ऑनलाइन कोचिंग बेस्ट है या ऑफलाइन? आइए जाने

चाहे आप JEE की तैयारी कर रहे हो या NEET की, उसके लिए आपको कोचिंग (Online Coaching Vs Offline Coaching) की तो जरुरत पड़ेगी ही पड़ेगी। बिना कोचिंग के किसी स्टूडेंट की JEE और NEET के एग्जाम में अच्छी रैंक आ जाए, यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। ऐसे में चाहे स्टूडेंट कितना ही होशियार क्यों ना हो, उसे एक सही कोचिंग की जरुरत पड़ती ही है।

वह इसलिए क्योंकि कोचिंग से ही उसे एक्सपर्ट गाइडेंस, प्रॉपर नोट्स, लेटेस्ट अपडेट, बेहतर प्लानिंग इत्यादि चीज़ों में मदद मिलती है। ऐसी ही बहुत सी चीजें हैं जो स्टूडेंट्स को अच्छी रैंक लाने और टॉप कॉलेज लेने में मदद करती है। अब यहाँ सवाल कोचिंग का नहीं है बल्कि ऑनलाइन वर्सेज ऑफलाइन कोचिंग का (Online Coaching Best Hai Ya Offline) है।

जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ती जा रही है, ठीक उसी तरह ऑनलाइन कोचिंग भी तेजी से विकसित हो रही है। ऐसे में बहुत से स्टूडेंट्स अब ऑफलाइन की जगह ऑनलाइन कोचिंग भी लेने लगे हैं। अब स्टूडेंट्स को यह जानना होगा कि उनके लिए ऑफलाइन कोचिंग लेना ज्यादा फायदेमंद होता है या फिर ऑनलाइन कोचिंग में पढ़ना। आइए इसके बारे में विस्तार से बात कर लेते हैं।

ऑनलाइन कोचिंग बेस्ट है या ऑफलाइन?

सबसे पहले तो आप इस बात को नोट कर लीजिए कि कोई भी चीज़ ना तो पूरी तरह से अच्छी होती है और ना ही पूरी तरह से बुरी। हर चीज़ के अपने-अपने फायदे और नुकसान देखने को मिलते हैं। यही बात ऑनलाइन और ऑफलाइन कोचिंग पर भी लागू होती है। अब आप सोचेंगे कि अगर दोनों में ही फायदे और नुकसान हैं तो फिर आपके लिए क्या बेहतर रहेगा!!

इसका जवाब भी आपको इसी आर्टिकल में ही मिलेगा। दरअसल हर किसी के अपने फायदे और नुकसान तो होते हैं लेकिन आपके लिए कौन सा ज्यादा फायदेमंद है और कौन सा कितना नुकसानदायक है, यह पूर्ण रूप से आपकी स्थिति, रुचि, समझ, परिवार, फाइनेंशियल स्टेटस, लर्निंग पॉवर, इत्यादि कई चीज़ों पर निर्भर करता (Online Coaching Best Hai Ya Offline In Hindi) है।

ऐसे में हम इस आर्टिकल में स्टेप बाय स्टेप ऑनलाइन व ऑफलाइन कोचिंग के लगभग हर जरुरी फायदे और नुकसान के बारे में आपको बताएँगे। इससे आपको अपने लिए निर्णय लेने में कोई परेशानी नहीं होगी। चलिए शुरूआत करते हैं ऑनलाइन वर्सेज ऑफलाइन कोचिंग के बीच अंतर को जानने (Online Coaching Vs Offline Coaching) की।

ऑनलाइन कोचिंग के फायदे और नुकसान

जब से हम सभी ने वर्ष 2020 में कोरोना नामक महामारी को देखा है, तब से ही उसने पूरी दुनिया के लाइफ स्टाइल को बदल कर रख दिया है। इसमें एक बहुत बड़ा बदलाव है इंटरनेट में आई क्रांति का। पहले के समय की तुलना में हम अधिकतर काम ऑनलाइन ही करने लगे हैं और इसने हमारा घर से निकलना भी बहुत कम कर दिया है।

सबसे बड़ा बदलाव तो स्टूडेंट्स की लाइफ में आया है क्योंकि उनके लिए सारा स्टडी मटेरियल ऑनलाइन उपलब्ध होता है। वे जिस भी कोचिंग इंस्टीट्यूट से JEE और NEET की तैयारी कर रहे होते हैं, उन्होंने अपने सभी लेक्चर, स्टडी मटेरियल इत्यादि को ऑनलाइन अपलोड किया हुआ होता है।

यहाँ तक कि कई कोचिंग इंस्टीट्यूट तो ऑनलाइन ही स्टूडेंट्स को पढ़ाने का काम करते हैं। ऐसे में आइए जाने ऑनलाइन कोचिंग के फायदे और नुकसान के बारे (Online Coaching Best Hai Ya Offline) में।

ऑनलाइन कोचिंग के फायदे

  • ऑनलाइन कोचिंग का सबसे बड़ा जो फायदा होता है वह है समय की पाबंदी का ना होना। कहने का मतलब यह हुआ कि अगर आप ऑनलाइन क्लासेज लेते हैं तो इसमें आप लेक्चर को कभी भी देख सकते हैं। ऐसे में आप दिन के किसी भी समय क्लास ले सकते हैं।
  • दूसरा फायदा यह मिलता है कि आप अच्छे से रिवीजन भी कर पाते हैं। वह इसलिए क्योंकि ऑनलाइन क्लास की वीडियो को आप किसी भी समय और कितनी भी बार देख सकते हैं। इससे आपको समझने में आसानी होगी।
  • ऑनलाइन कोचिंग में आपको तरह-तरह का मटेरियल ऑनलाइन मिलता है जिससे आपके पास पढ़ने के लिए कई तरह की वैराइटी आ जाती है।
  • इनमें आपको कई तरह के वीडियो लेक्चर, वो भी अलग अलग टीचर के, ई बुक्स, नोट्स इत्यादि कई तरह की अध्ययन सामग्री मिलती है।
  • ऑनलाइन क्लासेज को लगाने में आपको पैसे भी कम देने पड़ते हैं क्योंकि इसमें कोचिंग इंस्टीट्यूट का खर्चा बहुत कम आता है। वह एक ही वीडियो या लेक्चर को हजारों स्टूडेंट्स को दिखा सकता है।

ऑनलाइन कोचिंग के नुकसान

  • ऑनलाइन कोचिंग का सबसे बड़ा नुकसान ऑफलाइन कोचिंग ही है। कहने का अर्थ यह हुआ कि ऑफलाइन कोचिंग में आप रियल टाइम में किसी टॉपिक को समझ रहे होते हैं जबकि ऑनलाइन कोचिंग में अधिकतर रिकॉर्डेड वीडियो या सेशन को चलाया जाता है।
  • इसका दूसरा नुकसान अपने डाउट क्लियर करने में होता है। स्टूडेंट के डाउट समय पर क्लियर नहीं होते हैं तो उसकी तैयारी भी अधूरी रह जाती है।
  • कंप्यूटर या लैपटॉप पर पढ़ाई करने से ध्यान भटकने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में स्टूडेंट अपना बहुत सा समय अनुचित गतिविधियों में व्यर्थ कर देता है।
  • इंटरनेट की स्पीड भी इसका एक नुकसान है। इंटरनेट की स्पीड हमेशा एक जैसी नहीं रहती है या लाइट कट लगने की वजह से कंप्यूटर ही बंद पड़ जाता है।
  • ज्यादातर यह भी देखने में आता है कि ऑनलाइन कोचिंग वाले स्टूडेंट्स में अनुशासन की कमी देखने को मिलती है। इस कारण उनका फिक्स्ड टाइम टेबल भी नहीं बन पाता है।

ऑफलाइन कोचिंग के फायदे और नुकसान

अब हम बात करेंगे ऑफलाइन कोचिंग के बारे में। यह पारंपरिक कोचिंग है जो सदियों से चली आ रही है। आज भी स्टूडेंट्स को प्रॉपर तरीके से पढ़ाने में इसी को ही आधार माना जाता है। JEE और NEET के एग्जाम में सलेक्ट होने वाले अधिकतर स्टूडेंट्स ऑफलाइन कोचिंग ही ले रहे होते हैं।

हालाँकि समय में होते बदलाव को देखते हुए अब ऑफलाइन कोचिंग ने भी अपने आप को बहुत अपडेट कर लिया है। इसके लिए बड़े बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट में आधुनिक तकनीक की सहायता से पढ़ाया जाता है। स्टूडेंट्स की ऑनलाइन प्रोफाइल बनाई जाती है और उन्हें सभी तरह का स्टडी मटेरियल ऑनलाइन भी उपलब्ध करवाया जाता है।

आइए अब हम ऑफलाइन कोचिंग के क्या कुछ फायदे होते हैं और इसके क्या नुकसान हो सकते हैं, इसके बारे में जान लेते (Online Coaching Best Hai Ya Offline In Hindi) हैं।

ऑफलाइन कोचिंग के फायदे

  • ऑफलाइन कोचिंग में आप टीचर के सामने बैठकर किसी टॉपिक को समझते हैं। इससे आपको रियल टाइम में वह समझ में आता है और वो भी अच्छे से।
  • टीचर के सामने बैठकर कोचिंग लेने से आप बीच-बीच में उनसे अपने डाउट पूछ सकते हैं। अगर डाउट साथ के साथ क्लियर होते हैं तो स्टूडेंट कहीं पर भी अटकता नहीं है।
  • इस तरह की कोचिंग स्टूडेंट में अनुशासन की भावना को भी जागृत करती है। समय पर क्लास में आना, वहाँ पर अनुशासन में बैठना और टीचर का सम्मान करना, उसे एक सही दिशा में आगे ले जाता है।
  • ऑफलाइन पढ़ने से स्टूडेंट को टीचर का व्यक्तिगत मार्गदर्शन अर्थात पर्सनल गाइडेंस मिलती है। वह अपने सीनियर के साथ भी जुड़ता है और उसे कई तरह की एक्सपर्ट गाइडेंस भी मिलती है।
  • रेगुलर क्लास में जाकर वह अपने लिए एक सही माहौल बनाता है। इसे हम स्टूडेंट के लिए समर्पित अध्ययन माहौल भी कह सकते हैं जो JEE और NEET का एग्जाम क्रैक करने के लिए बहुत जरुरी माना जाता है।
  • ऑफलाइन कोचिंग में स्टूडेंट क्लास में अन्य स्टूडेंट्स के साथ भी संपर्क में आता है। इसका फायदा यह मिलता है कि वे ग्रुप स्टडी कर सकते हैं, आपस में अपने डाउट क्लियर कर सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं।

ऑफलाइन कोचिंग के नुकसान

  • इसका पहला नुकसान यह है कि इसमें आपको एक फिक्स टाइम में क्लास में जाना होता है। यदि आप टाइम पर नहीं पहुँचते हैं तो आप उस लेक्चर या टॉपिक को मिस कर देते हैं।
  • हालाँकि मैट्रिक्स सीकर या प्रिंस सीकर जैसे बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट अपने सभी लेक्चर की वीडियो रिकॉर्डिंग स्टूडेंट्स को उपलब्ध करवाते हैं।
  • ऑफलाइन कोचिंग ऑनलाइन कोचिंग की तुलना में थोड़ी खर्चीली होती है। वह इसलिए क्योंकि ऑनलाइन कोचिंग तो आप अपने घर बैठे ले सकते हैं लेकन ऑफलाइन कोचिंग के लिए आपको इंस्टीट्यूट तक रोजाना आना जाना होता है।
  • वहीं आप दूसरे शहर में कोचिंग लेने जा रहे हैं तो वहाँ रहने, खाने-पीने, यात्रा करने इत्यादि का खर्चा भी उठाना पड़ता है। हालाँकि इससे आप अपने JEE और NEET के एग्जाम को और सीरियस लेकर पढ़ते हैं।

ऑनलाइन वर्सेज ऑफलाइन कोचिंग: आपके लिए क्या है बेहतर?

