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JEE के लिए टाइम मैनेजमेंट कैसे करें? जाने टॉप 10 स्टेप्स

JEE Time Management: हम में से बहुत से स्टूडेंट्स का सपना होता है कि वे आगे चलकर एक अच्छी नौकरी करें। अब अच्छी नौकरी करनी है तो उसके लिए अच्छे कॉलेज से पढ़ना होता है। अच्छे कॉलेज से पढ़ना है तो उसी तरह की तैयारी करनी होती है और उस कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए एग्जाम क्रैक करना होता है। अब एग्जाम क्रैक करना है तो उसके लिए अच्छे कोचिंग इंस्टीट्यूट से कोचिंग लेनी होती है।

यह सभी बातें तो हम सभी जानते ही हैं लेकिन अच्छी कोचिंग के साथ-साथ स्टूडेंट के लिए जो एक चीज़ सबसे ज्यादा जरुरी होती है, वह है टाइम मैनेजमेंट अर्थात समय प्रबंधन। अब यदि आप इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं और उसके लिए JEE की तैयारी कर रहे हैं तो आज हम इसी विषय पर ही बात करने वाले हैं।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे कि JEE की तैयारी करने के दौरान आप किन-किन तरीकों से टाइम मैनेजमेंट कर सकते (JEE Mains Time Management) हैं। चलिए शुरू करते हैं।

JEE के लिए टाइम मैनेजमेंट टिप्स

JEE एग्जाम की फुल फॉर्म जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन होती है जिसकी सहायता से आपका देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन होता (JEE Advanced Time Management) है। इसमें सबसे टॉप के कॉलेज IIT होते हैं और उसके बाद NIT आते हैं। ऐसे मे आपको टॉप लेवल के इंजीनियरिंग कॉलेज में और वो भी अपनी मनपसंद की इंजीनियरिंग फील्ड में एडमिशन लेना है तो टाइम मैनेजमेंट की तकनीक समझना बहुत ही जरुरी हो जाता है।

अब यह तकनीक कोई एक या दो स्टेप में नहीं होती (JEE Time Management) है बल्कि आपकी हर एक्टिविटी पर निर्भर करती है। ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि किन तरीकों या उपायों के तहत आप भी JEE की तैयारी करने के दौरान टाइम मैनेजमेंट कर सकते हैं।

#1. सिलेबस को गहराई से समझें

सबसे पहला काम जो आपको करना है वह है अपने JEE के सिलेबस को अच्छे से समझना। अब सिलेबस का मतलब यह नहीं कि आप उसे पूरा पढ़ने बैठ जाएं। आपको यह देखना है कि JEE के एग्जाम में किस-किस टॉपिक से प्रश्न पूछे जाते हैं और उसमें किस टॉपिक का कितना महत्व होता है। साथ ही जिस वर्ष जो IIT एग्जाम कंडक्ट करवाने वाली है, उसका किस टॉपिक पर ज्यादा फोकस रहता है।

जिस स्टूडेंट को सिलेबस अच्छे से समझ में आ जाता है, उसके लिए टाइम मैनेजमेंट करना बहुत ही सरल हो जाता है। वह इसलिए क्योंकि उसे यह पता होता है कि उसे किस टॉपिक पर कितना टाइम देना है और किस पर कितना। इसलिए आपको यही काम सबसे पहले करना है और अपने सिलेबस को पूरी तरह से समझना है।

#2. सब्जेक्ट्स को टॉपिक्स में बांटें 

अब जब आपने JEE के सिलेबस को अच्छे से समझ लिया है तो आपको हरेक टॉपिक के बारे में अच्छे से जानकारी हो गई होगी। JEE में तीन तरह के सब्जेक्ट होते हैं जिनके नाम फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स हैं। अब इन तीन सब्जेक्ट्स में भी कई तरह के टॉपिक होते हैं। ऐसे में आपको अब अगला काम यह करना होगा कि आपको हर सब्जेक्ट के मिलते जुलते टॉपिक को केटेगरी अनुसार बाँट देना है।

ऐसा करने से एक तरह से आपका टाइम मैनेजमेंट ही हो रहा होगा। वह इसलिए क्योंकि यदि आप एक ही दिन में दो बिलकुल विपरीत टॉपिक को पढ़ते हैं तो इसमें ज्यादा समय लगता है तो वहीं दो एक जैसे टॉपिक को पढ़ने से आप अपना बहुत टाइम बचा सकते हैं। इसलिए आप हर टॉपिक के अनुसार केटेगरी बना लें और एक जैसे टॉपिक को एक साथ में रखें।

#3. अपना एक टाइमटेबल बनाएं

अब तक आपने सिलेबस को अच्छे से समझ लिया है और उन्हें उनके टॉपिक के अनुसार कुछ चुनिंदा केटेगरी में भी बाँट दिया है। अब आपको अगला काम करना है, उन सभी के अनुसार अपने हर दिन का एक फिक्स टाइमटेबल तय करना। अब आप यह देखें कि आपका JEE का एग्जाम कितने दिनों में है और उसके अनुसार आपके पास कितना समय शेष बचा है।

ऐसे में बचे हुए दिन के अनुसार आपके सिलेबस और उसमें केटेगरी के अनुसार विषयों का चुनाव करें। इससे आपको उन्हें प्रायोरिटी देने और उसी के अनुसार ही अपना टाइम टेबल सेट करने में बहुत सहायता मिलेगी। 

यह एक तरह से टाइम मैनेजमेंट की बहुत सही तकनीक है जो बहुत ही कम स्टूडेंट्स को पता होती है। वह इसलिए क्योंकि अधिकतर स्टूडेंट इसके बारे में सोचते नहीं हैं और कम महत्वपूर्ण विषयों पर पहले का समय व्यर्थ कर देते हैं और महत्वपूर्ण विषय को कम समय दे पाते हैं।

#4. डाउट वाली चीजें अलग से रखें

अब जब आप पढ़ने बैठेंगे या यूँ कहें कि JEE की तैयारी करने बैठेंगे तो अवश्य ही आपको रह-रह कर कई तरह के डाउट आएंगे। कभी किसी टॉपिक पर डाउट आ गया तो कभी कोई चीज़ ठीक से समझ नहीं आ रही होगी। कभी कोई प्रश्न सोल्व नहीं हो रहा होगा तो कभी कुछ और। ऐसे में स्टूडेंट क्या करते हैं कि वे उस चीज़ पर अटक कर रह जाते हैं या उसमें बहुत सा समय व्यर्थ कर देते हैं।

ऐसे में आपको यह गलती नहीं करनी है। यदि आप कहीं पर अटक जाते हैं तो उस पर कुछ मिनट के लिए ही ध्यान दें। यदि फिर भी वह सोल्व नहीं हो रही है तो उसे मार्क करके या कहीं और नोट डाउन करके रख लें। उसके बाद आप उससे आगे का पढ़ना शुरू कर दें।

इस तरह से दिन के अंत में आपके जो-जो भी डाउट थे, उन्हें फिर से देखें और सोल्व करें। कई बार क्या होता है कि किसी चीज़ में हमें उसी समय उत्तर नहीं मिलता है लेकिन कुछ समय बाद उसका आसानी से उत्तर मिल जाता है। यह भी एक परफेक्ट टाइम मैनेजमेंट तकनीक है।

#5. सही कोचिंग का चुनाव

जो स्टूडेंट्स जल्द से जल्द JEE का एग्जाम क्रैक करना चाहते हैं और यदि उन्हें लगता है कि वे केवल अपने दम पर ही इसे क्रैक कर लेंगे तो वे बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। वह इसलिए क्योंकि ऐसा करने वाले लाखों में से एक या दो स्टूडेंट ही होते हैं। अब यह आप ही तय कर लें कि क्या आप उन लाखों स्टूडेंट में से एक या दो स्टूडेंट हैं या नहीं।

इसलिए यदि आपको जल्द से जल्द JEE का एग्जाम क्रैक करना है और वह भी अच्छे नंबर के साथ तो उसके लिए सही JEE कोचिंग इंस्टीट्यूट का चुनाव किया जाना अत्यंत आवश्यक हो जाता (Top JEE Coaching in India) है। आज के समय में यदि हम देश के टॉप JEE कोचिंग संस्थान की बात करें तो उसमें सीकर की मैट्रिक्स अकैडमी का नाम सबसे पहले आता है। वह इसलिए क्योंकि वहाँ ना केवल टॉप लेवल की फैकल्टी पढ़ा रही है बल्कि JEE के लिए परफेक्ट स्टडी मटेरियल भी बनाया गया है।

इसके बाद कोटा का एलन इंस्टीट्यूट और दिल्ली का आकाश इंस्टीट्यूट आता है। सीकर की ही प्रिंस अकैडमी और कौटिल्य भी इसमें बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। ऐसे में आपको किसी अच्छे कोचिंग इंस्टीट्यूट से ही JEE की कोचिंग लेनी चाहिए ताकि आपकी तैयारी में कोई कमी ना रहे और वहाँ से आप टाइम मैनेजमेंट की और भी बेहतर तकनीक सीख सकें।

#6. रिवीजन भी है जरुरी

अब बहुत से स्टूडेंट JEE की तैयारी करते समय एक और गलती करते हैं और वह है समय के साथ-साथ पढ़े गए टॉपिक की रिवीजन नहीं करना। यदि आप भी उन स्टूडेंट्स में से एक हैं तो यह आपकी बहुत बड़ी गलती होगी। वह इसलिए क्योंकि आपने जिस टॉपिक को जितना टाइम लगाकर पढ़ा है और आप उसे अगले एक महीने तक फिर से नहीं पढ़ते हैं तो आपको फिर से उतना ही टाइम लगने वाला है।

ऐसे में आपकी पहले वाली सारी मेहनत बेकार चली जाएगी और समय व्यर्थ होगा वो अलग। इसलिए आप यह नियम बना लें कि आपने पूरे दिन में जो कुछ भी पढ़ा है, दिन के आखिर में एक या आधा घंटा उसकी रिवीजन करेंगे। इसी के साथ ही हर सप्ताह एक दिन पूरे सप्ताह का रिवीजन करेंगे। फिर अगले महीने में भी एक दिन पिछले महीने पढ़े गए सभी टॉपिक की एक बार रिवीजन करेंगे।

#7. सुबह जल्दी उठकर पढ़ें

स्टूडेंट्स के बीच आज के समय में यह चलन बना हुआ (JEE Advanced Time Management) है कि वे रात को देर तक पढ़ते हैं और सुबह देर से उठते हैं। अब पढ़ाई तो वे भी उतनी ही करते हैं लेकिन उसका पहले जैसा परिणाम नहीं मिलता है। हमारे बड़े-बुजुर्ग कहते थे कि सुबह के समय जल्दी उठना चाहिए और जल्दी सो जाना चाहिए। ऐसे में आपको सोचना चाहिए कि वे ऐसा क्यों कहते थे या इसके पीछे क्या तर्क होता था।

तो यहाँ हम आपको बता दें कि सुबह के समय वातावरण अधिक सकारात्मक होता है, सूर्य की किरणें शक्तिशाली होती है जो दिमाग को एकाग्र करने और बुद्धि का विकास करने में सहायक होती है। ऐसे में सुबह सूर्य की किरणों के साथ पढ़ने से ना केवल आपको चीज़े लंबे समय तक याद रहेगी बल्कि आपका शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहेगा।

#8. ब्रेक लेते रहें

अब आप सोचते हैं कि बिना आराम किए या बिना ब्रेक लिए लगातार पढ़ते रहेंगे तो इससे आप उन स्टूडेंट्स से आगे निकल जाएंगे जो आराम भी करते हैं या एंटरटेनमेंट के लिए कुछ समय निकालते हैं। तो यहाँ हम आपको बता दें कि आप बिलकुल भी सही नहीं कर रहे हैं या आपकी सोच गलत है। वह इसलिए क्योंकि लगातार पढ़ते रहने से दिमाग थक जाता है और वह चीज़ों को समझने में ज्यादा समय लगाता है।

इसलिए यदि आप पढ़ने के दौरान बीच-बीच में छोटे-छोटे ब्रेक लेते रहेंगे तो इससे आपकी सोचने-समझने की क्षमता बढ़ेगी। यह आपको तेज गति से पढ़ने में भी सहायता करेगी। इसी के साथ ही आपको योग व प्राणायाम करना भी शुरू कर देना चाहिए क्योंकि यह भी आपकी बुद्धि को तीक्ष्ण करने में बहुत सहायक सिद्ध होगा।

#9. मन ना भटकने दें

ऊपर हमने आपको कहा कि आपको JEE की तैयारी के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेते रहना चाहिए या कुछ ना कुछ एंटरटेनमेंट के साधन ढूंढ लेने चाहिए लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप पूरा समय उसी में ही लगे रहें या अपना ध्यान भटकने दें। इसके लिए आप एक निश्चित समय निर्धारित करें और वह भी ज्यादा नहीं होना चाहिए।

उदाहरण के तौर पर यदि आप एक दिन में 10 घंटे पढ़ाई कर रहे हैं तो आप एक घंटा आराम कर सकते हैं या एंटरटेनमेंट कर सकते हैं। साथ ही जिस समय आप JEE की तैयारी कर रहे हो, उस समय आपको अपना ध्यान इधर-उधर नहीं भटकने देना चाहिए। आप जब पढ़ रहे हैं तो पूरी तरह से उस पर ध्यान केंद्रित करें और फिर जब ब्रेक का समय हो, तभी बाकी चीजें देखें।

#10. टेस्ट लेते रहें

बेहतर टाइम मैनेजमेंट के लिए आपको समय-समय पर अपना टेस्ट भी लेते रहना चाहिए। उदाहरण के तौर पर आप अपने पिछले महीने की परफॉरमेंस का आंकलन करें और देखें कि इस महीने आप उसकी तुलना में क्या कर रहे हैं। यदि आपको कोई सुधार नहीं दिखता है या बहुत ही कम परिवर्तन दिखता है तो फिर आपको अपनी स्ट्रेटेजी को बदलने की जरुरत है।

इसलिए आपको समय-समय पर अपना टेस्ट लेते रहना (JEE Mains Time Management) चाहिए। यह आपको अपनी स्ट्रेटेजी को और बेहतर बनाने और आपकी JEE की तैयारी को और अधिक मजबूत करने का ही काम करेगी।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस आर्टिकल में आपने JEE की तैयारी करने के लिए उचित समय प्रबंधन या टाइम मैनेजमेंट की तकनीक के बारे में पूरी जानकारी ले ली (JEE Time Management) है। आखिर में एक बात हम आपको फिर से बताना चाहेंगे कि यदि आप JEE का एग्जाम देने को लेकर सीरियस हैं और इसे अच्छे स्कोर के साथ क्रैक करना चाहते हैं तो टाइम मैनेजमेंट के साथ-साथ एक अच्छा कोचिंग इंस्टीट्यूट इसमें आपकी बहुत मदद कर सकता है।

इसके लिए सीकर की मैट्रिक्स अकैडमी बहुत ही सही अकैडमी (Top JEE Coaching in India) है। वह इसलिए क्योंकि यहाँ स्टूडेंट्स के लिए डाउट सेंटर बनाए गए हैं जहाँ स्टूडेंट्स किसी भी समय जाकर अपने डाउट क्लियर कर सकते हैं। अब यदि समय रहते स्टूडेंट्स के डाउट क्लियर हो रहे हैं तो इससे उनका बहुत समय बच जाता है। इसके बाद के कुछ इंस्टीट्यूट के नाम प्रिंस अकैडमी, एलन, आकाश व रेजोनेंस हैं।

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प्रश्न: जेईई मेन की तैयारी के लिए कितने महीने चाहिए?

उत्तर: जेईई मेन की तैयारी के लिए 4 से 8 महीने चाहिए। यदि आप मैट्रिक्स सीकर जैसे नंबर एक इंस्टिट्यूट से इसकी कोचिंग लेते हैं तो आपको इतने समय में पूरी तैयारी करवा दी जाएगी।

प्रश्न: क्या जेईई मेन के लिए 75% आवश्यक है?

उत्तर: जेईई मेन के लिए 75% अंक लाना पर्याप्त है। फिर जब आपको जेईई एडवांस देना होगा तो उससे पहले आपको जेईई मेन के एग्जाम को पास करना होगा।

प्रश्न: जेईई की तैयारी के लिए कितने महीने चाहिए?

उत्तर: जेईई की तैयारी के लिए सामान्य तौर पर 6 महीने से लेकर एक वर्ष का समय पर्याप्त होता है। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप कितनी जल्दी चीज़ों को समझ पाते हैं।

प्रश्न: जी टॉपर्स कितने घंटे सोते हैं?

उत्तर: जी टॉपर्स सामान्य तौर पर 7 से 8 घंटे सोते हैं। यह आदर्श दिनचर्या और बेहतर स्टडी के लिए आवश्यक भी है।

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कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जॉब्स – जाने 15 तरह के करियर ऑप्शन के बारे में

Computer Science Engineering Jobs: अगर हम आज के समय की बात करें तो कंप्यूटर साइंस एक ऐसा करियर ऑप्शन है जिसमें सबसे ज्यादा और तेजी से विकसित होने वाले जॉब ऑप्शन हैं। अब हर चीज़ ऑनलाइन या यूँ कहें कि डिजिटल होती जा रही है। हम हर चीज़ अपने कंप्यूटर या मोबाइल के जरिए करने लगे हैं। फिर चाहे वह किसी ऐप के जरिए हो या सॉफ्टवेयर या वेबसाइट के जरिए।

ऐसे में इन सभी को हैंडल करने या बनाने के लिए कंप्यूटर साइंस की डिग्री लिए हुए इंजीनियर की ही जरुरत पड़ती है। यही कारण है कि बहुत से स्टूडेंट्स कंप्यूटर साइंस में ही अपना करियर बनाने में लगे हुए हैं। हालाँकि इसमें एक तरह का करियर ऑप्शन नहीं होता (Computer science me kya scope hai) है बल्कि कई तरह की टेक्नोलॉजी या प्लेटफॉर्म में करियर बनाने का मौका मिलता है।

ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम आपके साथ इसी बात पर ही चर्चा करने वाले (Computer Science Career Options) हैं। इस लेख में हम एक-एक करके आपको सभी महत्वपूर्ण और टॉप करियर ऑप्शन बताएँगे जो आप कंप्यूटर साइंस के जरिए कर सकते हैं। चलिए शुरू करते हैं।

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जॉब्स

कंप्यूटर साइंस का मतलब हुआ कंप्यूटर में महारत हासिल करना। फिर चाहे वह सॉफ्टवेयर की फील्ड में हो या हार्डवेयर की। अब इसमें भी अलग-अलग तरह की टेक्नोलॉजी होती है। जैसे कि जावा, डिजाईन, एंगुलर, AI इत्यादि। साथ ही देश में कई तरह के इंजीनियरिंग कॉलेज हैं जो कंप्यूटर साइंस में पढ़ाने और डिग्री देने का काम करते हैं। इसमें से IIT और NIT को टॉप लेवल का कॉलेज माना जाता है।

अगर आपको देश के इन टॉप कॉलेज में एडमिशन लेना है तो उसके लिए आपको JEE एग्जाम की तैयारी करनी होती है। इसके लिए आपको इन एग्जाम में अच्छा स्कोर लेना होता (Computer Science Me Career Options) है जिसमें आपकी मदद देश के टॉप JEE कोचिंग इंस्टीट्यूट करते हैं। कुछ टॉप कोचिंग इंस्टीट्यूट के नाम मैट्रिक्स सीकर, एलन कोटा, आकाश दिल्ली है। यहाँ से पढ़कर आपको JEE एग्जाम अच्छे स्कोर से क्रैक करने में बहुत मदद मिलती है।

इसके बाद आप आसानी से अच्छे सैलरी पैकेज पर देश और दुनिया की टॉप कंपनियों में अपना करियर बना सकते हैं। तो आइए जाने आप किस-किस फील्ड में कंप्यूटर साइंस के अंतर्गत जॉब (Computer Science Engineering Jobs) ले सकते हैं और अपने करियर को एक नई उड़ान दे सकते हैं।

#1. वेब डेवलपर

कंप्यूटर साइंस में जिस करियर ऑप्शन की सबसे पहले बात की जाती है वह है वेब डेवलपर की। इसमें विभिन्न तरह की वेबसाइट या ऐप को डिजाईन किया जाता है और उन्हें तरह-तरह की कोडिंग लैंग्वेज के तहत एक सुंदर रूप दिया जाता है। अब यह लैंग्वेज भी तरह-तरह की होती है। उदाहरण के तौर पर HTML, CSS, JavaScript, React, Angular इत्यादि।

ऐसे में आप इनमें से किसी भी एक या दो लैंग्वेज को चुन सकते हैं और उसमें महारत हासिल कर सकते हैं। उसके बाद आप कंप्यूटर साइंस के तहत किसी भी बड़ी कंपनी में वेब डेवलपर के तहत जॉब पा सकते हैं। इसमें आपको आगे बढ़ने के कई मौके मिलेंगे।

#2. डाटा साइंटिस्ट

आज के समय में डाटा की बहुत ज्यादा डिमांड है। चाहे कोई बड़ी कंपनी हो या छोटी कंपनी, हर कोई अपनी पॉलिसी का निर्माण डाटा को आधार बनाकर ही कर रहा है। कहने का मतलब यह हुआ कि हर कंपनी के द्वारा कस्टमर की एक्टिविटी को ध्यान में रखकर ही निर्णय लिए जा रहे हैं।

ऐसे में डाटा साइंटिस्ट की भूमिका बहुत अहम हो जाती है। इसके लिए आपके अंदर जिन-जिन स्किल्स का होना जरुरी है उनमें से कुछ स्किल्स के नाम Python, SQL, Machine Learning, Statistics हैं। ऐसे में आप डाटा साइंटिस्ट के रूप में कंप्यूटर साइंस के अंतर्गत अपना करियर बना सकते हैं।

#3. डाटा एडमिनिस्ट्रेटर

डाटा साइंटिस्ट की तरह ही कंप्यूटर साइंस में डाटा एडमिनिस्ट्रेटर की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है। ये डाटा टूल्स को मैनेज करने का काम करते हैं। एक तरह से डाटा को किस तरीके से इस्तेमाल किया जाता है और कहाँ इस्तेमाल किया जाता है, यह देखने का जिम्मा इन्हीं डाटा एडमिनिस्ट्रेटर के पास ही होता है।

