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NEET के लिए टाइम मैनेजमेंट कैसे करें? जाने 10 प्रभावी उपाय

NEET Time Management: आज हम बात करेंगे उन स्टूडेंट्स के बारे में जो नीट की कोचिंग ले रहे हैं या उसकी तैयारी करने का सोच रहे हैं। जो स्टूडेंट्स आगे चलकर सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने का सोच रहे हैं और उसके लिए नीट की कोचिंग शुरू करने का सोच रहे हैं तो आज का यह आर्टिकल उनके बहुत काम आने वाला है। वह इसलिए क्योंकि आज हम नीट की कोचिंग में काम आने वाली अत्यंत महत्वपूर्ण चीज़ टाइम मैनेजमेंट के बारे में बात करने वाले हैं।

जिन स्टूडेंट्स को समय रहते टाइम मैनेजमेंट के बारे में सही जानकारी मिल जाए, वे अभी से ही अपना बहुत सा समय बचा सकते हैं और उसका इस्तेमाल अपनी तैयारी को और बेहतर करने में कर सकते हैं। वहीं जो स्टूडेंट इस तकनीक के बारे में जितना देरी से सोचते हैं, उन्हें उतना ही अधिक नुकसान हो चुका होता है।

ऐसे में आपके लिए टाइम मैनेजमेंट की तकनीक सीखना बहुत ही जरुरी हो जाता (NEET ki taiyari ke liye time table) है अन्यथा आप उन स्टूडेंट्स से पिछड़ जाएंगे जो इस पर पहले से ही काम कर रहे हैं। इसलिए आइए आज हम इस विषय पर विस्तार से बात कर लेते हैं।

नीट की तैयारी के लिए टाइम मैनेजमेंट

नीट का एग्जाम क्रैक करना बहुत ही मुश्किल माना जाता है। वह इसलिए क्योंकि पहली बात तो देश में चुनिंदा सरकारी मेडिकल कॉलेज ही टॉप लेवल के हैं और उनमें भी लिमिटेड सीट्स ही (NEET ke liye time table kaise banaye) होती है। ऐसे में अगर आपने नीट का एग्जाम क्रैक कर भी लिया है तो भी यह जरुरी नहीं है कि आपको टॉप लेवल के सरकारी मेडिकल कॉलेज में अपनी मनपसंद की फील्ड में एडमिशन मिल जाएगा।

इसके लिए आपको टॉप स्कोर करना (NEET Time Management) होगा। वह भी पहले एक या दो साल में ही क्योंकि कुछ स्टूडेंट्स इसमें तीन से चार साल भी लगा देते हैं। ऐसे में टाइम मैनेजमेंट करना बहुत जरुरी हो जाता है। तो चलिए नीट की तैयारी करने के दौरान आपको टाइम मैनेजमेंट के लिए कौन-कौन सी तकनीक अपनानी होगी, उसका पता लगा लेते हैं।

#1. तीनों सब्जेक्ट्स पर समान ध्यान दें

नीट के एग्जाम में तीन सब्जेक्ट आते हैं जिनके नाम फिजिक्स, केमिस्ट्री व बायोलॉजी होते हैं। अब बहुत से स्टूडेंट्स क्या करते हैं कि वे बायोलॉजी पर तो अधिक ध्यान देते हैं क्योंकि इसका सीधा संबंध मेडिकल से होता है लेकिन फिजिक्स और केमिस्ट्री पर उतना फोकस नहीं रखते हैं। ऐसा करके वे जाने अनजाने में बहुत बड़ी गलती कर रहे होते (NEET ki taiyari ke liye time table) हैं।

माना कि आगे चलकर आपको बायोलॉजी पर ही पढ़ाया जाएगा लेकिन वह तभी पढ़ाया जाएगा ना जब आप नीट एग्जाम को क्रैक कर लेंगे और फिर मेडिकल कॉलेज में अपनी सीट को रिज़र्व कर लेंगे। उससे पहले तो आपको नीट एग्जाम देना होगा और उसके लिए तीनों ही सब्जेक्ट्स पढ़ने होंगे। इसलिए आप बायोलॉजी पर अवश्य ही कुछ घंटे ज्यादा दे सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप फिजिक्स और केमिस्ट्री को भूल ही जाएं।

#2. कोचिंग इंस्टीट्यूट सोच-समझ कर चुने

इसमें आपकी एक बढ़िया नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट बहुत मदद कर सकता है। वह इसलिए क्योंकि टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़कर आपको बहुत ज्यादा मदद मिल जाती है। वहाँ पर हर चीज़ का एक सिस्टम बनाया गया होता है और स्टूडेंट्स को उसी के अनुसार ही तैयार किया जाता है।

अब अगर हम आपको देशभर के कुछ चुनिंदा नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट के बारे में बताएं तो उसमें सीकर की मैट्रिक्स अकैडमी पहले नंबर पर आती है। मैट्रिक्स में पहले JEE की ही तैयारी करवाई जाती थी लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यहाँ नीट की भी कोचिंग दी जा रही है।

आज के समय में मैट्रिक्स का रिजल्ट बहुत ही अच्छा जा रहा है क्योंकि वहाँ पर सभी बेस्ट लेवल के नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट की लर्निंग को ध्यान में रखकर सिस्टम तैयार किया गया है। वहीं सीकर का ही गुरुकृपा इंस्टीट्यूट और कोटा का एलन इंस्टीट्यूट इस सूची में क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर आते हैं। ऐसे में आप अपनी सुविधा और पसंद के अनुसार किसी भी कोचिंग इंस्टीट्यूट का चुनाव कर सकते हैं।

#3. जरुरी चीज़ों के नोट्स बनाएं

अब अगर आप पढ़ते ही जाएंगे, पढ़ते ही जाएंगे लेकिन जरुरी चीज़ों के नोट्स नहीं बनाएंगे तो बहुत गलत होगा। आप किसी भी टॉप लेवल के स्टूडेंट को देख लीजिए, फिर चाहे वह स्कूल में हो या कॉलेज में या किसी एग्जाम की तैयारी कर रहा हो, उसका मुख्य फोकस नोट्स बनाने में होता है। साथ ही बाकी सभी स्टूडेंट्स भी उस स्टूडेंट के नोट्स लेने को तैयार रहते हैं।

अब नीट की कोचिंग में भी इन नोट्स का बहुत ज्यादा महत्व होता है। वह इसलिए क्योंकि नोट्स आप अपनी समझ के अनुसार लिखते हैं ताकि जरुरत पड़ने पर आप उसे पढ़ें और जल्द से जल्द चीज़ों को कैप्चर कर सकें। इसलिए नोट्स बनाने में किसी भी तरह की ढिलाई ना बरतें। यदि किसी दिन क्लास मिस भी हो जाती है तो आप किसी सहपाठी से नोट्स ले लें।

वहीं मैट्रिक्स, एलन जैसे संस्थान में तो हर लेक्चर की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाती है। ऐसे में अगर किसी कारण आप लेक्चर मिस कर देते हैं तो आप उसे ऑनलाइन देखकर समझ सकते हैं और नोट्स बना सकते हैं।

#4. टॉपिक्स को प्रायोरिटी दें

नीट के एग्जाम में तीनों सब्जेक्ट्स में से कई तरह के टॉपिक आते हैं। अब कोई टॉपिक ज्यादा जरुरी होता है तो कोई कम। यदि आप हर टॉपिक को एक समान महत्व देंगे तो यह गलत होगा। आप सोचते होंगे कि हर टॉपिक पर एक जैसा ध्यान देने से तैयारी अधिक मजबूत होती है लेकिन यह एक गलत सोच है।

जो टॉपिक ज्यादा महत्वपूर्ण है, उस पर आपको अधिक ध्यान देने की जरुरत है। वहीं आप उन्हें मुश्किल और सरल के आधार पर भी प्रायोरिटी दे सकते हैं। किसी स्टूडेंट को कोई टॉपिक मुश्किल लगता है तो किसी को वही टॉपिक सरल लगता है। ऐसे में आप मुश्किल और महत्वपूर्ण टॉपिक को सबसे अधिक प्रायोरिटी दें और उसके बाद क्रमानुसार बाकियों को प्रायोरिटी दें।

#5. एक्सपर्ट्स व सीनियर की मदद लें

आपको नीट की तैयारी करने के लिए टाइम मैनेजमेंट करना है तो उसमें आपके सीनियर बहुत मदद कर सकते हैं। ऐसे में आपको अपने से सीनियर के भी टच में बने रहना चाहिए। उनसे आपको रह-रह कर कुछ ऐसी टिप्स मिल सकती है जो आगे चलकर आपके बहुत काम आ सकती है। वह इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने समय के साथ-साथ उन चीज़ों का अनुभव किया है।

वहीं आप नीट की कोचिंग देने में एक्सपर्ट लोगों को भी सुने। मैट्रिक्स, आकाश जैसे टॉप लेवल के नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट समय-समय पर अपने यहाँ एक्सपर्ट लोगों को लेक्चर देने के लिए बुलाते हैं। ऐसे में आपको उनका लेक्चर बिल्कुल भी मिस नहीं करना चाहिए क्योंकि वहाँ से आपको बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। वहीं इन कोचिंग संस्थान में समय-समय पर स्टूडेंट्स को एक्सपर्ट गाइडेंस दी जाती रहती है।

#6. पहले के एग्जाम सोल्व करें

किसी भी एग्जाम को देने में उसके पहले के प्रश्न पत्र को देखना बहुत ही अच्छी प्रैक्टिस मानी जाती (NEET Exam Time Management) है। खासतौर पर पिछले दस वर्षों के प्रश्न पत्र। यही बात नीट के एग्जाम में भी लागू होती है। यदि आप नीट एग्जाम को लेकर सीरियस हैं तो आप पिछले कम से कम 10 वर्षों के नीट प्रश्न पत्रों को उठा लीजिए और उनकी बारीकी को समझिए।

इसमें आप यह देखें कि उनमें किन विषयों पर कितना फोकस रखा गया है और उसमें भी किस तरह के प्रश्न पूछे जा रहे हैं। इससे आपको नीट एग्जाम को बेहतर तरीके से समझने में बहुत सहायता मिलेगी। यह आपको अपना टाइम टेबल बनाने और प्रायोरिटी सेट करने में बहुत मदद करेगा। यह नीट एग्जाम की तैयारी के लिए एक अच्छी टाइम मैनेजमेंट तकनीक है।

