Kota Suicide News Today in Hindi | कोटा स्टूडेंट्स सुसाइड | SCAS
कोटा को देश की कोचिंग सिटी कहा जाता था किन्तु अब यह कोचिंग सिटी के नाम से कम और छात्रों के सुसाइड पॉइंट के नाम से ज्यादा न्यूज़ में फेमस हो रहा (Kota Suicide News Today in Hindi) है। आये दिन किसी ना किसी छात्र के कोटा में सुसाइड करने के केसेज न्यूज़ में सुनने को मिल रहे हैं। माता-पिता बहुत ही उम्मीदों के साथ अपने प्यारे से बच्चे को कोटा भेजते (Suicides Rising in Kota) हैं और इसके लिए उन्हें बहुत खर्चा भी करना पड़ता है।
वहीं दूसरी ओर, एक छात्र भी अपने मन में कई तरह की जिज्ञासा लेकर घर से इतनी दूर कोचिंग सिटी कोटा में पढ़ने आता है ताकि उसका जल्द से जल्द देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी या कॉलेज में एडमिशन हो जाये। ताकि वह आगे चल कर अच्छी नौकरी कर (Kota Students Suicide) सके और अपना और अपने माता-पिता का भविष्य उज्जवल बना सके। ऐसे में आखिरकार इसकी क्या वजह है कि लगातार हमें यह केस सुनने में आ रहे हैं कि कोटा में फलाना छात्र ने इस कारण से सुसाइड कर लिया तो फलाना छात्र फंदे से लटकता हुआ मिला।
कोटा में छात्र क्यों कर रहे हैं सुसाइड?
अब कोटा किस चीज़ के लिए देशभर में इतना प्रसिद्ध है? सबसे पहले इसी को जानने की ही कोशिश करते हैं क्योंकि यदि हमने नब्ज पकड़ ली तो शायद यह पता चल जाये कि आखिरकार बच्चे कोटा में ही क्यों सुसाइड कर रहे (Kota Students Suicide) हैं। अब यह तो सभी को पता है कि कोटा में छात्र कोचिंग लेने जाते हैं लेकिन यह कोचिंग किस चीज़ की है। तो उसका जवाब है JEE और NEET की ताकि उनका देश के टॉप लेवल के IIT या मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हो सके।
अब क्या इस तरह की कोचिंग केवल कोटा में ही करवायी जाती है? यदि आप अपने शहर में या छोटे से कस्बे में भी जाएंगे तो वहां आपको JEE और NEET की तैयारी करवाने वाले दर्जनों इंस्टीट्यूट और कोचिंग संस्थान दिख जाएंगे। तो फिर आपके शहर या गाँव में कोचिंग ले रहे छात्र सुसाइड नहीं कर रहे हैं जबकि कोटा में कर रहे हैं, भला ऐसा क्यों है (Kota me suicide kyu ho rhe h)!!
अब कुछ लोग कहेंगे कि कोटा में देश के प्रतिष्ठित और टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं जहाँ से सबसे ज्यादा सलेक्शन IIT और NEET में हो रहे हैं। तो यह भी गलत है। हां, यह बात तो सही है कि आज कोटा देशभर में IIT और NEET की कोचिंग देने में टॉप पर आ चुका है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि भारत में किसी अन्य शहर में अच्छे इंस्टीट्यूट नहीं है या उसकी टक्कर में भी नहीं है।
अब कोटा राजस्थान शहर में है और हम कोटा के पास का ही राजस्थान का एक अन्य शहर सीकर ले लें तो यह आज के समय में कोटा को कड़ी टक्कर दे रहा है। जिस तरह से कोटा में एलन इंस्टीट्यूट का डंका बजता है तो उसी तरह से सीकर का मैट्रिक्स इंस्टीट्यूट भी कम नहीं है। वहीं सीकर शहर के जैसे ही कोटा को टक्कर देने के लिए दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर के इंस्टीट्यूट भी कम नहीं हैं। फिर कोटा में ही सुसाइड हो रहा है लेकिन अन्य शहरों में नहीं। आइये इसके कारणों के बारे में जान लेते हैं।
कोटा में क्यों बढ़ रही स्टूडेंट्स की खुदकुशी की घटना?