इसमें तरह-तरह के टूल्स के जरिए डाटा को नियंत्रित करना और उनकी रिपोर्ट्स बनाकर देना शामिल होता है। जैसे कि आप माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल या गूगल स्प्रेडशीट का इस्तेमाल कर सकते हैं और उसमें तरह-तरह की कोडिंग के तहत डाटा को मैनेज कर सकते हैं।

#4. सॉफ्टवेयर इंजीनियर

कंप्यूटर साइंस में डिग्री लेने के बाद जिस फील्ड में सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स को जॉब दी जाती है, वह सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के तहत ही दी जाती है। इसमें भी जूनियर, असिस्टेंट, सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तहत जॉब दी जाती है। शुरू में तो आप जूनियर के तहत ही नौकरी पर लगते हैं लेकिन अगर आपने बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में डिग्री ली है तो आप सीधे सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तहत भी काम कर सकते हैं।

इसमें आपको एंगुलर, जावा, एंड्राइड इत्यादि के तहत कोडिंग करने का काम दिया जाता है। वहीं अलग-अलग प्लेटफॉर्म की अलग-अलग लैंग्वेज में भी काम करने के मौके मिलते रहते हैं। इसलिए आपको शुरुआत में किसी काम को ना नहीं कहना चाहिए।

#5. सॉफ्टवेयर टेस्टर

जब भी किसी ऐप या सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जाता है तो उसकी तरह-तरह की टेस्टिंग की जाती है। एक तरह से कोई भी कंपनी अपना प्रोडक्ट लॉन्च करने से पहले उसकी हर तरीके से जांच करवाना चाहती है और उसके बाद ही उसे यूजर या क्लाइंट के सामने दिखाती है।

ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि फाइनल लॉन्च से पहले उसमें यह देख लिया जाए कि उसमें किसी तरह की कोई कमी ना रह जाए। अब यह जांचने का काम टेस्टर का होता है जो अलग-अलग डिवाइस पर उसकी हर तरीके से टेस्टिंग करता है। फिर जो जो कमी रह गई है, वह उन्हें नोट डाउन करके डेवलपर को भेज देता है।

#6. साइबर सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट

जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी विकसित हो रही है, वैसे-वैसे ही उसकी सुरक्षा करने के मापदंड भी बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में किसी भी कंपनी को अपने यहाँ साइबर सिक्योरिटी को हैंडल करने के लिए लोग रखने होते हैं। उन्हें किसी भी तरह के वायरस, अटैक या मैलवेयर से कंपनी के सिस्टम को बचाकर रखना होता है।

अब यह काम साइबर सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट के द्वारा ही किया जाता है। वे यह सुनिश्चित करने का काम करते हैं कि कंपनी की कोई भी जानकारी लीक ना होने पाए या डाटा किसी और के हाथ ना लग जाए।

#7. एथिकल हैकर

बहुत से लोग हैकिंग या हैकर का नाम सुनकर यह सोचते हैं कि वे गलत काम ही करते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। कंप्यूटर साइंस में एक करियर ऑप्शन ये भी है लेकिन एथिकल हैकिंग के रूप में। यह एक तरह से साइबर सिक्योरिटी से मिलती जुलती ही फील्ड है लेकिन थोड़ी अलग।

इस तरह की जॉब में आपको किसी और कंपनी का सिस्टम हैक नहीं करना होता है बल्कि उसे दूसरे हैकर से बचाना होता है। अब आप सुनते होंगे कि फलाना देश के किसी हैकर ने अपने देश की कंपनी पर अटैक किया है और उसके सिस्टम को हैक कर लिया है। तो इसे ही बचाने का काम एथिकल हैकर करते हैं।

#8. मशीन लर्निंग इंजीनियर

अब बारी आती है मशीन को सिखाने वाले या उसे समझने वाले इंजीनियर की। आज के समय में अधिकतर काम मशीन की सहायता से ही किया जा रहा है। अब उस मशीन को इंस्ट्रक्शन देने या उसे समझने के लिए भी तो लोग चाहिए होंगे ना।

इसके तहत आपको कई तरह की स्किल्स में महारत हासिल करने की जरुरत होती है। उदाहरण के तौर पर कुछ स्किल्स के नाम Deep Learning, TensorFlow, PyTorch, Natural Language Processing हैं। इसके तहत आप मशीन लर्निंग इंजीनियर में अच्छा करियर बना सकते हैं।

#9. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंजीनियर

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या फिर AI का नाम आजकल बहुत चलन में है और आगे का दौर भी इसी AI का ही है। यह AI जितनी तेजी से विकसित हो रही है, उसे देखते हुए यह कहना बहुत मुश्किल है कि आगे यह क्या कुछ नहीं कर सकती है।

ऐसे में आज के समय में हरेक कंपनी में AI मॉडल पर काम करने वाले इंजीनियर की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है। यह एक तेजी से उभरती हुई करियर फील्ड है जिसमें आप बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसलिए यदि आप भविष्य को देखते हुए अपना करियर बनाने को इच्छुक हैं तो यह फील्ड आपके बहुत काम आने वाली है।

#10. UI/ UX डिज़ाइनर

यह एक तरह से ग्राफ़िक्स डिजाईन करने वाली फील्ड है। अब आप सोच रहे होंगे कि ग्राफ़िक्स डिजाईन का कंप्यूटर साइंस की फील्ड से क्या संबंध। तो आज आप यह जान लें कि ग्राफ़िक्स डिजाइनर का काम केवल सिंपल ग्राफ़िक्स बनाने का ही नहीं होता है बल्कि वेबसाइट में कोडिंग के तहत बनाए जाने वाले ग्राफ़िक्स भी आते हैं।

इनकी पोस्ट सिंपल ग्राफ़िक्स डिजाईन करने वालों से बहुत ऊपर होती है और उन्हें सैलरी भी ज्यादा मिलती है। ऐसे में आप UI डिज़ाइनर के तहत भी अपना करियर बना सकते हैं और इसमें एक अच्छी जॉब पा सकते हैं।

#11. हार्डवेयर इंजीनियर

कंप्यूटर साइंस में हार्डवेयर इंजीनियर का भी बहुत महत्व है। इसके तहत आपको कंप्यूटर के तरह-तरह के पार्ट्स की पूरी जानकारी होनी चाहिए। उसमें किस तरह के पार्ट का क्या काम होता है, उसमें किस-किस तरह की कमी देखी जा सकती है और उनमें किस तरह से सुधार किया जा सकता है, यह सब इसके अंतर्गत आता है।

एक तरह से कंप्यूटर में आ रही दिक्कत को ठीक करना और उसे काम करने वाली हालत में लाना ही हार्डवेयर इंजीनियर का काम होता है। सॉफ्टवेयर कंपनियों में यदि किसी इंजीनियर का कंप्यूटर ठीक से काम नहीं कर रहा है या उसमें कोई गड़बड़ी दिखने के संकेत मिलते हैं तो हार्डवेयर इंजीनियर को ही बुलाया जाता है।

#12. टेक्निकल राइटर

यह राइटिंग से जुड़ी फील्ड हो जाती है लेकिन इसके लिए सामान्य राइटर को नहीं लिया जाता है। कहने का मतलब यह हुआ कि आपको टेक्नोलॉजी से जुड़े किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस को समझने के लिए एक टेक्निकल डॉक्यूमेंट की जरुरत पड़ती है।

उस टेक्निकल डॉक्यूमेंट में सभी तरह की टर्म्स एंड कंडीशन दी गई होती है जो एक टेक्निकल राइटर ही लिख सकता है। ऐसे में इस तरह की फील्ड भी बहुत चलन में है जो लोगों को राइटिंग के साथ-साथ टेक्निकल में भी बेहतर एक्सपीरियंस देने का काम करती है।

#13. आईटी कंसलटेंट

हर कंपनी में कई तरह के आईटी कंसलटेंट को भी रखा जाता है जो उस कंपनी की पॉलिसी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। एक तरह से यह कंसलटेंट कई तरह की कंपनियों के लिए भी काम कर सकते हैं और उन्हें उनके द्वारा दी जा रही सर्विस के लिए समय-समय पर गाइड कर सकते हैं।

#14. प्रोजेक्ट मैनेजर

हर कंपनी में कई तरह के प्रोजेक्ट पर काम किया जाता है और हर प्रोजेक्ट को हैंडल करने के लिए एक मैनेजर की जरुरत पड़ती है। उस मैनेजर का काम प्रोजेक्ट के अंतर्गत काम कर रहे सभी टेक्निकल पर्सन को इंस्ट्रक्शन देना और प्रोजेक्ट का सही से क्रियानव्यन करवाना होता है।

#15. टेक्निकल टीचिंग

आप चाहें तो कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करके टीचिंग की फील्ड में भी जा सकते हैं। अब यहाँ टीचर बनने का अर्थ यह नहीं कि आप केवल कॉलेज या यूनिवर्सिटी में ही पढ़ा सकते हैं बल्कि हर बड़ी कंपनी में भी इसके लिए हायरिंग की जाती है। अब कोई भी कंपनी जब किसी फ्रेशर को अपने यहाँ रखती है तो उसे 2 से 3 महीने के लिए ट्रेनिंग देती है। अब यह ट्रेनिंग देने का काम ही टेक्निकल टीचिंग स्टाफ का होता है।

इस तरह से आज आपने कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जॉब्स के 15 तरह के ऑप्शन के बारे में पूरी जानकारी ले ली (Computer Science Career Options) है। इसके अलावा भी कई तरह की फील्ड होती है जिसमें आप अपना करियर बना सकते हैं। उदाहरण के तौर पर:

  • डिजिटल फोरेंसिक एक्सपर्ट
  • सिस्टम आर्किटेक्ट
  • क्वांटम कंप्यूटिंग रिसर्चर
  • कंप्यूटर विजन इंजीनियर
  • नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग स्पेशलिस्ट
  • VR/AR डेवलपर
  • DevOps इंजीनियर
  • आईओटी डेवलप
  • रोबोटिक्स इंजीनियर
  • गेम डेवलपर
  • ब्लॉकचेन डेवलपर
  • बिग डाटा इंजीनियर
  • क्लाउड आर्किटेक्ट
  • नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर
  • सिस्टम एनालिस्ट इत्यादि।

समय के साथ-साथ कंप्यूटर साइंस में और भी कई तरह के करियर ऑप्शन उभर कर सामने आते रहते हैं। ऐसे में आप हमेशा अपनी स्किल्स और इंटरेस्ट को पहचान कर ही आगे बढ़ें।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने जान लिया है कि कंप्यूटर साइंस में आप किस-किस फील्ड में अपना करियर (Computer Science Engineering Jobs) बना सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। हालाँकि हम आपको यह भी बता दें कि यदि आप वाकई में इसे लेकर सीरियस हैं तो इसके लिए आपको एक अच्छे कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने की जरुरत पड़ेगी। अब अच्छे कॉलेज में एडमिशन चाहिए तो उसके लिए टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से तैयारी करनी भी जरुरी होती है।

ऐसे में जब हमने जांच पड़ताल की तो पाया कि सीकर शहर की मैट्रिक्स अकैडमी इस लिस्ट में टॉप पर थी। मैट्रिक्स ने पिछले कुछ वर्षों से JEE में टॉप लेवल का रिजल्ट दिया है। इसके बाद एलन कोटा और आकाश दिल्ली का नाम आता है जिन्होंने JEE की अच्छी कोचिंग देने का काम किया है।

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प्रश्न: कंप्यूटर साइंस करने से कौन सी नौकरी मिलती है?

उत्तर: कंप्यूटर साइंस करने से कोडिंग या डेवलपमेंट की नौकरी मिलती है। इसमें आप डाटा, एंगुलर, एंड्राइड इत्यादि क्षेत्र में नौकरी कर सकते हैं।

प्रश्न: कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की सैलरी कितनी होती है?

उत्तर: कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की सैलरी शुरूआती तौर पर 20 हज़ार से 50 हज़ार के बीच में होती है जो आगे चलकर लाखों में हो जाती है

प्रश्न: कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जॉब क्या हैं?

उत्तर: कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जॉब में व्यक्ति को कई तरह की कोडिंग लैंग्वेज में काम करना होता है यह कोडिंग लैंग्वेज html, css, python, java इत्यादि कई तरह की हो सकती है

प्रश्न: कंप्यूटर साइंस लेने से क्या बन सकते हैं?

उत्तर: कंप्यूटर साइंस लेने से व्यक्ति इंजीनियर की डिग्री हासिल करता है इसके बाद वह कंपनी में सॉफ्टवेर इंजीनियर के तहत काम करता है

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JEE Main और JEE Advanced के बीच क्या अंतर है?

JEE Main or JEE Advanced: जो स्टूडेंट्स नॉन मेडिकल फील्ड से हैं और आगे चलकर इंजीनियरिंग में पढ़ाई करना चाहते हैं तो उनका सपना देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने का होता है। अब भारत सरकार के द्वारा इसके लिए हर वर्ष JEE का एग्जाम लिया जाता है लेकिन बहुत से स्टूडेंट्स ऐसे हैं जो JEE के इस एग्जाम के दो नाम सुनकर शंका में पड़ जाते हैं।

दरअसल JEE एग्जाम के दो हिस्से होते हैं जिन्हें हम JEE Main और JEE Advanced के नाम से जानते हैं। पहले के समय में इनके कुछ और नाम थे लेकिन आज के समय में इनके नाम JEE Main और JEE Advanced है। अब जो स्टूडेंट्स इंजीनियर बनना चाहते हैं और इसके लिए JEE का एग्जाम देना चाहते हैं वे अवश्य ही यह जानना चाहते हैं कि JEE Main और JEE Advanced के बीच क्या अंतर (JEE Main and JEE Advanced Difference in Hindi) है।

ऐसे में आज हम आपकी इसी शंका का समाधान करने हेतु ही यहाँ आए हैं। आज के इस लेख में आपको ना केवल इन दोनों पेपर के बीच का समूचा अंतर जानने को मिलेगा बल्कि साथ ही हम आपको यह भी बताएँगे कि JEE Main और JEE Advanced क्या है (JEE Main or JEE Advanced Kya Hai) और इनका क्या महत्व है। तो चलिए शुरू करते हैं।

JEE Main और JEE Advanced के बीच क्या अंतर है?

सबसे पहले तो आप यह जान लें कि यह दोनों ही एग्जाम स्टूडेंट्स के देशभर के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन करवाने के लिए लिए जाते हैं। बस एक छोटा लेवल है तो दूसरा थोड़ा बड़ा लेवल है। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो JEE Main का एग्जाम होता है, वो फर्स्ट लेवल होता है तो वहीं JEE Advanced का लेवल आखिरी लेवल होता (JEE Main and JEE Advanced Difference in Hindi) है।

अब कुछ स्टूडेंट्स तो IIT और JEE के बीच क्या अंतर होता है (IIT and JEE Difference in Hindi), इसके बारे में भी जानना चाहते हैं। वह इसलिए क्योंकि हम में से बहुत से JEE के एग्जाम को IIT का एग्जाम भी कह देते हैं जो कि गलत भी नहीं है। ऐसे में आर्टिकल के लास्ट में हम आपको इसके बारे में भी बताएँगे। तो चलिए शुरू करते हैं।

#1. फुल फॉर्म और पुराने नाम

JEE Main और JEE Advanced के बीच के अंतर को समझने से पहले आप यह समझ लें कि इन दोनों की फुल फॉर्म क्या है और इनका पहले क्या नाम था। इनकी फुल फॉर्म और इनके पुराने नाम जानकर आपको दोनों के बीच का आधे से ज्यादा अंतर तो यहीं क्लियर हो जाएगा क्योंकि लोगों ने इनके पुराने नाम ही सुन रखे होते हैं।

तो JEE Main की फुल फॉर्म Joint Entrance Examination – Main होती है तो वहीं JEE Advanced की फुल फॉर्म Joint Entrance Examination – Advanced है। अब आप कहेंगे कि इससे हमें क्या ही पता चला क्योंकि दोनों में JEE की फुल फॉर्म तो एक जैसी ही है। ऐसे में आप इनका पुराना नाम सुन लें।

तो JEE Main को पहले AIEEE के नाम से जाना जाता था तो वहीं JEE Advanced को IIT – JEE के नाम से जाना जाता था। अब बहुत लोगों ने अवश्य ही AIEEE का नाम सुन रखा होगा। वह इसलिए क्योंकि AIEEE का एग्जाम देशभर की NIT में एडमिशन के लिए लिया जाता था तो वहीं IIT – JEE का एग्जाम IIT में एडमिशन के लिए लिया जाता था। आज भी वैसा ही होता है लेकिन कुछ परिवर्तनों के साथ।

#2. किस कॉलेज में एडमिशन मिलेगा

अब यह तो आप जान ही गए हैं कि JEE के यह दोनों ही एग्जाम स्टूडेंट्स को देश के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन करवाने के उद्देश्य से कंडक्ट करवाए जाते हैं लेकिन किस एग्जाम से किस तरह के कॉलेज में एडमिशन मिलता है, यह जानना भी तो जरुरी है।

तो JEE Main के द्वारा आपको देशभर की 32 NITs (National Institutes of Technology), 26 IIITs (Indian Institutes of Information Technology) और 40 GFTIs (Government Funded Technical Institutes) में एडमिशन मिलता है। वहीं यदि आप JEE Advanced को क्लियर कर देते हैं तो आपको देशभर की 23 IITs (Indian Institutes of Technology) में एडमिशन मिलता है।

#3. एग्जाम कौन लेता है?

अब बात करते हैं JEE Main और JEE Advanced का एग्जाम कंडक्ट करवाने वाली एजेंसी के बारे में। तो JEE Main का एग्जाम NTA अर्थात National Testing Agency के द्वारा कंडक्ट करवाया जाता है वर्ष 2018 तक तो यह एग्जाम Central Board of Secondary Education कंडक्ट करवा रही थी लेकिन 2019 से यह दायित्व नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के द्वारा निभाया जा रहा है।

वहीं यदि हम JEE Advanced एग्जाम की बात करें तो इसे आईआईटी ज्वाइंट एडमिशन बोर्ड (IIT Joint Admission Board) के द्वारा कंडक्ट करवाया जाता है। इसमें 23 IIT में से टॉप 7 IIT आती है जिनके नाम रुड़की, खड़गपुर, दिल्ली, कानपुर, बॉम्बे, हैदराबाद और गुवाहाटी आईआईटी है। अब यह रोटेशन के हिसाब से हरेक IIT के द्वारा कंडक्ट करवाया जाता है।

#4. एग्जाम की शुरुआत

यह भी JEE Main और JEE Advanced के बीच का एक महत्वपूर्ण अंतर (JEE Main and JEE Advanced Difference in Hindi) है। इसलिए आपका इसके बारे में भी जानना जरुरी हो जाता है। तो JEE Main एग्जाम की शुरुआत आज से लगभग 22 वर्ष पहले सन 2002 में हुई थी तो वहीं JEE Advanced की शुरुआत आज से 63 वर्ष पहले सन 1961 में ही हो गई थी। कहने का अर्थ यह हुआ कि JEE Main एग्जाम JEE Advanced से बहुत बाद में शुरू हुआ था।

#5. एग्जाम का स्तर

अब करते हैं JEE Main और JEE Advanced के स्तर की बात। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि इन दोनों एग्जाम में से कौन सा एग्जाम ज्यादा कठिन होता है और कौन सा ज्यादा सरल। तो यह तो सीधी सी बात है कि लेवल एक का एग्जाम लेवल दो वाले से सरल ही होगा। इस तरह से JEE Main का एग्जाम JEE Advanced की तुलना में थोड़ा सरल जरुर होता है लेकिन इतना भी नहीं। वह इसलिए क्योंकि हर वर्ष इसमें लाखों स्टूडेंट्स बैठते हैं लेकिन सेलेक्ट होने वाले स्टूडेंट्स बहुत कम होते हैं।

साथ ही स्टूडेंट्स को टॉप लेवल के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए स्कोर भी उसी लेवल का लाना होता है। ऐसे में उसे टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ना चाहिए अन्यथा वह JEE Main में ही सेलेक्ट नहीं हो पाएगा, JEE Advanced तो बहुत दूर की बात है। भारत के कुछ टॉप JEE कोचिंग इंस्टीट्यूट के नाम मैट्रिक्स अकैडमी सीकर, कोटा का एलन इंस्टीट्यूट, दिल्ली आकाश इंस्टीट्यूट है।

#6. एक साल में कितनी बार

अब बात करते हैं कि यह JEE Main और JEE Advanced का एग्जाम एक साल में कितनी बार कंडक्ट करवाया जाता है और कब-कब करवाया जाता है। तो JEE Main का एग्जाम एक साल में दो बार लिया जाता है। पहला पेपर जनवरी में होता है तो दूसरा पेपर अप्रैल के महीने में होता है। ऐसे में अगर आपका जनवरी वाला पेपर अच्छा नहीं गया है तो आप अप्रैल में वापस इसे दे सकते हैं।

वहीं JEE Advanced का एग्जाम साल में बस एक बार लिया जाता है और वह JEE Main के दोनों एग्जाम हो जाने के बाद उसके रिजल्ट के आधार पर लिया जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि जिन स्टूडेंट्स ने JEE Main का एग्जाम पास कर लिया है और टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आए हैं, वे ही JEE Advanced के एग्जाम में बैठ सकते हैं। JEE Advanced का एग्जाम जून के महीने में लिया जाता है।

#7. एग्जाम का क्राइटेरिया

अब आपने यह तो जान लिया है कि JEE Main और JEE Advanced का एग्जाम (JEE Main or JEE Advanced) साल में कितनी बार लिया जाता है लेकिन साथ में यह भी जान लें कि यह एग्जाम कितनी शिफ्ट में होता है। तो JEE Main का पेपर एक ही शिफ्ट में होगा जो 3 घंटे की होगी। इसमें आपसे फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स के प्रश्न पूछे जाएंगे।

वहीं अगर हम JEE Advanced की बात करें तो इसमें एक ही दिन में दो शिफ्ट में पेपर होते हैं। हरेक शिफ्ट 3-3 घंटे की होती है और सब्जेक्ट्स वही रहते हैं। इस तरह से JEE Main का एग्जाम 3 घंटों का तो वहीं JEE Advanced का एग्जाम 6 घंटों का होता है।

#8. किस लैंग्वेज में होता है एग्जाम

JEE Main का एग्जाम हिंदी व अंग्रेजी सहित 13 भारतीय भाषाओं में लिया जाता है। यह 13 भाषाएँ हिंदी, अंग्रेजी, आसामी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू है। वहीं JEE Advanced का एग्जाम केवल हिंदी और अंग्रेजी में ही लिया जाता है।

#9. एग्जाम फीस

अब यदि हम आपके साथ JEE Main और JEE Advanced को देने के लिए फीस की बात करें तो वह भी एक मुख्य अंतर है। वह इसलिए क्योंकि JEE Advanced की फीस JEE Main की तुलना में बहुत ज्यादा होती है। अब यह फीस भी स्टूडेंट्स की जातियों के अनुसार अलग-अलग होती है। JEE Main के लिए जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट्स को 1000 रुपए, जनरल EWS व OBC को 900 रुपए, SC, ST, विकलांग और थर्ड जेंडर के लिए 500 रुपए होती है।

वहीं JEE Advanced की फीस भारतीय नागरिकों के लिए 3200 से लेकर 1600 रुपए के बीच में होती है। वहीं यदि हम विदेशी नागरिकों की बात करें तो यह 100 से 200 डॉलर तक होती है जो भारतीय मुद्रा के अनुसार 9 से 20 हज़ार के बीच होती है।

#10. एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

अब करते हैं JEE Main और JEE Advanced के बीच मुख्य अंतर की बात। वह है JEE का एग्जाम कौन दे सकता है और कौन नहीं। तो इसके लिए वैसे तो कई मापदंड होते हैं लेकिन यहाँ हम आपको दोनों के बीच के अंतर वाले क्राइटेरिया को बताने जा रहे हैं। तो JEE Main एग्जाम को देने के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती है जबकि JEE Advanced के लिए अधिकतम आयु सीमा 25 वर्ष (आरक्षित वर्ग के लिए 30 वर्ष) है।

JEE Main को लगातार तीन वर्षों तक अधिकतम 6 प्रयास के तहत दिया जा सकता है तो वहीं JEE Advanced के लिए अधिकतम 2 प्रयास और वह भी बारहवीं के साथ वाला वर्ष और उसका अगला वर्ष ही होता है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई स्टूडेंट 2024 में अपनी बारहवीं का एग्जाम देता है तो वह वर्ष 2024 और 2025 का JEE Advanced का एग्जाम ही दे सकता है, 2026 या उसके बाद के वर्षों का नहीं।

JEE Main और JEE Advanced क्या है?