#7. मॉक टेस्ट देते रहें

आप किसी भी कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ रहे हो, वहाँ हर महीने समय-समय पर स्टूडेंट्स का मॉक टेस्ट लिया जाता रहता है। टॉप लेवल के कोचिंग संस्थान में तो मॉक टेस्ट के पेपर भी उसी लेवल के ही बनाए जाते हैं। वह इसलिए क्योंकि उन्हें बनाने के लिए एक्सपर्ट व एक्सपीरियंस फैकल्टी की जरुरत पड़ती है। वहीं छोटे लेवल के कोचिंग संस्थान उन टॉप लेवल के कोचिंग संस्थान की नकल करते हुए देखे जा सकते हैं।

ऐसे में यदि आप समय-समय पर अपना टेस्ट लेते रहते (NEET Exam Time Management) हैं और मॉक टेस्ट को रेगुलर देते रहते हैं तो यह आपका बहुत सा समय सेव कर रहा होता है। वह इसलिए क्योंकि यह आपको अपनी तैयारी का बेहतर तरीके से आंकलन करने और उसी तरीके से उसमें सुधार करने के बारे में बताता है।

#8. सही लाइफस्टाइल अपनाएं

एक अच्छा और हेल्दी लाइफ स्टाइल भी नीट की कोचिंग लेने और उसकी जमकर तैयारी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बहुत से स्टूडेंट्स इसमें चूक जाते हैं क्योंकि उनका फोकस केवल और केवल नीट की तैयारी करने में होता है और वे अपने शरीर पर ध्यान देना ही भूल जाते हैं। इसका प्रभाव यह होता है कि उन्हें चीजें ज्यादा समय तक याद नहीं रहती है या मन ख़राब होने लगता है।

इसलिए आपको हर दिन घर का बना भोजन करना चाहिए। फ़ास्ट फूड नहीं खाना चाहिए। समय पर भोजन करना चाहिए। जल्दबाजी में भोजन नहीं करना चाहिए। पर्याप्त पानी पीना चाहिए। आराम भी करना चाहिए। योग व ध्यान करना चाहिए। ब्रेक लेते रहना चाहिए। नींद पूरी लेनी चाहिए। कुछ ना कुछ मनोरंजन भी करते रहना चाहिए। इस तरह से आप एक अच्छा लाइफ स्टाइल अपना कर नीट की तैयारी को और मजबूत कर सकते हैं।

#9. स्मार्ट स्टडी करें

नीट की तैयारी में टाइम मैनेजमेंट करना है तो आपका फोकस स्मार्ट स्टडी पर होना चाहिए। स्मार्ट स्टडी का अर्थ हुआ, आप किस तरह से तैयारी कर रहे हैं, उसके लिए किन साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं और किसकी सलाह ले रहे हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि आज के समय में ऑनलाइन भी बहुत कुछ उपलब्ध है। जिस तरह से आप नीट की तैयारी के लिए टाइम मैनेजमेंट की तकनीक भी तो हमारे लिखे इस आर्टिकल से पढ़ रहे हैं।

इसी तरह आपको जहाँ से भी जरुरी जानकारी मिले, उसे ले लेना (NEET ke liye time table kaise banaye) चाहिए। चीज़ों को रटने की बजाए, उन्हें कुछ ज्यादा समय लगाकर समझने पर ध्यान देना चाहिए। क्लास में लेक्चर को सुनते समय अपना ध्यान भटकने नहीं देना चाहिए और कोई चीज़ समझ नहीं आती है तो उसे फिर से सुनना चाहिए या उसी समय पूछ लेना चाहिए। इस तरह से की गई स्टडी आपको बहुत आगे तक लेकर जाती है।

#10. छोटे-छोटे टारगेट बनाएं

कई बार यह देखने में आता है कि स्टूडेंट्स बड़ा लक्ष्य बना लेते हैं और उसे देखकर अक्सर नर्वस हो जाते हैं। ऐसे में आपको यह काम बिलकुल भी नहीं करना है। आप अपने बड़े लक्ष्य या टारगेट को छोटे-छोटे टारगेट में बाँट लें। जैसे कि आपको नीट के टेस्ट पेपर एक निश्चित समय सीमा में सोल्व करने का टारगेट रखना है तो आप उसे पहली बार में ही करने का प्रयास ना करें।

इसकी बजाए आप उसे धीरे-धीरे करके कम समय में लेकर जाएं। इसी तरह आप अपने सभी टारगेट को छोटे-छोटे टारगेट में बाँट सकते हैं और उन्हें पूरा करने पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। यह आपके लक्ष्यों को तेजी से पूरा करने में बहुत मदद करता है।

निष्कर्ष

आज आपने जाना कि नीट की तैयारी करने के लिए टाइम मैनेजमेंट कितना महत्वपूर्ण होता (NEET Time Management) है और इसके लिए किन-किन तकनीकों का सहारा लिया जा सकता है। टाइम मैनेजमेंट बहुत जरुरी है और जो स्टूडेंट इसको समय रहते समझ जाता है, वह बाकियों की तुलना में तेज गति से आगे निकल जाता है।

इसी के साथ ही सही कोचिंग संस्थान का चुनाव करना भी उतना ही जरुरी होता है। वह इसलिए क्योंकि गलत कोचिंग आपका पैसा और समय दोनों ही बर्बाद कर देती है। ऐसे में आपको भारत के टॉप कोचिंग संस्थान से ही नीट की कोचिंग लेनी चाहिए जैसे कि मैट्रिक्स अकैडमी सीकर या आकाश इंस्टीट्यूट दिल्ली।

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प्रश्न: नीट के लिए कितने घंटे पढ़ाई करनी पड़ती है?

उत्तर: यदि आप नीट एग्जाम को जल्द से जल्द और अच्छे अंकों के साथ पास करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको हर दिन 8 से 10 घंटे की पढ़ाई करनी होगी।

प्रश्न: घर पर रहकर नीट की तैयारी कैसे करें?

उत्तर: घर पर रहकर नीट की तैयारी हो तो सकती है लेकिन इसके साथ-साथ यदि आप एक अच्छे कोचिंग इंस्टीट्यूट से भी जुड़ जाएंगे तो सेलेक्ट होने की संभावना बहुत बढ़ जाएगी।

प्रश्न: नीट की तैयारी के लिए कितने महीने चाहिए?

उत्तर: नीट की तैयारी के लिए सामान्य तौर पर 12 महीने अर्थात एक वर्ष का समय चाहिए होता है। अब यह आप पर निर्भर करेगा कि आप इसमें कितना समय लेंगे।

प्रश्न: नीट के लिए कितने घंटे पढ़ाई करने की जरूरत है?

उत्तर: नीट के लिए हर दिन 8 से 10 घंटे पढ़ाई करने की जरूरत है। कुछ स्टूडेंट्स तो प्रतिदिन 12 से 13 घंटे की पढ़ाई भी करते हैं।

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JEE Time Management: हम में से बहुत से स्टूडेंट्स का सपना होता है कि वे आगे चलकर एक अच्छी नौकरी करें। अब अच्छी नौकरी करनी है तो उसके लिए अच्छे कॉलेज से पढ़ना होता है। अच्छे कॉलेज से पढ़ना है तो उसी तरह की तैयारी करनी होती है और उस कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए एग्जाम क्रैक करना होता है। अब एग्जाम क्रैक करना है तो उसके लिए अच्छे कोचिंग इंस्टीट्यूट से कोचिंग लेनी होती है।

यह सभी बातें तो हम सभी जानते ही हैं लेकिन अच्छी कोचिंग के साथ-साथ स्टूडेंट के लिए जो एक चीज़ सबसे ज्यादा जरुरी होती है, वह है टाइम मैनेजमेंट अर्थात समय प्रबंधन। अब यदि आप इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं और उसके लिए JEE की तैयारी कर रहे हैं तो आज हम इसी विषय पर ही बात करने वाले हैं।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे कि JEE की तैयारी करने के दौरान आप किन-किन तरीकों से टाइम मैनेजमेंट कर सकते (JEE Mains Time Management) हैं। चलिए शुरू करते हैं।

JEE के लिए टाइम मैनेजमेंट टिप्स

JEE एग्जाम की फुल फॉर्म जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन होती है जिसकी सहायता से आपका देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन होता (JEE Advanced Time Management) है। इसमें सबसे टॉप के कॉलेज IIT होते हैं और उसके बाद NIT आते हैं। ऐसे मे आपको टॉप लेवल के इंजीनियरिंग कॉलेज में और वो भी अपनी मनपसंद की इंजीनियरिंग फील्ड में एडमिशन लेना है तो टाइम मैनेजमेंट की तकनीक समझना बहुत ही जरुरी हो जाता है।

अब यह तकनीक कोई एक या दो स्टेप में नहीं होती (JEE Time Management) है बल्कि आपकी हर एक्टिविटी पर निर्भर करती है। ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि किन तरीकों या उपायों के तहत आप भी JEE की तैयारी करने के दौरान टाइम मैनेजमेंट कर सकते हैं।

#1. सिलेबस को गहराई से समझें

सबसे पहला काम जो आपको करना है वह है अपने JEE के सिलेबस को अच्छे से समझना। अब सिलेबस का मतलब यह नहीं कि आप उसे पूरा पढ़ने बैठ जाएं। आपको यह देखना है कि JEE के एग्जाम में किस-किस टॉपिक से प्रश्न पूछे जाते हैं और उसमें किस टॉपिक का कितना महत्व होता है। साथ ही जिस वर्ष जो IIT एग्जाम कंडक्ट करवाने वाली है, उसका किस टॉपिक पर ज्यादा फोकस रहता है।

जिस स्टूडेंट को सिलेबस अच्छे से समझ में आ जाता है, उसके लिए टाइम मैनेजमेंट करना बहुत ही सरल हो जाता है। वह इसलिए क्योंकि उसे यह पता होता है कि उसे किस टॉपिक पर कितना टाइम देना है और किस पर कितना। इसलिए आपको यही काम सबसे पहले करना है और अपने सिलेबस को पूरी तरह से समझना है।

#2. सब्जेक्ट्स को टॉपिक्स में बांटें 

अब जब आपने JEE के सिलेबस को अच्छे से समझ लिया है तो आपको हरेक टॉपिक के बारे में अच्छे से जानकारी हो गई होगी। JEE में तीन तरह के सब्जेक्ट होते हैं जिनके नाम फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स हैं। अब इन तीन सब्जेक्ट्स में भी कई तरह के टॉपिक होते हैं। ऐसे में आपको अब अगला काम यह करना होगा कि आपको हर सब्जेक्ट के मिलते जुलते टॉपिक को केटेगरी अनुसार बाँट देना है।

