क्या JEE के लिए एक साल का ड्रॉप लेना फायदेमंद है?
जैसा कि आप जानते हैं कि JEE Main राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है जो भारत में इंजीनियरिंग और अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए आयोजित की जाती हैं। इस प्रवेश परीक्षा के माध्यम से IIT, CFTI, NIT, IIIT और अन्य सरकारी कॉलेजों में प्रवेश टॉप रैंक के अनुसार लिए जाते हैं। इंजीनियर बनने का सपना देखने वाले कई विद्यार्थी इस परीक्षा को अपने बोर्ड की परीक्षा के साथ भी देते है। दूसरी और ऐसे विद्यार्थी भी होते हैं, जिन्हे अपने प्रथम प्रयास में वांछित सफलता नहीं मिल पाती वे विद्यार्थी इस कठिन परीक्षा की तैयारी करने के लिए 1 साल का ड्रॉप लेते हैं। इस ड्रॉप वर्ष में वे पूरी तरह JEE परीक्षा की तैयारी में समर्पित होते है। इन्ही विद्यार्थियों को आमतौर पर ड्रॉपर कहा जाता है। किसी भी विद्यार्थी के लिए एक साल का पढाई संबंधित अंतराल लेना एक महत्वपूर्ण निर्णय होता हैं इसलिए जरुरी हैं कि इस निर्णय के सभी कारकों पर चर्चा हो
हमने प्रसिद्ध कोचिंग विशेषज्ञों, शिक्षकों और पिछले वर्षों के सफल ड्रॉपर्स से विस्तृत बातचीत की उन्होंने अपने अनुभवों से JEE परीक्षा में गैप ईयर लेने के फायदों और उससे होने वाले संभावित नुकसानों के बारे में बताय। साथ ही आगे भविष्य में JEE परीक्षा के लिए ड्रॉप लेकर तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को अपनी पढाई और तैयारी संबंधित रणनीति भी हमसे साझा की हैं जो हमने आपके लिए इस ब्लॉग में सम्मिलित की हैं।
JEE परीक्षा के लिए ड्रॉप (अंतराल) क्यों ले?
“Do Not Lose Hope, JEE Main Will be a Win.”
JEE Main के लिए 1 साल का ड्रॉप लेना एक महत्वपूर्ण निर्णय है, ऐसा करने के बाद आपको सफलता पाने के लिए अपने निर्णय के प्रति पूर्ण समर्पण रखना आवश्यक हैं। आपको अब नए दृष्टिकोण और रणनीति के साथ पुनः तैयारी शुरू करनी चाहिए। पूर्व में मिली असफलता से हुई निराशा को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना है। नए उत्साह, मजबूत दृढ़ संकल्प और सकारत्मक सोच के साथ तैयारी करनी चाहिए। एक साल का अंतराल लेने का मतलब है कि आप एक साल पूरी तरह से JEE की तैयारी में झोंक दें। यह समय विद्यार्थियों को सीखने और बेहतर प्रदर्शन करने का अवसर देता है। हमारी टीम ने इसके फायदों के बारे में जानने के लिए प्रसिद्ध कोचिंग विशेषज्ञों से बातचीत की जो इस प्रकार हैं-
सर्वश्रेष्ठ कॉलेज पाने का लक्ष्य
IIT JEE की तैयारी करने वाला प्रत्येक विद्यार्थी भारत की प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लेकर अपने इंजीनियर बनने का सपना पूरा करना चाहता है। JEE परीक्षा के कठिनाई स्तर और प्रदर्शन करने के दबाव को देखते हुए, पहली बार में ही अपनी पसंदीदा कॉलेज में प्रवेश पाना बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य है। हालांकि कई विद्यार्थी यह कार्य अपनी 12वीं कक्षा के साथ भी कर लेते हैं लेकिन जिनका पिछले साल अच्छे कॉलेज में प्रवेश नहीं हो पाया उन्हें कुछ एक ओर अतिरिक्त ड्रॉप वर्ष की आवश्यकता होती हैं।
पूर्व में हुई गलतियों का विश्लेषण करने के लिए