अब जब आपने ऑनलाइन वर्सेज ऑफलाइन कोचिंग (Online Coaching Vs Offline Coaching) के बारे में इतना सब जान लिया है तो अब बात करते हैं आपकी। आपके लिए दोनों में से कौन सा बेहतर हो सकता है और किस तरह की कोचिंग लेने से आपकी JEE और NEET का एग्जाम क्रैक करने की संभावना बढ़ जाएगी!!

दरअसल जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि आज के समय में ऑफलाइन कोचिंग भी बहुत आधुनिक हो गई है। कुछ कुछ टॉप लेवल के JEE और NEET इंस्टीट्यूट ने तो ऑफलाइन कोचिंग में भी ऑनलाइन कोचिंग के सभी फायदे डाल दिए हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो जो फायदे ऑनलाइन कोचिंग में देखने को मिलते हैं, या जो नुकसान ऑफलाइन कोचिंग के होते हैं, उन्हें दूर करने का काम किया है।

सीकर की मैट्रिक्स अकैडमी हो या कोटा का एलन इंस्टीट्यूट, इसमें सबसे आगे है। उसके बाद के कुछ इंस्टीट्यूट के नाम सीकर का प्रिंस व गुरुकृपा, दिल्ली का आकाश इंस्टीट्यूट इत्यादि है। आइए जानते हैं कैसे यह सभी इंस्टीट्यूट ऑफलाइन कोचिंग को एक नई उड़ान दे रहे हैं।

  • ऑफलाइन कोचिंग ले रहे किसी स्टूडेंट का लेक्चर या क्लास मिस हो जाती है तो उसको टेंशन लेने की कोई जरुरत नहीं है। वह इसलिए क्योंकि लेक्चर की लाइव रिकॉर्डिंग की जाती है और फिर स्टूडेंट के साथ ऑनलाइन शेयर कर दी जाती है। इससे वह बाद में भी उस लेक्चर को सुन सकता है।
  • यह लाइव रिकॉर्डिंग सभी स्टूडेंट्स के साथ शेयर की जाती है। इससे जिन स्टूडेंट्स ने क्लास अटेंड भी की थी लेकिन उन्हें उस लेक्चर को फिर से सुनना है तो वह उस वीडियो को देख सकता है।
  • इस तरह से सभी स्टूडेंट्स की रिवीजन भी हो जाती है। कई बार ऐसा होता है कि कोई चीज़ पहली बार में नहीं समझ आती है, ऐसे में उसी चीज़ को दोबारा देखने पर वह क्लियर हो जाती है।
  • अब जो ज्यादा खर्चे का चक्कर था, वह भी इन संस्थानों ने कवर किया है। जब हमने सभी टॉप कोचिंग इंस्टीट्यूट की फीस की आपस में तुलना की तो मैट्रिक्स सीकर और आकाश दिल्ली सबसे सही निकले।
  • इन दोनों ही इंस्टीट्यूट में ली जा रही फीस दी जा रही फैसिलिटी की तुलना में बाकियों से बहुत कम थी। इतना ही नहीं, मैट्रिक्स तो बारहवीं में अच्छे नंबर लाने वाले या उनका इंटरनल एग्जाम अच्छे से पास करने वाले स्टूडेंट्स को 90 प्रतिशत तक की स्कॉलरशिप भी ऑफर करता है।
  • इसी के साथ ही सभी टॉप इंस्टीट्यूट के द्वारा ऑनलाइन सभी तरह का मटेरियल उपलब्ध करवाया जाता है। जिस प्रकार ऑनलाइन कोचिंग के लिए स्टडी मटेरियल ऑनलाइन दिया जाता है, ठीक उसी तरह ये सभी ऑफलाइन कोचिंग देने वाले इंस्टीट्यूट भी इसे ऑनलाइन उपलब्ध करवाते हैं।
  • इसी के साथ ही क्लासेज में भी लेटेस्ट तकनीक का इस्तेमाल कर स्टूडेंट्स को पढ़ाया जाता है। इसके तहत तरह तरह के प्रॉप्स, प्रोजेक्टर, लाइव, एक्सपर्ट गाइडेंस, सलेक्टेड स्टूडेंट्स की तकनीक इत्यादि का सहारा लिया जाता है।

निष्कर्ष

हमने आपको ऑनलाइन वर्सेज ऑफलाइन कोचिंग (Online Coaching Vs Offline Coaching) के बारे में संपूर्ण जानकारी दे दी है। अब यदि आप इस बारे में हमारी राय पूछना चाहते हैं तो हमने तो यही निष्कर्ष निकाला है कि यदि किसी स्टूडेंट को जल्द से जल्द और अच्छी रैंक के साथ JEE और NEET का एग्जाम क्रैक करना है तो उसके लिए ऑफलाइन कोचिंग ज्यादा बेहतर विकल्प है।

ऑनलाइन कोचिंग में अनुशासन, टाइमटेबल, अपडेट, डाउट क्लियर, एक्सपर्ट गाइडेंस इत्यादि का बहुत बड़ा गैप या अभाव देखने को मिलता है। वहीं ऑफलाइन कोचिंग आपको अनुशासन में रखेगी और टीचर व इंस्टीट्यूट के द्वारा आपको हर पल मॉनिटर किया जाएगा।

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JEE की तैयारी कैसे करें? जाने JEE की तैयारी के लिए टिप्स

आज के समय में यदि किसी को इंजीनियरिंग करनी (JEE Ki Taiyari Kaise Kare) है तो उसके पास एक नहीं बल्कि कई तरह के विकल्प होते हैं। इनमें से कुछ फेमस ऑप्शन सॉफ्टवेयर, मैकेनिकल, सिविल, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग इत्यादि है। वैसे तो इसमें दर्जनों विकल्प होते हैं लेकिन अधिकतर स्टूडेंट्स के द्वारा इन्हीं चार से पांच इंजीनियरिंग का चुनाव किया जाता है।

अब यह स्टूडेंट की पसंद और स्किल्स पर निर्भर करता है कि वह किस तरह की इंजीनियरिंग करना चाहता है। हालाँकि हर स्टूडेंट की पहली पसंद टॉप लेवल के IIT में एडमिशन लेना होता है। भारत देश में यदि हम इंजीनियरिंग करना चाहते हैं तो उसके लिए IIT का नाम ही सबसे पहले लिया जाता है। उन IIT में से भी कुछ गिनी चुनी IIT के नाम पहले आते हैं जैसे कि दिल्ली, मद्रास, रुड़की, खड्गपुर इत्यादि के IIT संस्थान।

अब यदि आपको इंजीनियरिंग करने के लिए इन IIT में सिलेक्शन करवाना है तो उसके लिए आपको JEE की तैयारी करनी होगी। JEE की फुल फॉर्म जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (Joint Entrance Examination) होती है। इसके लिए हर वर्ष लाखों की संख्या में स्टूडेंट्स तैयारी (JEE Ki Taiyari Kaise Kare In Hindi) करते हैं लेकिन सिलेक्शन कुछ हज़ार स्टूडेंट्स का ही हो पाता है। 

अब यदि आपको भी JEE की तैयारी करनी है तो आज हम आपकी पूरी मदद करेंगे। आज हम आपको बताएँगे कि JEE की तैयारी कैसे की जाती है और उसके लिए आपको अभी से ही क्या कुछ करने की जरुरत है। आइए जाने JEE की तैयारी करने की टिप्स।

JEE की तैयारी कैसे करें?

JEE का एग्जाम हर वर्ष एक बार ही आयोजित किया जाता है। इसके तहत देशभर की IIT में एडमिशन लिया जाता है। फिर वे सभी स्टूडेंट्स अगले 4 वर्ष के लिए अपनी स्पेसिफिक स्ट्रीम में इंजीनियरिंग पढ़ते हैं और अंत में उसकी डिग्री लेते हैं। ऐसे में यदि आपको IIT में एडमिशन लेना है तो उसके लिए अभी से ही JEE की तैयारी शुरू कर देनी होगी।

कुछ स्टूडेंट्स तो दसवीं के साथ ही या उसके बाद JEE की तैयारी में लग जाते हैं तो कुछ बारहवीं या उसके बाद इसकी तैयारी शुरू करते हैं। आप जितना जल्दी JEE की तैयारी शुरू करेंगे, उतना ही जल्दी सिलेक्शन भी होगा और वो भी अच्छे रैंक के साथ।

ऐसे में नीचे हम आपको एक या दो नहीं बल्कि कुल 10 ऐसी टिप्स देने जा रहे हैं जो JEE की तैयारी (JEE Ki Taiyari Kaise Kare) करने और टॉप रैंक लाने में आपकी बहुत मदद करने वाली है। आइए जाने JEE की तैयारी कैसे की जा सकती है।

#1. JEE एग्जाम का पैटर्न समझें

सबसे पहले जो काम करने की जरुरत है वह है JEE के एग्जाम पैटर्न को समझने की। वैसे तो इसमें वही सब्जेक्ट्स होते हैं जो आपने अपनी बारहवीं की पढ़ाई के दौरान पढ़े थे। नॉन मेडिकल स्ट्रीम वाले स्टूडेंट्स को अपनी 11वीं और बारहवीं क्लास की पढ़ाई के दौरान फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स व इंग्लिश पढ़ाई जाती है। वही सब्जेक्ट्स JEE के एग्जाम में पूछे जाते हैं, सिर्फ इंग्लिश को छोड़कर।

हालाँकि फिर भी आपको JEE एग्जाम पैटर्न को समझने की जरुरत है। जैसे कि इसमें किन टॉपिक्स पर ज्यादा जोर दिया जाता है, किससे कितने प्रश्न पूछे जाते हैं, वे प्रश्न किस तरह के होते हैं, उनके कितने नंबर मिलते हैं, गलत उत्तर देने पर कितने नंबर कटते हैं, इत्यादि। ऐसे ही आपको JEE एग्जाम के पूरे पैटर्न को समझने की जरुरत है ताकि बाद में चलकर कोई दिक्कत ना होने पाए।