ऐसा करने से एक तरह से आपका टाइम मैनेजमेंट ही हो रहा होगा। वह इसलिए क्योंकि यदि आप एक ही दिन में दो बिलकुल विपरीत टॉपिक को पढ़ते हैं तो इसमें ज्यादा समय लगता है तो वहीं दो एक जैसे टॉपिक को पढ़ने से आप अपना बहुत टाइम बचा सकते हैं। इसलिए आप हर टॉपिक के अनुसार केटेगरी बना लें और एक जैसे टॉपिक को एक साथ में रखें।

#3. अपना एक टाइमटेबल बनाएं

अब तक आपने सिलेबस को अच्छे से समझ लिया है और उन्हें उनके टॉपिक के अनुसार कुछ चुनिंदा केटेगरी में भी बाँट दिया है। अब आपको अगला काम करना है, उन सभी के अनुसार अपने हर दिन का एक फिक्स टाइमटेबल तय करना। अब आप यह देखें कि आपका JEE का एग्जाम कितने दिनों में है और उसके अनुसार आपके पास कितना समय शेष बचा है।

ऐसे में बचे हुए दिन के अनुसार आपके सिलेबस और उसमें केटेगरी के अनुसार विषयों का चुनाव करें। इससे आपको उन्हें प्रायोरिटी देने और उसी के अनुसार ही अपना टाइम टेबल सेट करने में बहुत सहायता मिलेगी। 

यह एक तरह से टाइम मैनेजमेंट की बहुत सही तकनीक है जो बहुत ही कम स्टूडेंट्स को पता होती है। वह इसलिए क्योंकि अधिकतर स्टूडेंट इसके बारे में सोचते नहीं हैं और कम महत्वपूर्ण विषयों पर पहले का समय व्यर्थ कर देते हैं और महत्वपूर्ण विषय को कम समय दे पाते हैं।

#4. डाउट वाली चीजें अलग से रखें

अब जब आप पढ़ने बैठेंगे या यूँ कहें कि JEE की तैयारी करने बैठेंगे तो अवश्य ही आपको रह-रह कर कई तरह के डाउट आएंगे। कभी किसी टॉपिक पर डाउट आ गया तो कभी कोई चीज़ ठीक से समझ नहीं आ रही होगी। कभी कोई प्रश्न सोल्व नहीं हो रहा होगा तो कभी कुछ और। ऐसे में स्टूडेंट क्या करते हैं कि वे उस चीज़ पर अटक कर रह जाते हैं या उसमें बहुत सा समय व्यर्थ कर देते हैं।

ऐसे में आपको यह गलती नहीं करनी है। यदि आप कहीं पर अटक जाते हैं तो उस पर कुछ मिनट के लिए ही ध्यान दें। यदि फिर भी वह सोल्व नहीं हो रही है तो उसे मार्क करके या कहीं और नोट डाउन करके रख लें। उसके बाद आप उससे आगे का पढ़ना शुरू कर दें।

इस तरह से दिन के अंत में आपके जो-जो भी डाउट थे, उन्हें फिर से देखें और सोल्व करें। कई बार क्या होता है कि किसी चीज़ में हमें उसी समय उत्तर नहीं मिलता है लेकिन कुछ समय बाद उसका आसानी से उत्तर मिल जाता है। यह भी एक परफेक्ट टाइम मैनेजमेंट तकनीक है।

#5. सही कोचिंग का चुनाव

जो स्टूडेंट्स जल्द से जल्द JEE का एग्जाम क्रैक करना चाहते हैं और यदि उन्हें लगता है कि वे केवल अपने दम पर ही इसे क्रैक कर लेंगे तो वे बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। वह इसलिए क्योंकि ऐसा करने वाले लाखों में से एक या दो स्टूडेंट ही होते हैं। अब यह आप ही तय कर लें कि क्या आप उन लाखों स्टूडेंट में से एक या दो स्टूडेंट हैं या नहीं।

इसलिए यदि आपको जल्द से जल्द JEE का एग्जाम क्रैक करना है और वह भी अच्छे नंबर के साथ तो उसके लिए सही JEE कोचिंग इंस्टीट्यूट का चुनाव किया जाना अत्यंत आवश्यक हो जाता (Top JEE Coaching in India) है। आज के समय में यदि हम देश के टॉप JEE कोचिंग संस्थान की बात करें तो उसमें सीकर की मैट्रिक्स अकैडमी का नाम सबसे पहले आता है। वह इसलिए क्योंकि वहाँ ना केवल टॉप लेवल की फैकल्टी पढ़ा रही है बल्कि JEE के लिए परफेक्ट स्टडी मटेरियल भी बनाया गया है।

इसके बाद कोटा का एलन इंस्टीट्यूट और दिल्ली का आकाश इंस्टीट्यूट आता है। सीकर की ही प्रिंस अकैडमी और कौटिल्य भी इसमें बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। ऐसे में आपको किसी अच्छे कोचिंग इंस्टीट्यूट से ही JEE की कोचिंग लेनी चाहिए ताकि आपकी तैयारी में कोई कमी ना रहे और वहाँ से आप टाइम मैनेजमेंट की और भी बेहतर तकनीक सीख सकें।

#6. रिवीजन भी है जरुरी

अब बहुत से स्टूडेंट JEE की तैयारी करते समय एक और गलती करते हैं और वह है समय के साथ-साथ पढ़े गए टॉपिक की रिवीजन नहीं करना। यदि आप भी उन स्टूडेंट्स में से एक हैं तो यह आपकी बहुत बड़ी गलती होगी। वह इसलिए क्योंकि आपने जिस टॉपिक को जितना टाइम लगाकर पढ़ा है और आप उसे अगले एक महीने तक फिर से नहीं पढ़ते हैं तो आपको फिर से उतना ही टाइम लगने वाला है।

ऐसे में आपकी पहले वाली सारी मेहनत बेकार चली जाएगी और समय व्यर्थ होगा वो अलग। इसलिए आप यह नियम बना लें कि आपने पूरे दिन में जो कुछ भी पढ़ा है, दिन के आखिर में एक या आधा घंटा उसकी रिवीजन करेंगे। इसी के साथ ही हर सप्ताह एक दिन पूरे सप्ताह का रिवीजन करेंगे। फिर अगले महीने में भी एक दिन पिछले महीने पढ़े गए सभी टॉपिक की एक बार रिवीजन करेंगे।

#7. सुबह जल्दी उठकर पढ़ें

स्टूडेंट्स के बीच आज के समय में यह चलन बना हुआ (JEE Advanced Time Management) है कि वे रात को देर तक पढ़ते हैं और सुबह देर से उठते हैं। अब पढ़ाई तो वे भी उतनी ही करते हैं लेकिन उसका पहले जैसा परिणाम नहीं मिलता है। हमारे बड़े-बुजुर्ग कहते थे कि सुबह के समय जल्दी उठना चाहिए और जल्दी सो जाना चाहिए। ऐसे में आपको सोचना चाहिए कि वे ऐसा क्यों कहते थे या इसके पीछे क्या तर्क होता था।

तो यहाँ हम आपको बता दें कि सुबह के समय वातावरण अधिक सकारात्मक होता है, सूर्य की किरणें शक्तिशाली होती है जो दिमाग को एकाग्र करने और बुद्धि का विकास करने में सहायक होती है। ऐसे में सुबह सूर्य की किरणों के साथ पढ़ने से ना केवल आपको चीज़े लंबे समय तक याद रहेगी बल्कि आपका शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहेगा।

#8. ब्रेक लेते रहें

अब आप सोचते हैं कि बिना आराम किए या बिना ब्रेक लिए लगातार पढ़ते रहेंगे तो इससे आप उन स्टूडेंट्स से आगे निकल जाएंगे जो आराम भी करते हैं या एंटरटेनमेंट के लिए कुछ समय निकालते हैं। तो यहाँ हम आपको बता दें कि आप बिलकुल भी सही नहीं कर रहे हैं या आपकी सोच गलत है। वह इसलिए क्योंकि लगातार पढ़ते रहने से दिमाग थक जाता है और वह चीज़ों को समझने में ज्यादा समय लगाता है।

इसलिए यदि आप पढ़ने के दौरान बीच-बीच में छोटे-छोटे ब्रेक लेते रहेंगे तो इससे आपकी सोचने-समझने की क्षमता बढ़ेगी। यह आपको तेज गति से पढ़ने में भी सहायता करेगी। इसी के साथ ही आपको योग व प्राणायाम करना भी शुरू कर देना चाहिए क्योंकि यह भी आपकी बुद्धि को तीक्ष्ण करने में बहुत सहायक सिद्ध होगा।

#9. मन ना भटकने दें

ऊपर हमने आपको कहा कि आपको JEE की तैयारी के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेते रहना चाहिए या कुछ ना कुछ एंटरटेनमेंट के साधन ढूंढ लेने चाहिए लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप पूरा समय उसी में ही लगे रहें या अपना ध्यान भटकने दें। इसके लिए आप एक निश्चित समय निर्धारित करें और वह भी ज्यादा नहीं होना चाहिए।

उदाहरण के तौर पर यदि आप एक दिन में 10 घंटे पढ़ाई कर रहे हैं तो आप एक घंटा आराम कर सकते हैं या एंटरटेनमेंट कर सकते हैं। साथ ही जिस समय आप JEE की तैयारी कर रहे हो, उस समय आपको अपना ध्यान इधर-उधर नहीं भटकने देना चाहिए। आप जब पढ़ रहे हैं तो पूरी तरह से उस पर ध्यान केंद्रित करें और फिर जब ब्रेक का समय हो, तभी बाकी चीजें देखें।

#10. टेस्ट लेते रहें

बेहतर टाइम मैनेजमेंट के लिए आपको समय-समय पर अपना टेस्ट भी लेते रहना चाहिए। उदाहरण के तौर पर आप अपने पिछले महीने की परफॉरमेंस का आंकलन करें और देखें कि इस महीने आप उसकी तुलना में क्या कर रहे हैं। यदि आपको कोई सुधार नहीं दिखता है या बहुत ही कम परिवर्तन दिखता है तो फिर आपको अपनी स्ट्रेटेजी को बदलने की जरुरत है।