अब जब आपने JEE Main और JEE Advanced के बीच के सभी अंतर को जान लिया है तो बारी आती है इन दोनों के बीच क्या समानता है, इसके बारे में जानने की। कहने का मतलब यह हुआ कि भारत सरकार को यह दो एग्जाम क्यों लेने पड़ते हैं और JEE Main और JEE Advanced का आपस में क्या संबंध (JEE Main or JEE Advanced Kya Hai) है, इसके बारे में भी तो आपको जानना चाहिए।

तो सबसे पहले तो आप यह जान लें कि केवल वही स्टूडेंट्स JEE Advanced के एग्जाम में बैठ सकते हैं जिन्होंने JEE Main का एग्जाम दे रखा हो और वे टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आते हो। इस तरह से JEE Advanced का एग्जाम JEE Main एग्जाम के रिजल्ट के आधार पर कंडक्ट करवाया जाता है। साथ ही JEE Main के तहत एलिजिबिलिटी के जो भी क्राइटेरिया हैं, वे अपने आप ही JEE Advanced के लिए मान्य होते हैं।

आइए सिलसिलेवार तरीके से जान लेते हैं:

  1. JEE Main का एग्जाम देशभर के सभी केंद्रीय व राज्य सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज (IIT को छोड़कर) में एडमिशन के लिए कंडक्ट करवाया जाता है।
  2. इसके लिए देश के मान्यता प्राप्त बोर्ड से पढ़ रहे स्टूडेंट को नॉन मेडिकल स्ट्रीम या फिर फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ सब्जेक्ट के साथ अपनी बारहवीं कक्षा में न्यूनतम 75 प्रतिशत अंक (आरक्षित वर्ग के स्टूडेंट्स के लिए 65 प्रतिशत) लाना अनिवार्य होता है।
  3. यदि कोई स्टूडेंट न्यूनतम प्रतिशत वाले क्राइटेरिया में फेल हो जाता है लेकिन यदि वह अपने बोर्ड के टॉप 20 प्रतिशत स्टूडेंट्स में आता है तो भी वह JEE Main के एग्जाम में बैठ सकता है।
  4. अब वह स्टूडेंट हर वर्ष आयोजित होने वाली दोनों JEE Main में बैठ सकता है जो जनवरी और अप्रैल में होती है।
  5. अब यदि स्टूडेंट JEE Main को अच्छे स्कोर के साथ पास कर लेता है और टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आ जाता है तो वह JEE Advanced का एग्जाम दे सकता है।
  6. इसमें इस बात का ध्यान रखें कि यदि उस स्टूडेंट ने 2023 में JEE Main का एग्जाम दिया है और पहले 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आया है तो वह 2024 के JEE Advanced में नहीं बैठ सकता है।
  7. अब यदि स्टूडेंट ने साल में होने वाली दोनों JEE Main की परीक्षा दी है तो उसने जिस भी परीक्षा में अच्छा स्कोर किया है या बेस्ट स्कोर किया है तो वही मान्य होगा।
  8. इस तरह से JEE Main के सभी नियमों का पालन करते हुए और इस एग्जाम में सेलेक्ट होने वाले टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स ही JEE Advanced के एग्जाम में बैठ सकते हैं।
  9. JEE Advanced का एग्जाम एक ही दिन में दो शिफ्ट में होता है और इसमें पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या और अंक निर्धारित नहीं होते हैं।
  10. फिर कुछ ही दिनों में JEE Advanced का रिजल्ट आ जाता है और स्टूडेंट्स को उनके स्कोर के आधार पर IIT में एडमिशन मिलता है और बाकी स्टूडेंट्स अन्य कॉलेज में एडमिशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

इस तरह से आपने जान लिया है कि यह JEE Main और JEE Advanced का एग्जाम (JEE Main or JEE Advanced) कितना मुश्किल होता है और इसमें आपको अच्छा स्कोर करना कितना जरुरी है। इसलिए आपको टॉप लेवल के JEE कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ना होगा। इसमें कुछ एक नाम ही आते हैं जो मैट्रिक्स सीकर, एलन कोटा और आकाश दिल्ली है।

IIT और JEE में क्या अंतर है?

अब आप यह भी जान लें कि IIT और JEE में क्या अंतर (IIT and JEE Difference in Hindi) है। वैसे तो आपको अभी तक का आर्टिकल पढ़कर इसके बारे में समझ आ ही गया होगा। तो IIT का अर्थ तो केंद्रीय सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से होता है जबकि JEE का अर्थ देश की IIT सहित अन्य केंद्रीय सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन पाने के लिए कंडक्ट करवाया जाने वाला एग्जाम होता है।

निष्कर्ष

इस तरह से आपने इस आर्टिकल को पढ़कर यह जान लिया है कि JEE Main और JEE Advanced के बीच क्या अंतर होता (JEE Main and JEE Advanced Difference in Hindi) है और दोनों में क्या संबंध है। आशा है कि अब आपके मन में JEE के इन दोनों एग्जाम को लेकर कोई शंका शेष नहीं रह गई होगी।

जिन स्टूडेंट्स को IIT में एडमिशन लेना होता है, उसे यह दोनों ही एग्जाम देने होते हैं तो जिन स्टूडेंट्स को IIT के अलावा अन्य टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में जाना होता है तो उसके लिए केवल JEE Main का एग्जाम देना ही सही रहता है।

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प्रश्न: जेईई मेंस और एडवांस में क्या फर्क है?

उत्तर: जेईई मेंस और एडवांस में इतना सा फर्क होता है कि JEE Main NIT, IIIT और अन्य सरकारी कॉलेज में एडमिशन के लिए कंडक्ट करवाया जाता है तो वहीं JEE Advanced का एग्जाम IIT में एडमिशन करवाता है।

प्रश्न: 12 वीं के बाद jee एडवांस के लिए कितने प्रयास होते हैं?

उत्तर: 12 वीं के बाद jee एडवांस के लिए लगातार दो वर्षों तक दो प्रयास मिलते हैं।

प्रश्न: जेईई एडवांस का मतलब क्या होता है?

उत्तर: जेईई एडवांस का मतलब होता है देशभर के 23 IIT में एडमिशन करवाने के लिए लिया जाने वाला एग्जाम। इसके तहत स्टूडेंट्स को हर वर्ष IIT की इंजीनियरिंग ब्रांच में एडमिशन दिया जाता है।

प्रश्न: क्या हमें जेईई मेन और एडवांस दोनों देना है?

उत्तर: जो स्टूडेंट्स IIT से पढ़ना चाहते हैं उन्हें अवश्य ही यह दोनों एग्जाम देने होंगे। वहीं जो स्टूडेंट्स IIT के अलावा अन्य सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ना चाहते हैं वे बस जेईई मेन दे सकते हैं।

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IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत | IIT Ke Liye 12 Me Kitne Percentage Chahiye

बहुत से स्टूडेंट्स यह सोच-सोच कर परेशान रहते हैं कि IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत (IIT Ke Liye 12 Me Kitne Percentage Chahiye) कितने चाहिए होते हैं। दरअसल IIT में एडमिशन लेने के लिए क्राइटेरिया बहुत टफ होता है और उसका पालन किया जाना बहुत ही जरुरी होता है। अगर कोई भी स्टूडेंट किसी भी क्राइटेरिया में थोड़ा सा भी चूक जाता है तो उसका IIT में सिलेक्शन नहीं हो पाता है, फिर चाहे उसने JEE का एग्जाम क्लियर ही क्यों ना कर लिया हो।

इसलिए भारत के शिक्षा मंत्रालय व नेशनल टेस्टिंग एजेंसी जो कि IIT JEE का पेपर लेती है, उसके द्वारा जो भी नियम बनाए जाते हैं, उसके बारे में आपको अवश्य ही जानकारी होनी चाहिए। वहीं कुछ स्टूडेंट्स ऐसे भी हैं जो IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत के बारे में जानने को इच्छुक रहते हैं।

ऐसे में आज हम आपको IIT में एडमिशन लेने के लिए आपको बारहवीं में कुल कितने प्रतिशत अंक (IIT Ke Liye Kitne Percentage Chahiye) लाने होते हैं और यदि आपके उतने अंक नहीं आते हैं तो फिर क्या नियम हैं, इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। चलिए जानते हैं।

IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत | IIT Ke Liye 12 Me Kitne Percentage Chahiye

क्या आप जानते हैं कि भारत सरकार के किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना हो तो वहाँ स्टूडेंट्स की जाति के आधार पर अलग-अलग स्टैण्डर्ड बनाए गए होते हैं। यह स्टैण्डर्ड एग्जाम फीस से लेकर उसमें सिलेक्शन से जुड़े होते हैं।

कहने का मतलब यह हुआ कि आपको चाहे JEE का एग्जाम देने के लिए फीस भरनी हो, उसमें आयु का क्राइटेरिया हो या 12 वीं में नंबर का या फिर टोटल एटेम्पट का या कोई और, हर किसी को जाति के आधार पर बांटा गया होता (JEE Main Ke Liye 12th Me Kitne Percentage Chahiye) है।

ऐसे में जो मापदंड जनरल कैटेगरी के लिए हैं, वह OBC, SC, ST के लिए भी हो, यह जरुरी नहीं है। ऐसे में IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत OBC के लिए अलग हो सकते (IIT Ke Liye Kitne Percentage Chahiye) हैं तो SC, ST के लिए अलग। इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको स्टूडेंट्स को हरेक वर्ग या जाति के आधार पर IIT में एडमिशन लेने के लिए मिनिमम कितने नंबर चाहिए और उसके लिए क्या क्राइटेरिया होता है, उसके बारे में बताने वाले हैं।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत Open/ General

सबसे पहले बात करते हैं उन स्टूडेंट्स के बारे में जो जनरल कैटेगरी या यूँ कहें कि ओपन कैटेगरी में आते हैं। सीधे शब्दों में कहा जाए तो वे सभी स्टूडेंट्स जो OBC, SC, ST कैटेगरी में नहीं आते हैं और ना ही वे विकलांग हैं। साथ ही वे आर्थिक रूप से सक्षम भी हैं।

अब उन सभी स्टूडेंट्स को IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत के रूप में 75 प्रतिशत का स्कोर लेना जरुरी होता है। कहने का मतलब यह हुआ कि जिन जनरल स्टूडेंट्स के 12 वीं में 75 प्रतिशत से कम अंक आए हैं, वे JEE का एग्जाम नहीं दे सकते हैं।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत General EWS

अब बात करते हैं उन स्टूडेंट्स के बारे में जो हैं तो जनरल कैटेगरी में लेकिन वे आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं या निर्धन परिवार या कम आय की श्रेणी में आते हैं। ऐसे स्टूडेंट्स को भी अपनी बारहवीं कक्षा में कम से कम 75 प्रतिशत का स्कोर करना जरुरी होता है अन्यथा वे भी IIT में प्रवेश नहीं ले सकते हैं।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत OBC

अब आती है बात OBC कैटेगरी के स्टूडेंट्स की। इसकी फुल फॉर्म होती है Other Backward Classes जो कई जातियों का समूह होता है। यह बहुत बड़ी कैटेगरी होती है और इन्हें ही सबसे ज्यादा रिजर्वेशन भी मिलता है जो कि 27 प्रतिशत के आसपास है।

हालाँकि भारत सरकार के द्वारा OBC कैटेगरी में आने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत का आंकड़ा 75 प्रतिशत ही रखा गया है। ऐसे में यदि आप OBC श्रेणी में आते हैं तो भी आपको 75 प्रतिशत या उससे अधिक अंक अपनी बारहवीं कक्षा के बोर्ड में लाने होंगे।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत SC

अब यदि हम Schedule Caste की बात करें तो उन्हें भारत सरकार के द्वारा राहत दी गई है। इस श्रेणी में आने वाले सभी स्टूडेंट्स को बारहवीं क्लास में कम से कम 65 प्रतिशत अंक लाने होते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो स्टूडेंट्स SC कैटेगरी में आते हैं, उन्हें IIT में एडमिशन लेने के लिए कम से कम 65 प्रतिशत अंक अपनी बारहवीं क्लास में लाने होंगे।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत ST

अब जो स्टूडेंट्स ST कैटेगरी में आते हैं, उन्हें भी SC कैटेगरी की तरह ही अपनी बारहवीं क्लास में न्यूनतम 65 प्रतिशत अंक स्कोर करने होते हैं तभी वे IIT में एडमिशन लेने के लिए एलिजिबल हो पाते हैं।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत PwD

अब वे सभी स्टूडेंट्स जो चाहे ऊपर दी गई किसी भी श्रेणी में आते हैं लेकिन यदि वे शारीरिक रूप से विकलांग हैं तो उन्हें भी भारत सरकार राहत प्रदान करती है। तो विकलांग की श्रेणी में आने वाले सभी तरह की जातियों के स्टूडेंट्स को 12 वीं क्लास में न्यूनतम 65 प्रतिशत अंक लाने होते हैं। यह सभी जाति के स्टूडेंट्स के लिए एक समान है फिर चाहे वह जनरल श्रेणी का हो या ST का।

न्यूनतम प्रतिशत के साथ बेस्ट कोचिंग का महत्व

अब आपने अपनी कैटेगरी के हिसाब से न्यूनतम प्रतिशत अंक प्राप्त कर लिए हैं या आपको विश्वास है कि इतने प्रतिशत तो आपके आ ही जाएंगे तो केवल इतना ही काफी नहीं होता है। वह इसलिए क्योंकि आप बारहवीं में न्यूनतम प्रतिशत अंक लेकर IIT के लिए होने वाले JEE के एग्जाम में बैठने के लिए तो एलिजिबल हो जाएंगे लेकिन तब क्या होगा जब आप एग्जाम ही ना क्लियर कर पाएं या इसमें टॉप स्टूडेंट्स में अपनी जगह ना बना पाएं।

इसलिए जितना ध्यान आपको अपनी बारहवीं क्लास के न्यूनतम प्रतिशत पर देने की जरुरत है, उतना ही ध्यान आपको JEE एग्जाम की तैयारी पर देने की भी है। इसके लिए आपको जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी से ही इस पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए। यहाँ हम आपको JEE एग्जाम की तैयारी करने के लिए देश के कुछ चुनिंदा कोचिंग सेंटर्स के नाम देने जा रहे हैं जहाँ से आप अपनी तैयारी को मजबूत कर सकते हैं:

  1. मैट्रिक्स IIT अकैडमी, सीकर
  2. आकाश इंस्टीट्यूट, दिल्ली
  3. एलन इंस्टीट्यूट, कोटा
  4. प्रिंस अकैडमी, सीकर
  5. कौटिल्य अकैडमी, सीकर

एक तरह से यह कुछ ऐसे इंस्टीट्यूट या JEE के कोचिंग सेंटर हैं जहाँ पढ़कर आप अपनी तैयारी को और मजबूत कर सकते हैं। वह इसलिए क्योंकि टॉप और अच्छे कोचिंग सेंटर से आपको सही गाइडेंस मिलती है, एग्जाम को कैसे क्रैक किया जाता है, इसके सीक्रेट पता चलते हैं और समय पर आपके सभी डाउट सोल्व होते हैं।

मैट्रिक्स और एलन जैसे इंस्टीट्यूट इसमें बहुत अच्छा काम कर रहे हैं तो वहीं आकाश ने तो देशभर में अपनी ब्रांच खोल रखी है। मैट्रिक्स अकैडमी पिछले कुछ वर्षों से टॉप पर बनी हुई है क्योंकि वहाँ टोटल स्टूडेंट्स में से IIT में सेलेक्ट होने वाले स्टूडेंट्स का नंबर अन्य इंस्टीट्यूट की तुलना में बहुत बेहतर है।

IIT के लिए कौन-से बोर्ड हैं मान्य?

अब आप सोच रहे हैं कि आप जिस बोर्ड से हैं, क्या उस बोर्ड से भी आप IIT में बैठ सकते हैं या उसमें एडमिशन ले सकते हैं। तो यहाँ हम आपको एक चीज़ पहले ही क्लियर कर दें कि भारत सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त बोर्ड से पढ़ने पर ही आपको JEE एग्जाम में बैठने दिया जाएगा या फिर यूँ कहें कि IIT में एडमिशन मिल पाएगा।

तो इसमें केंद्र सरकार के दोनों मुख्य बोर्ड जिन्हें हम सीबीएसई और ICSE के नाम से जानते हैं, वह आते हैं। इसके अलावा सभी राज्य के राज्य बोर्ड भी इसके अंतर्गत आते हैं। उदाहरण के तौर पर राजस्थान राज्य का राजस्थान बोर्ड, मिजोरम राज्य का मिजोरम बोर्ड, छत्तीसगढ़ राज्य का छत्तीसगढ़ बोर्ड इत्यादि।

इस तरह से CBSE, ICSE और सभी राज्यों के स्टेट बोर्ड में पढ़ रहे सभी स्टूडेंट्स को IIT में प्रवेश पाने के लिए अपनी अपनी जाति के अनुसार न्यूनतम प्रतिशत का क्राइटेरिया पूरा करना होता है। इसके बाद जाकर वह IIT में एडमिशन ले सकता है।

शिक्षा मंत्रालय का एक नया नियम

अब यहाँ पर आप इस बात को ध्यान से पढ़ें क्योंकि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के द्वारा वर्ष 2023 में एक अधिसूचना जारी की गई थी और इसमें IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत (IIT Ke Liye 12 Me Kitne Percentage Chahiye) के नियम में थोड़ी ढील दी गई है। पहले वाले नियम के अनुसार सामान्य/ जनरल, OBC और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को न्यूनतम 75 प्रतिशत तो वहीं SC, ST व विकलांग श्रेणी में आने वाले स्टूडेंट्स को न्यूनतम 65 प्रतिशत अंक बारहवीं कक्षा में लाने होते थे और तभी वे IIT के लिए एलिजिबल हो पाते थे।

हालाँकि बहुत वर्षों से यह प्रश्न उठाया जा रहा था कि कई स्टेट बोर्ड में मार्किंग बहुत ही हार्ड होती है, जैसे कि राजस्थान बोर्ड को ही ले लीजिए। ऐसे में कुछ स्टेट बोर्ड के स्टूडेंट्स अपने बोर्ड में अच्छे परसेंटेज लाकर भी IIT के लिए न्यूनतम प्रतिशत का क्राइटेरिया पूरा नहीं कर पाते थे। ऐसे में शिक्षा मंत्रालय ने पहले वाले नियम को तो रखा ही है लेकिन जो स्टूडेंट्स इस नियम में फेल हो जाते हैं, उन्हें कुछ राहत दी गई है।

नए नियम के अनुसार वे सभी स्टूडेंट्स भी IIT में एडमिशन लेने और JEE का एग्जाम देने के लिए सक्षम माने जाएंगे जो अपने-अपने बोर्ड में टॉप 20 परसेंट स्टूडेंट्स में आते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि आपने राजस्थान बोर्ड से बारहवीं का एग्जाम दिया है और आप जनरल श्रेणी के हैं लेकिन यदि आपके केवल 70 प्रतिशत आते हैं तो पहले वाले नियम के अनुसार आप IIT में नहीं बैठ पाएंगे।

लेकिन नए नियम के अनुसार यदि आप राजस्थान बोर्ड में चयनित होने वाले टोटल स्टूडेंट्स में से फर्स्ट 20 परसेंट में आते हैं तो फिर आप बारहवीं में 70 प्रतिशत होने के बावजूद भी IIT में बैठ सकते हैं और JEE का एग्जाम दे सकते हैं। यह नियम सभी जातियों के स्टूडेंट्स के लिए एक समान है।

IIT में एडमिशन कैसे मिलेगा?