#2. स्कूल टाइम से ही तैयारी करें

अगर आप स्कूल टाइम से ही JEE की तैयारी (JEE Ki Taiyari Kaise Karen) करना शुरू कर देंगे तो इससे आपको बहुत मदद मिल जाएगी। अब तो टॉप लेवल के स्कूल भी अपने यहाँ पढ़ रहे स्टूडेंट्स को स्पेशल कोर्स के तहत JEE की तैयारी पहले से ही करवाने लग गए हैं। इससे स्टूडेंट्स को भी बहुत मदद मिली है।

अब आप चाहे सीकर के फेमस स्कूल मैट्रिक्स हाई स्कूल को ही ले लीजिए। वहाँ पर दसवीं क्लास से ही बच्चों को फाउंडेशन कोर्स की सुविधा दी जाती है। इसके तहत उन्हें दसवीं से लेकर बारहवीं क्लास तक नॉर्मल स्टडी तो करवाई ही जाती है, इसी के साथ ही उनका स्टडी मटेरियल कुछ इस तरह का होता है कि वे साथ के साथ JEE की तैयारी भी कर रहे होते हैं।

ऐसी ही सुविधा कुछ अन्य टॉप लेवल के स्कूल्स में भी दी जा रही है। इससे होता क्या है कि स्टूडेंट अपनी दसवीं से बारहवीं की पढ़ाई तो कर ही रहा होता है और साथ ही JEE की तैयारी भी होती चली जाती है। एक तरह से हम इसे एडवांस लर्निंग कह सकते हैं। इससे आगे चलकर उसका JEE में सिलेक्शन होने और अच्छी रैंक लाने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।

#3. कमजोर सब्जेक्ट्स पर फोकस करें

JEE की तैयारी करनी है तो आपको अपने कमजोर सब्जेक्ट्स या टॉपिक्स पर ध्यान देने की जरुरत है। अब कोई स्टूडेंट फिजिक्स में तो अच्छा होता है लेकिन केमिस्ट्री के कॉन्सेप्ट उसे देर से क्लियर होते हैं। वहीं कुछ स्टूडेंट्स के साथ उल्टा होता है। अब यह भी जरुरी नहीं है कि किसी स्टूडेंट को फिजिक्स के सभी टॉपिक ही आसान लगते हो।

ऐसा भी हो सकता है कि किसी स्टूडेंट को फिजिक्स का कोई टॉपिक बहुत ही सरल लगता है तो दूसरा टॉपिक बहुत मुश्किल। इसलिए जो भी आपके कमजोर सब्जेक्ट या टॉपिक हैं, आपको उन पर मुख्य तौर पर ध्यान देने की जरुरत है। ऐसा करके ही आप JEE की तैयारी को और मजबूत कर सकते हैं।

#4. एक स्टडी प्लान जरुर बनाएं

यदि आप जल्द से जल्द JEE में अपना सिलेक्शन करवाना चाहते हैं तो उसके लिए एक मजबूत और प्रभावी स्टडी प्लान बनाए जाने की जरुरत है। इसके लिए आप अपने सीनियर, सेलेक्ट हो चुके स्टूडेंट्स, स्कूल इत्यादि की भी सहायता ले सकते हैं।

यहाँ स्टडी प्लान का मतलब हुआ, आप कब किस तरह के टॉपिक को पढ़ेंगे, उनकी कितनी बार रिवीजन करेंगे, उसके लिए कौन सी बुक पढ़ेंगे इत्यादि। बाजार में आपको अलग अलग ऑथर की अलग अलग बुक पढ़ने को मिल जाएगी। ऐसे में आप किसे चुनेंगे और क्यों, यह भी एक बड़ा प्रश्न है।

किसी स्टूडेंट को किसी ऑथर की बुक अच्छे से समझ में आती है तो किसी को दूसरे की। ऐसे में आपको ही यह निर्णय लेना है कि आपका स्टडी प्लान किस तरह का होगा और आप उस पर कैसे आगे बढ़ेंगे।

#5. JEE की कोचिंग लें

JEE की तैयारी (JEE Ki Taiyari Kaise Kare) करने के लिए सही कोचिंग का चुनाव किया जाना भी बहुत जरुरी होता है। वह इसलिए क्योंकि एक सही कोचिंग सेंटर आपको अपडेटेड रखेगा, टॉप लेवल का स्टडी मटेरियल उपलब्ध करवाएगा और इतना ही नहीं, वहाँ के टीचर्स भी अनुभवी और स्टूडेंट्स के साथ बेहतर संवाद करने वाले होंगे। इसी के साथ वे आपको टॉप लेवल की फैसिलिटी भी उपलब्ध करवाते हैं जो JEE में सिलेक्शन करवाने के लिए बहुत जरुरी होती है।

अब अगर हम देशभर में JEE के टॉप लेवल के कोचिंग सेंटर की बात करें तो उसमें सीकर की मैट्रिक्स अकैडमी और प्रिंस इंस्टीट्यूट आते हैं। वहीं कोटा का एलन इंस्टीट्यूट और दिल्ली की रेजोनेंस अकैडमी भी अच्छे विकल्प हैं। हालाँकि आज के समय में मैट्रिक्स अकैडमी इस लिस्ट में टॉप पर बनी हुई है। वह इसलिए क्योंकि स्टूडेंट टीचर रेश्यो और सेलेक्ट होने वाले स्टूडेंट के रेश्यो के हिसाब से यह टॉप पर है।

कहने का मतलब यह हुआ कि मान लीजिए एलन में 5 हज़ार स्टूडेंट्स JEE की तैयारी कर रहे हैं और उसमें से 500 स्टूडेंट्स सेलेक्ट होते हैं, वहीं मैट्रिक्स में 2 हज़ार स्टूडेंट्स इसकी तैयारी कर रहे हैं और उसमें से 300 स्टूडेंट्स का सिलेक्शन होता है तो मैट्रिक्स का सक्सेस रेट एलन से कहीं ज्यादा बेहतर है। ऐसे में आपको अपने लिए बेहतर कोचिंग का चुनाव करना होगा जो आपका भविष्य बनाने में मददगार होगा।

#6. लगातार नोट्स बनाते रहें

अक्सर देखने में आता है कि उन स्टूडेंट्स का JEE में सिलेक्शन जल्दी हो जाता है जो हर दिन अपने नोट्स बनाते रहते हैं। वह इसलिए क्योंकि आखिरी समय में यही नोट्स ही आपकी मदद करते हैं। ऐसे में आप हर दिन जो कुछ भी पढ़ रहे हैं, उससे संबंधित नोट्स बनाना बिलकुल ना भूलें।

अब अगर आप सोचते हैं कि आप दूसरों के नोट्स को कॉपी करके काम चला लेंगे तो यह आपकी भूल है। हर स्टूडेंट के नोट्स अलग होते हैं और वह उसे अपनी तैयारी के अनुसार ही बनाता है। ऐसे में आपके नोट्स आपकी तैयारी को सही तरीके से करवाने में मदद करते हैं। इसलिए इन्हें बनाना बिल्कुल भी ना भूलें।

#7. पहले के प्रश्नपत्र सोल्व करें

JEE का एग्जाम आज से नहीं हो रहा है, बल्कि इसे तो कई दशक हो गए हैं। ऐसे में आपको JEE का एग्जाम देना है तो उसके लिए जरुरी है, पिछले और उससे पिछले वर्ष के JEE एग्जाम पेपर को देखना और उन्हें सोल्व करना। इससे आपको इस वर्ष के JEE एग्जाम के पैटर्न को समझने और उसके हिसाब से तैयारी करने में बहुत मदद मिलेगी।

इसके लिए आप पुराने JEE एग्जाम पेपर को तो सोल्व करे ही बल्कि साथ ही नए प्रश्न पत्रों को भी सोल्व करते रहें। आज के समय में हर टॉप लेवल का कोचिंग सेंटर अपने स्टूडेंट्स को मॉक टेस्ट की सुविधा देता है और वह भी हर सप्ताह और महीने। इसलिए आपको भी इन्हें समय-समय पर देते रहना चाहिए जिससे आपकी स्पीड और ज्यादा तेज होती जाए।

#8. अपने डाउट हमेशा क्लियर करें

JEE की तैयारी (JEE Ki Taiyari Kaise Kare In Hindi) कर रहे स्टूडेंट्स को अपने डाउट भी हर दिन क्लियर करवाने चाहिए। अगर आपके डाउट पेंडिंग रहते हैं तो आप आगे की तैयारी सही से नहीं कर पाते हैं। ऐसे में समय रहते डाउट को सोल्व करवा लिया जाए तो इससे आपको आगे तैयारी करने में मदद मिलती है।

मैट्रिक्स जैसे कोचिंग संस्थान इसके लिए अलग से डाउट सेंटर की सुविधा देते हैं। आप वहाँ जाकर कभी भी अपने डाउट क्लियर करवा सकते हैं। मैट्रिक्स अकैडमी का रिजल्ट अच्छा जाने का यह भी एक बहुत बड़ा कारण है। अगर स्टूडेंट्स की पढ़ाई के साथ-साथ उनके डाउट भी जल्दी क्लियर करवा दिए जाते हैं तो इससे उनकी JEE की तैयारी और मजबूत होती है।

#9. मेंटल प्रेशर ना लें

यह एक ऐसा पॉइंट है जिस पर बहुत से स्टूडेंट्स ध्यान नहीं देते हैं। उन्हें लगता है कि वे जितना कम सोएंगे और ज्यादा समय पढ़ाई करने में लगाएंगे, उतनी जल्दी उनका सिलेक्शन होगा। दरअसल इससे होता क्या है कि स्टूडेंट इफेक्टिव तरीके से नहीं पढ़ पाता है और उसके कॉन्सेप्ट भी देरी से क्लियर होते हैं।

इसलिए आपको अपनी मेंटल हेल्थ पर ध्यान देने की जरुरत है। ऐसे में समय-समय पर करियर काउंसलिंग लेना, एक्सपर्ट गाइडेंस में रहना भी बहुत जरुरी होता है। मैट्रिक्स और रेजोनेंस अकैडमी में इस पर खासतौर पर ध्यान दिया जाता है। इसके लिए स्टूडेंट के समय-समय पर अलग से लेक्चर लिए जाते हैं, सलेक्टेड स्टूडेंट्स के सेशन लगवाए जाते हैं और टीचर्स का संवाद भी करवाया जाता है।

#10. प्रैक्टिस को कभी ना छोड़ें

मान लीजिए आप एक महिना बहुत जोरदार तरीके से पढ़ते हैं और फिर अगले महीने इसमें ढील बरत देते हैं, फिर अगले महीने और जोरदार तरीके से पढ़ते हैं। ऐसा करने से आप अपना ही नुकसान कर रहे होते हैं क्योंकि JEE की तैयारी (JEE Ki Taiyari Kaise Karen) कभी भी ऐसे नहीं होती और ना ही इससे आपका सिलेक्शन हो पाएगा। हो भी गया तो आपकी अच्छी रैंक नहीं आएगी और आपको टॉप लेवल का IIT नहीं मिल पाएगा।