इसलिए आपको समय-समय पर अपना टेस्ट लेते रहना (JEE Mains Time Management) चाहिए। यह आपको अपनी स्ट्रेटेजी को और बेहतर बनाने और आपकी JEE की तैयारी को और अधिक मजबूत करने का ही काम करेगी।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस आर्टिकल में आपने JEE की तैयारी करने के लिए उचित समय प्रबंधन या टाइम मैनेजमेंट की तकनीक के बारे में पूरी जानकारी ले ली (JEE Time Management) है। आखिर में एक बात हम आपको फिर से बताना चाहेंगे कि यदि आप JEE का एग्जाम देने को लेकर सीरियस हैं और इसे अच्छे स्कोर के साथ क्रैक करना चाहते हैं तो टाइम मैनेजमेंट के साथ-साथ एक अच्छा कोचिंग इंस्टीट्यूट इसमें आपकी बहुत मदद कर सकता है।

इसके लिए सीकर की मैट्रिक्स अकैडमी बहुत ही सही अकैडमी (Top JEE Coaching in India) है। वह इसलिए क्योंकि यहाँ स्टूडेंट्स के लिए डाउट सेंटर बनाए गए हैं जहाँ स्टूडेंट्स किसी भी समय जाकर अपने डाउट क्लियर कर सकते हैं। अब यदि समय रहते स्टूडेंट्स के डाउट क्लियर हो रहे हैं तो इससे उनका बहुत समय बच जाता है। इसके बाद के कुछ इंस्टीट्यूट के नाम प्रिंस अकैडमी, एलन, आकाश व रेजोनेंस हैं।

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प्रश्न: जेईई मेन की तैयारी के लिए कितने महीने चाहिए?

उत्तर: जेईई मेन की तैयारी के लिए 4 से 8 महीने चाहिए। यदि आप मैट्रिक्स सीकर जैसे नंबर एक इंस्टिट्यूट से इसकी कोचिंग लेते हैं तो आपको इतने समय में पूरी तैयारी करवा दी जाएगी।

प्रश्न: क्या जेईई मेन के लिए 75% आवश्यक है?

उत्तर: जेईई मेन के लिए 75% अंक लाना पर्याप्त है। फिर जब आपको जेईई एडवांस देना होगा तो उससे पहले आपको जेईई मेन के एग्जाम को पास करना होगा।

प्रश्न: जेईई की तैयारी के लिए कितने महीने चाहिए?

उत्तर: जेईई की तैयारी के लिए सामान्य तौर पर 6 महीने से लेकर एक वर्ष का समय पर्याप्त होता है। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप कितनी जल्दी चीज़ों को समझ पाते हैं।

प्रश्न: जी टॉपर्स कितने घंटे सोते हैं?

उत्तर: जी टॉपर्स सामान्य तौर पर 7 से 8 घंटे सोते हैं। यह आदर्श दिनचर्या और बेहतर स्टडी के लिए आवश्यक भी है।

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एलन या गुरुकृपा में से कौन बेहतर है? जाने आपको कहाँ पढ़ना चाहिए

Allen Or Gurukripa Sikar: आप सभी ने एलन इंस्टीट्यूट का नाम तो सुन ही रखा होगा। अब जो कोई भी JEE और NEET की तैयारी करने जा रहा है या कर रहा है, उसमें से हर किसी ने एलन इंस्टीट्यूट का नाम सुन रखा होगा। हालाँकि एलन के जिस इंस्टीट्यूट का नाम देशभर में प्रसिद्ध है और जहाँ से यह JEE और NEET की कोचिंग देने का ब्रांड बना है वह कोटा शहर का एलन इंस्टीट्यूट है।

अब एलन कोटा का नाम ऐसा चला कि आज के समय में एलन ने देश के कई राज्यों के सैकड़ों शहरों में अपने नाम के इंस्टीट्यूट खोल रखे हैं जिनमें से उनका एक प्रसिद्ध इंस्टीट्यूट सीकर शहर का भी (Gurukripa vs Allen) है। सीकर शहर में एलन के अलावा और भी कई ऐसे इंस्टीट्यूट हैं जो बहुत फेमस हैं जिसमें से एक नाम गुरुकृपा का भी है। गुरुकृपा को शोर्ट फॉर्म में GCI भी कहते हैं जिसकी फुल फॉर्म गुरुकृपा करियर इंस्टीट्यूट है।

अब जो छात्र सीकर शहर से JEE और NEET की कोचिंग ले रहे हैं या लेने की सोच रहे हैं वे अक्सर गुरुकृपा और एलन में से कौन सा बेहतर है, इसको लेकर शंका में रहते (Gurukripa Or Allen Sikar) हैं। ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ एलन या गुरुकृपा में से कौन अच्छा है, इसी के बारे में ही बात करने जा रहे हैं।

गुरुकृपा और एलन में से कौन सा बेहतर है?

आपने अवश्य ही एलन का नाम सुन रखा होगा और आप यह भी सोचते होंगे कि यदि हम JEE और NEET की कोचिंग ले रहे हैं तो उसमें एलन एक बहुत बड़ा नाम है। किन्तु आप यह मत सोचिए कि इसमें एलन ही सबसे ऊपर है या एलन की टक्कर में कोई और इंस्टीट्यूट ही नहीं है।

वहीं जब बात शहरों के सबसे फेमस कोचिंग सेंटर की आ जाती है तो कई बार यह देखने में आता है कि उस शहर में कई ऐसे कोचिंग सेंटर भी हैं जहाँ पर एलन से बढ़िया कोचिंग दी जा रही (Which is best Allen or Gurukripa) है।

ऐसा ही कुछ सीकर शहर के साथ भी है क्योंकि कोटा के बाद जिस शहर का नाम JEE और NEET की कोचिंग देने में सबसे ज्यादा लिया जाता है, वह राजस्थान का सीकर शहर ही है। अब सीकर शहर में एलन तो है ही लेकिन इसके अलावा गुरुकृपा सहित कई अन्य इंस्टीट्यूट भी हैं जहां पर JEE और NEET की कोचिंग देने का काम किया जाता है।

ऐसे में सीकर शहर में एलन ज्यादा बढ़िया कोचिंग देता है या फिर गुरुकृपा, यह एक बड़ा प्रश्न (Allen Or Gurukripa Sikar) है। इसी के साथ ही क्या यही दोनों इंस्टीट्यूट ही सीकर शहर में JEE और NEET की कोचिंग देने में टॉप पर हैं, यह एक दूसरा प्रश्न है। ऐसे में हम आपके एक एक प्रश्न का जवाब देंगे ताकि आपके मन की हरेक शंका पर पूर्ण विराम लग सके।

एलन और गुरुकृपा सीकर में से JEE की कोचिंग कहाँ है बेहतर?

सबसे पहले हम बात करते हैं JEE के बारे में क्योंकि छात्र इसी की कोचिंग ज्यादा संख्या में लेते हैं। अब यदि सीकर शहर में या किसी अन्य शहर में भी JEE और NEET की तैयारी करने के लिए 100 छात्र आ रहे हैं तो उसमें से 70 से 80 प्रतिशत छात्र JEE की कोचिंग लेने आते हैं तो बाकी के NEET की कोचिंग लेने के लिए। इसलिए हम पहले दोनों ही इंस्टीट्यूट को JEE की कोचिंग देने में compare करेंगे।

ऐसे में सीकर शहर में JEE की कोचिंग देने की बात आती है और उसके लिए एलन और गुरुकृपा के बीच में देखा जाए तो अवश्य ही एलन का नाम गुरुकृपा से बहुत ऊपर आता है। JEE की कोचिंग देने के लिए एलन में जो फैकल्टी और ट्रेड मार्क सेट किया गया है, गुरुकृपा अभी तक उसके आसपास भी नहीं है। वह इसलिए क्योंकि एलन की फैकल्टी का एक्सपीरियंस और उनके पढ़ाने का तरीका गुरुकृपा से बहुत ज्यादा बेहतर है।

इसी के साथ ही यदि हम स्टूडेंट्स के एग्जाम रिजल्ट की बात करें तो उसमें भी एलन में JEE की कोचिंग ले रहे स्टूडेंट्स का रेश्यो गुरुकृपा से बहुत ज्यादा है। साथ ही यह हर वर्ष बढ़ता ही जा रहा है। हालाँकि यह एक अलग बात है कि एलन के द्वारा JEE में चयनित हुए बच्चों की लिस्ट सीकर शहर की अलग से नहीं बल्कि उनके सभी इंस्टीट्यूट में पढ़ रहे छात्रों की एक साथ जारी की जाती (Which is best Allen or Gurukripa) है। फिर भी एलन सीकर में पढ़ रहे बच्चों का रिजल्ट गुरुकृपा से बहुत ज्यादा ऊपर है।

JEE कोचिंग में एलन है सीकर के टॉप 5 इंस्टीट्यूट में

अब यदि हम सीकर शहर के टॉप 5 JEE कोचिंग सेंटर की बात करेंगे तो उसमें एलन का स्थान दूसरे नंबर पर आता है। वहीं गुरुकृपा का नाम टॉप 5 में भी नहीं है। तो आप सोच रहे होंगे कि JEE की कोचिंग देने में गुरुकृपा इंस्टीट्यूट का नाम कौन से स्थान पर है तो वह है छठा स्थान। तो इस तरह से सीकर शहर में गुरुकृपा इंस्टीट्यूट JEE की कोचिंग देने में छठे स्थान पर है तो वहीं एलन का स्थान दूसरे नंबर पर है।

ऐसे में जो इंस्टीट्यूट सीकर शहर में JEE की कोचिंग देने में पहले स्थान पर आता है उसका नाम मैट्रिक्स अकैडमी है। इस तरह से हम मैट्रिक्स इंस्टीट्यूट को सीकर शहर की टॉप लेवल की JEE अकैडमी कह सकते हैं। इसका कारण यह है कि मैट्रिक्स अकैडमी में JEE की तैयारी जिस लेवल की दी जा रही है, वह अद्भुत है।

इसका परिणाम मैट्रिक्स के स्टूडेंट्स का JEE एग्जाम में लगातार सेलेक्ट होना ही नहीं है बल्कि सीकर शहर में टॉप रैंक लाना भी है। इस कारण मैट्रिक्स इस स्थान में पहले नंबर है तो वहीं एलन दूसरे नंबर पर।

एलन और गुरुकृपा सीकर में से NEET की कोचिंग कहाँ है बेहतर?