अब हम आपको सीधे सीधे शब्दों में IIT में एडमिशन लेने की पूरी प्रक्रिया समझा देते हैं। इसके लिए आपको मुख्य तौर पर तीन चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। इसमें पहला चरण बारहवीं में न्यूनतम प्रतिशत (IIT Ke Liye Kitne Percentage Chahiye) वाला है तो दूसरा और तीसरा चरण JEE के ही दो तरह के एग्जाम से जुड़ा हुआ है। चलिए इसके बारे में भी जान लेते हैं।

  • बारहवीं में न्यूनतम प्रतिशत या टॉप 20 प्रतिशत स्टूडेंट्स

सबसे पहले तो आपको ऊपर बताए गए नियमों के अनुसार बारहवीं क्लास में न्यूनतम अंक लाने होंगे। IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत OBC, General, GEN-EWS स्टूडेंट्स के लिए 75 प्रतिशत तो वहीं SC, ST और विकलांग स्टूडेंट्स के लिए 65 प्रतिशत है।

वहीं जो स्टूडेंट्स अपने-अपने बोर्ड में पास होने वाले टॉप 20 परसेंट स्टूडेंट्स में आए तो वे भी IIT में बैठ सकते (JEE Main Ke Liye 12th Me Kitne Percentage Chahiye) हैं, फिर चाहे वे ऊपर वाले नियम में पास होते हो या फेल।

  • JEE Main में पहले 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आना

अब जिन स्टूडेंट्स ने ऊपर वाला नियम पास कर लिया है तो वे JEE Main एग्जाम में बैठने को एलिजिबल हो जाते हैं। यह एग्जाम वर्ष में दो बार (जनवरी और अप्रैल) आयोजित करवाया जाता है। इसमें लाखों स्टूडेंट्स बैठते हैं। ऐसे में यदि आप शुरूआती 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आते हैं तो आप आगे का एग्जाम देने के लिए एलिजिबल हो जाते हैं।

  • JEE Advance की कट ऑफ क्लियर करना

अब जो स्टूडेंट्स JEE Main के शुरूआती 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आते हैं उनका मई-जून के महीने में JEE एडवांस का एग्जाम लिया जाता है। इसमें पास होने के लिए कट ऑफ को क्लियर करना जरुरी होता है जो हर वर्ष अलग-अलग हो सकती है।

इस कट ऑफ को क्लियर करने के बाद आपको अपनी पसंद के कॉलेज और स्ट्रीम के अनुसार आगे की तैयारी करनी होती है जो कि अलग प्रक्रिया है। इसी के बाद ही आपको IIT में प्रवेश मिल पाता है।

निष्कर्ष

इस तरह से आपने यह जान लिया है कि IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत (IIT Ke Liye 12 Me Kitne Percentage Chahiye) कितने चाहिए होते हैं। आज के इस आर्टिकल में हमने आपको स्टूडेंट्स की कैटेगरी अर्थात जातियों के आधार पर यह बता दिया है कि किस स्टूडेंट को कितने प्रतिशत अंक चाहिए होते हैं ताकि वह IIT में एडमिशन पा सके।

साथ ही हमने आपको शिक्षा मंत्रालय के द्वारा स्टूडेंट्स को न्यूनतम प्रतिशत में दी गई राहत के बारे में भी बता दिया है जो वर्ष 2023 में दी गई थी। ऐसे में अब बहुत से ऐसे स्टूडेंट्स जिनकी बोर्ड मार्किंग बहुत टफ होती थी, उन्हें भी राहत मिलती है।

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प्रश्न: Jee में सिलेक्शन के लिए कितने मार्क्स चाहिए?

उत्तर: Jee में सिलेक्शन के लिए मार्क्स या यूँ कहें कि कट ऑफ हर वर्ष अलग-अलग निकलती है। ऐसे में आपको अधिक से अधिक स्कोर करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

प्रश्न: आईआईटी का पेपर कितनी बार दे सकते हैं?

उत्तर: आईआईटी का पेपर अपनी बारहवीं कक्षा का एग्जाम देने वाले वर्ष और उसके अगले वर्ष तक ही दे सकते हैं। इस तरह से एक स्टूडेंट आईआईटी का पेपर अधिकतम 2 बार ही दे सकता है।

प्रश्न: आईआईटी का एग्जाम कौन सा स्टूडेंट दे सकता है?

उत्तर: आईआईटी का एग्जाम वह स्टूडेंट दे सकता है जिसने JEE Main का एग्जाम देने के सभी नियमों का पालन किया हो और उसका रिजल्ट टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स में से हो।

प्रश्न: IIT में कितने चांस मिलते हैं?

उत्तर: IIT में हर स्टूडेंट को अधिकतम दो चांस मिलते हैं। यह चांस भी उसे बारहवीं कक्षा के एग्जाम वाले वर्ष और उसके अगले वर्ष तक ही मिलता है।

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12वीं के बाद इंजीनियरिंग कोर्स की पूरी लिस्ट | Engineering Courses List

Engineering Courses List: क्या आप 12वीं के बाद इंजीनियरिंग कोर्स के विकल्प देख रहे हैं? आज के समय में इंजीनियरिंग एक ऐसी फील्ड है जो लोगों की पहली पसंद बनता जा रहा है। अब आप चाहे अपने परिवार की बात कर लें या फिर दोस्तों की, हर जगह आपको इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हुए स्टूडेंट्स या उसमें पढ़ाई पूरी करके नौकरी करते हुए जान पहचान के लोग मिल जाएंगे।

ऐसे में यदि आप भी आगे चलकर इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने को इच्छुक हैं तो उसके लिए आपको अभी से ही तैयारी करने की जरुरत है। हालाँकि हमारा आज का विषय इंजीनियरिंग करने या नहीं करने से नहीं जुड़ा हुआ है बल्कि इंजीनियरिंग में क्या कुछ किया जा सकता है, उससे जुड़ा हुआ है। वह इसलिए क्योंकि जब भी इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने की बात आती है तो ज्यादातर सभी को कुछ एक डिग्री के नाम ही पता होते हैं।

उदाहरण के तौर पर आपको कंप्यूटर साइंस, सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग करने या बीटेक की डिग्री के बारे में पता होगा। लेकिन यदि हम आपको कहें कि मेडिकल की फील्ड में भी बीटेक की जाती है तो यह सुनकर आपको कैसा लगेगा!

ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम आपके सामने लगभग सभी तरह की इंजीनियरिंग फील्ड और उनके बारे में बेसिक जानकारी (B Tech Branches List) रखने जा रहे हैं। आइए जाने बीटेक में कौन कौन सी ब्रांच होती है।

12वीं के बाद इंजीनियरिंग कोर्स | Engineering Courses List

अब ऊपर आपने इंजीनियरिंग की डिग्री से जुड़े जो भी नाम पढ़े, वह सबसे फेमस है। कहने का मतलब यह हुआ कि यह तीन से चार डिग्री इंजीनियरिंग या बीटेक में सबसे ज्यादा चुनी जाने वाली डिग्री होती है लेकिन इनके अलावा या इनके जैसी और भी डिग्री होती है जो स्टूडेंट्स की पसंद बनकर उभर रही (Engineering Courses List After 12th) है।

वहीं कुछ स्टूडेंट्स यह भी जानना चाहते हैं कि बीटेक में सबसे अच्छी ब्रांच कौन सी है या फिर इंजीनियरिंग में कौन सी ब्रांच अच्छी है!! तो आज हम आपको आपके इस प्रश्न का भी उत्तर देंगे। इसी के साथ ही आपको देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज अर्थात IIT में एडमिशन लेने के लिए किन टॉप इंस्टीट्यूट से पढ़ना चाहिए, इसके बारे में भी बताएँगे।

कुछ चुनिंदा इंस्टीट्यूट के नाम मैट्रिक्स अकैडमी सीकर, आकाश इंस्टीट्यूट दिल्ली है। इसके बारे में हम आपको बाद में बताएँगे। इसलिए आर्टिकल को आखिर तक पढ़ना ना भूलें।

तो आइए सबसे पहले जान लेते हैं कि बीटेक में कौन कौन सी ब्रांच होती है (B Tech Branches List) और उसमें क्या कुछ पढ़ाया जाता है या उससे आप भविष्य में क्या बन सकते हैं।

#1. कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (Computer Science Engineering)

आज के समय में जो इंजीनियरिंग ब्रांच सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है या जिसका सबसे ज्यादा बोलबाला है, वह यही कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग है। वह इसलिए क्योंकि हर जगह ऑनलाइन व डिजिटल प्लेटफार्म का दबदबा है। ऐसे में उसे हैंडल करने या उसे नियंत्रित करने के लिए कंप्यूटर साइंस इंजीनियर की ही जरुरत पड़ती है।

इस इंजीनियरिंग को करने वाले लोग सॉफ्टवेयर कंपनियों सहित अन्य उन सभी कंपनियों में काम करते हैं, जहाँ सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर इंजीनियर की जरुरत पड़ती है। अब यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के तहत किस तरह के कोर्स को करते हैं या किस चीज़ पर ज्यादा फोकस करते हैं।

वह इसलिए क्योंकि इंजीनियरिंग की इस फील्ड में अलग अलग लैंग्वेज सहित कई तरह के कोर्स होते हैं जो समय के साथ-साथ अपडेट भी होते हैं और बदलते भी रहते हैं। उदाहरण के तौर पर आज के समय में लोग इस फील्ड में AI या इससे संबंधित कोर्स को भी करने लगे हैं। इसमें आपको कोडिंग सिखाई जाती है और वही आगे चलकर आपका मुख्य काम होता है।

#2. इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग (Information Technology Engineering)

अब बात करते हैं सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में ही एक दूसरी मुख्य फील्ड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के बारे में। तो यह भी कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की तरह ही एक अन्य इंजीनियरिंग ब्रांच मानी जाती है। तो कुछ स्टूडेंट्स कंप्यूटर साइंस में पढ़ते हैं तो वहीं कुछ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में पढ़ते हैं।

इन दोनों में मूलभूत अंतर यही होता है कि जहाँ एक ओर कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर दोनों की पढ़ाई करवाई जाती है तो वहीं इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी की इस फील्ड में आपको मुख्यतया सॉफ्टवेयर की ही पढ़ाई करवाई जाएगी। इस कोर्स को करके आप डाटा साइंटिस्ट, कंप्यूटर साइंस इंजीनियर, एनालिस्ट इत्यादि की नौकरी कर पाते हैं।

#3. इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (Electronics and Communication Engineering)

यह वाली फील्ड भी कुछ हद्द तक ऊपर वाली दोनों फील्ड से मिलती जुलती ही है लेकिन इसका काम थोड़ा अलग होता है। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों की पढ़ाई करवाई जाती है तो वहीं इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी वाली इंजीनियरिंग में सॉफ्टवेयर पर ध्यान रखा जाता है।

तो वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग वह होती है, जहाँ हार्डवेयर वाले पार्ट पर ज्यादा फोकस किया जाता है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स वाले उपकरण किस तरह से काम करते हैं, उनमें क्या कुछ पार्ट्स होते हैं, वे आपस में किस तरह से कम्यूनिकेट करते हैं, इत्यादि के बारे में जानकारी दी जाती है। इसे पढ़कर भी आपकी सॉफ्टवेयर कंपनियों सहित हार्डवेयर और टेलिकॉम कंपनियों में नौकरी लगती है।

#4. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Electrical Engineering)

जिस प्रकार कंप्यूटर साइंस और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी मिलती जुलती फील्ड मानी जाती है, ठीक उसी तरह इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग भी मिलती जुलती इंजीनियरिंग फील्ड है। जहाँ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में हार्डवेयर पर ज्यादा फोकस रखा जाता है और कुछ सॉफ्टवेयर वाला पार्ट भी पढ़ाया जाता है तो वहीं इलेक्ट्रिकल पूर्ण रूप से हार्डवेयर पर फोकस रखती है।

हालाँकि इस वाली इंजीनियरिंग फील्ड में आपको पॉवर अर्थात बिजली के बारे में ज्यादा पढ़ाया जाएगा। ऐसे में पॉवर को समझना और उसे हैंडल करने का काम ही इस इंजीनियरिंग फील्ड का मुख्य फोकस होता है।

#5. केमिकल इंजीनियरिंग (Chemical Engineering)

यह पूरी तरह से एक अलग इंजीनियरिंग फील्ड हो जाती है। नॉन मेडिकल में जो केमिस्ट्री या रसायन विज्ञान पढ़ाया जाता है, बस उसी को ही एडवांस और उच्च स्तर पर इस इंजीनियरिंग फील्ड में पढ़ाया जाता है। तभी इसका नाम केमिकल इंजीनियरिंग रखा गया है अर्थात रसायन में इंजीनियरिंग।

इसमें आपको थर्मोडायनामिक्स, फ्लूइड मैकेनिक्स, केमिकल प्रोसेस डिज़ाइन इत्यादि सब्जेक्ट्स के बारे में पढ़ाया जाता है। वहीं यदि हम नौकरी की बात करें तो आपको फर्टिलाइजर इंडस्ट्री, पेट्रोकेमिकल कंपनियाँ, फार्मा मैन्युफैक्चरिंग इत्यादि में नौकरी मिल सकती है।

#6. सिविल इंजीनियरिंग (Civil Engineering)

अब हम जो भी कंस्ट्रक्शन का काम देखते हैं, फिर चाहे वह बड़े-बड़े भवन हो, सरकारी ऑफिस हो, पुल, ब्रिज, सड़क इत्यादि कुछ भी हो, वह सभी काम सिविल इंजीनियर ही करता है। एक तरह से जो भी निर्माण कार्य हो रहा है, वह सिविल इंजीनियरिंग के अंतर्गत ही पढ़ाया और सिखाया जाता है।

इसमें आपको मुख्य तौर पर फिजिक्स और उससे मिलते जुलते सब्जेक्ट्स के बारे में पढ़ाया जाएगा। वहीं यदि हम नौकरी लगने के बारे में बात करें तो इंजीनियरिंग की इस फील्ड में सरकारी नौकरियां भी अन्य इंजीनियरिंग फील्ड की तुलना में बहुत ज्यादा होती है। वहीं प्राइवेट काम भी इसमें बहुत अच्छा है।

#7. मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Mechanical Engineering)

ऊपर आपने जो इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के बारे में पढ़ा तो वह तो बात थी इलेक्ट्रिकल उपकरण की सेटिंग करने की बात लेकिन यदि हम मशीन के डिजाईन की बात करें तो वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग के अंतर्गत आती है। कहने का मतलब आप ऐसे समझ सकते हैं कि बहुत हद्द तक इंजीनियरिंग की इन फ़ोनों फील्ड का काम एक दूसरे से जुड़ा हुआ भी होता है।

मैकेनिकल इंजीनियरिंग का काम किसी मशीन को डिजाईन करना, उसका प्रोटोटाइप बनाना, थर्मल एनर्जी में काम करना या मैन्युफैक्चरिंग में काम करना इत्यादि होता है। इस कारण ही इसे मैकेनिकल इंजीनियरिंग का नाम दिया गया है क्योंकि इसमें सब खेल मशीन से ही जुड़ा हुआ होता है।

#8. बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग (Biotechnology Engineering)

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि इंजीनियरिंग में सिर्फ कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स इत्यादि ब्रांच ही नहीं होती है। ऐसे में यदि आप 12वीं के बाद इंजीनियरिंग कोर्स (Engineering Courses List) देख रहे हैं तो उसमें एक ब्रांच मेडिकल फील्ड की भी है। मेडिकल फील्ड का नाम सुनते ही लोगों को लगता है कि इसमें सिर्फ डॉक्टर या फिर नर्स, फार्मा इत्यादि की पढ़ाई होती है तो आप गलत हैं।

बायोटेक्नोलॉजी या बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में आपको दवाइयों और उनके फार्मूला के बारे में पढ़ाया जाता है। अब आप या हम जब भी बीमार होते हैं तो डॉक्टर हमें दवाइयां लिख कर देता है। तो यह दवाइयां बनाने वाली कंपनियां भी तो अपने यहाँ रिसर्च करने और नई दवाइयां बनाने, अभी की दवाइयों की टेस्टिंग करने इत्यादि के लिए इंजीनियर रखती है। तो उसी की पढ़ाई इस ब्रांच में करवाई जाती है।

#9. एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (Aerospace Engineering)

इस वाली फील्ड को हम प्रीमियम इंजीनियरिंग ब्रांच भी कह सकते हैं क्योंकि यह सभी तरह के कॉलेज में नहीं होती है। वह इसलिए क्योंकि इसकी पढ़ाई एकदम अलग और एडवांस होती है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह एयरोस्पेस से जुड़ी हुई इंजीनियरिंग फील्ड है जिसमें स्पेस क्राफ्ट्स, उनके पार्ट्स, इंजन, सिस्टम इत्यादि के बारे में बताया जाता है।

एक तरह से इस इंजीनियरिंग फील्ड में आपको स्पेस क्राफ्ट के डिजाईन और उसके विकास के बारे में बताया जाता है। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़कर आपको इसरो, नासा, डिफेंस जैसी फील्ड में नौकरी मिल सकती है।

#10. मरीन इंजीनियरिंग (Marine Engineering)

जहाजों और समुद्री उपकरणों के डिज़ाइन और मैन्युफैक्चरिंग के बारे में पढ़ने के लिए मरीन इंजीनियरिंग की जाती है। इसमें जहाजों के उपकरण और उसमें रहन-सहन इत्यादि के बारे में पढ़ाया जाता है। यह भी एक प्रीमियम इंजीनियरिंग फील्ड होती है जिसमें नौसेना में नौकरी मिलती है।

#11. ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग (Automobile Engineering)

यह एक तरह से मैकेनिकल इंजीनियरिंग ही हो जाती है लेकिन इसमें मुख्यतया व्हीकल के निर्माण से संबंधित सिखाया और पढ़ाया जाता है। इसमें पढ़ाई करने के बाद आपको कार कंपनियों में नौकरी मिल सकती है।

#12. इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग (Electrical and Electronics Engineering)

यह इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का मिला जुला रूप होता है। इसमें आपको दोनों तरह की इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवाई जाती है।

#13. रोबोटिक्स इंजीनियरिंग (Robotics Engineering)

पहले इस इंजीनियरिंग फील्ड का चलन कम था लेकिन आज के समय में और भविष्य को देखते हुए इस इंजीनियरिंग फील्ड में स्कोप बहुत बढ़ गया है। वह इसलिए क्योंकि आगे का जमाना रोबोट्स पर ही निर्धारित रहने वाला है और उसके लिए रोबोटिक्स इंजीनियरिंग करना बहुत जरुरी है।

#14. फूड टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग (Food Technology Engineering)

आप जो भी खाना खाते हैं, उसकी क्वालिटी और उसकी शुद्धता मापने का काम फूड टेक्नोलॉजी इंजीनियर का ही होता है। यहाँ हम सरकारी अधिकारी की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि उन इंजीनियर की बात कर रहे हैं जिनकी सहायता से सरकारी अधिकारी इस क्षेत्र में काम करते हैं। तो खाने से जुड़ी हुई यह इंजीनियरिंग फील्ड भी बहुत महत्वपूर्ण होती है।

#15. अन्य इंजीनियरिंग कोर्स

ऊपर हमने आपको सभी मुख्य इंजीनियरिंग फील्ड के बारे में बता दिया है। हालाँकि हमने आपको यह भी कहा था कि आज हम आपको छोटी से लेकर बड़ी इंजीनियरिंग फील्ड के बारे में बताने वाले हैं। ऐसे में अब हम आपको अन्य इंजीनियरिंग फील्ड के बारे में भी बता देते हैं।

  • नैनो टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग (Nanotechnology Engineering)
  • एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग (Agricultural Engineering)
  • एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग (Environmental Engineering)
  • माइनिंग इंजीनियरिंग (Mining Engineering)
  • पेट्रोलियम इंजीनियरिंग (Petroleum Engineering)
  • टेक्सटाइल इंजीनियरिंग (Textile Engineering)
  • मैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग (Material Science and Engineering)
  • इंडस्ट्रियल एंड प्रोडक्शन इंजीनियरिंग (Industrial and Production Engineering)
  • सेरेमिक इंजीनियरिंग (Ceramic Engineering)
  • बायोमेडिकल इंजीनियरिंग (Biomedical Engineering)
  • ऑप्टिकल इंजीनियरिंग (Optical Engineering)
  • मैटेरियल्स इंजीनियरिंग (Materials Engineering)
  • टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (Telecommunication Engineering)
  • इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग (Instrumentation Engineering)
  • पावर इंजीनियरिंग (Power Engineering)
  • साउंड इंजीनियरिंग (Sound Engineering)
  • गेमिंग इंजीनियरिंग (Gaming Engineering)
  • ओशन इंजीनियरिंग (Ocean Engineering)
  • रेलवे इंजीनियरिंग (Railway Engineering)
  • कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग (Construction Engineering)
  • फायर प्रोटेक्शन इंजीनियरिंग (Fire Protection Engineering)
  • फिजिक्स इंजीनियरिंग (Engineering Physics)
  • कंट्रोल सिस्टम इंजीनियरिंग (Control Systems Engineering)
  • डाटा इंजीनियरिंग (Data Engineering)

आशा है कि अब आपको यह समझ में आ गया होगा कि बीटेक में कौन कौन सी ब्रांच होती (Engineering Courses List After 12th) है। अब हम आपको यह भी बताने वाले हैं कि इंजीनियरिंग में कौन सी ब्रांच अच्छी है। तो आइए उसके बारे में भी जान लेते हैं।

बीटेक में सबसे अच्छी ब्रांच कौन सी है?