इसलिए अपनी पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखना बहुत जरुरी होता है। इसके लिए आपको लगातार प्रैक्टिस करते रहने होगी, जो पहले पढ़ा हुआ है उसकी रिवीजन करनी होगी, इत्यादि। इससे आप जल्दी आगे बढ़ पाते हैं और अपनी तैयारी को मजबूत बनाते हैं।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने JEE की तैयारी करने की टिप्स (JEE Ki Taiyari Kaise Kare) जान ली है। इन सभी टिप्स में यह जान लें कि यदि आपने सही कोचिंग का चुनाव कर लिया तो आधा काम तो आपका ऐसे ही हो गया। बाकी का आधा काम आपकी अपनी सेल्फ स्टडी पर डिपेंड करेगा।

ऐसे में आपको टॉप लेवल की अकैडमी से JEE की कोचिंग लेनी चाहिए। एक सही JEE अकैडमी आपका भविष्य उज्जवल बना सकती है। इसलिए कोचिंग का चुनाव करते समय सावधानी बरतें और उसी के अनुसार ही आगे बढ़ें।

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नीट की तैयारी कैसे करें? जाने NEET की तैयारी के लिए टिप्स

क्या आप भविष्य में डॉक्टर बनना चाहते हैं? यदि ऐसा है तो उसके लिए अवश्य ही आपको अभी से ही टेंशन हो रही होगी कि अभी तो बहुत मेहनत करने की जरुरत (NEET Ki Taiyari Kaise Kare) है। सबसे पहले तो बारहवीं में अच्छे नंबर लेकर आने हैं, फिर नीट की तैयारी भी करनी है और उसके बाद अच्छे सरकारी कॉलेज में एडमिशन लेकर वहाँ से MBBS की पढ़ाई करनी है। फिर आगे भी स्पेशल कोर्स करने हैं ताकि आप एक एक्सपर्ट डॉक्टर के रूप में अपना करियर शुरू कर सकें।

ऐसे में आपको सभी चीज़ों के बारे में एक साथ टेंशन लेने की बजाए स्टेप बाय स्टेप आगे बढ़ना चाहिए। इससे आपका मार्ग भी आसान होगा और सफलता भी मिलती चली जाएगी। तो इसमें सबसे पहला स्टेप होता है नीट एग्जाम की तैयारी किया जाना (NEET Exam Ki Taiyari Kaise Kare) और साथ ही बारहवीं में अच्छे नंबर लेकर आना। जी हां, आपको दोनों के बारे में एक साथ सोचना होगा क्योंकि दोनों एक साथ ही चलते हैं।

इसमें भी नीट की तैयारी पर ज्यादा जोर देने की जरुरत है क्योंकि बारहवीं में अच्छे नंबर तो कम पढ़कर भी आ जाएंगे लेकिन नीट में आप चूक गए तो फिर से एक वर्ष मेहनत करनी पड़ेगी। ऐसे में आज हम आपको नीट की तैयारी कैसे करें (NEET Ki Taiyari Kaise Karen), इसके बारे में ही संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। आइए जाने नीट की तैयारी के लिए टिप्स।

नीट की तैयारी कैसे करें?

नीट कोई छोटा मोटा एग्जाम नहीं होता है और ना ही यह वर्ष में दो बार होता है। हर वर्ष लाखों स्टूडेंटस नीट एग्जाम में बैठते हैं और उसमें से बहुत कम ही सेलेक्ट हो पाते हैं। सेलेक्ट होने वाले स्टूडेंट्स की संख्या सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध सीट्स पर निर्भर करती है। ऐसे में यदि आप नीट एग्जाम में क्लियर हो भी जाते हैं तो भी आपको अच्छा कॉलेज मिलेगा, यह जरुरी नहीं है।

यहाँ हम यह समझाना चाह रहे हैं कि नीट एग्जाम में देशभर के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज आते हैं और उसमें से कुछ टॉप लेवल के होते हैं तो कुछ सामान्य स्तर के। ऐसे में यदि आपकी रैंक सही आती है तभी आपको अपनी पसंद का टॉप मेडिकल कॉलेज मिल पाएगा अन्यथा आपको सामान्य मेडिकल कॉलेज से ही काम चलाना पड़ेगा।

ऐसे में आपको अपनी दसवीं कक्षा के बाद से ही नीट की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। कुछ स्टूडेंट्स बारहवीं के बाद नीट की तैयारी शुरू करते हैं, ऐसे में उन्हें ज्यादा समय लग जाता है। आइए एक-एक करके नीट की तैयारी (NEET Ki Taiyari Kaise Kare) करने के ऊपर सभी जरुरी टिप्स को जान लेते हैं।

#1. अपनी स्किल्स को समझें

सबसे पहले तो आपको अपने आप को पहचानने की जरुरत है। हमने सबसे पहले अपने आप को जानने या अपनी स्किल्स का आंकलन करने वाला पॉइंट इसलिए रखा है क्योंकि ऐसा बहुत बार देखने में आता है कि स्टूडेंट्स नीट एग्जाम या डॉक्टर बनने की तैयारी तो करने लग जाते हैं लेकिन बाद में जाकर उन्हें यह अहसास होता है कि यह उनकी क्षमता से बाहर है या उनका इसमें इंटरेस्ट ही नहीं है।

ऐसा अक्सर उन स्टूडेंट्स में ज्यादा देखने को मिलता है जिनके माता, पिता या परिवार में से कोई और भी डॉक्टर होता है या फिर उनके पेरेंट्स के द्वारा उन पर डॉक्टर बनने का दबाव बनाया जाता है। या फिर कुछ स्टूडेंट्स ऐसे भी होते हैं जो अपने दोस्तों या जानने वालों की देखा देखी इस राह पर आगे बढ़ जाते हैं और फिर बाद में पछताते फिरते हैं।

ऐसे में हम आपकी स्किल्स को या आपको कम नहीं आंक रहे हैं लेकिन आपको पहले ही सचेत कर रहे हैं कि एक बार आप अकेले में बैठकर आत्म चिंतन अवश्य कीजिए और स्वयं से पूछिए कि क्या आप वाकई में डॉक्टर बनने को इच्छुक हैं और उसके लिए नीट एग्जाम की तैयारी करना चाहते हैं। यदि आपका जवाब हां है तो इस लेख को आगे पढ़ें अन्यथा आप इसे यहीं पर छोड़ सकते हैं।

#2. नीट एग्जाम का सिलेबस जाने

अब जब आपने डॉक्टर बनने का सपना देख ही लिया है तो उसका पहला पड़ाव होता है नीट एग्जाम को क्लियर किया जाना और वह भी अच्छे नंबर के साथ। इसके लिए सबसे पहले जो काम आपको करना है, वह है नीट एग्जाम का सिलेबस, पैटर्न, सिलेक्शन, प्रोसेस इत्यादि के बारे में अच्छे से जानकारी लिया जाना।

उदाहरण के तौर पर नीट एग्जाम वर्ष में किस समय आयोजित होता है, उसके लिए क्या कुछ तैयारी करनी पड़ती है, कौन-कौन से विषय इसमें आते हैं, किस विषय से कौन से टॉपिक लिए जाते हैं और उन टॉपिक पर कितने और कैसे प्रश्न पूछे जाते हैं, नीट में कुल कितनी सीट होती है, किस रैंक पर कौन सा कॉलेज मिलता है, कुल कितने मेडिकल कॉलेज हैं, इत्यादि।

एक तरह से आपको नीट एग्जाम के बारे में शुरू से लेकर अंत तक हरेक छोटी से बड़ी जानकारी जुटा लेनी चाहिए। इसमें भी नीट एग्जाम के सिलेबस को अच्छे से समझा जाना आवश्यक है। वह इसलिए क्योंकि आपको इसी सिलेबस की ही तैयारी करनी है जो आपको नीट एग्जाम क्लियर करवाने में सहायता करेगा।

#3. एक टाइमलाइन बनाएं

अब जब आपने नीट एग्जाम के पैटर्न और सिलेबस को अच्छे से समझ लिया है तो अब बारी आती है अपनी टाइमलाइन बनाए जाने की। कहने का अर्थ यह हुआ कि आप अपने आप को कितने वर्षों में डॉक्टर बने हुए देखना चाहते हैं और उसके लिए आप कितना समय लेंगे। कुछ स्टूडेंट्स कड़ी मेहनत के दम पर बारहवीं के जस्ट बाद ही नीट क्लियर कर देते हैं तो कुछ एक या दो वर्ष ड्रॉप लेकर उसे क्लियर कर पाते हैं।

ज्यादातर स्टूडेंट्स तो दसवीं के बाद से ही नीट की तैयारी (NEET Ki Taiyari Kaise Karen) करने में जुट जाते हैं तो कुछ अपनी तैयारी बारहवीं में या उसके बाद भी शुरू करते हैं। ऐसे में यह आप पर निर्भर करता है कि आपकी समय सीमा क्या है और आप इस रास्ते पर किस तेजी के साथ आगे बढ़ने को इच्छुक हैं। इसी पर ही आपकी आगे की कार्य योजना और लक्ष्य निर्भर करेंगे।

#4. अपना लक्ष्य निर्धारित करें

अब जब आपने अपनी टाइमलाइन भी बना ली है तो उसी के साथ-साथ एक काम और करना है और वह है एक स्पष्ट लक्ष्य का होना। कहने का अर्थ यह हुआ कि आप आगे चलकर अपने आप को किस रूप में देखते हैं। अब डॉक्टर बनना तो आपका सपना है ही लेकिन यह जरुरी नहीं कि नीट की तैयारी केवल MBBS का कोर्स करने के लिए ही की जाती है।

नीट एग्जाम (NEET Exam Ki Taiyari Kaise Kare) के तहत कई और भी कोर्स किए जाते हैं और उसके तहत डॉक्टर भी कई तरह के बनते हैं। उदाहरण के तौर पर आयुर्वेद के डॉक्टर, होम्योपैथिक डॉक्टर या डेंटिस्ट इत्यादि। ऐसे में आपका लक्ष्य क्या है, इस पर ध्यान दें। साथ ही इस लक्ष्य में कुछ सरकारी मेडिकल कॉलेज भी रखें।

अब यदि आप टॉप गवर्नमेंट कॉलेज में एडमिशन लेने का लक्ष्य लेकर चलेंगे तभी आगे चलकर आपका सिलेक्शन उसमें हो पाएगा। इससे आपको प्रेरणा भी मिलती रहेगी जो अवश्य ही आपको सफल बनाएगी।

