Medicine and Surgery): यह होम्योपैथी चिकित्सा या यूँ कहें कि होम्योपैथिक डॉक्टर बनने के लिए किया जाता है।
  • BUMS (Bachelor of Unani Medicine and Surgery): यूनानी मेडिकल फील्ड में डॉक्टर बनने के लिए यह कोर्स किया जाता है।
  • BPT (Bachelor of Physiotherapy): फिजियोथेरेपिस्ट बनने के लिए यह कोर्स किया जाता है।
  • B.Sc Nursing: इसके लिए नीट का एग्जाम देने की जरुरत नहीं होती है। हालाँकि नीट एग्जाम के स्कोर की मदद से आपको अच्छा कॉलेज जरुर मिल सकता है।
  • Bachelor of Pharmacy (B. Pharm): फार्मास्युटिकल अर्थात दवाइयों की फील्ड में काम करने के लिए यह कोर्स किया जाता है। इससे आप दवाई बेचने वाली कंपनियों या मेडिकल स्टोर्स में काम करने के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
  • Bachelor of Technology (Biomedical Engineering): यह एक सामान्य इंजीनियरिंग कोर्स की तरह ही होता है जिसकी अवधि 4 वर्ष की होती है। इसकी डिग्री लेने के बाद आप दवाई वाली कंपनियों में रिसर्च या इंजीनियर के तौर पर काम करते हैं।

#2. पोस्टग्रेजुएट मेडिकल कोर्स (Postgraduate Medical Courses)

अब बात करते हैं मेडिकल कोर्स लिस्ट (Medical Courses List) में पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स के बारे में। तो इसके बारे में आप यह जान लें कि यह कोर्स आप 12 वीं के बाद नहीं कर सकते हैं बल्कि उससे पहले आपको ऊपर बताए गए कोर्स में से कोई एक कोर्स करना होगा। उसके बाद ही आप यह कोर्स कर सकते हैं। साथ ही इसमें अच्छा कॉलेज लेने के लिए आपको नीट पीजी अर्थात पोस्ट ग्रेजुएशन का एग्जाम देना होता है।

  • MD (Doctor of Medicine): डॉक्टर में ही एक हाई डिग्री जो MBBS के बाद ही की जाती है। यह कोर्स 3 साल का होता है और नीट पीजी का एग्जाम पास करना होता है।
  • MS (Master of Surgery): यह करके आप सर्जन बन जाते हैं। इसके लिए भी सभी क्राइटेरिया MD के समान ही है।
  • MDS (Master of Dental Surgery): यह BDS कोर्स के बाद किया जाता है अर्थात डेंटिस्ट में हायर डिग्री लेना।
  • M.Sc (Master of Science in Medical Fields): यह कोर्स मेडिकल साइंस में रिसर्च करने के लिए किया जाता है। बीएससी नर्सिंग के बाद इसे किया जाता है।
  • Masters in Technology (Biomedical Engineering): इंजीनियरिंग में ही हायर डिग्री जिसे बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद किया जाता है।

#3. सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स (Certificate & Diploma Courses)

अब हम जिन कोर्स की लिस्ट रख रहे हैं, उनमें से किसी को भी करने के लिए नीट एग्जाम नहीं देना पड़ता है। तभी इन्हें डिप्लोमा कोर्स कहा जाता है। अब यह आप 10 वीं, 12 वीं के बाद कर सकते हैं जो कोर्स के आधार पर तय होता है। यह 6 महीने से लेकर 2 साल तक के लिए हो सकते हैं और इनकी फीस भी 20 हज़ार से लेकर 2 लाख तक हो सकती है।

  • Diploma in Medical Lab Technology (DMLT)
  • Diploma in Radiology
  • Diploma in Anesthesia
  • Certificate in Nutrition and Dietetics
  • Certificate in Emergency Medical Technology

#4. पैरामेडिकल कोर्स (Paramedical Courses)

ये उस तरह के कोर्स होते हैं जो अस्पताल में डॉक्टर और नर्स की सहायता करने के उद्देश्य से किए जाते हैं। इन्हें करके ही लैब तकनीशियन, रेडियोग्राफर, ओटी टेक्नीशियन इत्यादि बना जाता है।