अब यदि आप इंजीनियरिंग की सबसे अच्छी या टॉप मोस्ट ब्रांच की बात करें तो वह आज के समय में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग मानी जाती है। वह इसलिए क्योंकि आज के समय में सब काम ऑनलाइन होने लगा है। अब जब सब काम ऑनलाइन हो रहा है तो अवश्य ही उसे हैंडल करने या उसे बनाने के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर चाहिए होते हैं।

अब वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर का काम कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग करके ही हो पाता है। साथ ही कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के अंदर ही आपके पास कई तरह के विकल्प होते हैं। यहाँ हम आपको यह समझाना चाह रहे हैं कि आपको इसी इंजीनियरिंग फील्ड के अंतर्गत ही कई अन्य इंजीनियरिंग फील्ड या ऑप्शन मिलेंगे। जैसे कि:

  • डेटा साइंस (Data Science)
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (AI & Machine Learning)
  • साइबर सिक्योरिटी (Cybersecurity)
  • क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing)
  • सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट (Software Development)
  • वेब डेवलपमेंट (Web Development)
  • नेटवर्किंग (Networking)

अब इसमें और भी कई फील्ड होती है जिसके बारे में हम आपको किसी अन्य आर्टिकल में विस्तार से बताएँगे। ऐसे में अगर आज के समय में बीटेक में सबसे अच्छी ब्रांच की बात हो तो वह कंप्यूटर साइंस इंजीनियर है। उसके बाद इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स, सिविल व मैकेनिकल ब्रांच का नंबर आता है।

इंजीनियरिंग करने के लिए टॉप कोचिंग इंस्टीट्यूट

अब हम आपको यह भी बता दें कि यदि आपको इंजीनियरिंग या बीटेक करनी है तो उसके लिए भारत में सबसे बेस्ट कॉलेज IIT होते हैं और उसके बाद NIT का नंबर आता है। इसलिए यदि आपको इन कॉलेज में एडमिशन लेना है और वो भी अपनी मनपसंद की इंजीनियरिंग ब्रांच में तो उसके लिए आपको JEE का एग्जाम अच्छे स्कोर के साथ पास करना होता है।

इसके लिए आपको टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ना होता है। ऐसे में भारत के कुछ टॉप इंजीनियरिंग कोचिंग सेंटर के नाम इस प्रकार हैं:

  1. मैट्रिक्स IIT अकैडमी, सीकर
  2. आकाश इंस्टीट्यूट, दिल्ली
  3. एलन इंस्टीट्यूट, कोटा
  4. प्रिंस अकैडमी, सीकर
  5. कौटिल्य अकैडमी, सीकर

तो आप इनमें से किसी भी इंस्टीट्यूट से JEE की तैयारी कर सकते हैं। इनमें से मैट्रिक्स अकैडमी नंबर एक पर आती है क्योंकि वहाँ के स्टूडेंट्स का रिजल्ट पिछले कुछ वर्षों में टॉप लेवल का रहा है। वहाँ की सबसे मुख्य बात यह है कि वहाँ स्टूडेंट टीचर रेश्यो और स्टूडेंट्स के डाउट का खासतौर पर ध्यान रखा जाता है। इसी कारण वहाँ का रिजल्ट भी टॉप लेवल का आ रहा है।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने 12वीं के बाद इंजीनियरिंग कोर्स (Engineering Courses List) के सभी ऑप्शन के बारे में विस्तार से जानकारी ले ली है। इसी के साथ ही आपने उन सभी इंजीनियरिंग फील्ड के बारे में थोड़ा बहुत जान भी लिया है। इतना ही नहीं, हमने आपको टॉप लेवल के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए कहाँ से तैयारी करनी चाहिए, इसके बारे में भी बता दिया है।

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प्रश्न: Engineering कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: Engineering कई प्रकार की होती है जिसमें से मुख्य इंजीनियरिंग ब्रांच कंप्यूटर साइंस, सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल इत्यादि है।

प्रश्न: इंजीनियर की सबसे बड़ी डिग्री कौन सी है?

उत्तर: इंजीनियर की सभी डिग्री अपने आप में बड़ी और मुख्य होती है। फिर भी कुछ प्रीमियम इंजीनियरिंग की डिग्री की बात की जाए तो उसमें एयरोस्पेस, मरीन इंजीनियरिंग की डिग्री आती है।

प्रश्न: भविष्य में कौन सी इंजीनियरिंग की मांग है?

उत्तर: भविष्य में AI, डाटा साइंस से संबंधित कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग और रोबोटिक्स इंजीनियरिंग की मांग सबसे ज्यादा रहने वाली है।

प्रश्न: सरकारी नौकरी के लिए कौन सा इंजीनियर सबसे अच्छा है?

उत्तर: सरकारी नौकरी में सबसे ज्यादा सिविल इंजीनियर को लिया जाता है। इसके बाद इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल व कंप्यूटर साइंस इंजीनियर को लिया जाता है।

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देश की टॉप 10 IIT के नाम | Top 10 IIT Colleges in India Rank Wise

Top 10 IIT Colleges in India Rank Wise: भारत देश में जो भी स्टूडेंट इंजीनियरिंग या इससे संबंधित कोर्स को करना चाहता है तो उसका सपना होता है कि वह देश के टॉप से टॉप कॉलेज में पढ़े। अब कहने को तो देश के हर शहर और राज्य में सैकड़ों इंजीनियरिंग कॉलेज है जिसमें से कुछ प्राइवेट है तो कुछ सरकारी। हालाँकि हर स्टूडेंट का सपना होता है कि उसे इनमें से टॉप लेवल के कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने का मौका मिले।

तो यह बात तो सभी को ही पता होगी कि यदि हम देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज की बात करें तो उसमें सबसे पहला नाम IIT का ही आता है। IIT की फुल फॉर्म इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Indian Institute of Technology) होती है जिसे हिंदी में भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान के नाम से जाना जाता है। अब यह तो आप सभी जानते हैं कि IIT को इंजीनियरिंग के टॉप कॉलेज माना जाता है लेकिन अब IIT भी तो एक नहीं बल्कि कई है।

यहाँ हम यह कहना चाह रहे हैं कि हमारे देश में IIT की कोई एक ब्रांच नहीं है बल्कि यह अलग-अलग राज्यों में कई ब्रांच के रूप में स्थित है। अब यह प्रश्न उठता है कि इनमें से कौन सा IIT टॉप पर आता है तो कौन सा उसके बाद। इसके लिए हम आपको देश की शीर्ष रैंकिंग संस्थान NIRF की मदद से देश की टॉप 10 IIT के नाम और उनकी जानकारी (Top 10 IIT Colleges in India 2024) देंगे।

देश की टॉप 10 IIT के नाम | Top 10 IIT Colleges in India Rank Wise

सबसे पहले तो आप यह जान लें कि हमारे देश में कुल कितनी IIT खुली हुई है। तो यह IIT सरकारी कॉलेज होते हैं जो भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत काम करते हैं। इसकी शुरुआत वर्ष 1950 को ही हो गई थी और तब से देशभर में समय-समय पर कई IIT खोली जा चुकी है।

यदि हम आज के समय की बात करें तो देश में कुल 23 IIT खोली जा चुकी है जहाँ हजारों स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग और अन्य संबंधित कोर्स की पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं भारत सरकार ने वर्ष 2023 में विदेश में भी 2 IIT खोलने का प्रस्ताव रखा है जिसमें से एक अबू धाबी है तो एक तंज़ानिया।

ऐसे में आप सबसे पहले इन सभी IIT के नाम, उनके स्थापना वर्ष, किस राज्य में स्थित है, उनकी वेबसाइट का लिंक, स्टूडेंट्स और फैकल्टी का काउंट इत्यादि जान लीजिए। नीचे हम हर IIT के स्थापना वर्ष के क्रम के अनुसार उनके नाम व अन्य जानकारी (Best IIT Colleges in India) दे रहे हैं।

नंबर

IIT का नाम स्थापना वर्ष राज्य वेबसाइट लिंक फैकल्टी काउंट

स्टूडेंट काउंट

1 IIT खड़गपुर 1951 पश्चिम बंगाल www.iitkgp.ac.in 928 15,862
2 IIT बॉम्बे 1958 महाराष्ट्र www.iitb.ac.in 759 12,976
3 IIT मद्रास 1959 तमिलनाडु www.iitm.ac.in 674 10,238
4 IIT कानपुर 1959 उत्तर प्रदेश www.iitk.ac.in 655 8,346
5 IIT दिल्ली 1961 दिल्ली home.iitd.ac.in 687 12,543
6 IIT गुवाहाटी 1994 असम www.iitg.ac.in 539 7,849
7 IIT रुड़की 1847 उत्तराखंड www.iitr.ac.in 585 9,735
8 IIT रोपड़ 2008 पंजाब www.iitrpr.ac.in 179 2,768
9 IIT भुवनेश्वर 2008 ओडिशा www.iitbbs.ac.in 178 2,597
10 IIT गांधीनगर 2008 गुजरात www.iitgn.ac.in 143 2,010
11 IIT हैदराबाद 2008 तेलंगाना www.iith.ac.in 306 3,946
12 IIT जोधपुर 2008 राजस्थान www.iitj.ac.in 238 3,308
13 IIT पटना 2008 बिहार www.iitp.ac.in 166 2,883
14 IIT इंदौर 2009 मध्य प्रदेश www.iiti.ac.in 204 2,323
15 IIT मंडी 2009 हिमाचल प्रदेश www.iitmandi.ac.in 197 2,343
16 IIT (BHU) वाराणसी 1919 उत्तर प्रदेश www.iitbhu.ac.in 381 7,980
17 IIT पलक्कड़ 2015 केरल iitpkd.ac.in 127 972
18 IIT तिरुपति 2015 आंध्र प्रदेश www.iittp.ac.in 119 1,168
19 IIT (ISM) धनबाद 1926 झारखंड www.iitism.ac.in 414 6,660
20 IIT भिलई 2016 छत्तीसगढ़ www.iitbhilai.ac.in 71 806
21 IIT धारवाड़ 2016 कर्नाटक www.iitdh.ac.in 86 866
22 IIT जम्मू 2016 जम्मू और कश्मीर www.iitjammu.ac.in 116 1,178
23 IIT गोवा 2016 गोवा iitgoa.ac.in
24 IIT मद्रास – ज़ांज़ीबार 2023 ज़ांज़ीबार, तंज़ानिया www.iitmz.ac.in 50
25 IIT दिल्ली – अबू धाबी 2023 अबू धाबी, यूएई abudhabi.iitd.ac.in 52

इस तरह से आपने देश और विदेश में स्थित सभी IIT के नाम और उनके बारे में मूलभूत जानकारी ले ली है। अब हम आपके सामने देश की टॉप 10 IIT के नाम (Best IIT Colleges in India) और उनके बारे में कुछ अन्य जानकारी रखने जा रहे हैं। यह रैंकिंग देश की NIRF संस्था जारी करती है। आइए जाने इसके बारे में।

टॉप 10 आईआईटी कॉलेज 2024 | Top 10 IIT Colleges in India 2024

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि देशभर की सभी IIT और उनकी रैंकिंग NIRF के द्वारा निकाली जाती है और यह कार्य हर वर्ष किया जाता है। इतना ही नहीं, NIRF के द्वारा देश में स्थित सभी अन्य कॉलेज और यूनिवर्सिटी की भी रैंकिंग निकाली जाती है।

NIRF की फुल फॉर्म नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ़्रेमवर्क (National Institutional Ranking Framework) होती है। ऐसे में आज हम NIRF के द्वारा वर्ष 2024 के लिए सेलेक्ट किए गए टॉप 10 IIT के नाम और उनके स्कोर आपके सामने रखने जा रहे हैं।

रैंक

संस्थान का नाम

स्कोर

1 IIT मद्रास, चेन्नई 89.46
2 IIT दिल्ली, नई दिल्ली 86.66
3 IIT बॉम्बे, मुंबई 83.09
4 IIT कानपुर 82.79
5 IIT खड़गपुर 76.88
6 IIT रुड़की 76
7 IIT गुवाहाटी 71.86
8 IIT हैदराबाद 71.55
9 IIT (बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी), वाराणसी 66.69
10 IIT (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स), धनबाद 64.83

इस तरह से इस लिस्ट में IIT मद्रास टॉप पर है और उसके बाद क्रमशः दिल्ली, बॉम्बे, कानपूर, खड्गपुर इत्यादि IIT के नाम आते हैं। अब NIRF के द्वारा तो हर वर्ष टॉप 10 IIT की लिस्ट जारी की जाती है। इस लिस्ट में कभी कोई IIT ऊपर आ जाती है तो कभी कोई नीचे चली जाती है।

हालाँकि अधिकतर यही 10 IIT ही इस लिस्ट में बनी रहती है और एक दो पायदान ऊपर या नाचे खिसकती रहती है। ऐसे में अब हम आपके सामने पिछले 3 वर्षों की रैंकिंग भी रख देते हैं ताकि आपको बेहतर आईडिया मिल सके।

टॉप 10 आईआईटी कॉलेज 2023 | Top 10 IIT colleges in India 2023

रैंक संस्थान का नाम

स्कोर

1 IIT मद्रास, चेन्नई 89.79
2 IIT दिल्ली, नई दिल्ली 87.09
3 IIT बॉम्बे, मुंबई 80.74
4 IIT कानपुर 80.65
5 IIT रुड़की 75.64
6 IIT खड़गपुर 73.76
7 IIT गुवाहाटी 70.32
8 IIT हैदराबाद 70.28
9 IIT इंदौर 63.93
10 IIT (बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी), वाराणसी 63.74

टॉप 10 आईआईटी कॉलेज 2022 | Top 10 IIT colleges in India 2022

रैंक संस्थान का नाम

स्कोर

1 IIT मद्रास, चेन्नई 90.04
2 IIT दिल्ली, नई दिल्ली 88.12
3 IIT बॉम्बे, मुंबई 83.96
4 IIT कानपुर 82.56
5 IIT खड़गपुर 78.89
6 IIT रुड़की 76.7
7 IIT गुवाहाटी 72.98
8 IIT हैदराबाद 68.03
9 IIT (बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी), वाराणसी 63.51
10 IIT (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस), धनबाद 63.5

टॉप 10 आईआईटी कॉलेज 2021 | Top 10 IIT colleges in India 2021

रैंक संस्थान का नाम

स्कोर

1 IIT मद्रास, चेन्नई 90.19
2 IIT दिल्ली, नई दिल्ली 88.96
3 IIT बॉम्बे, मुंबई 85.16
4 IIT कानपुर 83.22
5 IIT खड़गपुर 82.03
6 IIT रुड़की 78.08
7 IIT गुवाहाटी 73.84
8 IIT हैदराबाद 68.69
9 IIT (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस), धनबाद 64.07
10 IIT इंदौर 62.56

इस तरह से आज आपने लगभग 4 वर्षों (2021 से लेकर 2024) तक की टॉप 10 IIT कॉलेज की लिस्ट उनके स्कोर सहित देख ली है। इसमें आपने देखा होगा कि जहाँ एक ओर टॉप 2 से लेकर टॉप 10 की रैंकिंग में अधिकतर IIT वही बने हुए हैं लेकिन उनकी रैंकिंग ऊपर नीचे होती जा रही है तो शीर्ष पर IIT मद्रास ही टिकी हुई है।

इतना ही नहीं, IIT मद्रास पिछले कुछ वर्षों से ही नहीं बल्कि एक दशक से भी लंबे समय से टॉप 10 IIT में नंबर एक IIT बनी हुई है। ऐसे में आज हम आपको IIT मद्रास सहित कुछ एक टॉप IIT के बारे में मूलभूत जानकारी भी दे देते हैं।

IIT मद्रास – देश का टॉप IIT कॉलेज | Top 1 IIT Colleges in India

IIT मद्रास की स्थापना आज से लगभग 65 वर्ष पहले सन 1959 में हुई थी। इसका आदर्श वाक्य संस्कृत में “सिद्धिर्भवति कर्मजा” तो वहीं अंग्रेजी में “Success is born out of action” है। इसके लिए लगभग एक हज़ार करोड़ का बजट हर वर्ष भारत सरकार के द्वारा दिया जाता है।

वर्तमान में IIT मद्रास के चेयरमैन पवन कुमार गोयनका है तो वहीं डायरेक्टर वि कामकोटी है। अकेडमिक स्टाफ लगभग 674 टीचर्स का है तो वहीं स्टूडेंट्स की संख्या 10 हज़ार के आसपास है। यह भारत के दक्षिण में स्थित राज्य तमिलनाडु के चेन्नई प्रान्त में स्थित है।

इस संस्थान का कैंपस 620 एकड़ में फैला हुआ है। यहाँ पर बॉयज और गर्ल्स हॉस्टल दोनों की ही सुविधा है। यहाँ पर लगभग सभी तरह के इंजीनियरिंग कोर्स और अन्य संबंधित डिग्री की पढ़ाई करवाई जाती है। इनमें से कुछ मुख्य कोर्स के नाम इस प्रकार है:

  • एयरोस्पेस इंजीनियरिंग
  • एप्लाइड मैकेनिक्स और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग
  • बायोटेक्नोलॉजी
  • केमिकल इंजीनियरिंग
  • केमिस्ट्री
  • सिविल इंजीनियरिंग
  • कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग
  • डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
  • इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
  • इंजीनियरिंग डिज़ाइन
  • मानविकी और सामाजिक विज्ञान
  • मैनेजमेंट स्टडीज
  • गणित (MA)
  • मैकेनिकल इंजीनियरिंग
  • मेडिकल साइंस और टेक्नोलॉजी
  • मेटलर्जिकल और मटेरियल्स इंजीनियरिंग
  • ओसियन इंजीनियरिंग
  • फिजिक्स

इसमें यदि आपको एडमिशन लेना है तो उसके लिए JEE का एग्जाम देना होता है। यह JEE का एग्जाम भी दो पार्ट में होता है जिसे JEE Main और JEE Advance के नाम से जाना जाता है। इसमें टॉप स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स को ही IIT मद्रास (Top 1 IIT Colleges in India) या उसके नीचे वाली IIT में एडमिशन मिल पाता है। वह भी उनकी पसंदीदा फील्ड या कोर्स में।

टॉप IIT में एडमिशन कैसे लें?

अब यदि आप अपना सिलेक्शन इन टॉप IIT में करवाना चाहते हैं तो उसके लिए आपको हर वर्ष आयोजित होने वाले JEE एग्जाम की तैयारी करनी होती है। अब हर वर्ष लाखों स्टूडेंट्स के द्वारा JEE का एग्जाम दिया जाता है लेकिन उनमें से कुछ हज़ार का ही इसमें सिलेक्शन हो पाता है।

इन कुछ हज़ार में से भी टॉप स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स ही इन टॉप IIT में जा पाते हैं। ऐसे में आपको JEE की तैयारी किसी टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से ही करनी होगी तभी आगे चलकर आप टॉप लेवल का स्कोर कर पाएंगे।

अब यदि हम आपको भारत देश के टॉप JEE कोचिंग संस्थान के बारे में बताएं तो उसमें से कुछ नाम प्रमुख तौर पर सामने आते हैं। उनके नाम है:

  1. मैट्रिक्स JEE अकैडमी, सीकर
  2. एलन इंस्टिट्यूट, कोटा
  3. आकाश इंस्टिट्यूट, दिल्ली
  4. प्रिंस अकैडमी, सीकर
  5. रेजोनेंस अकैडमी, दिल्ली

तो यह हैं देशभर की टॉप JEE अकैडमी जहाँ पढ़कर आपको हाई लेवल की एजुकेशन और ट्रेनिंग मिलेगी। इसमें भी मैट्रिक्स अकैडमी आज से ही नहीं बल्कि पिछले कई वर्षों से टॉप पर बनी हुई है। वजह है यहाँ JEE की करवाई जाने वाली ट्रेनिंग और यहाँ से लगातार टॉप IIT में सेलेक्ट होते स्टूडेंट्स का रेश्यो।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने देश भर के टॉप 10 IIT के नाम (Top 10 IIT Colleges in India Rank Wise) और उनके बारे में मूलभूत जानकारी ले ली है। इसी के साथ ही आपने यह भी जान लिया है कि यदि आपको इन टॉप लेवल के IIT में अपना सिलेक्शन करवाना है तो उसके लिए आपको JEE की तैयारी कहाँ से करनी होगी।

इस बात का मुख्य तौर पर ध्यान रखें कि सभी IIT अपने आप में बढ़िया है लेकिन जो स्टूडेंट्स टॉप लेवल के IIT से इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर निकलते हैं, उन्हें उतनी ही अच्छी जॉब और हाई पैकेज मिलते हैं। अब इसके लिए टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से JEE की कोचिंग ली जानी भी उतनी ही जरुरी हो जाती है।

Related FAQs

प्रश्न: भारत में कौन सा नंबर 1 IIT है?

उत्तर: भारत में नंबर 1 IIT के तौर पर आईआईटी मद्रास का नाम लिया जाता है जो तमिलनाडु राज्य में स्थित है। यह पिछले एक दशक से नंबर 1 IIT बना हुआ है।

प्रश्न: आईआईटी में कौन सा कॉलेज फर्स्ट रैंक है?

उत्तर: आईआईटी में मद्रास वाला कॉलेज फर्स्ट रैंक पर है, वह भी आज से नहीं बल्कि पिछले एक दशक से। NIRF के द्वारा इसे कई वर्षों से फर्स्ट रैंक दिया जा रहा है।

प्रश्न: आईआईटी मद्रास नंबर 1 क्यों है?

उत्तर: आईआईटी मद्रास के नंबर 1 होने के एक नहीं कई कारण है। इसमें वहाँ का अनुशासन, आसपास का वातावरण, सीनियर्स का सहयोग, टीचर्स का एक्सपीरियंस, कई तरह की फैसिलिटी व वहाँ होने वाला शोध इत्यादि शामिल है।

प्रश्न: क्या आईआईटी दिल्ली आईआईटी मद्रास से बेहतर है?