#5. सही कोचिंग का चुनाव करें

यह सबसे महत्वपूर्ण और जरुरी पॉइंट है। यदि आपने यहाँ पर किसी तरह की ढील बरती तो बाकी किसी भी चीज़ का कोई मतलब नहीं रह जाता है। यदि आप सोचते हैं कि आप घर पर पढ़कर ही या सेल्फ स्टडी करके ही नीट जैसे मुश्किल एग्जाम को पास कर लेंगे तो यह आपका भ्रम है। आज तक कुछ चुनिंदा मतलब लाखों में से इक्का दुक्का स्टूडेंट ही अकेले पढ़कर नीट एग्जाम को क्लियर कर पाए हैं।

इसलिए सही कोचिंग का चुनाव किया जाना बहुत जरुरी हो जाता है। अब नीट के कोचिंग सेंटर तो हर शहर में खुले हुए हैं लेकिन उससे फर्क नहीं पड़ेगा। सही शहर के सही कोचिंग सेंटर से पढ़कर आप जल्द से जल्द और अच्छी रैंक के साथ नीट एग्जाम को क्लियर कर पाएंगे। यदि हम देश के कुछ चुनिंदा कोचिंग सेंटर के नाम लें तो उसमें सीकर शहर की मैट्रिक्स अकैडमी और गुरुकृपा, कोटा का एलन इंस्टीट्यूट और दिल्ली की आकाश अकैडमी बेस्ट है।

हालाँकि दिल्ली में स्टूडेंटस मौज मस्ती में ज्यादा व्यस्त रहते हैं और कोटा में एग्जाम प्रेशर बहुत ज्यादा होता है तो हाल के वर्षों में सीकर शहर इस सूची में टॉप में आ गया है। खासतौर पर वहाँ मैट्रिक्स जैसे कोचिंग सेंटर ने टॉप लेवल का प्रदर्शन किया है जिस कारण वह इस लिस्ट में टॉप पर आ गया है। इसलिए अगर आप सही कोचिंग का चुनाव करते हैं तो आपके नीट एग्जाम क्लियर करने की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है।

#6. दिन का टाइमटेबल बनाएं

अब जब आपने एक सही कोचिंग का चुनाव कर लिया है तो उसी के साथ-साथ अपने पूरे दिन का सही टाइमटेबल बनाया जाना भी जरुरी हो जाता है। इसके तहत आपको कितने बजे सोना है, कब उठना है, कितनी देर पढ़ना है, कोचिंग का टाइम क्या है, सेल्फ स्टडी कितनी देर और कब से कब तक करनी है, आराम कब करना है, इत्यादि सब आना चाहिए।

अगर आपका टाइमटेबल सेट होगा और आप रोजाना उसी को फॉलो करेंगे तो यकीन मानिए आप अपने साथ के कई स्टूडेंट्स से आगे निकल जाएंगे। यह आपको अनुशासित करेगा और ध्यान भटकने से भी रोकेगा। इसलिए स्ट्रिक्ट टाइमटेबल बनाएं और उसे डेली फॉलो भी करें।

#7. अपने स्टडी डाउट क्लियर करें

अब जब आप नीट एग्जाम की तैयारी (NEET Ki Taiyari Kaise Kare) कर रहे हैं तो हर दिन आपको कुछ ना कुछ डाउट होते होंगे। यह डाउट किसी टॉपिक को लेकर या किसी प्रश्न को हल करते हुए हो सकते हैं। ऐसे में आपको अपने सभी तरह के डाउट नियमित रूप से सोल्व करवाने की जरुरत है अन्यथा यह यूँ के यूँ ही पड़े रह जाते हैं।

जो स्टूडेंट्स अपने सभी डाउट समय रहते सोल्व करवा लेते हैं उन्हें चीजें जल्दी क्लियर होती है। मैट्रिक्स सीकर और एलन कोटा में स्पेशल इसी चीज़ को ध्यान में रखकर अलग से डाउट सेंटर बनाए गए हैं। इन डाउट सेंटर में जाकर स्टूडेंट्स किसी भी समय अपने डाउट को क्लियर कर सकते हैं।

#8. टाइम मैनेजमेंट है बहुत जरुरी

टाइमटेबल बनाने के साथ ही टाइम मैनेजमेंट अर्थात समय का प्रबंधन किया जाना भी बहुत जरुरी होता है। यहाँ हम यह समझाना चाह रहे हैं कि कुछ स्टूडेंट्स ऐसे होते हैं जो पढ़ते-पढ़ते कहीं और ध्यान दे रहे होते हैं या कुछ और सोच रहे होते हैं और इस कारण उनका सारा टाइम इसी में ही निकल जाता है।

साथ ही वे एक चीज़ को करने में या समझने में बहुत समय लगा देते हैं जिस कारण टाइमटेबल भी बिगड़ता है और आपकी योजना भी धरी की धरी रह जाती है। यह आपके पूरे काम को बुरे तरीके से प्रभावित करता है। इसलिए टाइम का पूरा ध्यान रखें और अपना ध्यान भटकने से रोकें। दोस्तों के साथ मस्ती करना ठीक है लेकिन एक लिमिट तक अन्यथा उनका तो नुकसान हो ही रहा है, साथ में आपका भी।

#9. मॉक टेस्ट देते रहें

नीट एग्जाम जल्द से जल्द क्लियर करना है तो आपको समय-समय पर मॉक टेस्ट या प्रैक्टिस टेस्ट देते रहना चाहिए। इससे आप एग्जाम के लिए अच्छे से तैयार हो पाते हैं। हर टॉप नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट हर महीने और आखिर में तो हर सप्ताह मॉक टेस्ट लेता है ताकि स्टूडेंट्स की तैयारी में किसी तरह की कमी ना रहने पाए।

इसलिए आप जिस भी कोचिंग सेंटर में एडमिशन लेने जा रहे हैं, उसके बारे में अच्छे से रिसर्च अवश्य कर लें। आप वहाँ के ओल्ड स्टूडेंट्स से बात कर सकते हैं, नेट में उनके बारे में पढ़ सकते हैं, उनके रिव्यु देख सकते हैं, वहाँ के पहले के मॉक टेस्ट को पढ़ सकते हैं, अपने जानने वालों से पूछ सकते हैं।

#10. रिवीजन भी है बहुत जरुरी

यह एक ऐसा पॉइंट है या एक ऐसी चीज़ है जो आपकी बहुत मदद करेगी। दरअसल होता यह है कि स्टूडेंट ऊपर के सभी पॉइंट को फॉलो करता हुआ नीट की तैयारी करता रहता है लेकिन वह पुराना पढ़ा हुआ भूलता भी चला जाता है। अब इतना पढ़ने का क्या ही लाभ हुआ जब आप पुरानी पढ़ी हुई चीज़ को भूलते चले जाते हैं। इससे तो आपको आगे वही चीज़ फिर से पढ़नी पढ़ेगी।

तो इस स्थिति से बचने का सबसे सही उपाय है, समय रहते उनकी रिवीजन किया जाना। इसके लिए आप हर सप्ताह में एक दिन या हर दिन एक घंटा निर्धारित करें कि आप पुरानी पढ़ी हुई चीज़ की अच्छे से रिवीजन करेंगे। साथ ही हर महीने में भी एक दिन रिवीजन का जरुर रखें जब आप पूरे महीने की पढ़ाई का रिवीजन करेंगे।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस लेख में आपने नीट एग्जाम की तैयारी (NEET Ki Taiyari Kaise Kare) करने के ऊपर पूरी जानकारी ले ली है। यहाँ हम एक बार फिर दोहरा दें कि एक सही कोचिंग का चुनाव आपकी नीट की तैयारियों को एक नई उड़ान दे सकता है, वहीं गलत कोचिंग का चुनाव आपको भ्रमित कर सकता है।

इसलिए टॉप लेवल के नीट कोचिंग सेंटर का ही चुनाव करें। इससे आपको तेज गति से तैयारी करने में बहुत मदद मिलेगी। सीकर का मैट्रिक्स नीट डिविजन या फिर कोटा का एलन इंस्टीट्यूट इसमें आपकी बहुत मदद कर सकते हैं। मैट्रिक्स अकैडमी में तो करियर काउंसलिंग की सुविधा भी दी जाती है जो आपके लिए शुरूआती तौर पर बहुत जरुरी होती है।

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12वीं के बाद साइंस में करियर विकल्प

आज हम बात करने जा रहे हैं 12वीं के बाद साइंस स्ट्रीम में उपलब्ध तरह-तरह के करियर विकल्प के बारे (12th ke baad kya kare science student) में। पहले स्टूडेंट्स के पास इतने विकल्प नहीं हुआ करते थे या फिर यूँ कहें कि उन्हें इसके बारे में ज्यादा पता नहीं होता था। ऐसे में अधिकतर स्टूडेंट्स बस कुछ एक विकल्प को ही चुनते थे।

अब जब आज के समय में सोशल मीडिया, इंटरनेट इत्यादि सब आ चुका है तो स्टूडेंट्स को भी सब जानकारी आसानी से मिल जा रही है। अब आप हमारा यह आर्टिकल ही ले लीजिए।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बारहवीं के बाद साइंस स्ट्रीम में क्या कुछ करियर विकल्प हो सकते हैं, उसके बारे में समुचित जानकारी देने वाले (12th science ke baad course list) हैं। चलिए जानते हैं।

12वीं के बाद साइंस में करियर विकल्प

किसी भी स्टूडेंट के दौर में सबसे पहला महत्वपूर्ण पड़ाव आता है दसवीं के बाद। वह इसलिए क्योंकि दसवीं के बाद उसे 4 स्ट्रीम में से एक स्ट्रीम का चुनाव करना होता है। यह चार स्ट्रीम होती है मेडिकल, नॉन मेडिकल, कॉमर्स और आर्ट्स। अब कुछ स्टूडेंट किसी का चुनाव करते हैं तो कुछ किसी का। यह चुनाव स्टूडेंट की अपनी पसंद, उसके नंबर और फैमिली बैकग्राउंड इत्यादि पैरामीटर को ध्यान में रखकर किया जाता है।

अब इन चार स्ट्रीम में से दो स्ट्रीम को साइंस से जुड़ा माना जाता है। वह स्ट्रीम है मेडिकल और नॉन मेडिकल। ऐसे में जिन भी स्टूडेंट्स ने दसवीं के बाद मेडिकल या नॉन मेडिकल ली है और बारहवीं इसी में की है तो आज का यह आर्टिकल उनके लिए ही लिखा गया है।

यहाँ हम एक-एक करके आपको उन सभी करियर विकल्प के बारे में बताएँगे जिसे आप बारहवीं में साइंस स्ट्रीम को पास करने के बाद चुन सकते (12th ke baad kya kare science student) हैं। आइए शुरू करते हैं।

#1. मेडिकल स्ट्रीम वाले स्टूडेंट्स के लिए

सबसे पहले बात करते हैं 12वीं में साइंस स्ट्रीम के तौर पर बायोलॉजी को स्पेशल सब्जेक्ट चुनने वाले स्टूडेंट्स के बारे (12th Ke baad Kya Kare Science student PCB) में। दरअसल बारहवीं में मेडिकल और नॉन मेडिकल के स्टूडेंट्स में बस एक सब्जेक्ट का ही अंतर होता है और वह है बायोलॉजी या मैथ्स।