भारत के हर शहर और गाँव में IIT या नीट की कोचिंग दी जाती (Suicides Rising in Kota) है लेकिन वहां सुसाइड नहीं होते किन्तु कोटा में हर आये दिन कोई ना कोई छात्र फंदे से लटक कर ख़ुदकुशी कर लेता है या किसी ऊँची बिल्डिंग से छलांग मार जाता है या कुछ और। ऐसे में कोटा के स्टूडेंट्स ही खुदकुशी कर रहे हैं, कहीं और के नहीं, आइये इसके बारे में पता लगाया जाये और इसके कारणों पर गौर किया जाए।
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कोटा का हाइप
कोटा में स्टूडेंट्स के खुदकुशी करने में जिस चीज़ की सबसे बड़ी भूमिका है वह है कोटा का हाइप हो जाना। अब पूरे देश के लोग यही मान बैठे हैं कि उनके बच्चे को कोटा से अच्छी कोचिंग कहीं और मिल ही नही सकती है। माना कि कोटा में छात्रों का सलेक्शन रेट बहुत ज्यादा है लेकिन आप यह भी तो देखिये कि वहां छात्रों की संख्या भी तो कितनी है।
साथ ही वहां ज्यादातर ऐसे छात्र भी आते हैं जो पढ़ाई को लेकर सीरियस होते हैं और इसी कारण उनका जल्दी सलेक्शन हो जाता है। किन्तु आपको भारत के अन्य शहरों में या अपने घर के पास के ही किसी इंस्टीट्यूट में ही अच्छी कोचिंग मिल सकती है, बस आपका सीरियस होना जरुरी है और किसी अच्छे इंस्टीट्यूट के बारे में सही रिसर्च किया जाना।
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इंस्टीट्यूट का प्रेशर
अब यह कारण भी पहले वाले कारण से ही जुड़ा हुआ है। हम समझाते हैं कैसे, आप सभी के सामने जब भी कोटा का नाम आता है तो आपके मन में सबसे पहले यही आता है कि वह कोचिंग सिटी है जहाँ छात्र IIT और नीट की कोचिंग लेने के लिए जाते हैं। तो अब छात्र वहां जाकर पढ़ते कहाँ हैं? आपका उत्तर होगा कोटा में चल रहे सैकड़ों इंस्टीट्यूट में से किसी एक में।
ऐसे में कोटा के सभी इंस्टीट्यूट में एक दूसरे से आगे निकलने की एक होड़ सी मची हुई है। ऐसे में सभी इंस्टीट्यूट अपना रिजल्ट अच्छा दिखाने के लिए और दूसरे इंस्टीट्यूट से बेहतर दिखने के लिए अपने यहाँ पढ़ रहे छात्रों पर बहुत ज्यादा दबाव डालते हैं। अब कई छात्र ऐसे होते हैं जो इतने ज्यादा दबाव को झेल नहीं पाते हैं और आखिर में जाकर सुसाइड कर लेते हैं।
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चारों और स्टूडेंट्स का होना
भारत देश में कोटा के अलावा भी कई कोचिंग सिटी है जहाँ पर JEE और NEET की बहुत अच्छी तैयरी करवायी जाती है। जैसे कि सीकर, दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद इत्यादि। किन्तु कोटा के साथ दिक्कत यह है कि उनके पूरे शहर को ही कोचिंग सिटी में बदल कर रख दिया गया है। वहां आज के समय में दर्जनों या सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों कोचिंग सेंटर खुल चुके हैं।