उत्तर: NIRF के द्वारा हर वर्ष सभी आईआईटी को रैंकिंग दी जाती है। इस वर्ष अर्थात वर्ष 2024 में आईआईटी मद्रास की रैंकिंग एक है तो वहीं आईआईटी दिल्ली की रैंकिंग पांच है।

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JEE 2025 एग्जाम पैटर्न व सिलेबस | JEE Exam Pattern and Syllabus 2025

JEE Exam Pattern and Syllabus 2025: हर वर्ष लाखों स्टूडेंट्स JEE के एग्जाम में बैठते हैं और इंजीनियर बनने का सपना देखते हैं। वैसे तो देशभर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवाने के लिए हजारों सरकारी व प्राइवेट कॉलेज व यूनिवर्सिटी है लेकिन जो बात IIT जैसे टॉप सरकारी संस्थान में है, वैसी किसी और में नहीं है। वह इसलिए क्योंकि जिन स्टूडेंट्स का टॉप लेवल की IIT में सिलेक्शन हो जाता है, उन्हें 4 वर्ष के बाद अच्छी और हाई पैकेज वाली इंजीनियरिंग नौकरी मिलती है।

इतना ही नहीं, उनके करियर में ग्रोथ भी उसी के हिसाब से देखने को मिलती है। IIT से पढ़े हुए स्टूडेंट्स का विदेशों की बड़ी कंपनियों में सिलेक्शन होना या अपने ही देश की बड़ी से बड़ी कंपनियों में मोटे पैकेज लेकर नौकरी करना आम बात हो गई है। हालाँकि इसके लिए पहले स्टूडेंट को अपनी बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद JEE एग्जाम को अच्छे नंबर के साथ क्रैक करना जरुरी होता है।

ऐसे में यदि आप भी JEE 2025 एग्जाम पैटर्न और सिलेबस (JEE syllabus 2025 in Hindi) के बारे में विस्तार से जानकारी लेने को यहाँ आए हैं तो आज हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। चलिए JEE एग्जाम 2025 पैटर्न और सिलेबस के बारे में जान लेते हैं।

JEE 2025 एग्जाम पैटर्न | JEE Exam Pattern and Syllabus 2025

सबसे पहले तो आप यह जान लें कि भारत सरकार के द्वारा जो JEE का एग्जाम कंडक्ट करवाया जाता है, वह सिर्फ इंजीनियरिंग के लिए ही नहीं होता है। कहने का मतलब यह हुआ कि JEE का एग्जाम स्टूडेंट्स केवल बी टेक या बीई करने के लिए ही नहीं देते हैं जिनकी फुल फॉर्म बैचलर और टेक्नोलॉजी और बैचलर और इंजीनियरिंग होती है।

JEE का एग्जाम कुल तीन तरह के कोर्स में एडमिशन लेने के लिए करवाया जाता है। इसमें सबसे पहले नंबर पर तो बी टेक और BE ही आते हैं जबकि दूसरे और तीसरे नंबर पर बैचलर और आर्किटेक्चर व बैचलर ऑफ प्लानिंग भी आते हैं। इनकी शोर्ट फॉर्म B.Arch. व B.Plan. होती है। इस तरह से JEE में जिन तीन कोर्स के लिए एडमिशन लिया जाता है, उनके नाम है:

  • बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (B.Tech) / बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (BE)
  • बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर (B.Arch)
  • बैचलर ऑफ प्लानिंग (B.Plan)

बहुत से स्टूडेंट्स को अभी भी यह लगता है कि JEE का एग्जाम केवल इंजीनियरिंग या टेक्नोलॉजी में एडमिशन (Engineering Entrance Exams 2025) लेने के लिए होता है लेकिन ऐसा नहीं है। हालाँकि यह मुख्य तौर पर इसी नाम से जाना जाता है और इसका मुख्य एग्जाम जिसे हम पेपर 1 भी कहते हैं, वह इसी से ही जुड़ा हुआ होता है। वहीं इसका पेपर 2A आर्किटेक्चर से तो वहीं पेपर 2B प्लानिंग के कोर्स से जुड़ा हुआ होता है।

आइए अब हम JEE एग्जाम 2025 के पैटर्न को अच्छे से समझ लेते हैं ताकि आपको किसी तरह की शंका ना हो।

JEE एग्जाम पैटर्न 2025 | JEE Exam Pattern In Hindi 2025

यहाँ हम आपको टेबल के माध्यम से JEE एग्जाम 2025 के संपूर्ण पैटर्न की जानकारी देने जा रहे हैं। चलिए शुरू करते हैं:

विषय

जानकारी

एग्जाम का मोड ऑनलाइन मोड (कंप्यूटर पर लिया जाएगा, केवल आर्किटेक्चर के ड्राइंग सेक्शन को छोड़कर)
एग्जाम का समय कुल 3 घंटे
एग्जाम की भाषा एग्जाम कुल 13 भाषाओं में होगा (हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, पंजाबी, गुजराती, मराठी, बंगाली, आसामी, ओड़िया व उर्दू)
एग्जाम सेंटर अपने राज्य या देश के किसी भी सेंटर को भरा जा सकता है
प्रश्न के प्रकार कुछ प्रश्न MCQ होंगे तो कुछ नुमेरिकल होंगे तो ड्राइंग टेस्ट अलग से होगा।

  • इंजीनियरिंग में हर विषय से 20-20 प्रश्न MCQ होंगे तो वहीं 5-5 प्रश्न नुमेरिकल होंगे अर्थात उसमें एक संख्या आपको लिखनी होगी।
  • आर्किटेक्चर में ड्राइंग के दो प्रश्नों को छोड़कर बाकी सभी प्रश्न MCQ व नुमेरिकल में बंटे होंगे। इसमें नुमेरिकल सिर्फ मैथ्स विषय में होंगे और वह भी केवल 5
  • प्लानिंग में मैथ के 25 में से 5 नुमेरिकल होंगे जबकि बाकी सभी MCQ। अन्य विषयों में सभी MCQ होंगे।
कुल प्रश्न सभी 3 विषयों को लेकर अलग-अलग होंगे।

  • इंजीनियरिंग के लिए कुल 75 प्रश्न होंगे और सभी का उत्तर देना अनिवार्य होगा। पहले 90 प्रश्न आते थे जिनमें से 75 का उत्तर देना होता था।
  • आर्किटेक्चर में कुल 77 प्रश्न होंगे।
  • प्लानिंग में कुल 100 प्रश्न होंगे।
कुल विषय सभी 3 एग्जाम में 3-3 विषय होंगे जिनमें सिर्फ मैथ्स (गणित) ही कॉमन है जबकि अन्य दो विषय अलग है।

  • इंजीनियरिंग के तीन विषय मैथ्स, फिजिक्स व केमिस्ट्री
  • आर्किटेक्चर में मैथ्स, ड्राइंग व Aptitude
  • प्लानिंग में मैथ्स, प्लानिंग व Aptitude
किस विषय से कितने प्रश्न इसको लेकर भी तीनों एग्जाम में अलग-अलग मापदंड है।

  • इंजीनियरिंग में हर विषय से 25-25 प्रश्न
  • आर्किटेक्चर में मैथ्स से 25, ड्राइंग से 2 और Aptitude से 50 प्रश्न होंगे
  • प्लानिंग में मैथ्स से 25, Aptitude से 50 और प्लानिंग से 25 प्रश्न होंगे
पेपर में विषय अनुसार सेक्शन एग्जाम में एक सब्जेक्ट को दो सेक्शन में बांटा गया होगा लेकिन यह सब्जेक्ट के लिए नहीं। आइए जाने:

  • इंजीनियरिंग में सभी तीन विषयों को 2-2 सेक्शन में बांटा गया होगा जिनके नाम सेक्शन A व सेक्शन B होगा। सेक्शन A में हर विषय से 20-20 प्रश्न होंगे जो MCQ होंगे तो वहीं सेक्शन B में हर विषय से 5-5 प्रश्न होंगे जो नुमेरिक होंगे।
  • आर्किटेक्चर में सिर्फ मैथ्स को सेक्शन A और B में बांटा गया होगा जिसका प्रारूप इंजीनियरिंग की तरह ही होगा।
  • प्लानिंग में भी इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर की तरह बस मैथ्स को ही दो सेक्शन में बांटा गया होगा और बाकी सभी सब्जेक्ट एक ही सेक्शन में होंगे।
नेगेटिव मार्किंग जो नुमेरिक प्रश्न होंगे, उसमें किसी तरह की नेगेटिव मार्किंग नहीं होगी जबकि MCQ वाले प्रश्न का गलत उत्तर देने पर एक नंबर काट लिया जाएगा
सही उत्तर के नंबर तीनों एग्जाम में हर प्रश्न (केवल ड्राइंग सब्जेक्ट को छोड़कर) का सही उत्तर देने पर 4 नंबर दिए जाएंगे। ड्राइंग वाले दोनों प्रश्नों के कुल 100 नंबर होंगे। इसके अनुसार ड्राइंग का एक प्रश्न 50 नंबर का होगा।
कुल नंबर इंजीनियरिंग का JEE एग्जाम कुल 300 नंबर का होगा जबकि आर्किटेक्चर और प्लानिंग के एग्जाम के कुल नंबर 400 होंगे।

इस तरह से ऊपर आपने JEE एग्जाम 2025 पैटर्न (JEE Exam Pattern and Syllabus 2025) के बारे में पूरी जानकारी ले ली है। इसमें स्टूडेंट्स के द्वारा मुख्य तौर पर इंजीनियरिंग का एग्जाम दिया जाता है जिसके बारे में अधिकतर लोगों को पता भी होता है। ऐसे में हम JEE के इंजीनियरिंग एग्जाम के बारे में कुछ जरुरी पॉइंट्स आपके सामने रख देते हैं।

JEE इंजीनियरिंग 2025 एग्जाम पैटर्न

  1. यह एग्जाम कुल 3 घंटे का होगा जिसमें तीन सब्जेक्ट्स से प्रश्न पूछे जाएंगे।
  2. इन तीन सब्जेक्ट्स के नाम फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ्स होंगे।
  3. तीनों विषयों से कुल 75 प्रश्न पूछे जाएंगे जिन्हें तीनों में समान भागों 25-25-25 में बांटा जाएगा।
  4. हर विषय को दो सेक्शन में बांटा जाएगा जिनके नाम सेक्शन A व सेक्शन B होंगे।
  5. प्रत्येक विषय के सेक्शन A में कुल 20-20 प्रश्न होंगे जो MCQ होंगे।
  6. प्रत्येक विषय के सेक्शन B में कुल 5-5 प्रश्न होंगे जिसमें सही उत्तर स्टूडेंट के द्वारा लिखा जाएगा जो कोई संख्या या अन्य उत्तर हो सकता है।
  7. प्रत्येक सही उत्तर पर स्टूडेंट को 4 नंबर दिए जाएंगे।
  8. अगर स्टूडेंट MCQ का गलत उत्तर देता है तो उसका एक नंबर काट लिया जाएगा जबकि नुमेरिक प्रश्न के गलत उत्तर पर कोई नेगेटिव मार्किंग नहीं है।
  9. यदि स्टूडेंट उत्तर नहीं देता है और प्रश्न को खाली छोड़ देता है तो उसमें किसी भी तरह का अंक ना तो जोड़ा जाएगा और ना ही काटा जाएगा।
  10. JEE 2025 का एग्जाम कुल 13 भाषाओं में होगा। ऐसे में यदि वह हिंदी या अंग्रेजी के अलावा किसी अन्य स्थानीय भाषा में एग्जाम देना चाहता है तो उसी भाषा के राज्य के अनुसार ही अपने सेंटर का चयन करें।

हमें आशा है कि आपको JEE 2025 एग्जाम पैटर्न (JEE Exam Pattern In Hindi 2025) को पूरी तरह से समझने में कोई समस्या नहीं हुई होगी। साथ ही आप यह भी जान लें कि यदि आप जल्द से जल्द और अच्छे नंबर के साथ JEE 2025 का एग्जाम क्रैक करने को इच्छुक हैं तो उसके लिए आपको भारत के टॉप लेवल की JEE अकैडमी से अपनी पढ़ाई करनी चाहिए।

यदि हम अपने देश के टॉप लेवल की JEE अकैडमी की बात करें तो उसमें सबसे पहला नाम सीकर की मैट्रिक्स JEE अकैडमी का आता है। इसके बाद रेजोनेंस अकैडमी, प्रिंस अकैडमी और एलन कोटा है। इसलिए आपको बिना देर किए इनमें से किसी एक अकैडमी को तुरंत ज्वाइन कर लेना चाहिए और अपनी JEE की तैयारी आज से ही शुरू कर देनी चाहिए।

JEE 2025 एग्जाम सिलेबस | JEE syllabus 2025 in Hindi

अब जब आपने JEE एग्जाम पैटर्न को समझ लिया है तो बारी आती है JEE 2025 एग्जाम सिलेबस के बारे में जानकारी लिए जाने की। तो चलिए एक-एक करके हम आपको उसके बारे में भी बता देते हैं।

यहाँ हम आपको सबसे पहले JEE के इंजीनियरिंग एग्जाम के तीनों सब्जेक्ट्स के सभी जरुरी टॉपिक्स के नाम देंगे। हम आपकी सुविधा के लिए यह नाम हिंदी और इंग्लिश दोनों में ही देंगे।

#1. भौतिक विज्ञान (Physics)

विषय (Topic) महत्वपूर्ण शीर्षक (Key Subtopics)
यांत्रिकी (Mechanics) गति के नियम (Laws of Motion), कार्य, ऊर्जा और शक्ति (Work, Energy, and Power), गुरुत्वाकर्षण (Gravitation)
ऊष्मागतिकी (Thermodynamics) ऊष्मा (Heat), गैसों का गतिज सिद्धांत (Kinetic Theory of Gases)
विद्युतगतिकी (Electrodynamics) विद्युत धारा (Current Electricity), चुंबकीय प्रभाव (Magnetic Effects of Current), विद्युत चुम्बकीय तरंगें (Electromagnetic Waves)
आधुनिक भौतिकी (Modern Physics) पदार्थ की द्वैत प्रकृति (Dual Nature of Matter), परमाणु और नाभिक (Atoms and Nuclei)
उच्च महत्व वाले विषय घूर्णी गति (Rotational Motion), विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction), तरंग प्रकाशिकी (Wave Optics)

#2. रसायन विज्ञान (Chemistry)

विषय (Topic) महत्वपूर्ण शीर्षक (Key Subtopics)
भौतिक रसायन (Physical Chemistry) परमाणु संरचना (Atomic Structure), रासायनिक गतिकी (Chemical Kinetics), ऊष्मागतिकी (Thermodynamics)
अकार्बनिक रसायन (Inorganic Chemistry) आवर्त सारणी (Periodic Table), समन्वय यौगिक (Coordination Compounds), रासायनिक बंध (Chemical Bonding)
कार्बनिक रसायन (Organic Chemistry) हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbons), ऐल्कोहल्स, फिनोल्स और ईथर्स (Alcohols, Phenols, and Ethers), ऐल्डिहाइड्स, कीटोन्स और कार्बोक्सिलिक अम्ल (Aldehydes, Ketones, and Carboxylic Acids)
उच्च महत्व वाले विषय रासायनिक बंध (Chemical Bonding), समन्वय रसायन (Coordination Chemistry), p-ब्लॉक तत्व (p-Block Elements), ऑक्सीजन और नाइट्रोजन वाले कार्बनिक यौगिक (Organic Compounds containing Oxygen and Nitrogen)

#3. गणित (Mathematics)

विषय (Topic) महत्वपूर्ण शीर्षक (Key Subtopics)
बीजगणित (Algebra) सम्मिश्र संख्याएँ (Complex Numbers), द्विघात समीकरण (Quadratic Equations), मैट्रिक्स और संकल्पक (Matrices and Determinants)
कलन (Calculus) अवकलज (Differentiation), समाकलन (Integration), सीमाएँ और निरंतरता (Limits and Continuity)
निर्देशांक ज्यामिति (Coordinate Geometry) सीधी रेखाएँ (Straight Lines), वृत्त (Circles), शंकु वर्ग (Conic Sections)

इस तरह से आपने JEE 2025 एग्जाम सिलेबस (JEE syllabus 2025 in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी ले ली है। अब हम आपको JEE के तहत होने वाले आर्किटेक्चर और प्लानिंग एग्जाम में आने वाले टॉपिक्स के बारे में भी जानकारी दे देते हैं। चलिए शुरू करते हैं।

JEE 2025 आर्किटेक्चर सिलेबस

  • गणित: यह भाग गणित की विस्तृत अवधारणाओं को कवर करता है, जैसे फ़ंक्शंस, मैट्रिक्स, वेक्टर, कैलकुलस, स्टेटिस्टिक्स, आदि।
  • सामान्य योग्यता: इसमें थ्री-डायमेंशनल ऑब्जेक्ट्स का कल्पना करना, वास्तुकला और पर्यावरण संबंधित वस्त्रों का ज्ञान, और तार्किक व मानसिक क्षमता पर आधारित प्रश्न शामिल होते हैं।
  • ड्राइंग: यह भाग छात्रों की ड्राइंग और कल्पना शक्ति पर केंद्रित है, जिसमें रचनात्मकता के साथ दो और तीन आयामों में डिजाइन और संरचना बनाने के प्रश्न होते हैं​।

JEE 2025 प्लानिंग सिलेबस

  • गणित: B.Arch के समान ही।
  • सामान्य योग्यता: B.Arch के समान ही।
  • प्लानिंग: इस भाग में सामान्य जागरूकता, सामाजिक विज्ञान (राजनीति, इतिहास, भूगोल), मानचित्र पढ़ने के कौशल, चार्ट और आँकड़ों की समझ जैसे विषय शामिल हैं​।

इस तरह से आज आपने JEE 2025 के एग्जाम पैटर्न के साथ-साथ उसके सभी तीनों एग्जाम के सिलेबस के बारे में पूरी जानकारी ले ली है। आप चाहें तो JEE एग्जाम कंडक्ट करवाने वाली NTA की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर भी इसके सिलेबस (Engineering Entrance Exams 2025) के बारे में पूरी जानकारी ले सकते हैं।

निष्कर्ष

आज हमने आपको JEE 2025 एग्जाम पैटर्न (JEE Exam Pattern and Syllabus 2025) और सिलेबस के बारे में शुरू से अंत तक संपूर्ण जानकारी दी है। यह एग्जाम भारत सरकार के द्वारा हर वर्ष आयोजित करवाया जाता है और इसके तहत देश के सभी IIT और NIT कॉलेज में एडमिशन लिया जाता है।

ऐसे में यदि आप जल्द से जल्द और अच्छे नंबर के साथ JEE का एग्जाम क्रैक करना चाहते हैं तो उसमें एक अच्छी और टॉप लेवल की JEE अकैडमी ही आपकी मदद कर सकती है। ऐसे में देश की कुछ चुनिंदा टॉप JEE अकैडमी में से सीकर की मैट्रिक्स अकैडमी और प्रिंस अकैडमी, कोटा का एलन इंस्टीट्यूट और दिल्ली की रेजोनेंस और आकाश इंस्टीट्यूट आते हैं।

अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप किस तरह की अकैडमी को आगे की पढ़ाई के लिए चुनते हैं और JEE एग्जाम की तैयारी करते हैं। इसका अवश्य ध्यान रखिएगा कि आपने अभी जो निर्णय लिया है, वही आगे चलकर आपका भविष्य बनाने का काम करेगा।

Related FAQs

प्रश्न: जेईई में कौन-कौन से सब्जेक्ट आते हैं?

उत्तर: JEE में मुख्य रूप से तीन सब्जेक्ट होते हैं जिनके नाम फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ्स होते हैं। वहीं आर्किटेक्चर वालों के लिए मैथ्स, Aptitude और ड्राइंग तो वहीं प्लानिंग वालों के लिए ड्राइंग की जगह प्लानिंग सब्जेक्ट होता है।

प्रश्न: Jee में पास होने के लिए कितने नंबर चाहिए?

उत्तर: JEE में पास होने के लिए नंबर स्टूडेंट की जाति के आधार पर अलग-अलग होते हैं। वर्ष 2025 के लिए जनरल श्रेणी को 90, EWS को 80, ओबीसी को 76 तो वहीं एससी को 57 और एसटी को 46 नंबर चाहिए।

प्रश्न: कोई स्टूडेंट कितनी बार JEE का एग्जाम दे सकता है?

उत्तर: NTA हर वर्ष दो बार JEE का एग्जाम लेती है। उसके द्वारा हर स्टूडेंट को लगातार तीन वर्षों के लिए यह एग्जाम देने की अनुमति दी जाती है। इस तरह हर स्टूडेंट लगातार तीन वर्षों तक 6 बार JEE का एग्जाम दे सकता है।

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JEE की तैयारी कैसे करें? जाने JEE की तैयारी के लिए टिप्स

आज के समय में यदि किसी को इंजीनियरिंग करनी (JEE Ki Taiyari Kaise Kare) है तो उसके पास एक नहीं बल्कि कई तरह के विकल्प होते हैं। इनमें से कुछ फेमस ऑप्शन सॉफ्टवेयर, मैकेनिकल, सिविल, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग इत्यादि है। वैसे तो इसमें दर्जनों विकल्प होते हैं लेकिन अधिकतर स्टूडेंट्स के द्वारा इन्हीं चार से पांच इंजीनियरिंग का चुनाव किया जाता है।

अब यह स्टूडेंट की पसंद और स्किल्स पर निर्भर करता है कि वह किस तरह की इंजीनियरिंग करना चाहता है। हालाँकि हर स्टूडेंट की पहली पसंद टॉप लेवल के IIT में एडमिशन लेना होता है। भारत देश में यदि हम इंजीनियरिंग करना चाहते हैं तो उसके लिए IIT का नाम ही सबसे पहले लिया जाता है। उन IIT में से भी कुछ गिनी चुनी IIT के नाम पहले आते हैं जैसे कि दिल्ली, मद्रास, रुड़की, खड्गपुर इत्यादि के IIT संस्थान।

अब यदि आपको इंजीनियरिंग करने के लिए इन IIT में सिलेक्शन करवाना है तो उसके लिए आपको JEE की तैयारी करनी होगी। JEE की फुल फॉर्म जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (Joint Entrance Examination) होती है। इसके लिए हर वर्ष लाखों की संख्या में स्टूडेंट्स तैयारी (JEE Ki Taiyari Kaise Kare In Hindi) करते हैं लेकिन सिलेक्शन कुछ हज़ार स्टूडेंट्स का ही हो पाता है। 

अब यदि आपको भी JEE की तैयारी करनी है तो आज हम आपकी पूरी मदद करेंगे। आज हम आपको बताएँगे कि JEE की तैयारी कैसे की जाती है और उसके लिए आपको अभी से ही क्या कुछ करने की जरुरत है। आइए जाने JEE की तैयारी करने की टिप्स।

JEE की तैयारी कैसे करें?