अब जो स्टूडेंट बायोलॉजी लेते हैं उन्हें मेडिकल स्टूडेंट कहा जाता है तो जो स्टूडेंटस मैथ्स लेते हैं उन्हें नॉन मेडिकल स्टूडेंट्स कहा जाता है। बाकी सब्जेक्ट्स एक जैसे ही होते हैं जिन्हें हम फिजिक्स, केमिस्ट्री, इंग्लिश व एक एक्स्ट्रा सब्जेक्ट के तौर पर जानते हैं। ऐसे में मेडिकल स्ट्रीम वाले साइंस स्टूडेंट्स के लिए कुछ चुनिंदा करियर विकल्प इस प्रकार हैं:

  • MBBS (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी): डॉक्टर बनने का सबसे प्रसिद्ध करियर विकल्प।
  • BDS (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी): डेंटिस्ट बनने का विकल्प।
  • BAMS (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी): आयुर्वेद में रुचि रखने वालों के लिए।
  • BHMS (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी): होम्योपैथिक डॉक्टर बनने के लिए।
  • BPT (बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी): फिजियोथेरेपी में करियर।

मेडिकल फील्ड में जाने वाले अधिकतर स्टूडेंट्स का आगे का लक्ष्य डॉक्टर बनने का ही होता है। इसके लिए मुख्य तौर पर नीट की तैयारी की जाती है। नीट एक सरकारी एग्जाम है जिसकी फुल फॉर्म नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (National Eligibility cum Entrance Test) होती है। यह एग्जाम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के द्वारा आयोजित करवाया जाता है।

इस एग्जाम के जरिए देशभर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में MBBS या BDS जैसे कोर्स में एडमिशन लिया जाता है। ऐसे में आपको अगर डॉक्टर बनना है और उसके लिए देश के टॉप सरकारी कॉलेज में एडमिशन चाहिए तो उसके लिए नीट एग्जाम की तैयारी करना जरुरी होता है। देश के कुछ टॉप नीट कोचिंग सेंटर के नाम मैट्रिक्स नीट डिविजन सीकर, गुरुकृपा सीकर, आकाश इंस्टीट्यूट इत्यादि है।

इसके अलावा आप देश के प्राइवेट कॉलेज में भी एडमिशन ले सकते (12th Ke baad Kya Kare Science student PCB) हैं। यहाँ तक की कुछ स्टूडेंट्स तो विदेश में जाकर भी इसकी पढ़ाई करते हैं। हालाँकि देश के सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का भविष्य सबसे उज्जवल माना जाता है। यही कारण है कि मेडिकल स्ट्रीम के अधिकतर स्टूडेंट्स के द्वारा नीट की तैयारी की जाती है।

#2. नॉन मेडिकल वाले स्टूडेंट्स के लिए

अब जिन स्टूडेंट्स ने 12वीं में सब्जेक्ट्स के तौर पर मैथ को चुना था, उन्हें नॉन मेडिकल स्ट्रीम का कहा जाता (12th ke Baad Kya Kare Science student PCM) है। हालाँकि होते तो दोनों ही साइंस स्ट्रीम के हैं लेकिन मैथ वाले नॉन मेडिकल कहे जाते हैं। अब यह इसके नाम से ही पता चल जाता है कि यह मेडिकल की पढ़ाई ना होकर अलग पढ़ाई होती है।

नॉन मेडिकल स्टूडेंट्स के द्वारा जिस स्ट्रीम को सबसे मुख्य तौर पर चुना जाता है, वह इंजीनियरिंग होता है। हालाँकि आज के समय में स्टूडेंट्स के पास और भी कई तरह के करियर विकल्प होते हैं जिनके बारे में पहले इतना पता नहीं होता था या जानकारी कम थी। ऐसे में आइए जाने बारहवीं के बाद नॉन मेडिकल के तौर पर आप किन-किन करियर विकल्प का चुनाव कर सकते हैं:

  • B.Tech (बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी): इंजीनियरिंग की डिग्री जो सबसे लोकप्रिय विकल्प है।
  • B.Arch (बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर): आर्किटेक्ट बनने के इच्छुक स्टूडेंट्स के लिए।
  • B.Sc (बैचलर ऑफ साइंस): साइंस के विभिन्न विषयों में एक्सपर्ट बनना।
  • BCA (बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन): आईटी क्षेत्र में करियर।
  • Commercial Pilot: पायलट बनने के लिए।

नॉन मेडिकल में पढ़ रहे स्टूडेंट्स का मुख्य लक्ष्य किसी ना किसी विषय में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना होता है। जिस प्रकार डॉक्टर बनने के लिए तरह तरह के कोर्स होते हैं और उसके तहत आप अलग-अलग फील्ड में डॉक्टर बनते हैं, ठीक उसी तरह इंजीनियरिंग में भी कई तरह के विकल्प होते हैं। आइए उनके बारे में भी जान लेते हैं:

  • कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (CSE)
  • मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Mechanical Engineering)
  • इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Electrical Engineering)
  • सिविल इंजीनियरिंग (Civil Engineering)
  • इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (ECE)
  • इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT)
  • केमिकल इंजीनियरिंग (Chemical Engineering)
  • बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग (Biotechnology Engineering)
  • एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (Aerospace Engineering)
  • एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग (Agricultural Engineering)
  • इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग (Instrumentation Engineering)
  • पेट्रोलियम इंजीनियरिंग (Petroleum Engineering)
  • मरीन इंजीनियरिंग (Marine Engineering)
  • माइनिंग इंजीनियरिंग (Mining Engineering)
  • मटेरियल साइंस इंजीनियरिंग (Material Science Engineering)
  • इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग (Industrial Engineering)
  • ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग (Automobile Engineering)
  • टेक्सटाइल इंजीनियरिंग (Textile Engineering)
  • प्रोडक्शन इंजीनियरिंग (Production Engineering)
  • एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग (Environmental Engineering)

इस तरह से आपके पास इंजीनियरिंग में भी कई तरह के करियर विकल्प होते हैं। इनमें से हमने लगभग हर इंजीनियरिंग विकल्प को आपके सामने रख दिया है। अब इसके लिए स्टूडेंट्स की पहली पसंद IIT कॉलेज होते हैं जो देश के टॉप सरकारी कॉलेज होते हैं। इसमें एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स को JEE एग्जाम की तैयारी करनी होती है।

JEE की फुल फॉर्म जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम होती है जिसे भारत सरकार के द्वारा आयोजित करवाया जाता है। आज के समय में इसमें बहुत ज्यादा कम्पटीशन होता है और इसके लिए स्टूडेंट्स के द्वारा बेहतर से बेहतर कोचिंग संस्थान में पढ़ाई की जाती (12th ke Baad Kya Kare Science student PCM) है।

वह इसलिए क्योंकि उनका लक्ष्य ना केवल अपनी पसंद के IIT कॉलेज में एडमिशन लेना होता है बल्कि अपनी पसंद की इंजीनियरिंग स्ट्रीम का चुनाव करना भी होता है। ऐसे में देश के कुछ टॉप JEE कोचिंग सेंटर के नाम मैट्रिक्स अकैडमी सीकर, एलन कोटा, रेजोनेंस अकैडमी इत्यादि है। वैसे तो हर शहर में दर्जनों कोचिंग इंस्टीट्यूट खुले हैं लेकिन टॉप कोचिंग संस्थान में आपको एक्सपर्ट गाइडेंस मिल सकती है।

#3. साइंस स्ट्रीम से जुड़े कुछ अन्य करियर विकल्प

अब बात करते हैं उन स्टूडेंट्स के बारे में जिन्होंने बारहवीं में साइंस स्ट्रीम के तौर पर मेडिकल और नॉन मेडिकल दोनों को ही चुना था। दरअसल सभी मेडिकल या नॉन मेडिकल के कॉमन सब्जेक्ट के तौर पर फिजिक्स, केमिस्ट्री और इंग्लिश को पढ़ना होता है। अब मेडिकल स्टूडेंट्स को बायोलॉजी और नॉन मेडिकल को मैथ लेनी होती है।

इनके अलावा पांचवें सब्जेक्ट के तौर पर ऑप्शनल सब्जेक्ट होता है। इसमें कई तरह के ऑप्शन होते हैं जो बोर्ड या राज्य के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। अब इस एक्स्ट्रा सब्जेक्ट के तौर पर मेडिकल वाले मैथ भी ले सकते हैं तो वहीं नॉन मेडिकल वाले बायोलॉजी भी ले सकते हैं। ऐसे में वे स्टूडेंट्स ऊपर बताए गए सभी करियर ऑप्शन ले सकते हैं और उसके अलावा भी कुछ और करियर विकल्प उनके पास हैं। जैसे कि:

  • Pharmacy (B.Pharm): फार्मास्युटिकल क्षेत्र में करियर।
  • Forensic Science: फॉरेंसिक विशेषज्ञ बनना।
  • Biotechnology: जैव इंजीनियरिंग में करियर।
  • Data Science: डाटा एनालिसिस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में करियर।
  • Scientist: वैज्ञानिक के तौर पर किसी क्षेत्र में रिसर्च करना।
  • अंतरिक्ष विज्ञान (Space Science): खगोलशास्त्र और अंतरिक्ष अन्वेषण में करियर।

अब यह एक ऐसी फील्ड है जिसे ज्यादातर सभी साइंस वाले स्टूडेंटस अपने करियर विकल्प के तौर पर चुन सकते हैं। हालाँकि आपने अगर मेडिकल ली है तो फार्मेसी या फॉरेंसिक साइंस जैसे करियर विकल्प आपके लिए बेस्ट हो सकते हैं तो वहीं नॉन मेडिकल वालों के लिए डाटा साइंस या बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग बेहतर विकल्प हो सकते हैं।

आज के समय में बहुत से स्टूडेंट्स इनमें भी अपना करियर बना रहे हैं। इसके लिए डॉक्टर जैसी स्पेशल पढ़ाई करने या इतनी मेहनत किए जाने की भी जरुरत नहीं होती है। वहीं जो बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग है वह बाकी इंजीनियरिंग के जैसी ही होती है और इसके लिए आपको JEE एग्जाम की ही तैयारी करनी होती है।

#4. नॉन साइंस करियर विकल्प

अब बात करते हैं कुछ ऐसे करियर विकल्प की जिसमें आपको अपनी स्ट्रीम से हटकर कुछ ऑप्शन मिलते हैं। कहने का मतलब यह हुआ कि बहुत से स्टूडेंट्स ऐसे भी होते हैं जो बारहवीं में स्ट्रीम तो साइंस की लेते हैं लेकिन उसके बाद करियर विकल्प के तौर पर नॉन साइंस का चुनाव करते हैं।