अब बात करते हैं NEET एग्जाम की। NEET की कोचिंग JEE की तुलना में कम स्टूडेंट्स लेते हैं और इसका एक कारण है NEET एग्जाम का बहुत ज्यादा मुश्किल होना। साथ ही प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की फीस भी बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में अगर स्टूडेंट NEET एग्जाम को अच्छे स्कोर के साथ क्रैक नहीं कर पाता है तो उसे सरकारी मेडिकल कॉलेज नहीं मिल पाता है।

फिर उसे प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की भारी भरकम फीस देकर डॉक्टर की पढ़ाई करनी पड़ती है या फिर NEET एग्जाम की फिर से तैयारी करनी पड़ती है। ऐसे में अगर आपको NEET एग्जाम को जल्द से जल्द और अच्छे स्कोर के साथ क्रैक करना है तो उसके लिए आपको टॉप लेवल के इंस्टीट्यूट से पढ़ना (Gurukripa vs Allen) होगा।

तो अगर हम गुरुकृपा और एलन के बीच NEET की कोचिंग देने की तुलना करेंगे तो पाएंगे कि गुरुकृपा इसमें बाजी मार जाता है। सीकर शहर में गुरुकृपा इंस्टीट्यूट नीट की बेहतर कोचिंग देता है और दूसरे नंबर पर आता है जबकि एलन का नाम तीसरे नंबर पर है।

गुरुकृपा और एलन दोनों ही NEET कोचिंग में हैं पहले 5 इंस्टीट्यूट में

ऐसे में गुरुकृपा और एलन दोनों ही सीकर शहर में नीट की बेहतर कोचिंग दे रहे हैं। कुछ वर्षों पहले तक गुरुकृपा की रैंक नंबर एक थी। एक तरह से सीकर शहर में NEET की कोचिंग देने में गुरुकृपा इंस्टीट्यूट का दबदबा था और उसके बाद एलन का नंबर आता (Gurukripa Or Allen Sikar) था।

हालाँकि जब से मैट्रिक्स अकैडमी ने अपने यहाँ NEET की कोचिंग देनी शुरू की है और उसके बाद वहाँ के स्टूडेंट्स ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है। उसे देखते हुए गुरुकृपा और एलन एक-एक रैंक नीचे खिसक कर क्रमशः दूसरे और तीसरे रैंक पर आ गए हैं और मैट्रिक्स अकैडमी इसमें भी नंबर एक अकैडमी बन गई है। ऐसे में आप अपनी सुविधा अनुसार तीनों में से किसी भी इंस्टीट्यूट से NEET की कोचिंग ले सकते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल को पढ़कर आपको यह तो पता चल ही गया होगा कि JEE और NEET की कोचिंग देने में गुरुकृपा और एलन में से कौन सा बेहतर (Allen Or Gurukripa Sikar) है। अब हम ओवरऑल किसी एक को बेहतर नहीं कह सकते हैं क्योंकि JEE की कोचिंग देने में एलन गुरुकृपा से बेहतर है तो वहीं NEET की कोचिंग देने में गुरुकृपा एलन से।

हालाँकि अगर हम ओवरऑल JEE और NEET की कोचिंग देने की बात करें तो उसमें एलन और गुरुकृपा से भी ऊपर नंबर मैट्रिक्स अकैडमी का आता है। मैट्रिक्स अकैडमी पिछले कई वर्षों से नंबर एक पोजीशन पर बनी हुई है। इसका कारण है वहाँ के स्टूडेंट्स का सीकर शहर में टॉप रैंक लाना और स्टूडेंट्स के रेश्यो के हिसाब से भी सबसे बेहतर प्रदर्शन करना।

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प्रश्न: सीकर में सबसे अच्छी कोचिंग कौन सी है?

उत्तर: सीकर में सबसे अच्छी कोचिंग में मैट्रिक्स अकैडमी का नाम अहले नंबर पर आता है उसके बाद एलन, गुरुकृपा,प्रिंस, कौटिल्य इत्यादि का नाम लिया जाता है

प्रश्न: क्या सीकर नीट के लिए अच्छा है?

उत्तर: आज के समय में सीकर शहर नीट की कोचिंग लेने के लिए सबसे बेस्ट शहर माना जाता है जिसनें कोटा को भी पीछे छोड़ दिया है

प्रश्न: सीकर में नीट के लिए कौन सी कोचिंग सबसे अच्छी है?

उत्तर: सीकर में नीट के लिए मैट्रिक्स की कोचिंग सबसे अच्छी है इसके बाद एलन इंस्टिट्यूट की कोचिंग अच्छी मानी जाती है

प्रश्न: सीकर में नीट के लिए कौन सी कोचिंग रैंक 1 है?

उत्तर: सीकर में नीट के लिए मैट्रिक्स अकैडमी की कोचिंग रैंक 1 है

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कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जॉब्स – जाने 15 तरह के करियर ऑप्शन के बारे में

Computer Science Engineering Jobs: अगर हम आज के समय की बात करें तो कंप्यूटर साइंस एक ऐसा करियर ऑप्शन है जिसमें सबसे ज्यादा और तेजी से विकसित होने वाले जॉब ऑप्शन हैं। अब हर चीज़ ऑनलाइन या यूँ कहें कि डिजिटल होती जा रही है। हम हर चीज़ अपने कंप्यूटर या मोबाइल के जरिए करने लगे हैं। फिर चाहे वह किसी ऐप के जरिए हो या सॉफ्टवेयर या वेबसाइट के जरिए।

ऐसे में इन सभी को हैंडल करने या बनाने के लिए कंप्यूटर साइंस की डिग्री लिए हुए इंजीनियर की ही जरुरत पड़ती है। यही कारण है कि बहुत से स्टूडेंट्स कंप्यूटर साइंस में ही अपना करियर बनाने में लगे हुए हैं। हालाँकि इसमें एक तरह का करियर ऑप्शन नहीं होता (Computer science me kya scope hai) है बल्कि कई तरह की टेक्नोलॉजी या प्लेटफॉर्म में करियर बनाने का मौका मिलता है।

ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम आपके साथ इसी बात पर ही चर्चा करने वाले (Computer Science Career Options) हैं। इस लेख में हम एक-एक करके आपको सभी महत्वपूर्ण और टॉप करियर ऑप्शन बताएँगे जो आप कंप्यूटर साइंस के जरिए कर सकते हैं। चलिए शुरू करते हैं।

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जॉब्स

कंप्यूटर साइंस का मतलब हुआ कंप्यूटर में महारत हासिल करना। फिर चाहे वह सॉफ्टवेयर की फील्ड में हो या हार्डवेयर की। अब इसमें भी अलग-अलग तरह की टेक्नोलॉजी होती है। जैसे कि जावा, डिजाईन, एंगुलर, AI इत्यादि। साथ ही देश में कई तरह के इंजीनियरिंग कॉलेज हैं जो कंप्यूटर साइंस में पढ़ाने और डिग्री देने का काम करते हैं। इसमें से IIT और NIT को टॉप लेवल का कॉलेज माना जाता है।

अगर आपको देश के इन टॉप कॉलेज में एडमिशन लेना है तो उसके लिए आपको JEE एग्जाम की तैयारी करनी होती है। इसके लिए आपको इन एग्जाम में अच्छा स्कोर लेना होता (Computer Science Me Career Options) है जिसमें आपकी मदद देश के टॉप JEE कोचिंग इंस्टीट्यूट करते हैं। कुछ टॉप कोचिंग इंस्टीट्यूट के नाम मैट्रिक्स सीकर, एलन कोटा, आकाश दिल्ली है। यहाँ से पढ़कर आपको JEE एग्जाम अच्छे स्कोर से क्रैक करने में बहुत मदद मिलती है।

इसके बाद आप आसानी से अच्छे सैलरी पैकेज पर देश और दुनिया की टॉप कंपनियों में अपना करियर बना सकते हैं। तो आइए जाने आप किस-किस फील्ड में कंप्यूटर साइंस के अंतर्गत जॉब (Computer Science Engineering Jobs) ले सकते हैं और अपने करियर को एक नई उड़ान दे सकते हैं।

#1. वेब डेवलपर

कंप्यूटर साइंस में जिस करियर ऑप्शन की सबसे पहले बात की जाती है वह है वेब डेवलपर की। इसमें विभिन्न तरह की वेबसाइट या ऐप को डिजाईन किया जाता है और उन्हें तरह-तरह की कोडिंग लैंग्वेज के तहत एक सुंदर रूप दिया जाता है। अब यह लैंग्वेज भी तरह-तरह की होती है। उदाहरण के तौर पर HTML, CSS, JavaScript, React, Angular इत्यादि।

ऐसे में आप इनमें से किसी भी एक या दो लैंग्वेज को चुन सकते हैं और उसमें महारत हासिल कर सकते हैं। उसके बाद आप कंप्यूटर साइंस के तहत किसी भी बड़ी कंपनी में वेब डेवलपर के तहत जॉब पा सकते हैं। इसमें आपको आगे बढ़ने के कई मौके मिलेंगे।

#2. डाटा साइंटिस्ट

आज के समय में डाटा की बहुत ज्यादा डिमांड है। चाहे कोई बड़ी कंपनी हो या छोटी कंपनी, हर कोई अपनी पॉलिसी का निर्माण डाटा को आधार बनाकर ही कर रहा है। कहने का मतलब यह हुआ कि हर कंपनी के द्वारा कस्टमर की एक्टिविटी को ध्यान में रखकर ही निर्णय लिए जा रहे हैं।

ऐसे में डाटा साइंटिस्ट की भूमिका बहुत अहम हो जाती है। इसके लिए आपके अंदर जिन-जिन स्किल्स का होना जरुरी है उनमें से कुछ स्किल्स के नाम Python, SQL, Machine Learning, Statistics हैं। ऐसे में आप डाटा साइंटिस्ट के रूप में कंप्यूटर साइंस के अंतर्गत अपना करियर बना सकते हैं।

#3. डाटा एडमिनिस्ट्रेटर

डाटा साइंटिस्ट की तरह ही कंप्यूटर साइंस में डाटा एडमिनिस्ट्रेटर की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है। ये डाटा टूल्स को मैनेज करने का काम करते हैं। एक तरह से डाटा को किस तरीके से इस्तेमाल किया जाता है और कहाँ इस्तेमाल किया जाता है, यह देखने का जिम्मा इन्हीं डाटा एडमिनिस्ट्रेटर के पास ही होता है।