JEE का एग्जाम हर वर्ष एक बार ही आयोजित किया जाता है। इसके तहत देशभर की IIT में एडमिशन लिया जाता है। फिर वे सभी स्टूडेंट्स अगले 4 वर्ष के लिए अपनी स्पेसिफिक स्ट्रीम में इंजीनियरिंग पढ़ते हैं और अंत में उसकी डिग्री लेते हैं। ऐसे में यदि आपको IIT में एडमिशन लेना है तो उसके लिए अभी से ही JEE की तैयारी शुरू कर देनी होगी।

कुछ स्टूडेंट्स तो दसवीं के साथ ही या उसके बाद JEE की तैयारी में लग जाते हैं तो कुछ बारहवीं या उसके बाद इसकी तैयारी शुरू करते हैं। आप जितना जल्दी JEE की तैयारी शुरू करेंगे, उतना ही जल्दी सिलेक्शन भी होगा और वो भी अच्छे रैंक के साथ।

ऐसे में नीचे हम आपको एक या दो नहीं बल्कि कुल 10 ऐसी टिप्स देने जा रहे हैं जो JEE की तैयारी (JEE Ki Taiyari Kaise Kare) करने और टॉप रैंक लाने में आपकी बहुत मदद करने वाली है। आइए जाने JEE की तैयारी कैसे की जा सकती है।

#1. JEE एग्जाम का पैटर्न समझें

सबसे पहले जो काम करने की जरुरत है वह है JEE के एग्जाम पैटर्न को समझने की। वैसे तो इसमें वही सब्जेक्ट्स होते हैं जो आपने अपनी बारहवीं की पढ़ाई के दौरान पढ़े थे। नॉन मेडिकल स्ट्रीम वाले स्टूडेंट्स को अपनी 11वीं और बारहवीं क्लास की पढ़ाई के दौरान फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स व इंग्लिश पढ़ाई जाती है। वही सब्जेक्ट्स JEE के एग्जाम में पूछे जाते हैं, सिर्फ इंग्लिश को छोड़कर।

हालाँकि फिर भी आपको JEE एग्जाम पैटर्न को समझने की जरुरत है। जैसे कि इसमें किन टॉपिक्स पर ज्यादा जोर दिया जाता है, किससे कितने प्रश्न पूछे जाते हैं, वे प्रश्न किस तरह के होते हैं, उनके कितने नंबर मिलते हैं, गलत उत्तर देने पर कितने नंबर कटते हैं, इत्यादि। ऐसे ही आपको JEE एग्जाम के पूरे पैटर्न को समझने की जरुरत है ताकि बाद में चलकर कोई दिक्कत ना होने पाए।

#2. स्कूल टाइम से ही तैयारी करें

अगर आप स्कूल टाइम से ही JEE की तैयारी (JEE Ki Taiyari Kaise Karen) करना शुरू कर देंगे तो इससे आपको बहुत मदद मिल जाएगी। अब तो टॉप लेवल के स्कूल भी अपने यहाँ पढ़ रहे स्टूडेंट्स को स्पेशल कोर्स के तहत JEE की तैयारी पहले से ही करवाने लग गए हैं। इससे स्टूडेंट्स को भी बहुत मदद मिली है।

अब आप चाहे सीकर के फेमस स्कूल मैट्रिक्स हाई स्कूल को ही ले लीजिए। वहाँ पर दसवीं क्लास से ही बच्चों को फाउंडेशन कोर्स की सुविधा दी जाती है। इसके तहत उन्हें दसवीं से लेकर बारहवीं क्लास तक नॉर्मल स्टडी तो करवाई ही जाती है, इसी के साथ ही उनका स्टडी मटेरियल कुछ इस तरह का होता है कि वे साथ के साथ JEE की तैयारी भी कर रहे होते हैं।

ऐसी ही सुविधा कुछ अन्य टॉप लेवल के स्कूल्स में भी दी जा रही है। इससे होता क्या है कि स्टूडेंट अपनी दसवीं से बारहवीं की पढ़ाई तो कर ही रहा होता है और साथ ही JEE की तैयारी भी होती चली जाती है। एक तरह से हम इसे एडवांस लर्निंग कह सकते हैं। इससे आगे चलकर उसका JEE में सिलेक्शन होने और अच्छी रैंक लाने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।

#3. कमजोर सब्जेक्ट्स पर फोकस करें

JEE की तैयारी करनी है तो आपको अपने कमजोर सब्जेक्ट्स या टॉपिक्स पर ध्यान देने की जरुरत है। अब कोई स्टूडेंट फिजिक्स में तो अच्छा होता है लेकिन केमिस्ट्री के कॉन्सेप्ट उसे देर से क्लियर होते हैं। वहीं कुछ स्टूडेंट्स के साथ उल्टा होता है। अब यह भी जरुरी नहीं है कि किसी स्टूडेंट को फिजिक्स के सभी टॉपिक ही आसान लगते हो।

ऐसा भी हो सकता है कि किसी स्टूडेंट को फिजिक्स का कोई टॉपिक बहुत ही सरल लगता है तो दूसरा टॉपिक बहुत मुश्किल। इसलिए जो भी आपके कमजोर सब्जेक्ट या टॉपिक हैं, आपको उन पर मुख्य तौर पर ध्यान देने की जरुरत है। ऐसा करके ही आप JEE की तैयारी को और मजबूत कर सकते हैं।

#4. एक स्टडी प्लान जरुर बनाएं

यदि आप जल्द से जल्द JEE में अपना सिलेक्शन करवाना चाहते हैं तो उसके लिए एक मजबूत और प्रभावी स्टडी प्लान बनाए जाने की जरुरत है। इसके लिए आप अपने सीनियर, सेलेक्ट हो चुके स्टूडेंट्स, स्कूल इत्यादि की भी सहायता ले सकते हैं।

यहाँ स्टडी प्लान का मतलब हुआ, आप कब किस तरह के टॉपिक को पढ़ेंगे, उनकी कितनी बार रिवीजन करेंगे, उसके लिए कौन सी बुक पढ़ेंगे इत्यादि। बाजार में आपको अलग अलग ऑथर की अलग अलग बुक पढ़ने को मिल जाएगी। ऐसे में आप किसे चुनेंगे और क्यों, यह भी एक बड़ा प्रश्न है।

किसी स्टूडेंट को किसी ऑथर की बुक अच्छे से समझ में आती है तो किसी को दूसरे की। ऐसे में आपको ही यह निर्णय लेना है कि आपका स्टडी प्लान किस तरह का होगा और आप उस पर कैसे आगे बढ़ेंगे।

#5. JEE की कोचिंग लें

JEE की तैयारी (JEE Ki Taiyari Kaise Kare) करने के लिए सही कोचिंग का चुनाव किया जाना भी बहुत जरुरी होता है। वह इसलिए क्योंकि एक सही कोचिंग सेंटर आपको अपडेटेड रखेगा, टॉप लेवल का स्टडी मटेरियल उपलब्ध करवाएगा और इतना ही नहीं, वहाँ के टीचर्स भी अनुभवी और स्टूडेंट्स के साथ बेहतर संवाद करने वाले होंगे। इसी के साथ वे आपको टॉप लेवल की फैसिलिटी भी उपलब्ध करवाते हैं जो JEE में सिलेक्शन करवाने के लिए बहुत जरुरी होती है।

अब अगर हम देशभर में JEE के टॉप लेवल के कोचिंग सेंटर की बात करें तो उसमें सीकर की मैट्रिक्स अकैडमी और प्रिंस इंस्टीट्यूट आते हैं। वहीं कोटा का एलन इंस्टीट्यूट और दिल्ली की रेजोनेंस अकैडमी भी अच्छे विकल्प हैं। हालाँकि आज के समय में मैट्रिक्स अकैडमी इस लिस्ट में टॉप पर बनी हुई है। वह इसलिए क्योंकि स्टूडेंट टीचर रेश्यो और सेलेक्ट होने वाले स्टूडेंट के रेश्यो के हिसाब से यह टॉप पर है।

कहने का मतलब यह हुआ कि मान लीजिए एलन में 5 हज़ार स्टूडेंट्स JEE की तैयारी कर रहे हैं और उसमें से 500 स्टूडेंट्स सेलेक्ट होते हैं, वहीं मैट्रिक्स में 2 हज़ार स्टूडेंट्स इसकी तैयारी कर रहे हैं और उसमें से 300 स्टूडेंट्स का सिलेक्शन होता है तो मैट्रिक्स का सक्सेस रेट एलन से कहीं ज्यादा बेहतर है। ऐसे में आपको अपने लिए बेहतर कोचिंग का चुनाव करना होगा जो आपका भविष्य बनाने में मददगार होगा।

#6. लगातार नोट्स बनाते रहें

अक्सर देखने में आता है कि उन स्टूडेंट्स का JEE में सिलेक्शन जल्दी हो जाता है जो हर दिन अपने नोट्स बनाते रहते हैं। वह इसलिए क्योंकि आखिरी समय में यही नोट्स ही आपकी मदद करते हैं। ऐसे में आप हर दिन जो कुछ भी पढ़ रहे हैं, उससे संबंधित नोट्स बनाना बिलकुल ना भूलें।

अब अगर आप सोचते हैं कि आप दूसरों के नोट्स को कॉपी करके काम चला लेंगे तो यह आपकी भूल है। हर स्टूडेंट के नोट्स अलग होते हैं और वह उसे अपनी तैयारी के अनुसार ही बनाता है। ऐसे में आपके नोट्स आपकी तैयारी को सही तरीके से करवाने में मदद करते हैं। इसलिए इन्हें बनाना बिल्कुल भी ना भूलें।

#7. पहले के प्रश्नपत्र सोल्व करें

JEE का एग्जाम आज से नहीं हो रहा है, बल्कि इसे तो कई दशक हो गए हैं। ऐसे में आपको JEE का एग्जाम देना है तो उसके लिए जरुरी है, पिछले और उससे पिछले वर्ष के JEE एग्जाम पेपर को देखना और उन्हें सोल्व करना। इससे आपको इस वर्ष के JEE एग्जाम के पैटर्न को समझने और उसके हिसाब से तैयारी करने में बहुत मदद मिलेगी।

इसके लिए आप पुराने JEE एग्जाम पेपर को तो सोल्व करे ही बल्कि साथ ही नए प्रश्न पत्रों को भी सोल्व करते रहें। आज के समय में हर टॉप लेवल का कोचिंग सेंटर अपने स्टूडेंट्स को मॉक टेस्ट की सुविधा देता है और वह भी हर सप्ताह और महीने। इसलिए आपको भी इन्हें समय-समय पर देते रहना चाहिए जिससे आपकी स्पीड और ज्यादा तेज होती जाए।

#8. अपने डाउट हमेशा क्लियर करें

JEE की तैयारी (JEE Ki Taiyari Kaise Kare In Hindi) कर रहे स्टूडेंट्स को अपने डाउट भी हर दिन क्लियर करवाने चाहिए। अगर आपके डाउट पेंडिंग रहते हैं तो आप आगे की तैयारी सही से नहीं कर पाते हैं। ऐसे में समय रहते डाउट को सोल्व करवा लिया जाए तो इससे आपको आगे तैयारी करने में मदद मिलती है।

मैट्रिक्स जैसे कोचिंग संस्थान इसके लिए अलग से डाउट सेंटर की सुविधा देते हैं। आप वहाँ जाकर कभी भी अपने डाउट क्लियर करवा सकते हैं। मैट्रिक्स अकैडमी का रिजल्ट अच्छा जाने का यह भी एक बहुत बड़ा कारण है। अगर स्टूडेंट्स की पढ़ाई के साथ-साथ उनके डाउट भी जल्दी क्लियर करवा दिए जाते हैं तो इससे उनकी JEE की तैयारी और मजबूत होती है।

#9. मेंटल प्रेशर ना लें

यह एक ऐसा पॉइंट है जिस पर बहुत से स्टूडेंट्स ध्यान नहीं देते हैं। उन्हें लगता है कि वे जितना कम सोएंगे और ज्यादा समय पढ़ाई करने में लगाएंगे, उतनी जल्दी उनका सिलेक्शन होगा। दरअसल इससे होता क्या है कि स्टूडेंट इफेक्टिव तरीके से नहीं पढ़ पाता है और उसके कॉन्सेप्ट भी देरी से क्लियर होते हैं।

इसलिए आपको अपनी मेंटल हेल्थ पर ध्यान देने की जरुरत है। ऐसे में समय-समय पर करियर काउंसलिंग लेना, एक्सपर्ट गाइडेंस में रहना भी बहुत जरुरी होता है। मैट्रिक्स और रेजोनेंस अकैडमी में इस पर खासतौर पर ध्यान दिया जाता है। इसके लिए स्टूडेंट के समय-समय पर अलग से लेक्चर लिए जाते हैं, सलेक्टेड स्टूडेंट्स के सेशन लगवाए जाते हैं और टीचर्स का संवाद भी करवाया जाता है।

#10. प्रैक्टिस को कभी ना छोड़ें

मान लीजिए आप एक महिना बहुत जोरदार तरीके से पढ़ते हैं और फिर अगले महीने इसमें ढील बरत देते हैं, फिर अगले महीने और जोरदार तरीके से पढ़ते हैं। ऐसा करने से आप अपना ही नुकसान कर रहे होते हैं क्योंकि JEE की तैयारी (JEE Ki Taiyari Kaise Karen) कभी भी ऐसे नहीं होती और ना ही इससे आपका सिलेक्शन हो पाएगा। हो भी गया तो आपकी अच्छी रैंक नहीं आएगी और आपको टॉप लेवल का IIT नहीं मिल पाएगा।

इसलिए अपनी पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखना बहुत जरुरी होता है। इसके लिए आपको लगातार प्रैक्टिस करते रहने होगी, जो पहले पढ़ा हुआ है उसकी रिवीजन करनी होगी, इत्यादि। इससे आप जल्दी आगे बढ़ पाते हैं और अपनी तैयारी को मजबूत बनाते हैं।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने JEE की तैयारी करने की टिप्स (JEE Ki Taiyari Kaise Kare) जान ली है। इन सभी टिप्स में यह जान लें कि यदि आपने सही कोचिंग का चुनाव कर लिया तो आधा काम तो आपका ऐसे ही हो गया। बाकी का आधा काम आपकी अपनी सेल्फ स्टडी पर डिपेंड करेगा।

ऐसे में आपको टॉप लेवल की अकैडमी से JEE की कोचिंग लेनी चाहिए। एक सही JEE अकैडमी आपका भविष्य उज्जवल बना सकती है। इसलिए कोचिंग का चुनाव करते समय सावधानी बरतें और उसी के अनुसार ही आगे बढ़ें।

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JEE/NEET की तैयारी में स्ट्रेस से छुटकारा पाने के 13 प्रभावी उपाय

आज के समय में एक चीज़ बहुत कॉमन हो चली है और वह है स्टूडेंट का प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते-करते अचानक से सुसाइड कर लेना। अब आप ही सोचिए, उस बच्चे ने आखिरकार इतना बड़ा कदम क्यों उठाया? अगर उसे सही समय पर सही गाइडेंस मिल जाती, मेंटर व प्रोफेशनल का साथ मिलता और पढ़ाई को अच्छे से मैनेज (JEE NEET exam stress management tips in Hindi) करने के उपाय सुझाए जाते, तो क्या ऐसी नौबत आती!!

इसलिए आज का हमारा यह आर्टिकल बहुत ही सेंसिटिव टॉपिक पर है और वह है JEE और NEET की तैयारी करते समय स्ट्रेस मैनेजमेंट कैसे किया जाए। आज का यह टॉपिक उन सभी स्टूडेंट्स के लिए लिखा जा रहा है जो JEE और NEET की तैयारी (JEE NEET ki taiyari kaise kare) करते हुए खुद को बहुत ज्यादा दबाव में पा रहे हैं या धीरे-धीरे यह दबाव बढ़ता जा रहा है।

JEE और NEET की तैयारी के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट

हम आपको उदाहरण देते हैं। मान लीजिए दो कैंडिडेट हैं और दोनों को एक ही कंपनी में इंटरव्यू देने जाना है। अब पहले वाले कैंडिडेट ने रातभर जाग-जाग कर इंटरव्यू की सारी पढ़ाई की। इस दौरान उसने सिर्फ 2 से 3 घंटे की नींद ली। इंटरव्यू रूम में जाने से पहले भी वह बुक खोलकर रटे-रटाये उत्तर दोहरा रहा है।

वहीं दूसरा कैंडिडेट जिसे अपने मेंटर का सही मार्गदर्शन मिला। उसे उसके मेंटर ने बताया कि इंटरव्यू में रटे रटाये उत्तर देने की बजाए खुलकर बात करनी चाहिए लेकिन उसमें कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए। अपनी कमजोरी बतानी चाहिए लेकिन उस कमजोरी को ताकत कैसे बनाया जा सकता है, वह भी जानना चाहिए।

अब जरा आप ही बताइए कि जो इंटरव्यू लेने वाला होगा, वह दोनों में से किसे सलेक्ट करेगा? आपका उत्तर होगा, दूसरे वाले को। लेकिन ऐसा क्यों? तैयारी तो पहले वाले ने ज्यादा की थी ना तो दूसरा वाला क्यों सलेक्ट होगा? तो इसका सीधा सा जवाब है कि दूसरे वाले ने स्मार्ट तरीके से तैयारी की जबकि पहले वाला बस रट्टा मारने में ही रह गया।

आशा है कि आपको हमारा आशय थोड़ा बहुत तो समझ आ गया (JEE NEET ki taiyari kaise kare) होगा। अब हम JEE और NEET की तैयारी करने में होने वाले स्ट्रेस पर वापस आते हैं। आइए इसके कारण, उपाय और अन्य चीज़ों के बारे में जान लेते हैं।

स्ट्रेस होने के कारण

JEE और NEET की तैयारी करते समय होने वाले स्ट्रेस के एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं। उनमें से कुछ चुनिंदा कारणों को हम आपके सामने रख देते (Exam stress causes and effects in Hindi) हैं।

  1. आज के समय में कम्पटीशन इतना ज्यादा बढ़ गया है कि पूछिए मत। हर किसी को एक दूसरे से आगे निकलना है और यही तनाव का मुख्य कारण भी है।
  2. सलेबस इतना ज्यादा है कि स्टूडेंट को समझ ही नहीं आता कि वह क्या पढ़े और क्या नहीं। 11वीं और 12वीं क्लास की बुक्स, तरह-तरह के नोट्स और अलग-अलग ऑथर की बुक्स इत्यादि की भरमार है।
  3. खुद की कैपबिलिटी से अधिक उम्मीदें रखना। हम यह नहीं कह रहे कि आप स्वयं को कम आंके लेकिन आप अपने से इतनी भी उम्मीद ना लगाएं, जो आपका विश्वास बढ़ाने की बजाए उल्टा उसे गिरा दे।
  4. सामाजिक दबाव भी स्ट्रेस को बहुत ज्यादा बढ़ाता है। खासतौर पर स्टूडेंट के पेरेंट्स उससे बहुत ज्यादा उम्मीदें लगाए रखते हैं और यह भी तनाव का मुख्य कारण है।
  5. कोचिंग क्लासेज और टीचर्स का स्टूडेंट के साथ कम इंटरेक्शन। बहुत से और खासतौर पर बड़े-बड़े कोचिंग सेंटर्स ऐसे हैं जो अपने यहाँ भर-भर कर स्टूडेंट तो ले लेते हैं लेकिन उसके अनुपात में इतने टीचर्स नहीं होते।
  6. इसे हम स्टूडेंट टीचर रेश्यो के तहत भी ले सकते हैं। अब टीचर्स की संख्या स्टूडेंट्स की संख्या से बहुत कम होगी तो अवश्य ही वे स्टूडेंटस को कम टाइम दे पाएंगे। इससे स्टूडेंट का तनाव और बढ़ता चला जाता है।
  7. सिर्फ कम रेश्यो ही नहीं बल्कि टीचर का अनुभव कैसा है, यह भी बहुत मायने रखता है। JEE और NEET की तैयारी करते समय एक स्टूडेंट का सही मार्गदर्शन उसका टीचर ही कर सकता है। अब अगर वही अनुभवी नहीं है तो स्ट्रेस तो होगा ही।
  8. स्टूडेंट का गलत संगत में पड़ना या शहर की चकाचौंध में खो जाना। बहुत बार यह देखने में आता है कि स्टूडेंट चाहकर भी इतना पढ़ नहीं पाता या टाइम नहीं निकाल पाता।
  9. इसे हम अनुचित समय प्रबंधन या बैड टाइम मैनेजमेंट भी कह सकते हैं। जब टाइम ही सही से मैनेज नहीं किया गया तो पूरे दिन का शेड्यूल बिगड़ जाता है।
  10. बुरा ही सोचते रहना भी स्ट्रेस बढ़ने का कारण है। ऊपर हमने आपको बताया कि आप खुद से ज्यादा उम्मीदें ना लगाएं क्योंकि इससे स्ट्रेस बढ़ता है। अब वहीं कुछ ऐसे स्टूडेंट भी होते हैं जो हमेशा अपने आप को दूसरों से कमतर आंकते हैं तो इस कारण भी स्ट्रेस बढ़ता है।

ऊपर हमने आपको JEE और NEET की तैयारी करते समय स्ट्रेस बढ़ने के चुनिंदा 10 कारण बता दिए हैं। अब बारी आती है, स्ट्रेस मैनेजमेंट के उपाय जानने की। तो आइए इसके बारे में भी जान लेते हैं।

स्ट्रेस मैनेजमेंट के उपाय

वैसे तो स्ट्रेस मैनेजमेंट के भी कई तरह के उपाय हैं। हमने भी सभी तरह के उपाय देखे और पढ़े। साथ ही सफल होने वाले स्टूडेंट्स की कहानियां भी पढ़ी और जाना कि किन-किन तरीकों के कारण उनका स्ट्रेस कम हुआ।

इतना ही नहीं, उन्होंने ना केवल स्ट्रेस को कम किया बल्कि JEE और NEET में अच्छी रैंक भी हासिल की। तो चलिए ऐसे ही कुछ चुनिंदा उपायों (JEE NEET exam stress management tips in Hindi) के बारे में जान लेते हैं।

#1. टाइम मैनेजमेंट है सबसे जरुरी

स्ट्रेस को मैनेज करना है तो उसके उपाय में अपना टाइम मैनेज करना सबसे पहले आता है। आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि जब दिन की शुरुआत ही बुरी हो तो पूरा दिन ही ख़राब जाता है। तो वही चीज़ JEE और NEET की तैयारी करने में भी लागू होती है।

अगर आपके दिन की शुरुआत ही आलस, कामचोरी या ऐसी ही किसी आदत में जाती है तो पुरे दिन का शेड्यूल ख़राब होता है। इसके लिए आप पूरे दिन का निर्धारित शेड्यूल बनाएं और उसी के अनुसार ही चलें। फिर देखिए कैसे आपकी तैयारी भी अच्छे से होती है और स्ट्रेस भी कम हो जाता है।

#2. खुद को पहचानना

आप चाहे JEE की तैयारी कर रहे हो या नीट के एग्जाम की, आपको पहले अपने आप का आंकलन करना जरुरी है। अपने आप को पहचानने का मतलब है कि आप खुद से पूछें कि क्या आप यह कर सकते हैं? अगर कर सकते हैं तो आपको इसमें कितना टाइम लगेगा? अब क्या आपके पास उतना टाइम है?