JEE परीक्षा के लिए एक साल का ड्रॉप लेने वाले विद्यार्थियों को सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह होता हैं कि उन्हें खुद का विश्लेषण करने का मौका मिल जाता है। ड्रॉप वर्ष विद्यार्थी को अपनी तैयारी की रणनीति नए सिरे से बनाने और उसके कमजोर पक्षों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर देता है। पूर्व में परीक्षा में शामिल होने वाले विद्यार्थियों को अपनी प्रतियोगिता का अनुभव होता हैं। यह ज्ञान उन्हें कमजोर क्षेत्रों का पता लगाने में मदद करता हैं। उचित योजना और अध्ययन सामग्री के साथ विद्यार्थी JEE में अच्छे अंक प्राप्त कर सकतें है। और एक अच्छी एवं प्रतिष्ठित सरकारी कॉलेज में प्रवेश पाकर अपने सपनों को साकार कर सकता है।
एक अलग रणनीति बनाने के लिए
जब विद्यार्थियों को अपने दृष्टिकोण को बदलने की बात की जाती हैं तो हमेशा यही सलाह दी जाती हैं कि पहली बार तैयारी करते समय बनाई गई रणनीतियों को और तैयारी दृष्टिकोण में क्या बदलाव किये जा सकतें है। तैयारी कि नई रणनीति में उन सभी तत्वों को जरूर शामिल करना चाहिए जो पहली बार में आप से चूक गए थे। या जिनके प्रति आपने सकारात्मक दृष्टिकोण नहीं अपनाया। इसके लिए आप सीकर की कोचिंग्स जैसे Matrix JEE Academy, Allen, PCP, CLC आदि के शिक्षकों एवं विशेषज्ञों से भी व्यक्तिगत सलाह ले सकतें हैं।
लक्ष्य उन्मुख तैयारी (Target Oriented Preparation)
एक ड्रॉप वर्ष, विद्यार्थी को उसके मज़बूत ओर कमजोर दोनों पक्षों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए निर्बाध समय देता हैं। स्कूल या अन्य किसी भी तरह का व्यवधान न होने का मतलब है कि विद्यार्थी अब अपनी पसंद के अनुसार अध्ययन योजना बना सकता है। इस समय गंभीर तैयारी करने वाले एवं अपने कैरियर को लेकर चिंतित रहने वाले विद्यार्थी अधिक ध्यान से अपनी तैयारी करते हैं क्योंकि वो ये मौका अब अपने हाथ से नहीं देना चाहेंगे।
अतिरिक्त तनाव व दबाव का कम होना
JEE Main जैसी कठिन परीक्षा का पाठ्यक्रम बहुत बड़ा होता हैं। विद्यार्थियों पर इस विशाल Syllabus को पूरा करने का दबाव होता हैं। इसे कम समय में पूरा करने का लक्ष्य विद्यार्थी को मानसिक तनाव दे सकता हैं। विद्यार्थी के पास जब एक गैप वर्ष होता है, तो प्रत्येक विषय को गहराई से सीखने, कठिन विषयों की अवधारणाओं को रटने के बजाये समझने, सभी विषयों का Revision करने आदि के लिए पर्याप्त समय होता है। ऐसा होने पर विद्यार्थियों को मानसिक तनाव का सामना नहीं करना पड़ता और उसकी वास्तविक JEE परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
एक अतिरिक्त अवसर
इस अतिरिक्त मौके को भुनाने में सहयोग करने के लिए सीकर की कोचिंग्स काफी प्रसिद्ध हैं। जिनमें मुख्य नाम Matrix JEE Academy, Kautilya IIT Academy, PCP, Allen, CLC आदि नाम आते है। सीकर के ये संस्थान ड्रॉपर्स के लिए और भी ज्यादा प्रसिद्ध हैं। इन संस्थानों में ऐसे विद्यार्थियों पर विशेष ध्यान दिया जाता हैं जो एक साल का अतिरिक्त अंतराल लेते हैं। यहां 2025 के परिणामों में लगभग 50 फीसदी वो विद्यार्थी थे, जिन्होंने एक वर्ष का ड्रॉप लिया था। अगर आप भी ड्रॉपर्स में शामिल हैं, तो सीकर के इस तरह की विशिष्ट गुणवत्ता वाला संस्थान चुन सकते हैं।
JEE में ड्रॉप लेने के नुकसान