ऐसे में आप 12वीं में साइंस लेकर उसके बाद नॉन साइंस करियर में अपना भविष्य आजमाना चाहते हैं तो आपके पास कुछ इस तरह के करियर विकल्प हो सकते हैं:

  • Defence (NDA, CDS): सेना में करियर।
  • Animation & Multimedia: ग्राफिक्स, एनीमेशन, और मल्टीमीडिया।
  • साइबर सुरक्षा (Cyber Security): डाटा और इनफार्मेशन की सुरक्षा करना, खासकर डिजिटल मीडिया में।
  • डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing): ऑनलाइन मार्केटिंग और ब्रांडिंग का क्षेत्र जो मॉडर्न बिज़नस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • टीचर बनना: अपनी फील्ड के स्टूडेंट्स को पढ़ाना या किसी कोचिंग इंस्टीट्यूट या कॉलेज को ज्वाइन करना।

यहां पर हमने कुछ ऐसे करियर विकल्प दिए हैं जो साइंस से जुड़े हुए हैं भी और नहीं भी। कहने का मतलब यह हुआ कि यह कुछ ऐसे करियर ऑप्शन है जो आपको प्रॉपर तौर पर साइंस स्ट्रीम में तो नहीं लेकर जाएंगे लेकिन इसमें आपकी पढ़ाई जरुर काम आएगी।

उदाहरण के तौर पर आपको अगर टीचर बनना है तो उसमें सब्जेक्ट का चुनाव आप अपनी पसंद के अनुसार कर सकते हैं। अब अगर आपको साइंस में किसी एक सब्जेक्ट में ज्यादा इंटरेस्ट था तो आप उसी सब्जेक्ट को ही पढ़ाने का करियर विकल्प चुन सकते हैं। वहीं आप डिफेंस जैसे उच्च करियर विकल्प को भी चुन सकते हैं।

#5. गवर्नमेंट जॉब्स भी है एक करियर विकल्प

12वीं के बाद साइंस स्ट्रीम से करियर विकल्प (12th science ke baad course list) के तौर पर सबसे आखिरी लेकिन अच्छा करियर विकल्प है गवर्नमेंट जॉब की तैयारी करना। आपको विश्वास नहीं होगा लेकिन आज के समय में चाहे भारत सरकार की नौकरी हो या राज्य सरकार की नौकरी, वहाँ पर सेलेक्ट होने वाले स्टूडेंट्स में से आधे से ज्यादा स्टूडेंट्स साइंस स्ट्रीम के ही हैं।

अब वह नौकरी चाहे आईएस की हो या आईएफएस की या फिर पटवारी या तहसीलदार की। हर तरह की सरकारी नौकरी में साइंस स्ट्रीम के स्टूडेंट्स बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं। इसलिए आप चाहें तो आप भी इसमें अपना करियर बना सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको जमकर मेहनत करनी होगी। साथ ही किसी भी क्षेत्र में ग्रेजुएशन की डिग्री भी लेनी होगी।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस आर्टिकल में हमने आपके सामने 12वीं के बाद साइंस स्ट्रीम के करियर विकल्प के तौर पर लगभग सभी तरह के विकल्प रख दिए हैं। इसमें हमने मेडिकल और नॉन मेडिकल के लिए अलग से करियर विकल्प दिए तो वहीं दोनों स्ट्रीम को लेने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी करियर विकल्प (12th ke baad kya kare science student) दिए। इसी के साथ ही आपको नॉन साइंस या पूरी तरह से अलग वाले करियर विकल्प भी पढ़ने को मिले।

साइंस स्ट्रीम वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स 12वीं के बाद और बहुत तो दसवीं के बाद ही अपने करियर पर ध्यान देने लग जाते हैं। इसके लिए वे नीट या JEE की कोचिंग लेते हैं क्योंकि गवर्नमेंट के टॉप मेडिकल या इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए बहुत तगड़ा कम्पटीशन है। इसके लिए समय रहते कोचिंग ले ली जाए और उसके लिए सही कोचिंग का चुनाव कर लिया जाए तो यह आपके लिए ही सही रहता है।

अगर आप JEE या NEET की कोचिंग के लिए भारत के टॉप कोचिंग सेंटर के बारे में जानना चाहते हैं तो उनमें से कुछ चुनिंदा नाम मैट्रिक्स अकैडमी सीकर, आकाश इंस्टीट्यूट, रेजोनेंस अकैडमी, एलन कोटा, गुरुकृपा सीकर इत्यादि है। मैट्रिक्स और एलन जैसे कोचिंग सेंटर में तो 12वीं के बाद स्टूडेंट्स को सही करियर विकल्प चुनने के लिए एक्सपर्ट गाइडेंस और मेंटरशिप की सुविधा भी दी जाती है।

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सीकर में NEET कोचिंग फीस: आपके बजट में बेस्ट विकल्प

Sikar NEET Coaching Fees: क्या आप नीट की तैयारी करने को इच्छुक हैं और उसके लिए एक बेस्ट विकल्प की तलाश में हैं। देखने को तो सीकर शहर में नीट के दर्जनों कोचिंग इंस्टीट्यूट खुले हुए हैं लेकिन उनमें से कुछ एक ही बेहतर हैं। अब डॉक्टर बनने के लिए ना सिर्फ बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरुरत होती है बल्कि उसके लिए बहुत सारा पैसा भी बहाना पड़ता है।

इसे हम इस तरह से कहें कि डॉक्टर की पढ़ाई में पैसा पानी की तरह बहता है। यही कारण है कि ज्यादातर स्टूडेंट्स का सपना होता है कि वे नीट को जल्दी से जल्दी और अच्छे नंबर से क्रैक कर (NEET Coaching Fees Sikar) लें ताकि उनका गवर्नमेंट कॉलेज में एडमिशन हो जाए। पहली बात तो गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज की फीस प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की तुलना में बहुत कम होती है और दूसरा वहाँ की पढ़ाई भी टॉप लेवल की होती है।

अब यह तो हो गई बाद की बात। उससे पहले तो आपको नीट की तैयारी करनी होती है और उसके लिए किसी ना किसी कोचिंग सेंटर से जुड़ना होता (Sikar Coaching Fees For NEET) है। अब सीकर में नीट के कोचिंग इंस्टीट्यूट की फीस की बात की जाए तो इसको लेकर कई पेरेंट्स और यहाँ तक कि स्टूडेंट्स के माथे पर भी पसीना आ जाता है।

ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम सीकर के टॉप 5 नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट और वहाँ के फीस स्ट्रक्चर का तुलनात्मक अध्ययन करेंगे। इससे आप बेहतर तरीके से अपना निर्णय ले पाएंगे कि आपके लिए सीकर का कौन सा कोचिंग संस्थान बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।

Sikar NEET Coaching Fees | सीकर में नीट कोचिंग फीस

यहाँ हम ना केवल सीकर के टॉप नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट के बीच फीस को लेकर तुलनात्मक अध्ययन करेंगे बल्कि साथ ही आपको कई अन्य मापदंडों के आधार पर भी बताएँगे। कहने का अर्थ यह हुआ कि मान लीजिए कि एक इंस्टीट्यूट कम फीस ले रहा हो और दूसरा ज्यादा लेकिन पहले वाला कम फीस के नाम पर सुविधाएँ भी नामात्र या घटिया क्वालिटी की दे रहा हो जबकि दूसरे वाला वर्ल्ड क्लास फैसिलिटी तो आप किसे चुनेंगे?

आपका जवाब अवश्य ही दूसरे वाला होगा क्योंकि कम फीस देकर कुछ नहीं सीखने से बेहतर है ज्यादा फीस देकर अच्छा सीखना। वह इसलिए क्योंकि पहले वाले में आपके पैसे अवश्य ही कम लगेंगे लेकिन उसका क्या ही फायदा जब रिजल्ट ही अच्छा ना रहे। इससे आपका पैसा और समय दोनों ही बर्बाद होंगे।

वहीं यहाँ पर एक बात पर और ध्यान देना जरुरी (Sikar Coaching Fees NEET) है। वह यह है कि एक इंस्टीट्यूट बहुत ज्यादा फीस ले रहा है लेकिन दूसरे वाला कम। अब पहले वाले में कहने के नाम पर अनावश्यक सुविधाएँ हैं जबकि दूसरे वाले में सब जरुरत वाली सुविधाएँ, तो आप अवश्य ही इसमें दूसरे वाला चुनेंगे।

तभी हम आपको टॉप नीट इंस्टीट्यूट के फीस स्ट्रक्चर के साथ-साथ वहाँ मिलने वाली अन्य सुविधाओं के आधार पर तुलना करके बताएँगे। ऐसे में पहले हम आपके सामने एक टेबल रखने जा रहे हैं जिससे आपको मोटे तौर पर सीकर के नीट फीस स्ट्रक्चर (Sikar NEET Coaching Fees) का आईडिया हो सके।

नीट इंस्टीट्यूट का नाम लगभग वार्षिक फीस बैच साइज एडमिशन प्रोसेस फैसिलिटी एक्स्ट्रा फैसिलिटी स्कॉलरशिप
Matrix Academy ₹85,000 – ₹1,20,000 70-90 स्टूडेंट्स का बैच मैरिट पर आधारित छोटे बैच, स्पेशल टेस्ट सीरीज़, डाउट सेंटर्स, 365 दिन खुला, स्टडी मटेरियल, ऑनलाइन क्लासेज, मेंटरशिप पर्सनल गाइडेंस, टेस्ट रिव्यू, ऑनलाइन टेस्ट, मोबाइल ऐप सपोर्ट, डिजिटल लर्निंग हां, 90% तक
ALLEN Career Institute ₹1,00,000 – ₹1,50,000 100-120 स्टूडेंट्स का बैच टेस्ट पर आधारित स्टडी मटेरियल, टेस्ट सीरीज़, डाउट सेशन ऑनलाइन टेस्ट, मोबाइल ऐप सपोर्ट हां, 50% तक
Aakash Institute ₹90,000 – ₹1,30,000 80-100 स्टूडेंट्स का बैच प्रवेश परीक्षा या डायरेक्ट मॉक टेस्ट, स्टडी मटेरियल, कस्टमाइज्ड लर्निंग डिजिटल ट्यूटोरियल, वीडियो लेक्चर हां, 70% तक
Resonance ₹1,00,000 – ₹1,40,000 120 स्टूडेंट्स का बैच डायरेक्ट एडमिशन वीकली टेस्ट, स्टडी मटेरियल, मेंटरिंग डिजिटल लर्निंग, करियर काउंसलिंग हां, 50% तक
Toppers Academy ₹80,000 – ₹1,20,000 50-70 स्टूडेंट्स का बैच ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा ऑनलाइन क्लासेज, स्टडी मटेरियल पर्सनल गाइडेंस, लाइव सेशन हां, 30% तक