इतने टाइम में आपका कितना खर्च होगा और क्या आपके पेरेंट्स उतना खर्चा उठा सकते हैं? क्या आपको लोन लेने की जरुरत है? आपके ऊपर कोई पारिवारिक दबाव तो नहीं है? इत्यादि। ऐसे ही कई प्रश्न अपने आप से पूछें और उसके बाद ही आगे का फैसला लें।

#3. सही शहर का चुनाव

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि कोचिंग लेने के लिए सही शहर का चुनाव किया जाना भी बहुत जरुरी हो जाता है। अब कहने को तो मेट्रो सिटी में हर तरह की फैसिलिटी मिलती है और बड़े से बड़े कोचिंग सेंटर भी वहाँ होते हैं लेकिन अगर हम पढ़ाई वाले माहौल की बात करें तो वह ना के बराबर होता है।

फिर चाहे आप दिल्ली को ले लीजिए या फिर मुंबई को। हर जगह बड़े से बड़े कोचिंग सेंटर तो हैं लेकिन ज्यादातर स्टूडेंट मौज मस्ती में ही रहते हैं। रही बात कोटा की तो वहाँ स्टूडेंट पर इतना ज्यादा प्रेशर बनाया जाता है कि वह ना चाहते हुए भी स्ट्रेस में आ जाता है। ऐसे में आप सीकर या जयपुर जैसे शहरों का चुनाव कर सकते हैं।

#4. सही कोचिंग का चुनाव

स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए जितना ध्यान सही शहर को चुनने में लगाना होता है, उससे ज्यादा ध्यान सही कोचिंग सेंटर को चुनने में लगाना चाहिए। वह इसलिए क्योंकि एक कोचिंग सेंटर ही आपकी जिंदगी बना भी सकता है और उसे बिगाड़ भी सकता है।

एक अच्छे कोचिंग सेंटर में स्टूडेंट को सभी तरह की फैसिलिटी तो दी जाएगी ही लेकिन उसी के साथ ही वहाँ स्टूडेंट टीचर रेश्यो, टीचर्स का एक्सपीरियंस और स्टूडेंट से डील करने की तकनीक इत्यादि बहुत मायने रखती है।

ऊपर हमने दो शहर बताए जो कोचिंग के लिए सही हैं। जब हमने इन शहरों में खुले कोचिंग सेंटर के बारे में जांच पड़ताल की तो कुछ चुनिंदा कोचिंग सेंटर उभर कर सामने आए। इसमें सीकर का मैट्रिक्स कोचिंग सेंटर और कौटिल्य अच्छा लगा तो वहीं जयपुर का एलन कोचिंग सेंटर।

#5. हर दिन है नया

हमने इस पॉइंट को खासतौर पर इसलिए डाला है क्योंकि यह पिछले साल JEE में टॉप करने वाले कुछ स्टूडेंट्स ने हाईलाइट किया था। उनके अनुसार यह सिर्फ और सिर्फ स्टूडेंट की सोच पर निर्भर करता है।

कुछ स्टूडेंट अगला दिन आने पर यह सोचते हैं कि ओह्ह, तैयारी के लिए एक दिन और कम हो गया जबकि कुछ स्टूडेंट अगले दिन को एक नए दिन के तौर पर देखते हैं। इसलिए आप भी हर नए दिन को तैयारी के लिए एक और दिन के तौर पर देखें।

#6. जरुरी चीज़ों को हाईलाइट करें

जब एग्जाम पास आने लगते हैं तो देखने में आता है कि ज्यादातर स्टूडेंट हड़बड़ी में पढ़ते हैं या दूसरे स्टूडेंट्स से नोट्स मांगते फिरते हैं। ऐसे में आप पहले दिन से ही जरुरी चीज़ों के नोट्स बनाना शुरू कर देंगे तो बहुत हेल्प होगी।

इसके लिए आप बुक में भी जरुरी चीजों को मार्कर से हाईलाइट करें, कॉपी में नोट्स बनाएं ताकि एक क्विक रिविजन की जा सके।

#7. डाउट को छोड़े नहीं

अब ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि आप JEE और NEET की तैयारी कर रहे हो और आपके कोई भी डाउट ही ना हो। आपके जो भी डाउट हो, उन्हें नोट करके रख लें और फिर अगले दिन अपने टीचर से उन डाउट को क्लियर करवाएं।

यही बात हमें सीकर के मैट्रिक्स कोचिंग की अच्छी लगी कि उन्होंने अपने कोचिंग सेंटर में जगह-जगह डाउट सेंटर बनाकर रखे हैं जहाँ स्टूडेंट्स कभी भी अपने डाउट लेकर आ सकते हैं। अब ऐसी ही फैसिलिटी अन्य कोचिंग सेंटर्स भी देने लगे हैं।

#8. पूरी नींद और उचित खानपान

अगर आप कम सोएंगे तो इसका मतलब यह नहीं कि आप ज्यादा तैयारी कर पाएंगे। इससे आप दिमागी तौर पर थक जाएंगे और स्ट्रेस भी बढ़ता चला जाएगा। इसलिए नींद पूरी लें, ना ही ज्यादा और ना ही कम।

साथ ही अपना खानपान भी सही रखें क्योंकि गलत खानपान भी स्ट्रेस को बढ़ाता है। ऐसे में आप बाहर का खाने से बचें। फ़ास्ट फूड, तला फला भी ना खाएं। रोजाना बादाम, चने, दाल, दूध, दही इत्यादि अवश्य लें।

#9. योग व प्राणायाम

स्ट्रेस को कम करने में योग बहुत ही प्रभावी रहता है। आप सुबह के समय जल्दी उठने की आदत डालें और कम से कम 30 मिनट के लिए योग व प्राणायाम करने का नियम बना लें। फिर देखिए आपका स्ट्रेस भी कम होता है और आप ध्यान लगाकर पढ़ पाते हैं।

#10. पेरेंट्स के साथ बातचीत करते रहना

आप चाहे दूसरे शहर में रहकर JEE और NEET की तैयारी कर रहे हो लेकिन हर दिन अपने पेरेंट्स से साथ बात जरुर करें। अगर रोजाना बात नहीं हो पाती है तो दो दिन में एक बार तो जरुर करें। इससे आपको भी घर के बारे में पता चलता रहेगा और पेरेंट्स को भी आपकी स्थिति का पता रहेगा।

#11. सीनियर के साथ कॉन्टेक्ट में रहना

आप जिस भी कोचिंग सेंटर में पढ़ते हो, वहाँ आपका सीनियर बैच भी होगा। आपको उनमें से कुछ सीनियर के साथ कॉन्टेक्ट बनाना चाहिए। ये सीनियर आपकी बहुत तरीके से मदद कर सकते हैं, खासतौर पर स्ट्रेस को कम करने में।

#12. सही फ्रेंड सर्कल बनाएं

आपका फ्रेंड सर्कल अर्थात दोस्तों की मंडली कैसी है, यह भी बहुत मायने रखती है। यदि यह अच्छा फ्रेंड सर्कल है तो आप दोगुनी गति से JEE और NEET की तैयारी कर पाते हैं और वहीं अगर यह बुरा है तो आपका जीवन बर्बाद कर देगा।

#13. बैकअप तैयार रखें

चाहे आपकी तैयारी कितनी ही मजबूत क्यों ना हो या आपको अपने आप पर कितना ही विश्वास क्यों ना हो लेकिन हमेशा एक बैकअप प्लान तैयार रखें। हम यह नहीं कह रहे हैं कि आपका JEE और NEET में सलेक्शन नहीं होगा लेकिन हमेशा अपनी तैयारी पूरी करके ही चलना चाहिए।

अगर आपके पास बैकअप प्लान होगा तो आपका स्ट्रेस अपने आप ही कम हो जाएगा। हालाँकि इस बात का भी ध्यान रखें कि बैकअप प्लान के चक्कर में अपनी JEE और NEET की तैयारी को कमजोर ना पड़ने दें। बैकअप प्लान को एक आखिरी विकल्प के तौर पर ही रखें।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने जाना कि JEE और NEET की तैयारी (JEE NEET exam stress management tips in Hindi) करते समय स्ट्रेस होने के क्या कुछ कारण हो सकते हैं। वहीं स्ट्रेस मैनेज करने के लिए क्या कुछ उपाय किए जा सकते हैं। आशा है कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। आप अपना फीडबैक नीचे कमेंट सेक्शन में दे सकते हैं।

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JEE/NEET की तैयारी के लिए सीकर क्यों बन रहा है स्टूडेंट्स की पहली पसंद!!

राजस्थान का सीकर शहर कोई ज्यादा बड़ा शहर नहीं है। पहले के समय में बहुत कम लोग ही इसके बारे में जानते थे। हालाँकि अब परिस्थितियां बहुत बदल चुकी हैं। अब अगर आप किसी ऐसे स्टूडेंट से सीकर के बारे में पूछेंगे जो अभी दसवीं से बारहवीं में पढ़ रहा हो तो उसका कोई ना कोई जानकार सीकर में JEE और NEET की तैयारी करता हुआ पाया जाएगा।

इतना ही नहीं, उनमें से बहुत से स्टूडेंट तो खुद सीकर जाकर JEE और NEET की तैयारी (Sikar JEE NEET Coaching) करने का मन बना रहे होंगे। लेकिन ऐसा क्यों? कुछ साल पहले जब हम JEE और NEET की तैयारी करने वाले शहर की बात करते थे तो उसमें केवल एक ही नाम आता था और वह था राजस्थान का कोटा शहर। हालाँकि अब कोटा का वर्चस्व राजस्थान का ही दूसरा शहर सीकर तोड़ता जा रहा है।

अब सीकर शहर में ऐसा क्या है जो वह JEE और NEET की तैयारी करने और करवाने दोनों में स्टूडेंट्स और टीचर्स की पहली पसंद बनता जा रहा है? आज के इस आर्टिकल में हम आपको इसी के बारे में ही बताने वाले हैं। चलिए जानते हैं आखिरकार क्यों है सीकर JEE और NEET की तैयारी करने के लिए स्टूडेंट्स की पहली पसंद।

JEE/NEET की तैयारी के लिए सीकर है स्टूडेंट्स की पहली पसंद

सीकर शहर स्टूडेंट्स की पहली पसंद ही नहीं बल्कि देश में भी JEE और NEET तैयारी करवाने के लिए नंबर वन (Sikar JEE NEET Coaching) बनता जा रहा है। इसके पीछे एक या दो नहीं बल्कि कई कारण हैं। उन्हीं में से 5 मुख्य कारण आज हम आपको बताएँगे।

#1. सीकर के JEE/NEET कोचिंग सेंटर्स

सीकर को JEE/NEET की तैयारी करवाने के लिए देश में नंबर वन लाने में जिसकी सबसे अहम भूमिका है, वह है सीकर शहर में खुले दर्जनों कोचिंग सेंटर्स। अब आप कहेंगे कि इस तरह के JEE/NEET कोचिंग सेंटर्स तो आज के समय में किस शहर में नहीं खुले हैं। हम देश के किसी भी शहर में चले जाएं, वहाँ दर्जनों JEE/NEET के कोचिंग सेंटर्स मिल जाएंगे।

ऐसे में आज हम आपको बता दें कि सीकर शहर के कुछ कोचिंग सेंटर्स ऐसे हैं जिन्होंने JEE/NEET की तैयारी करवाने में अपना परचम पूरे देश में लहरा दिया है। पहले हम आपको सीकर के टॉप 5 JEE/NEET के कोचिंग सेंटर्स की लिस्ट दे देते हैं:

अब इसमें मैट्रिक्स सीकर का नंबर वन कोचिंग सेंटर है तो उसके बाद एलन का नाम आता है। इसके बाद क्रमानुसार गुरुकृपा, कौटिल्य और प्रिंस अकादमी का नाम आता है।

अब इन कोचिंग सेंटर्स ने अपना JEE/NEET कोचिंग सेंटर खोलने से पहले कई वर्षों की रिसर्च की है। उन्होंने देखा कि ऐसा क्या है जो हम स्टूडेंट्स को JEE/NEET की तैयारी करवाने के लिए दे सकते हैं। इसके बाद ही उन्होंने देशभर में से ऐसे टीचर्स की खोज की जिनका ना केवल एक्सपीरियंस अच्छा हो बल्कि वे स्टूडेंट्स के नेचर और उनके सीखने की क्षमता का आंकलन कर उन्हें पढ़ा सकें।

इसी का परिणाम है कि आज सीकर शहर मुख्यतया इन्हीं पांच कोचिंग सेंटर्स की बदोलत देश का नंबर वन JEE/NEET कोचिंग शहर बनता जा रहा है। इसमें भी मैट्रिक्स और गुरुकृपा के द्वारा किया गया काम शानदार रहा है।

#2. सीकर शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर

अब आपने सीकर के फेमस JEE/NEET कोचिंग सेंटर के बारे में तो जान लिया है लेकिन अब हम जानेंगे सीकर शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में। अब हमने ऊपर बात की कि JEE और NEET के कोचिंग सेंटर तो हर शहर में हैं लेकिन क्या आपके शहर में वैसा माहौल है? नहीं ना। बस यही चीज़ सीकर को बाकी शहरों से अलग करती है।

सीकर शहर में आपको कोचिंग सेंटर्स के अलावा दर्जनों लाइब्रेरी, स्टूडेंट्स एरिया, किताबों की दुकाने, हॉस्टल, व अन्य फैसिलिटी आराम से मिल जाएगी। एक तरह से कहा जाए तो यह पूरा शहर ही कोचिंग सेंटर बनता जा रहा है। अब स्टूडेंट का JEE/NEET में सक्सेस रेट तब बढ़ जाता (Sikar NEET Coaching) है जब उसके आसपास का माहौल भी पढ़ने वाला हो।

आप आज ही सीकर शहर में निकल जाएं या फिर सीकर में रह रहे किसी स्टूडेंट या लोकल से पूछ लें कि वहाँ का माहौल और इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा है। आप पाएंगे कि धीरे-धीरे सीकर शहर स्टूडेंट्स की कोचिंग के हिसाब से ढलता दिख रहा है।

साथी ही यहाँ के कोचिंग सेंटर्स ने भी इसमें बहुत बढ़िया काम किया है। खासतौर पर मैट्रिक्स और प्रिंस अकैडमी ने तो वर्ल्ड क्लास हॉस्टल की सुविधाएँ प्रदान की हुई हैं। उनके हॉस्टल भी कोचिंग सेंटर के पास ही हैं। ऐसे में बाहर से आकर पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को किसी तरह की समस्या नहीं होती है।

#3. कम लागत में बेहतर रिजल्ट

जो स्टूडेंट्स JEE/NEET की तैयारी करने जाते हैं, अभी तक उनकी बात हुई लेकिन अब हम बात करते हैं उनके पेरेंट्स की। दरअसल अपने बच्चे को दूसरे शहर में पढ़ने के लिए भेजना एक अलग बात है लेकिन साथ ही उसके लिए भारी भरकम फीस चुकाना एक अलग बात।

अब कोटा ले लीजिए या फिर अन्य बड़े शहर, जैसे कि दिल्ली, मुंबई, जयपुर इत्यादि। हर जगह आपको कोचिंग सेंटर की भारी भरकम फीस तो चुकानी ही होगी और साथ ही बच्चों के रहने के लिए हॉस्टल का खर्चा भी बहुत ज्यादा हो जाता है। इतना ही नहीं, बाकी सभी चीजें भी बहुत महँगी होती है, जैसे कि कामवाली का खर्चा ले लो या बाहर से कुछ खरीदना हो इत्यादि।

अब सीकर भारत की थर्ड टायर सिटी है। यह बड़े शहरों जैसी ना तो खर्चीली है और ना ही स्टूडेंट्स का मन भटकाती है। कहने का मतलब यह हुआ कि यहाँ के कोचिंग सेंटर्स की फीस भी बाकी शहरों की तुलना में कम है और साथ ही रहने, खाने-पीने का खर्चा भी बहुत कम है।

अब मजेदार बात यह है कि यह कम खर्चे में भी वह सभी फैसिलिटी प्रोवाइड कर रही है जो सभी बड़े शहर दोगुने पैसे लेकर करते हैं। यही कारण है कि स्टूडेंट्स के साथ ही पेरेंट्स के लिए भी सीकर शहर JEE और NEET की तैयारी करवाने के लिए पहली पसंद (Sikar JEE Coaching) बनता जा रहा है।

#4. स्टूडेंट्स पर ज्यादा फोकस

अब एक चीज़ और है जो सीकर शहर को JEE/NEET की तैयारी करवाने के लिए स्टूडेंट्स और पेरेंट्स की फर्स्ट चॉइस बनाती है, वह है कम भीड़ के कारण स्टूडेंट्स पर ज्यादा फोकस। दरअसल अगर आप कोटा या दिल्ली जैसे शहर को देखेंगे तो वहाँ स्टूडेंट्स का हुजूम उमड़ता दिखाई देता है। ऐसे में वहाँ के कोचिंग सेंटर्स भी स्टूडेंट्स को भर-भरकर ले लेते हैं।

अब अगर आप उनके बैच में जाकर देखेंगे तो वहाँ के एक-एक बैच में 100 से 200 स्टूडेंट्स पढ़ते हुए दिखाई देते हैं। आखिरी पंक्ति में बैठे स्टूडेंट तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए टीचर्स माइक का इस्तेमाल करते हैं। अब जरा आप ही सोचकर देखिए कि जब टीचर को ही माइक से बोलना पड़ रहा है तो आखिर में बैठा वह स्टूडेंट अपने डाउट कैसे पूछ पाएगा?

चलो मान लीजिए कि आपका बच्चा पहली लाइन में बैठा है लेकिन क्या टीचर इतने स्टूडेंट्स के डाउट अपनी क्लास में सुन पाएगा और उनका जवाब दे पाएगा? नहीं ना, बस यही कारण है कि ये शहर JEE/NEET की तैयारी (Sikar NEET Coaching) करवाने में अब पिछड़ते जा रहे हैं और सीकर आगे बढ़ता जा रहा है।

सीकर में चाहे स्टूडेंट्स ज्यादा आ जाएं लेकिन वहाँ के टॉप कोचिंग सेंटर्स ने एक स्पष्ट नीति बना रखी है कि उनके एक बैच में मैक्सिमम 50 से 60 स्टूडेंट्स ही होंगे। इससे फायदा यह होता है कि टीचर्स अपने स्टूडेंट्स पर ज्यादा फोकस कर पाते हैं और उन्हें सुन पाते हैं। वहीं मैट्रिक्स अकैडमी में तो बाकायदा अलग से डाउट सेंटर्स बना रखे हैं ताकि स्टूडेंट्स के डाउट क्लास के अलावा अलग से भी सोल्व करवाए जा सकें।

#5. लगातार बढ़ता रिजल्ट

अब हम कितनी ही बात कर लें लेकिन बात तो आखिर में JEE/NEET के एग्जाम रिजल्ट की ही आती है। शहर चाहे कितना ही अच्छा क्यों ना हो या कोचिंग सेंटर्स कैसी ही फैसिलिटी क्यों ना देते हो लेकिन जब तक स्टूडेंट्स वैसा रिजल्ट लेकर नहीं आते, तब तक वो बात नहीं बनती।

तो हमने इस बारे में भी बहुत रिसर्च की है और पाया है कि JEE/NEET में सलेक्ट होने वाले स्टूडेंट्स के परसेंटेज में सीकर में स्टडी कर रहे स्टूडेंट्स का रेश्यो बढ़ता जा रहा है। एक तरह से देखा जाए तो हर साल सीकर से सलेक्ट होने वाले स्टूडेंट बढ़ रहे हैं। सबसे मुख्य बात यह है सीकर में पढ़ रहे टोटल स्टूडेंट्स में से कितने परसेंटेज स्टूडेंट्स ने एग्जाम क्रैक किया।

आइए हम आपको आंकड़ों से समझा देते हैं। जहाँ देशभर में JEE/NEET की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स का सलेक्शन रेश्यो 1.3% है तो वहीं सीकर शहर का 7.48% है। अब आप खुद ही सोचिए कि नेशनल परसेंटेज की तुलना में सीकर शहर का सलेक्शन रेश्यो लगभग 6 गुना है। इसी से ही आप समझ सकते हैं कि सीकर में किस लेवल की कोचिंग दी जा रही है और वहाँ का रिजल्ट कैसा है।

वहीं अगर हम सीकर शहर में ही पढ़ रहे स्टूडेंट्स की ही बात करें तो वहाँ 2024 में JEE के एग्जाम में टॉप करने वाले स्टूडेंट का नाम मयंक सोनी (Sikar JEE Coaching) है जो मैट्रिक्स अकैडमी से पढ़े हुए हैं। वहीं दूसरे नंबर पर एलन सीकर के कृष गुप्ता, तीसरे पर मैट्रिक्स के मोहित मोदी, चौथे पर मैट्रिक्स के अमन नेहरा और पांचवें पर मैट्रिक्स की ही आतिशी जी हैं।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने जाना कि सीकर शहर में ऐसी क्या चीजें हैं जो इसे कोटा या बाकी बड़े शहरों की तुलना में JEE/NEET की तैयारी करने के लिए स्टूडेंट्स की पहली पसंद बना रहा (Sikar JEE NEET Coaching) है।

इसके अलावा भी बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो सीकर को टॉप पर ला रही हैं। जैसे कि वहाँ हो रहा विकास, स्टूडेंट्स को दी जा रही फैसिलिटी, स्कूलिंग स्ट्रक्चर, कोचिंग सेंटर्स का रवैया, टीचर्स का नेचर इत्यादि। हालाँकि हमने यहाँ पांच प्रमुख कारण आपके सामने रखे हैं ताकि आपको बेहतर आईडिया हो सके।

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