आपने IIT JEE में एक साल का ड्रॉप लेने के फायदें जान लिए हैं, लेकिन इस एक साल में विद्यार्थियों को कई नुकसान भी होते है। विषेशज्ञों के अनुसार ड्रॉप ईयर आपको दुबारा तैयारी करके एक अच्छी IIT Collage में प्रवेश पाने का मौका तो देता है। लेकिन इस बार भी अनिश्चितत्ता बनी रहती हैं। विद्यार्थी को उतनी ही प्रतिस्पर्धा और तनाव का सामना करना पड़ता है, जितना पहले किया हैं। उसी तैयारी में एक और साल गंवाने की संभावनाएं भी बनी रहती हैं। इसलिए एक साल का ड्रॉप लेने से पहले आपको निम्न संभावित चुनौतियों से अवगत रहना चाहिए।
मानसिक दबाव
एक साल का गैप लेने वाले विद्यार्थियों पर पढ़ाई करने, सफलता पाने का बाहरी दबाव तो होता ही है। इसके साथ ही वो खुद पर भी मानसिक दबाव बना लेते हैं। पढ़ाई के दौरान ही सोचने लगते हैं कि भविष्य में कोई कॉलेज मिलेगा या नहीं मिलेगा,अबकी बार मुझे कौनसी रैंक मिलेगी इत्यादि ये विचार विद्यार्थी की चिंता का कारण बन जाते हैं,जिसका असर आगे चलकर उनके परिणामों पर पड़ता है। विद्यार्थियों को इनसे छुटकारा पाने के लिए सीकर की उच्च गुणवत्ता वाली कोचिंग में प्रवेश लेना चाहिए क्योंकि, वहां ऐसे विद्यार्थियों की शंकाओं का समाधान तो किया ही जाता हैं इसके साथ-साथ उनकी व्यक्तिगत रूप से मनोचिकित्सक द्वारा काउंसलिंग भी की जाती हैं।
आर्थिक दबाव का सामना
हालांकि पढ़ाई करने वाले अधिकांश विद्यार्थियों को इस प्रकार की चिंता से मुक्त होना चाहिए और इसके लिए उनके अभिभावक हर संभव कोशिश भी करते हैं। लेकिन वर्तमान समय में कोचिंग लेना कोई आसान काम नहीं है। जिसका असर उन मध्यमवर्गीय परिवारों के विद्यार्थियों पर पड़ता है जो एक साल का अतिरिक्त ड्रॉप लेने वाले हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे विद्यार्थी को कम संसाधनों में भी कठिन परिश्रम करना चाहिए, क्योंकि कठिन मेहनत और अथक प्रयासों का इस दुनियां में अन्य कोई विकल्प नहीं हैं। प्रतिवर्ष हम ऐसे विद्यार्थियों के उदाहरण भी देखते हैं जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी IIT JEE क्रैक करते हैं और अपने सपनों को पूरा करते हैं। मैट्रिक्स अकादमी, सीएलसी, गुरुकृपा, प्रिंस जैसे सीकर के प्रसिद्ध कोचिंग संस्थान कमजोर आर्थिक स्थिति वाले विद्यार्थियों के लिए समय समय पर स्कॉलरशिप टेस्ट भी आयोजित करवाते हैं। अगर कोई विद्यार्थी इस दबाव से मुक्त होकर अपने सपनो को नई ऊंचाई देना चाहता हैं तो MSAT, GSAT जैसी प्रतियोगिता में भाग ले सकता हैं।
पिछड़ने का डर
IIT में एंट्री के समय विद्यार्थी एक साल बड़े हो जाते हैं। उनकी ग्रेजुएशन एक वर्ष देरी से पूरी होगी, जिसके चलते उन्हें जॉब/हायर स्टडीज में भी देरी होंगी। कुछ कंपनियां/स्कॉलरशिप्स में एज लिमिट होती है। जिसका नुकसान एक साल का ड्रॉप लेने वाले विद्यार्थियों को उठाना पड़ता हैं। इसके अतिरिक्त उनकी अपने सहपाठियों से पिछड़ने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। कुछ अन्य प्रतिष्ठित राज्य स्तरीय कॉलेजों में भी उनके प्रवेश लेने के रास्ते बंद हो जाते हैं। एक साल का ड्रॉप लेने वाले विद्यार्थियों को इन सब चीजों का पता होना ही चाहिए।
एक साल ड्रॉप के लिए JEE तैयारी की रणनीतियां: Dropper’s Strategy