इसमें तरह-तरह के टूल्स के जरिए डाटा को नियंत्रित करना और उनकी रिपोर्ट्स बनाकर देना शामिल होता है। जैसे कि आप माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल या गूगल स्प्रेडशीट का इस्तेमाल कर सकते हैं और उसमें तरह-तरह की कोडिंग के तहत डाटा को मैनेज कर सकते हैं।

#4. सॉफ्टवेयर इंजीनियर

कंप्यूटर साइंस में डिग्री लेने के बाद जिस फील्ड में सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स को जॉब दी जाती है, वह सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के तहत ही दी जाती है। इसमें भी जूनियर, असिस्टेंट, सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तहत जॉब दी जाती है। शुरू में तो आप जूनियर के तहत ही नौकरी पर लगते हैं लेकिन अगर आपने बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में डिग्री ली है तो आप सीधे सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तहत भी काम कर सकते हैं।

इसमें आपको एंगुलर, जावा, एंड्राइड इत्यादि के तहत कोडिंग करने का काम दिया जाता है। वहीं अलग-अलग प्लेटफॉर्म की अलग-अलग लैंग्वेज में भी काम करने के मौके मिलते रहते हैं। इसलिए आपको शुरुआत में किसी काम को ना नहीं कहना चाहिए।

#5. सॉफ्टवेयर टेस्टर

जब भी किसी ऐप या सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जाता है तो उसकी तरह-तरह की टेस्टिंग की जाती है। एक तरह से कोई भी कंपनी अपना प्रोडक्ट लॉन्च करने से पहले उसकी हर तरीके से जांच करवाना चाहती है और उसके बाद ही उसे यूजर या क्लाइंट के सामने दिखाती है।

ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि फाइनल लॉन्च से पहले उसमें यह देख लिया जाए कि उसमें किसी तरह की कोई कमी ना रह जाए। अब यह जांचने का काम टेस्टर का होता है जो अलग-अलग डिवाइस पर उसकी हर तरीके से टेस्टिंग करता है। फिर जो जो कमी रह गई है, वह उन्हें नोट डाउन करके डेवलपर को भेज देता है।

#6. साइबर सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट

जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी विकसित हो रही है, वैसे-वैसे ही उसकी सुरक्षा करने के मापदंड भी बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में किसी भी कंपनी को अपने यहाँ साइबर सिक्योरिटी को हैंडल करने के लिए लोग रखने होते हैं। उन्हें किसी भी तरह के वायरस, अटैक या मैलवेयर से कंपनी के सिस्टम को बचाकर रखना होता है।

अब यह काम साइबर सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट के द्वारा ही किया जाता है। वे यह सुनिश्चित करने का काम करते हैं कि कंपनी की कोई भी जानकारी लीक ना होने पाए या डाटा किसी और के हाथ ना लग जाए।

#7. एथिकल हैकर

बहुत से लोग हैकिंग या हैकर का नाम सुनकर यह सोचते हैं कि वे गलत काम ही करते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। कंप्यूटर साइंस में एक करियर ऑप्शन ये भी है लेकिन एथिकल हैकिंग के रूप में। यह एक तरह से साइबर सिक्योरिटी से मिलती जुलती ही फील्ड है लेकिन थोड़ी अलग।

इस तरह की जॉब में आपको किसी और कंपनी का सिस्टम हैक नहीं करना होता है बल्कि उसे दूसरे हैकर से बचाना होता है। अब आप सुनते होंगे कि फलाना देश के किसी हैकर ने अपने देश की कंपनी पर अटैक किया है और उसके सिस्टम को हैक कर लिया है। तो इसे ही बचाने का काम एथिकल हैकर करते हैं।

#8. मशीन लर्निंग इंजीनियर

अब बारी आती है मशीन को सिखाने वाले या उसे समझने वाले इंजीनियर की। आज के समय में अधिकतर काम मशीन की सहायता से ही किया जा रहा है। अब उस मशीन को इंस्ट्रक्शन देने या उसे समझने के लिए भी तो लोग चाहिए होंगे ना।

इसके तहत आपको कई तरह की स्किल्स में महारत हासिल करने की जरुरत होती है। उदाहरण के तौर पर कुछ स्किल्स के नाम Deep Learning, TensorFlow, PyTorch, Natural Language Processing हैं। इसके तहत आप मशीन लर्निंग इंजीनियर में अच्छा करियर बना सकते हैं।

#9. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंजीनियर

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या फिर AI का नाम आजकल बहुत चलन में है और आगे का दौर भी इसी AI का ही है। यह AI जितनी तेजी से विकसित हो रही है, उसे देखते हुए यह कहना बहुत मुश्किल है कि आगे यह क्या कुछ नहीं कर सकती है।

ऐसे में आज के समय में हरेक कंपनी में AI मॉडल पर काम करने वाले इंजीनियर की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है। यह एक तेजी से उभरती हुई करियर फील्ड है जिसमें आप बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसलिए यदि आप भविष्य को देखते हुए अपना करियर बनाने को इच्छुक हैं तो यह फील्ड आपके बहुत काम आने वाली है।

#10. UI/ UX डिज़ाइनर

यह एक तरह से ग्राफ़िक्स डिजाईन करने वाली फील्ड है। अब आप सोच रहे होंगे कि ग्राफ़िक्स डिजाईन का कंप्यूटर साइंस की फील्ड से क्या संबंध। तो आज आप यह जान लें कि ग्राफ़िक्स डिजाइनर का काम केवल सिंपल ग्राफ़िक्स बनाने का ही नहीं होता है बल्कि वेबसाइट में कोडिंग के तहत बनाए जाने वाले ग्राफ़िक्स भी आते हैं।

इनकी पोस्ट सिंपल ग्राफ़िक्स डिजाईन करने वालों से बहुत ऊपर होती है और उन्हें सैलरी भी ज्यादा मिलती है। ऐसे में आप UI डिज़ाइनर के तहत भी अपना करियर बना सकते हैं और इसमें एक अच्छी जॉब पा सकते हैं।

#11. हार्डवेयर इंजीनियर

कंप्यूटर साइंस में हार्डवेयर इंजीनियर का भी बहुत महत्व है। इसके तहत आपको कंप्यूटर के तरह-तरह के पार्ट्स की पूरी जानकारी होनी चाहिए। उसमें किस तरह के पार्ट का क्या काम होता है, उसमें किस-किस तरह की कमी देखी जा सकती है और उनमें किस तरह से सुधार किया जा सकता है, यह सब इसके अंतर्गत आता है।

एक तरह से कंप्यूटर में आ रही दिक्कत को ठीक करना और उसे काम करने वाली हालत में लाना ही हार्डवेयर इंजीनियर का काम होता है। सॉफ्टवेयर कंपनियों में यदि किसी इंजीनियर का कंप्यूटर ठीक से काम नहीं कर रहा है या उसमें कोई गड़बड़ी दिखने के संकेत मिलते हैं तो हार्डवेयर इंजीनियर को ही बुलाया जाता है।

#12. टेक्निकल राइटर

यह राइटिंग से जुड़ी फील्ड हो जाती है लेकिन इसके लिए सामान्य राइटर को नहीं लिया जाता है। कहने का मतलब यह हुआ कि आपको टेक्नोलॉजी से जुड़े किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस को समझने के लिए एक टेक्निकल डॉक्यूमेंट की जरुरत पड़ती है।

उस टेक्निकल डॉक्यूमेंट में सभी तरह की टर्म्स एंड कंडीशन दी गई होती है जो एक टेक्निकल राइटर ही लिख सकता है। ऐसे में इस तरह की फील्ड भी बहुत चलन में है जो लोगों को राइटिंग के साथ-साथ टेक्निकल में भी बेहतर एक्सपीरियंस देने का काम करती है।

#13. आईटी कंसलटेंट

हर कंपनी में कई तरह के आईटी कंसलटेंट को भी रखा जाता है जो उस कंपनी की पॉलिसी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। एक तरह से यह कंसलटेंट कई तरह की कंपनियों के लिए भी काम कर सकते हैं और उन्हें उनके द्वारा दी जा रही सर्विस के लिए समय-समय पर गाइड कर सकते हैं।

#14. प्रोजेक्ट मैनेजर

हर कंपनी में कई तरह के प्रोजेक्ट पर काम किया जाता है और हर प्रोजेक्ट को हैंडल करने के लिए एक मैनेजर की जरुरत पड़ती है। उस मैनेजर का काम प्रोजेक्ट के अंतर्गत काम कर रहे सभी टेक्निकल पर्सन को इंस्ट्रक्शन देना और प्रोजेक्ट का सही से क्रियानव्यन करवाना होता है।

#15. टेक्निकल टीचिंग

आप चाहें तो कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करके टीचिंग की फील्ड में भी जा सकते हैं। अब यहाँ टीचर बनने का अर्थ यह नहीं कि आप केवल कॉलेज या यूनिवर्सिटी में ही पढ़ा सकते हैं बल्कि हर बड़ी कंपनी में भी इसके लिए हायरिंग की जाती है। अब कोई भी कंपनी जब किसी फ्रेशर को अपने यहाँ रखती है तो उसे 2 से 3 महीने के लिए ट्रेनिंग देती है। अब यह ट्रेनिंग देने का काम ही टेक्निकल टीचिंग स्टाफ का होता है।

इस तरह से आज आपने कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जॉब्स के 15 तरह के ऑप्शन के बारे में पूरी जानकारी ले ली (Computer Science Career Options) है। इसके अलावा भी कई तरह की फील्ड होती है जिसमें आप अपना करियर बना सकते हैं। उदाहरण के तौर पर:

  • डिजिटल फोरेंसिक एक्सपर्ट
  • सिस्टम आर्किटेक्ट
  • क्वांटम कंप्यूटिंग रिसर्चर
  • कंप्यूटर विजन इंजीनियर
  • नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग स्पेशलिस्ट
  • VR/AR डेवलपर
  • DevOps इंजीनियर
  • आईओटी डेवलप
  • रोबोटिक्स इंजीनियर
  • गेम डेवलपर
  • ब्लॉकचेन डेवलपर
  • बिग डाटा इंजीनियर
  • क्लाउड आर्किटेक्ट
  • नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर
  • सिस्टम एनालिस्ट इत्यादि।

समय के साथ-साथ कंप्यूटर साइंस में और भी कई तरह के करियर ऑप्शन उभर कर सामने आते रहते हैं। ऐसे में आप हमेशा अपनी स्किल्स और इंटरेस्ट को पहचान कर ही आगे बढ़ें।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने जान लिया है कि कंप्यूटर साइंस में आप किस-किस फील्ड में अपना करियर (Computer Science Engineering Jobs) बना सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। हालाँकि हम आपको यह भी बता दें कि यदि आप वाकई में इसे लेकर सीरियस हैं तो इसके लिए आपको एक अच्छे कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने की जरुरत पड़ेगी। अब अच्छे कॉलेज में एडमिशन चाहिए तो उसके लिए टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से तैयारी करनी भी जरुरी होती है।

ऐसे में जब हमने जांच पड़ताल की तो पाया कि सीकर शहर की मैट्रिक्स अकैडमी इस लिस्ट में टॉप पर थी। मैट्रिक्स ने पिछले कुछ वर्षों से JEE में टॉप लेवल का रिजल्ट दिया है। इसके बाद एलन कोटा और आकाश दिल्ली का नाम आता है जिन्होंने JEE की अच्छी कोचिंग देने का काम किया है।

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प्रश्न: कंप्यूटर साइंस करने से कौन सी नौकरी मिलती है?