  • X-Ray Technology
  • OT Technician
  • Bachelor of Optometry
  • B.Sc in Medical Laboratory Technology (MLT)

#5. रिसर्च और पीएचडी कोर्स (Research & PhD Courses)

अब हम मेडिकल लाइन कोर्स लिस्ट (Medical Line Course List) में जिन कोर्स को बताने वाले हैं, वह मेडिकल फील्ड में सबसे हायर या टॉप मोस्ट कोर्स हैं। इनके लिए आपके पास ना केवल अंडर ग्रेजुएशन की डिग्री का होना जरुरी है बल्कि पोस्ट ग्रेजुएशन भी होनी जरुरी है। तभी आप इसमें आगे बढ़ सकते हैं।

एक तरह से आपके पास MD, MS, M.Sc इत्यादि की डिग्री होनी चाहिए। यह कोर्स भी 3 से 6 साल तक के हो सकते हैं। इनकी फीस भी 20 हज़ार से 3 लाख प्रति वर्ष होती है जो सरकारी और प्राइवेट कॉलेज में अलग-अलग होती है।

  • PhD in Biomedical Sciences
  • PhD in Clinical Research
  • PhD in Genetics
  • PhD in Medical Microbiology

तो यह थे मेडिकल कोर्स लिस्ट में आने वाले सभी तरह के मेडिकल कोर्स। अब यह आप पर मिर्भर करता है कि आप किस तरह का कोर्स करना चाहते हैं या आपकी रुचि किसमें है। इसी के साथ ही आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि आपके पास उस तरह के संसाधन है या नहीं।

कहने का मतलब यह हुआ कि किस कोर्स को करने में कितना समय लगता है, उसके लिए कितनी तैयारी करने की जरुरत है, कितना पैसा लगेगा, इत्यादि को ध्यान में रखकर ही आगे बढ़ना चाहिए। ज्यादातर स्टूडेंट्स मेडिकल में नीट एग्जाम की तैयारी करते हैं क्योंकि अगर उनका अच्छा स्कोर आ गया तो उन्हें अच्छा सरकारी मेडिकल कॉलेज मिल जाएगा।

अब प्राइवेट कॉलेज में तो एक साल की ही फीस 10 लाख से ऊपर होती है तो वहीं सरकारी में यह 10 हज़ार से ही शुरू होती है। ऐसे में नीट एग्जाम की अच्छे से तैयारी की जानी बहुत जरुरी होती है। ऐसे में हम आपको इसके बारे में भी थोड़ी जानकारी दे देते हैं।

टॉप नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट इन इंडिया

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि अगर आपको जल्द से जल्द नीट एग्जाम पास करना है और वो भी अच्छे स्कोर के साथ तो उसके लिए आपका टॉप लेवल के नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट से कोचिंग लेना भी जरुरी हो जाता है। ऐसे में हम आपको टॉप 5 नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट इन इंडिया के बारे में बताने वाले हैं।

  1. मैट्रिक्स नीट डिविजन, सीकर
  2. एलन इंस्टिट्यूट, कोटा
  3. आकाश इंस्टिट्यूट, दिल्ली
  4. गुरुकृपा इंस्टिट्यूट, सीकर
  5. रेजोनेंस अकैडमी, दिल्ली

इस लिस्ट में सीकर की मैट्रिक्स अकैडमी का नाम सबसे पहले आता है। कुछ साल पहले एलन कोटा नंबर एक इंस्टीट्यूट था लेकिन मैट्रिक्स अकैडमी ने पिछले कुछ सालों में जो प्रदर्शन किया है, उस कारण वह नंबर एक नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट बन गया है और एलन दूसरे नंबर पर खिसक गया है।

अब जैसा कि हमने आपको पहले ही बोला था कि आज के इस आर्टिकल में हम आपको NEET के बिना 12 वीं के बाद मेडिकल कोर्स (Bina NEET ke Medical Course) के बारे में भी बताएंगे तो अब उसका समय भी आ गया है। ऊपर आपने मेडिकल कोर्स लिस्ट की पूरी सूची देख ली है लेकिन किस कोर्स में नीट जरुरी है और किस में नहीं, इसमें अभी भी आपको शंका होगी।