वर्तमान शिक्षा रुझानों का विश्लेषण करने के बाद, हमारे विशेषज्ञ कहते हैं कि JEE 2025 के लिए किसी भी ड्रॉपर की रणनीति में उचित कोचिंग सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। लेकिन क्यों? क्योंकि ड्रॉपर विद्यार्थी बिना कोचिंग के शिक्षकों और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से वंचित रहते हैं। हालांकि ड्रॉपर स्वतंत्र रूप से तैयारी कर सकते हैं, लेकिन प्रत्येक स्वतंत्र विद्यार्थी एक उचित अध्ययन तालिका नहीं बना सकता जो उनके प्रदर्शन को बेहतर बनाए।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, JEE के लिए विद्यार्थियों में प्रतिवर्ष प्रतिस्पर्धा बढ़ रही हैं और यह 2026 ओर अधिक बढ़ जायेगी। जिसके चलते चलते ड्रॉपर्स को ओर अधिक मुश्किलों का सामना करना पड सकता हैं। नया ज्ञान प्राप्त करने, सभी विषयों का रिवीजन करने, किसी विषय के टॉपिक की समझ को पूरा करने के लिए Self Learning काफी नहीं हो सकती। इसके लिए आपको मैट्रिक्स जेईई एकेडमी जैसे उच्च गुणवत्ता वाले कोचिंग संस्थान में प्रवेश लेकर अपने 1 साल के ड्रॉप वर्ष का सदुपयोग करना चाहिए। विशेषज्ञों और कोचिंग शिक्षकों के अनुसार आप निम्न JEE महत्वपूर्ण रणनीति (Strategy For JEE) भी अपना सकतें हैं।
मूल्यांकन से शुरुआत करें
विद्यार्थी अपने पिछले प्रदर्शन में कमजोर रहे टॉपिक्स और गलतियों का सावधानी पूर्वक मूल्यांकन करें। यह समझें कि क्या आपका खराब प्रदर्शन समय प्रबंधन, कमजोर अवधारणाओं (कॉन्सेप्ट्स) या परीक्षा की चिंता के कारण हुआ? इन सभी गलतियों की पहचान कर इनके लिए विशेष रणनीति बनाए। विद्यार्थी अपनी आगे की तैयारी करने के लिए जो कोचिंग संस्थान चुनें, उसके शिक्षकों,ओर विषय विशेषज्ञों से सलाह लें।
सही संसाधनों/ गुणवत्तापूर्ण कोचिंग का चयन करें
JEE के लिए एक साल का ड्रॉप लेने वाले विद्यार्थियों को तैयारी करने के लिए सही गुणवतापूर्ण कोचिंग का चयन करना चाहिए। उन्हें एक ऐसी कोचिंग चुननी चाहिए जिसके शिक्षक आईआईटीयन रहें हो, पढ़ाने का अच्छा खासा अनुभव हो, उस कोचिंग की सफलता दर उच्च हो, वहां पढ़ाई के लिए उचित सामग्री जैसे NCERT बेस्ड पुस्तकें, DPP (Daily Practice Paper) ओर अभ्यास प्रश्न करवाने के लिए अलग से प्रैक्टिस सैशन लगते हो। संस्थान नियमित रूप से JEE Main परीक्षा के स्तर के Mock Tests लेती हो तथा उनका विश्लेषण भी करवाती हो। सीकर में ये व्यापक सुव्यवस्थित अध्ययन सामग्री और संसाधन उपलब्ध करवाने वाले कई प्रतिष्ठित संस्थान हैं जैसे Matrix JEE Academy, Kautilya IIT Academy, PCP, CLC, Allen, Gurukripa इत्यादि। इनमें भी मैट्रिक्स संस्थान ड्रॉपर्स के लिए काफी प्रसिद्ध संस्थान हैं। यहां पिछले वर्षों में कुल सफलता दर में से लगभग 40 फीसदी से अधिक वो विद्यार्थी थे, जो ड्रॉपर के तौर पर संस्थान से जुड़े थे।
व्यवस्थित अध्ययन योजना बनाएं
गैप वर्ष लेने वाले विद्यार्थियों को आगे की तैयारी के लिए एक व्यवस्थित अध्ययन योजना बनाने पर ध्यान देना चाहिए। विशेषज्ञों के मुताबिक विद्यार्थी को ऐसा संतुलित दैनिक ओर साप्ताहिक कार्यक्रम बनाना चाहिए जिसमें नियमित कोचिंग क्लासेज़, रिवीजन, Mock Tests और मानसिक स्वास्थ्य के लिए शारीरिक गतिविधियों को शामिल किया गया हो। JEE की तैयारी में 1 साल का ड्रॉप लेकर तैयारी शुरू करने वाले विद्यार्थियों को आगे के भविष्य की चिंताओं (कौनसी IIT कॉलेज मिलेगी, मेरा अंतिम चयन होगा कि नहीं होगा आदि) से मुक्त रहकर अपनी परिणामदेई अध्ययन योजना पर कार्य करना चाहिए।