उत्तर: कंप्यूटर साइंस करने से कोडिंग या डेवलपमेंट की नौकरी मिलती है। इसमें आप डाटा, एंगुलर, एंड्राइड इत्यादि क्षेत्र में नौकरी कर सकते हैं।

प्रश्न: कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की सैलरी कितनी होती है?

उत्तर: कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की सैलरी शुरूआती तौर पर 20 हज़ार से 50 हज़ार के बीच में होती है जो आगे चलकर लाखों में हो जाती है

प्रश्न: कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जॉब क्या हैं?

उत्तर: कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जॉब में व्यक्ति को कई तरह की कोडिंग लैंग्वेज में काम करना होता है यह कोडिंग लैंग्वेज html, css, python, java इत्यादि कई तरह की हो सकती है

प्रश्न: कंप्यूटर साइंस लेने से क्या बन सकते हैं?

उत्तर: कंप्यूटर साइंस लेने से व्यक्ति इंजीनियर की डिग्री हासिल करता है इसके बाद वह कंपनी में सॉफ्टवेर इंजीनियर के तहत काम करता है

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नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए?

NEET me Kitne Marks Chahiye: बहुत से स्टूडेंट्स यह जानना चाहते हैं कि आखिरकार उन्हें नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए? अब इसके बारे में यदि आप इंटरनेट पर सर्च करते हैं तो हर वेबसाइट आपको गोल-गोल जवाब देती है या गलत जानकारी देती है। आप चाहे हिंदी भाषा की कोई वेबसाइट देख लें या फिर अंग्रेजी में, आपको कहीं से भी इसका सही से उत्तर नहीं मिलेगा।

यहाँ तक कि आपको नीट की आधिकारिक वेबसाइट पर भी इसके बारे में सही से जानकारी नहीं मिलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि नीट के तहत सरकारी कॉलेज में एडमिशन लेने का प्रोसेस बहुत ही पेचीदा और जटिल है। ऐसे में अधिकतर या यूँ कहें कि जो लोग इस फील्ड से नहीं गुजरे हैं, उन्हें इसके बारे में सही से नहीं पता होता है। हमने भी इंटरनेट पर इसके बारे में बहुत छानबीन की लेकिन ठीक से क्लेअरिटी नहीं मिली।

आखिर में जाकर हमने नीट में सेलेक्ट हो चुके स्टूडेंट्स और टॉप सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़ रहे स्टूडेंट्स से इस प्रोसेस को जाना। इसके बाद ही हम यह आर्टिकल लिख रहे हैं ताकि आप तक संपूर्ण जानकारी सही रूप में पहुंचे। इस आर्टिकल से हम आपके नीट में पास होने के लिए कितने नंबर चाहिए (NEET me Passing Marks Kitne Chahiye) से लेकर नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए, इत्यादि सभी डाउट क्लियर करने वाले हैं। चलिए शुरू करते हैं।

नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए?

तो जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि यह प्रक्रिया बहुत ही पेचीदा है और इसके तहत सरकारी कॉलेज में एडमिशन लेने की प्रक्रिया भी बहुत जटिल है। अब डॉक्टर की पढ़ाई करना और एक अच्छा डॉक्टर बनना कोई सरल काम थोड़ी ना है। ठीक वैसे ही नीट का एग्जाम क्लियर करना और फिर अच्छा सरकारी कॉलेज लेना कोई सरल काम कैसे हो सकता है।

इसके लिए हम आपको शुरू से लेकर अंत तक इस जटिल प्रक्रिया को विभिन्न भागों में समझाने का प्रयास करेंगे। तो इसमें मुख्य रूप से जो संस्थान भूमिका निभाते (NEET me Kitne Marks Chahiye) हैं, उनके नाम हैं:

  1. National Testing Agency (NTA) / राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी
  2. Medical Counselling Committee (MCC) / मेडिकल काउंसलिंग कमेटी
  3. State Medical Counselling Committees / राज्य मेडिकल काउंसलिंग कमेटी
  4. All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) / अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)
  5. अन्य केंद्रीय व राज्य सरकारी मेडिकल कॉलेज

तो यदि आपको नीट के तहत सरकारी कॉलेज में एडमिशन लेना है तो आपको ऊपर बताई गई इन पांच संस्थाओं का नीट के एग्जाम में क्या कुछ योगदान होता है, उसके बारे में समझना होगा। इसके बाद ही आप यह जान पाएंगे कि नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर (NEET Exam me Kitne Marks Chahiye) चाहिए। तो चलिए जानते हैं।

#1. National Testing Agency (NTA) / राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी

नीट एग्जाम में सबसे पहला और मुख्य रोल आता है NTA का जिसे हम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी भी कहते हैं। वह इसलिए क्योंकि नीट का एग्जाम यही कंडक्ट करवाती है। ऐसे में नीट का एग्जाम बनाना, उसके नंबर देना और स्टूडेंट्स को रैंक देना, इसी संस्थान के द्वारा किया जाता है। तो NTA का काम नीट का एग्जाम कंडक्ट करवाने से लेकर सभी स्टूडेंट्स को नीट के तहत उसके नंबर और रैंक देने तक ही सीमित होता है।

#2. Medical Counselling Committee (MCC) / मेडिकल काउंसलिंग कमेटी

अब सरकारी मेडिकल कॉलेज में दूसरा मुख्य भाग है एमसीसी का जो केंद्रीय स्तर पर मेडिकल काउंसलिंग कमेटी होती है। इसके तहत देशभर के बड़े से बड़े डॉक्टर और चयन करने वाला पैनल बैठता है। इनका काम स्टूडेंट्स को नीट में मिले नंबर और रैंक के आधार पर देशभर के सेंट्रल और स्टेट मेडिकल कॉलेज में उनका एडमिशन करवाने के लिए काउंसलिंग करने का होता है।

#3. State Medical Counselling Committees / राज्य मेडिकल काउंसलिंग कमेटी

अब एमसीसी तो केंद्रीय स्तर पर ही मुख्य भूमिका निभाता है क्योंकि स्टेट या राज्य के मेडिकल कॉलेज में राज्य की मेडिकल काउंसलिंग कमेटी का ज्यादा वर्चस्व होता है। ऐसे में हर राज्य की अपनी अलग एमसीसी होती है। उदाहरण के तौर पर हरियाणा की अलग एमसीसी होगी तो वहीं उड़ीसा की अलग। यह उसी राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स की नीट के स्कोर के तहत काउंसलिंग करते हैं।

#4. All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) / अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)

यह देश के टॉप लेवल के मेडिकल कॉलेज होते हैं। जिस प्रकार इंजीनियरिंग के लिए देश के टॉप कॉलेज IIT होते हैं तो उसी तरह मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए एम्स को टॉप कॉलेज की श्रेणी में रखा गया है। अभी देश में 20 एम्स है तो वहीं जल्द ही कुछ और एम्स को शुरू करने का काम चल रहा है। एम्स में सेंट्रल एमसीसी के जरिए ही एडमिशन लिया जा सकता है।

#5. अन्य केंद्रीय व राज्य सरकारी मेडिकल कॉलेज

मेडिकल कॉलेज में केवल एम्स ही नहीं आते हैं बल्कि अन्य केंद्रीय व राज्य स्तरीय कॉलेज भी आते हैं। अब अगर हम एम्स के अलावा अन्य केंद्रीय सरकारी मेडिकल कॉलेज की बात करें तो उसमें कुछ के नाम JIPMER, BHU, AMU इत्यादि हैं। वहीं राज्य स्तर पर कई तरह के मेडिकल कॉलेज होते हैं। केंद्रीय कॉलेज में केंद्रीय एमसीसी तो वहीं राज्य के कॉलेज में केंद्र और राज्य एमसीसी दोनों काउंसलिंग लेते हैं।

तो इस तरह से आपने नीट में सरकारी कॉलेज लेने के लिए प्रमुख संस्थाओं और उनकी कार्यप्रणाली के बारे में जान लिया है। इससे आपको यह तो पता चल गया होगा कि नीट का एग्जाम क्लियर करना और उसके तहत अच्छा सरकारी मेडिकल कॉलेज लेना कितना कठिन काम होता है। तो इसके लिए आपको कोचिंग भी टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से ही लेनी चाहिए।

तो कुछ प्रसिद्ध नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट के नाम मैट्रिक्स सीकर, आकाश दिल्ली, एलन कोटा है। यदि आप इन इंस्टीट्यूट से नीट की कोचिंग लेते हैं तो अवश्य ही आप जल्द से जल्द नीट का एग्जाम अच्छे स्कोर के साथ क्लियर कर पाएंगे। इसमें भी मैट्रिक्स अकैडमी ने तो पिछले कुछ वर्षों में ही नीट की कोचिंग देनी शुरू की है और देखते ही देखते पहले नंबर पर आ गई है।

अब बात करते हैं, नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए (NEET me Kitne Marks Chahiye), के बारे में। तो अब जब आपने सभी संस्थाओं के बारे में जान लिया है तो आइए इस रहस्य से भी पर्दा उठा लिया जाए। आइए जाने।

नीट में कितने नंबर पर सरकारी कॉलेज मिलेगा?