अब इतने कोचिंग सेंटर खुल गए हैं तो अवश्य ही वहां लाखों छात्र भी पढ़ रहे होंगे। साथ ही लोगों ने बड़े-बड़े हॉस्टल बना रखे हैं और इसी के साथ ही वहां का हर दूसरा घर पीजी की सुविधा देता है। ऐसे में आप कोटा में कहीं भी चले जाएं, वहां आपको आम लोग कम बल्कि IIT या NEET की कोचिंग ले रहे स्टूडेंट्स ज्यादा दिखेंगे। ऐसे में पूरा समय बस स्टूडेंट्स से घिरे रहने के कारण भी छात्र का दिमाग घुम जाता है।
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तनाव दूर करने को कुछ नहीं
अब कोटा ने अपने शहर को स्टूडेंट्स के पढ़ने के लिए तो अच्छे से विकसित कर लिया लेकिन उन्हीं स्टूडेंट्स के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए रत्ती भर भी मेहनत नहीं की। ना इसके लिए कोटा के प्रशासन ने कुछ देखा, ना लोगों ने और ना वहां कोचिंग दे रहे हजारों इंस्टीट्यूट ने। बस सभी का उद्देश्य एक ही था कि किस तरह से स्टूडेंट्स को IIT और NEET की बेस्ट से बेस्ट कोचिंग दी जाए।
अब सभी का फोकस केवल कोचिंग देने पर ही है तो बाकि पर ध्यान किसका ही जाएगा। अब आप ही सोचिये कि हम भी एक ही काम दिन रात करके थक जाते हैं और दिमाग काम करना बंद कर देता है या थक जाता है। इस कारण हमें तनाव होने लगता है। अब यदि तनाव को दूर करने के लिए कुछ हो ही ना तो यह तनाव बढ़ता चला जाता है और डिप्रेशन का रूप ले लेता है। इसी डिप्रेशन में स्टूडेंट्स सुसाइड कर लेते हैं।
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माता-पिता का नहीं समझना
कोटा में आज भी हजारों छात्र डिप्रेशन में दिन रात रह रहे हैं और पता नहीं कब वे कोई गलत कदम उठा लें। अब इनमें से बहुत से छात्र अपने माता-पिता को सीधा कह नहीं पाते हैं क्योंकि वे डरते हैं या हिचकिचाते हैं। कुछ कह भी देते हैं तो उनके माता-पिता समझते नहीं हैं या उन्हें कुछ और कहकर बहला फुसला देते हैं।
ऐसे में माता या पिता में से किसी एक का समझना बहुत ही ज्यादा जरुरी है। स्टूडेंट्स के पेरेंट्स अगर उन्हें समझेंगे और उसके लिए कुछ करेंगे तो बहुत कुछ बदल सकता है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि वे अपने बच्चे की पढ़ाई छुड़वा दें या उन्हें IIT और NEET की कोचिंग ना दें। क्या पता, आप उन्हें किसी अन्य अच्छे शहर या कोचिंग इंस्टीट्यूट में लगाकर IIT या NEET की कोचिंग दिलवा सकते हैं। इससे आपका काम भी बन जाएगा और आपका बच्चा भी बच जाएगा।
निष्कर्ष
सौ पते की एक बात, कोटा ही एकमात्र विकल्प नहीं है जहाँ जाकर आप अपना भविष्य बना सकते हैं। देशभर में ऐसे दर्जनों शहर में सैकड़ों इंस्टीट्यूट हैं जो कोटा के कई बड़े बड़े इंस्टीट्यूट से भी बेहतर रिजल्ट दे रहे हैं। जैसे कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि कोटा से बस कुछ दूर ही राजस्थान के एक अन्य शहर सीकर में मैट्रिक्स अकैडमी में बहुत ही अच्छी कोचिंग दी जाती है। आप वहां अपने बच्चे को भेजकर देख सकते हैं। ऐसे में निर्णय आपको ही लेना है और वो भी जल्द से जल्द।
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