गैप ईयर में सफलता पाने वाले Droppers के सुझाव
हमने सीकर में एक ड्रॉप वर्ष के अंतराल में तैयारी कर रहें छात्रों, अभिभावकों ओर उनकी कोचिंग संस्थानों में बातचीत की तो उन सफल ड्रॉपर छात्रों ने अब आगे तैयारी कर रहें छात्रों के लिए निम्न महत्वपूर्ण सुझाव एवम् रणनीतियां बताई।
नियमित रिवीजन सफलता का आधार
उत्तरी भारत और शिक्षा नगरी सीकर की सर्वश्रेष्ठ JEE कोचिंग “मैट्रिक्स एकेडमी” के टॉपर छात्रों (गौरव पारीक AIR 238, ऋषभ मील AIR 479) और अन्य छात्रों से हुई बातचीत के अनुसार ड्रॉप वर्ष लेकर तैयारी करने वाले छात्र अपनी तैयारी NCERT से शुरू करें। इन्होंने बताया कि JEE के विद्यार्थी अपने पाठ्यक्रम के महत्वपूर्ण टॉपिक्स के संक्षिप्त नोट्स (Short Notes ) बनाकर उनका बार बार रिवीजन करे, इसके अलावा अपना कीमती समय बचाने के लिए अवधारणाओं और सूत्रों को दोहराने के लिए माइंड मैप्स, फ्लैशकार्ड्स का उपयोग करें।
पीसीपी सीकर के छात्र त्रिवेंद्र सिंह (99.94%tile) ने बताया कि लगातार उबाऊ पढ़ाई से बचने के लिए विद्यार्थी शारीरिक गतिविधियों जैसे व्यायाम, योग,ध्यान आदि का नियमित रूप से अनुसरण करें। इन क्रियाओं से एक नई ऊर्जा का संचार होता हैं और चीजों को लंबे समय तक याद रखने में मस्तिष्क को सहायता मिलती हैं।
Mock Test अत्यंत उपयोगी
किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में अभ्यास का महत्व अत्यंत उपयोगी है। बिना अभ्यास के परीक्षा देना व्यर्थ साबित होता हैं और JEE परीक्षा के लिए तो यह और भी जरूरी है क्योंकि वहां कम समय में कठिन प्रश्न करने होंगे। ड्रॉप वर्ष लेने वाले विद्यार्थियों को अपनी तैयारी में समय प्रबंधन और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए वास्तविक परीक्षा जैसे माहौल में टेस्ट देने चाहिए। उन्हें टैस्ट देकर छोड़ना ही नहीं है,बल्कि टैस्ट में हुई गलतियों का बारीकी से विश्लेषण करना चाहिए। सीकर का मैट्रिक्स संस्थान इस मामले में पूरे उत्तरी भारत में शीर्ष पर है। वहां विद्यार्थियों के लिए प्रत्येक Mock का विशेषज्ञ शिक्षकों के माध्यम से विश्लेषण करवाया जाता हैं।
केंद्रित और अनुशासित रहकर पढ़ाई करें
ड्रॉपर्स के लिए तैयारी के दौरान अपनी अध्ययन योजना पर अडिग रहकर कठिन परिश्रम से पढ़ाई करनी जरूरी हैं। इसके बारे में सीएलसी सीकर की छात्रा दिया सिनवार (99.9%tile) से हुई बातचीत में हमें बताया कि इन विद्यार्थियों को एक समर्पित, व्यवस्थित अध्ययन वातावरण बनाकर, मोबाइल जैसे विकर्षणों से दूर रहकर पढ़ाई करनी चाहिए।
समय प्रबंधन पर ध्यान दें
एक ओर महत्वपूर्ण तथ्य जिस पर विद्यार्थियों को ध्यान देना चाहिए वह है “Time Management Skills” JEE परीक्षा के सफल छात्रों ने इस बात पर विशेष जोर दिया है कि किसी भी एक प्रश्न के लिए अधिक समय खराब नहीं करना है। परीक्षा में कुछ प्रश्न ऐसे जरूर होते हैं जिनमें विद्यार्थी उलझ जाता हैं और वह उसे सॉल्व करने की जिद्द में फंस जाएगा। ऐसे प्रश्नों को छोड़कर उसे आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि, सीमित समय में कई प्रश्नों का जवाब देना होता हैं। विद्यार्थियों का सवाल होता हैं कि टाइम मैनेज कैसे करें? इसके लिए उन्हें पूर्व में हुई परीक्षाओं के पेपर तय समय में हल करने का परीक्षा से पहले ही अभ्यास करना चाहिए।