ऊपर हमने आपको सीकर के टॉप 5 नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट की फीस और वहाँ मिल रही सुविधाओं के बीच में एक तुलनात्मक टेबल उपलब्ध करवा दी है। अब हम एक-एक करके इन कोचिंग सेंटर्स के बारे में आपको बता देते (Sikar Coaching Fees For NEET) हैं।

#1. मैट्रिक्स अकैडमी, सीकर

मैट्रिक्स अकैडमी में नीट के साथ-साथ IIT JEE की भी तैयारी करवाई जाती है। ऐसे में उनकी दोनों ब्रांच को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। मैट्रिक्स अकैडमी में नीट की तैयारी मैट्रिक्स नीट डिविजन (Matrix NEET Division) के तहत करवाई जाती है। अब मैट्रिक्स अकैडमी में जो कुछ सुख-सुविधाएँ हैं, वह इस प्रकार है:

  • मैट्रिक्स में लगभग सभी तरह की फैसिलिटी दी जाती है जो किसी स्टूडेंट को नीट एग्जाम की तैयारी करने के लिए जरुरी होती है।
  • इसमें कस्टमाइज्ड स्टडी मटेरियल के साथ-साथ डिटेल्ड स्टडी मटेरियल की जरुरत सबसे ज्यादा होती है जिसको मैट्रिक्स ने बेहतर रूप से तैयार किया हुआ है।
  • मैट्रिक्स की जो चीज़ इसे बाकियों से अलग बनाती है, वह है यहाँ के डाउट सेंटर्स और साल के हर दिन अपने स्टूडेंट्स के लिए खुला रहना।
  • मैट्रिक्स के डाउट सेंटर्स में स्टूडेंट्स कभी भी अपने डाउट ले जाकर पूछ सकते हैं। अगर स्टूडेंट्स के डाउट टाइम टू टाइम क्लियर होते रहते हैं तो उनकी तैयारी में कोई रूकावट नहीं आती है।
  • वहीं साल के हर दिन खुले रहना भी अपने आप में एक अनोखा प्रयोग है। एक तरह से हर छुट्टी, त्यौहार वाले दिन भी मैट्रिक्स अपने स्टूडेंट्स के लिए कभी बंद नहीं होता है।
  • मैट्रिक्स में स्टूडेंट्स के बैच भी बाकी नीट इंस्टीट्यूट की तुलना में छोटे रखे जाते हैं। इससे टीचर अपने स्टूडेंट्स पर बेहतर तरीके से ध्यान दे पाता है।
  • इसके अलावा मोबाइल ऐप पर हर अपडेट मिलना, डिजिटल लर्निंग, ऑनलाइन टेस्ट एंड सेशन इत्यादि हर जरुरी फैसिलिटी मैट्रिक्स नीट डिविजन के तहत दी जाती है।

अब सबसे मजेदार बात यह है कि लगभग सभी तरह की फैसिलिटी देकर भी मैट्रिक्स की फीस ना तो बहुत ज्यादा है और ना ही एकदम कम। एक तरह से आपके बजट में बेस्ट विकल्प के तौर पर मैट्रिक्स ही सबसे पहले नंबर पर आता (Matrix Sikar NEET Fees) है। यही कारण है कि वह इस लिस्ट में भी टॉप पर बना हुआ है।

#2. एलन सीकर

एलन का नाम तो आपने अवश्य ही सुन रखा होगा। वह इसलिए क्योंकि एलन अब से नहीं बल्कि कई वर्षों से नीट की कोचिंग दे रहा है। उसका यह नाम एक दिन में नहीं बल्कि कई वर्षों की मेहनत के बाद बना है। शुरुआत एलन कोटा से हुई थी लेकिन देखते ही देखते इसकी ब्रांच अन्य कई शहरों में भी खुलती चली गई। आइए इसके बारे में भी जान लेते हैं।

  • एलन ने कई वर्षों की मेहनत से अपना स्टडी मटेरियल तैयार किया हुआ है जिसका कोई तोड़ नहीं है। एक तरह से इनका स्टडी मटेरियल बहुत अच्छा है।
  • एलन में भी मैट्रिक्स की तरह ही डाउट सेशन रखे जाते हैं जहाँ जाकर स्टूडेंट्स अपने डाउट क्लियर करते हैं।
  • यहाँ पर समय-समय पर टेस्ट लिए जाते रहते हैं। हालाँकि आज के समय में हर टॉप कोचिंग सेंटर टाइम टू टाइम टेस्ट लेता रहता है।
  • एलन की मोबाइल ऐप भी है जहाँ पर स्टूडेंट्स को हर तरह का अपडेट मिलता रहता है।
  • साथ ही यहाँ पर ऑनलाइन टेस्ट की सुविधा भी उपलब्ध है।

वैसे तो एलन नीट की कोचिंग देने में एक बहुत बड़ा ब्रांड है लेकिन वहाँ की फीस अन्य कोचिंग इंस्टीट्यूट की तुलना में बहुत ज्यादा है। साथ ही ज्यादा नाम होने के कारण वहाँ स्टूडेंट्स भी बहुत ज्यादा होते हैं और टीचर कम। इस कारण वहाँ के एक-एक बैच में भर-भर कर स्टूडेंट्स को लिया जाता है।

#3. आकाश इंस्टीट्यूट, सीकर

एलन की तरह ही आकाश भी देशभर में अपनी ब्रांच के लिए जाना जाता है। इनकी ब्रांच भी आपको हर बड़े शहर में देखने को मिल जाएगी जहाँ हजारों स्टूडेंट्स तैयारी कर रहे होते हैं। ऐसे में आइए इसके बारे में भी जान लेते हैं।

  • आकाश में अधिकतर स्टूडेंट्स को बिना किसी टेस्ट के डायरेक्ट ले लिया जाता है। एक तरह से यहाँ पर हर तरह का स्टूडेंट एडमिशन ले सकता है।
  • यहाँ की मुख्य सुविधा है सबकुछ ऑनलाइन उपलब्ध होना। कहने का मतलब यह हुआ कि आकाश का पूरा स्टडी मटेरियल, लेक्चर इत्यादि ऑनलाइन मिल जाएंगे।
  • ऐसे में आप एक साथ कई टीचर के लेक्चर और स्टडी मटेरियल ऑनलाइन देख सकते हैं और तैयारी कर सकते हैं।
  • यहाँ पर हर लेक्चर की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाती है ताकि अगर कोई स्टूडेंट अपनी क्लास मिस कर देता है तो बाद में उसे देखकर पढ़ सके।
  • यहाँ की स्टडी भी कस्टमाइज्ड तरीके से करवाई जाती है ताकि स्टूडेंट स्टेप बाय स्टेप आगे बढ़ सके।

आकाश की फीस तो मॉडरेट है लेकिन यहाँ भी एलन की तरह एक बैच में कई स्टूडेंट्स होते हैं। साथ ही आकाश इंस्टीट्यूट ऑनलाइन स्टडी पर ज्यादा फोकस करता है जिस कारण स्टूडेंट टीचर का ज्यादा संपर्क नहीं हो पाता है। इस कारण स्टूडेंट्स के डाउट पेंडिंग रह जाते हैं।

#4. रेजोनेंस अकैडमी, सीकर

रेजोनेंस भी एक जाना पहचाना नाम है जिसने हाल ही के वर्षों में अपना बहुत नाम कमाया है। इसका कारण है यहाँ का अच्छा रिजल्ट और स्टूडेंट्स का रेजोनेंस पर भरोसा।

  • रेजोनेंस अकैडमी में ज्यादातर डायरेक्ट एडमिशन ही होता है। इस कारण यहाँ भी कोई भी स्टूडेंट एडमिशन ले सकता है।
  • यहाँ पर स्टूडेंट्स का वीकली अर्थात साप्ताहिक तौर पर टेस्ट लिया जाता है जो उन्हें एग्जाम के लिए तैयार करता है।
  • यहाँ पर स्टूडेंट्स की टाइम टू टाइम मेंटरिंग की जाती है और पर्सनल गाइडेंस दी जाती है।

रेजोनेंस भी एक अच्छी अकैडमी है लेकिन यहाँ पर एक बैच में लगभग 120 या इससे भी ज्यादा स्टूडेंट्स होते हैं। साथ ही यहाँ की फीस भी अपेक्षाकृत थोड़ी ज्यादा है।

#5. टॉपर्स अकैडमी, सीकर

यह भी आकाश की तरह ही ऑनलाइन स्टडी पर ज्यादा ध्यान देती है। हालाँकि आज के समय में इसका नाम भी बहुत प्रचलन में आ गया है, आइए जाने।

  • यहाँ की फीस कुछ ज्यादा नहीं है। जिनकी आर्थिक स्थिति थोड़ी कमजोर होती है, वे अवश्य ही इस अकैडमी को चुनते हैं।
  • इस अकैडमी में स्टूडेंटस के बैच भी छोटे ही रखे जाते हैं जिस कारण टीचर अपने स्टूडेंट्स पर सही से ध्यान दे पाते हैं।
  • हालाँकि यहाँ मिलने वाली फैसिलिटी भी बहुत ही कम है। जहाँ अन्य 4 नीट इंस्टीट्यूट तरह-तरह की फैसिलिटी देते हैं तो वहीं टॉपर्स अकैडमी में इतनी फैसिलिटी नहीं है।

एक तरह से यहाँ आपको स्टडी मटेरियल, ऑनलाइन सेशन, पर्सनल गाइडेंस इत्यादि दी जाती है जो लगभग हर टॉप नीट इंस्टीट्यूट दे देता है। हालाँकि यह अकैडमी सीकर की बाकी नीट अकैडमी से अच्छी है तभी यह टॉप 5 में आती है।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको सीकर में नीट कोचिंग फीस के स्ट्रक्चर (Sikar NEET Coaching Fees) और टॉप 5 नीट कोचिंग सेंटर्स के बीच में तुलनात्मक अध्ययन करके दे दिया है। अगर आप बजट के अंदर बेस्ट विकल्प ढूंढ रहे हैं तो उसमें मैट्रिक्स सबसे बेस्ट विकल्प रहने वाला है।

वहीं ब्रांड वैल्यू के हिसाब से एलन, सबसे कम पैसों के हिसाब से टॉपर्स, ऑनलाइन स्टडी के हिसाब से आकाश और डायरेक्ट एडमिशन के हिसाब से रेजोनेंस बेटर ऑप्शन है। हालाँकि इस बात का जरुर ध्यान रखें कि जिस इंस्टीट्यूट में बैच साइज़ छोटा होता है, वहाँ पर अक्सर स्टूडेंट्स का सिलेक्शन जल्दी होता है।

वह इसलिए क्योंकि बैच में कम स्टूडेंट्स होने से स्टूडेंट्स और टीचर्स के बीच में ज्यादा कनेक्शन होता (Sikar Coaching Fees For NEET) है। अब अगर स्टूडेंट टीचर के लगातार संपर्क में बना रहता है तो उसे एक्सपर्ट गाइडेंस मिलती है, नई तरह की चीज़ों से वह अपडेटेड रहता है और उसके कोई भी डाउट अधूरे नहीं रहते।

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