इसे हम चरण दर चरण समझाने का प्रयास करते हैं। चलिए शुरू करते हैं।

  1. सबसे पहले तो आपको नीट का फॉर्म भरना होगा। उसके तहत NTA आपका नीट एग्जाम कंडक्ट करवाएगा और आपको पूरी तैयारी के साथ वह देना होगा।
  2. अब NTA के द्वारा नीट का रिजल्ट निकाला जाएगा और उसके अनुसार आपको पासिंग मार्क्स, कट ऑफ नंबर व रैंक दी जाएगी।
  3. अब यह पासिंग मार्क्स तो सभी के एक समान होते हैं लेकिन एक स्टूडेंट को रैंक 4 तरह की दी जाती है।
  4. सबसे पहले रैंक उसकी All In India (AIQ) रैंक होती है तो वहीं दूसरी उसकी अपनी जाति के अनुसार AIQ होती है।
  5. तीसरी रैंक उसके राज्य के कुल स्टूडेंट्स के अनुसार रैंक होती है तो चौथी रैंक उसके राज्य में जाति के अनुसार उसकी रैंक होती है।
  6. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि सेंट्रल और स्टेट मेडिकल कॉलेज में राज्य और स्टूडेंट्स की जाति के अनुसार सीट्स आरक्षित होती है।
  7. अब जब आपको NTA के द्वारा नंबर और रैंक दे दी जाती है तो शुरू होता है MCC और स्टेट MCC का काम।
  8. MCC की ऑफिसियल वेबसाइट में आप काउंसलिंग के लिए आवेदन करते हैं तो साथ के साथ स्टेट की एमसीसी में भी आवेदन करना होता है।
  9. इसमें आपको अपनी प्रेफेरेंस और रैंक को ध्यान में रखकर सभी कॉलेज को क्रमानुसार भरना होता है। देशभर में लगभग 400 मेडिकल कॉलेज हैं। आप इसमें से सभी को या कुछ चुनिंदा को क्रमानुसार भर सकते हैं।
  10. अब जो सेंट्रल मेडिकल कॉलेज होते हैं, उसमें 100 प्रतिशत सीट्स पर काउंसलिंग सेंट्रल एमसीसी ही करती है और किसी भी राज्य का स्टूडेंट इसमें जा सकता है। हालाँकि सीट्स के लिए स्टूडेंट्स की जाति को अवश्य देखा जाता है।
  11. वहीं जो राज्य स्तर के मेडिकल कॉलेज हैं, उस पर 85 प्रतिशत सीट्स पर काउंसलिंग स्टेट एमसीसी करता है तो बाकी 15 प्रतिशत सीट्स पर सेंट्रल एमसीसी करता है।
  12. कहने का मतलब यह हुआ कि स्टेट के सभी मेडिकल कॉलेज पर उसी राज्य की काउंसलिंग कमेटी 85 परसेंट सीट्स पर स्टूडेंट्स को एडमिशन दिलवाती है तो बाकी 15 परसेंट पर सेंट्रल मेडिकल काउंसलिंग कमेटी।
  13. इसे आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि मध्य प्रदेश के किसी राज्य स्तर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में कुल 100 सीट है तो उसमें मध्य प्रदेश राज्य के ही 85 स्टूडेंट्स लिए जाएंगे जो स्टेट एमसीसी चुनेगी तो वहीं 15 स्टूडेंट्स मध्य प्रदेश सहित पूरे देश के किसी भी राज्य से हो सकते हैं जिन्हें सेंट्रल एमसीसी चुनती है।
  14. इसी कारण हर स्टूडेंट की राज्य स्तरीय कट ऑफ भी अलग निकलती है। वह इसलिए क्योंकि हर राज्य में नीट का एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स, उसमें पास होने वाले स्टूडेंट्स, वहाँ के मेडिकल कॉलेज में कुल खाली सीट इत्यादि अलग-अलग होती है।
  15. हर स्टूडेंट को अपनी रैंक और कट ऑफ मार्क्स के हिसाब से सरकारी मेडिकल कॉलेज मिलता है। ऐसे में सभी स्टूडेंट्स को बहुत ही ध्यान से काउंसलिंग में भाग लेना होता है और कॉलेज के क्रम चुनने होते हैं।

यह प्रक्रिया पेचीदा जरुर है क्योंकि इसमें केंद्र और राज्य स्तर पर मेडिकल कॉलेज का वर्गीकरण किया गया है। बहुत से स्टूडेंट्स इस प्रक्रिया को सही भी नहीं मानते हैं क्योंकि कुछ राज्यों में मेडिकल सीट पर बहुत ज्यादा कम्पटीशन देखने को मिलता (NEET Exam me Kitne Marks Chahiye) है तो कुछ में बहुत कम।

उदाहरण के तौर पर केरल राज्य में कम्पटीशन बहुत कम है तो वहीं राजस्थान में बहुत ज्यादा है। जहाँ कुछ राज्यों में जनरल श्रेणी के लिए नीट की कट ऑफ 640 नंबर से ऊपर चली जाती है तो कुछ राज्यों में यह 580 के आसपास रहती है। हालाँकि यदि आप जनरल श्रेणी में आते हैं तो आपको 600 से ऊपर नंबर और आरक्षित श्रेणी वालों को 550 से ऊपर नंबर स्कोर करने पर ध्यान देना चाहिए।

नीट में पास होने के लिए कितने नंबर चाहिए?

अब बात करते हैं नीट में पासिंग मार्क्स के बारे में (NEET me Passing Marks Kitne Chahiye)। अभी तक तो आपने जाना कि नीट में सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए या क्या कट ऑफ रहती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कट ऑफ से कम नंबर पाने वाले स्टूडेंट्स नीट एग्जाम में फेल हो जाते हैं। दरअसल नीट एक फार्मूला के तहत पासिंग मार्क्स भी निकालती है जिसे Minimum Qualifying Percentile कहा जाता है।

अभी तक आपने परसेंटेज के बारे में सुन रखा होगा लेकिन यह परसेंटाइल इससे अलग होती है। इसके लिए एक फार्मूला बनाया गया है, जो कि इस प्रकार है:

नीट में Minimum Qualifying Percentile = (आपके टोटल नंबर * 100) / टॉप करने वाले स्टूडेंट के मार्क्स

अब इसे एक उदाहरण से समझ लेते हैं। मान लीजिए कि नीट का एग्जाम 100 नंबर का होता है और उसमें आपके 45 नंबर आए हैं। इस हिसाब से आपके परसेंट तो 45 प्रतिशत बने लेकिन नीट में प्रतिशत कोई मायने नहीं रखते और इसके लिए परसेंटाइल ही मायने रखती है। तो ऊपर दिए गए फार्मूला के अनुसार हमें टॉप स्टूडेंट के मार्क्स जानने हैं। तो मान लीजिए जिस स्टूडेंट ने टॉप किया है, उसने नीट में 100 में से 90 नंबर लिए हैं। तो फार्मूला लगाकर देखते हैं।

(45 * 100) / 90 = 4500 / 90 = 50

तो इस तरह से आपने देखा कि आपके परसेंट तो 45 थे लेकिन टॉप स्कोर करने वाले स्टूडेंट के हिसाब से आपके परसेंटाइल 50 हो गए। अब यदि वह स्टूडेंट 100 में से 100 नंबर लेकर आता है तो आपके परसेंटाइल 45 होते। इसी तरह नीट में मिलने वाले पासिंग मार्क्स अर्थात परसेंटाइल टॉप स्टूडेंट के द्वारा स्कोर किए गए मार्क्स पर निर्भर करते हैं।

अब यह पासिंग मार्क्स भी जातियों के आधार पर होते हैं। जनरल कैटेगरी वाले स्टूडेंट्स को न्यूनतम 50 परसेंटाइल, जनरल विकलांग को 45 परसेंटाइल, अन्य सभी आरक्षित वर्ग व उसके तहत आने वाले विकलांगों को 40 परसेंटाइल लाने होते हैं।

इसलिए यदि आप जल्द से जल्द नीट में अपना सिलेक्शन करवाना चाहते हैं और वह भी अच्छे मार्क्स के साथ तो आपका टॉप लेवल के नीट कोचिंग सेंटर में पढ़ना बहुत जरुरी हो जाता है। मैट्रिक्स सीकर, आकाश दिल्ली, एलन कोटा जैसे इंस्टीट्यूट इस मामले में आपको सही गाइडेंस और स्टडी मटेरियल देते हैं। मैट्रिक्स में तो इसके लिए अलग से डाउट सेंटर भी बनाए गए हैं जहाँ स्टूडेंट्स किसी भी समय जाकर अपने डाउट क्लियर कर सकते हैं।

निष्कर्ष

उक्त लेख के माध्यम से आपने नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए (NEET me Kitne Marks Chahiye), के बारे में पूरी जानकारी ले ली है। यह प्रक्रिया पेचीदा अवश्य है लेकिन हमने आपको इस लेख में साफ़ व स्पष्ट शब्दों में समझाने का प्रयास किया है। यदि अभी भी आपको कोई शंका है या कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट कर हमसे पूछ सकते हैं।

Related FAQs

प्रश्न: अगर मुझे नीट में 550 अंक मिलते हैं तो क्या मुझे सरकारी कॉलेज मिल सकता है?

उत्तर: यदि आपको नीट में 550 अंक मिलते हैं तो आपको सरकारी कॉलेज मिल सकता है लेकिन यह पूर्ण रूप से उस समय निकाली गई कट ऑफ, आपके राज्य की मेडिकल सीट और आपके द्वारा काउंसलिंग के समय चुने गए कॉलेज की प्रेफेरेंस पर निर्भर करता है।

प्रश्न: Obc के लिए mbbs के लिए नीट में कितने अंक आवश्यक हैं?

उत्तर: Obc के लिए mbbs के लिए नीट में कम से कम 500 से अधिक अंक आवश्यक हैं। हालाँकि यह आंकड़ा हर राज्य के अनुसार बदल भी सकता है।

प्रश्न: नीट में कितने marks आने पर सरकारी कॉलेज मिलता है?

उत्तर: यदि आप सामान्य श्रेणी में आते हैं तो आपका ध्यान नीट में 620 से अधिक अंक लाने पर होना चाहिए, तभी जाकर आपको सरकारी कॉलेज मिलेगा।

प्रश्न: क्या नीट में 600 अंकों वाला सरकारी कॉलेज मिल सकता है?

उत्तर: नीट में 600 अंक एक अच्छा स्कोर है लेकिन आज के समय में कम्पटीशन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। ऐसे में आपका ध्यान 620 से अधिक अंक लेने पर होना चाहिए लेकिन यदि आप आरक्षित वर्ग से आते हैं तो 600 में काम चल जाएगा।

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