ऐसे में आइए इसके बारे में आपकी हरेक शंका को दूर कर दिया जाए और नीट एग्जाम के बिना कौन-कौन से मेडिकल कोर्स हो सकते हैं, वह भी आपको बता देते हैं।

NEET के बिना 12 वीं के बाद मेडिकल कोर्स

यहाँ पर हम कुल 13 नाम या कोर्स लिस्ट में रखने जा रहे हैं जिनमें नीट एग्जाम देने की जरुरत नहीं पड़ती (Bina NEET ke Medical Course) है:

  1. B.Sc. Nursing (Bachelor of Science in Nursing)
  2. Diploma in Pharmacy (D.Pharm)
  3. Bachelor of Pharmacy (B.Pharm)
  4. Diploma in Medical Lab Technology (DMLT)
  5. Diploma in Operation Theatre Technology (OTT)
  6. B.Sc. Radiology and Imaging Technology
  7. BAMS (Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery)
  8. BHMS (Bachelor of Homeopathic Medicine and Surgery)
  9. BUMS (Bachelor of Unani Medicine and Surgery)
  10. BNYS (Bachelor of Naturopathy and Yogic Sciences)
  11. Bachelor of Physiotherapy (BPT)
  12. Bachelor of Occupational Therapy (BOT)
  13. Diploma in Public Health Management

तो यह थे वह सभी कोर्स की लिस्ट जिनके लिए आपको नीट की तैयारी नहीं करनी है। हालाँकि इनमें से कुछ कोर्स में अच्छा या यूँ कहें कि टॉप लेवल का कॉलेज लेना है तो वहाँ नीट एग्जाम को कंसीडर किया जाता है लेकिन केवल वही एक पैमाना नहीं होता है।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने मेडिकल कोर्स लिस्ट (Medical Courses List) के बारे में पूरी जानकारी ले ली है। साथ ही आपने यह भी जान लिया है कि किस कोर्स को करने के लिए नीट एग्जाम देना होता है तो उसके बिना भी कौन-कौन से मेडिकल कोर्स किए जा सकते हैं।

इतना ही नहीं, नीट एग्जाम को जल्द से जल्द पास करने के लिए कौन से नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट आपके लिए बेस्ट हैं, उसके बारे में भी हमने आपको बता दिया है। आशा है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। यदि फिर भी आपके मन में कोई शंका रह गई तो आप नीचे कमेंट कर हमसे पूछ सकते हैं।

Related FAQs

प्रश्न: मेडिकल फील्ड में सबसे अच्छा कोर्स कौन सा है?

उत्तर: मेडिकल फील्ड में सबसे अच्छा कोर्स डॉक्टर बनने का होता है। इसमें भी सबसे बड़ी डिग्री MBBS की ही मानी जाती है लेकिन भविष्य में आयुर्वेद डॉक्टर की मांग बहुत रहने वाली है।

प्रश्न: 2 साल का कौन सा मेडिकल कोर्स है?

उत्तर: 2 साल का मेडिकल कोर्स डिप्लोमा, पैरामेडिकल या सर्टिफिकेट कोर्स होता है। इसमें आप कई तरह के कोर्स कर सकते हैं जिसके बारे में हमने इस आर्टिकल में भी बताया है।

प्रश्न: किस मेडिकल फील्ड की सबसे ज्यादा डिमांड है?

उत्तर: मेडिकल की हरेक फील्ड में बराबर का काम है क्योंकि मेडिकल की हरेक फील्ड का दूसरी मेडिकल फील्ड से संबंध होता है।

प्रश्न: मेडिकल लाइन में सबसे अच्छा कोर्स कौन सा होता है?

उत्तर: मेडिकल लाइन में सबसे अच्छा कोर्स जैसी कोई बात नहीं होती है क्योंकि यह व्यक्ति विशेष की रुचि और कौशल पर निर्भर करता है।

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