विद्यार्थी 1 साल के ड्रॉप ईयर में होने वाली निम्न गलतियों से बचें
- विद्यार्थी अत्यधिक संसाधनों का उपयोग न करे इसके बजाय आप विश्वनीय पुस्तकों से पढ़ाई करें, बहुत ज्यादा अध्ययन सामग्री लाकर उनकी तुलना करने में समय खराब न करें।
- समय समय पर अपनी प्रगति रिपोर्ट (Report Card) की तुलना करें लेकिन कक्षा के उन नकारात्मक विद्यार्थियों से बचे जो, आपके प्रदर्शन का मजाक बनाते हैं।
- कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान दें लेकिन कोई एक विशेष टॉपिक जो आपको बिल्कुल न आए उसको छोड़ना सीखें।
- गैप वर्ष वाले विद्यार्थी अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य कार्यों में संलग्न होकर अपने मुख्य लक्ष्य से न भटके।
- ऐसे छोटे छोटे लक्ष्य बनाकर पढ़ाई करें जिनको आप नियमित रूप से प्राप्त करते हो, केवल कागजी टाइम टेबल न बनाएं जिसका अनुसरण ही न किया जा सकें।
निष्कर्ष
अगर विद्यार्थी JEE में अच्छी रैंक से भारत की प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लेना चाहते हैं, तो एक ड्रॉप वर्ष लेना आपके लिए मददगार साबित हो सकता हैं। पिछले कुछ वर्षों में JEE के पाठ्यक्रम में काफी बदलाव भी हुए हैं और कठिनता का स्तर भी बढ़ा है। ऐसे में उन छात्रों की संख्या बढ़ी है। जिन्होंने एक अतिरिक्त वर्ष तैयारी करके अपनी रैंक सिक्योर की है। लेकिन एक वर्ष का अंतराल लेने वाले विद्यार्थी यह जरूर सुनिश्चित करें कि आप समय का सदुपयोग कर रहे है और अपनी पढ़ाई को प्राथमिकता दे रहें हैं।
FAQs
हां, अगर समझदारी से ड्रॉप ईयर को इस्तेमाल किया जाए तो यह आपकी तैयारी को बेहतर बना सकता है जिससे आपके सफल होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
आप एक सुव्यवस्थित समय सारणी (Time Table) बनाकर,ध्यान भटकाने वाली चीजों से दूर रहकर अपने ध्यान को पढ़ाई पर केंद्रित कर सकते हैं।
बिल्कुल! कई छात्र ड्रॉप वर्ष में समर्पित तैयारी करके बेहतरीन परिणाम प्राप्त करते हैं और अपने सपनों की IIT कॉलेज में प्रवेश लेते हैं।
JEE Main को छोड़ना एक गंभीर निर्णय होता हैं। ड्रॉपर होने का एक फायदा यह है कि उन्हें स्कूल, टैस्ट या अन्य एग्जाम्स की चिंता नहीं करनी पड़ती है। उम्मीदवार पूरी तरह से जेईई मेन पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। यह पता लगाना मुश्किल है कि प्रतिवर्ष कितने ड्रॉपर JEE Main परीक्षा पास करते हैं लेकिन फिर भी यह आंकड़ा अनुमानित तौर पर 50% के आस पास होता हैं।
NCERT की पुस्तकें JEE Main परीक्षा के पाठ्यक्रम का आधार होती हैं। इन पुस्तकों में शामिल अधिकांश टॉपिक्स जेईई मेन एग्जाम में पूछे जाते हैं, इसलिए प्रत्येक जेईई अभ्यर्थी को अपनी एग्जाम की तैयारी के दौरान इन पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए।











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