JEE Time Management: हम में से बहुत से स्टूडेंट्स का सपना होता है कि वे आगे चलकर एक अच्छी नौकरी करें। अब अच्छी नौकरी करनी है तो उसके लिए अच्छे कॉलेज से पढ़ना होता है। अच्छे कॉलेज से पढ़ना है तो उसी तरह की तैयारी करनी होती है और उस कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए एग्जाम क्रैक करना होता है। अब एग्जाम क्रैक करना है तो उसके लिए अच्छे कोचिंग इंस्टीट्यूट से कोचिंग लेनी होती है।

यह सभी बातें तो हम सभी जानते ही हैं लेकिन अच्छी कोचिंग के साथ-साथ स्टूडेंट के लिए जो एक चीज़ सबसे ज्यादा जरुरी होती है, वह है टाइम मैनेजमेंट अर्थात समय प्रबंधन। अब यदि आप इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं और उसके लिए JEE की तैयारी कर रहे हैं तो आज हम इसी विषय पर ही बात करने वाले हैं।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे कि JEE की तैयारी करने के दौरान आप किन-किन तरीकों से टाइम मैनेजमेंट कर सकते (JEE Mains Time Management) हैं। चलिए शुरू करते हैं।

JEE के लिए टाइम मैनेजमेंट टिप्स

JEE एग्जाम की फुल फॉर्म जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन होती है जिसकी सहायता से आपका देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन होता (JEE Advanced Time Management) है। इसमें सबसे टॉप के कॉलेज IIT होते हैं और उसके बाद NIT आते हैं। ऐसे मे आपको टॉप लेवल के इंजीनियरिंग कॉलेज में और वो भी अपनी मनपसंद की इंजीनियरिंग फील्ड में एडमिशन लेना है तो टाइम मैनेजमेंट की तकनीक समझना बहुत ही जरुरी हो जाता है।

अब यह तकनीक कोई एक या दो स्टेप में नहीं होती (JEE Time Management) है बल्कि आपकी हर एक्टिविटी पर निर्भर करती है। ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि किन तरीकों या उपायों के तहत आप भी JEE की तैयारी करने के दौरान टाइम मैनेजमेंट कर सकते हैं।

#1. सिलेबस को गहराई से समझें

सबसे पहला काम जो आपको करना है वह है अपने JEE के सिलेबस को अच्छे से समझना। अब सिलेबस का मतलब यह नहीं कि आप उसे पूरा पढ़ने बैठ जाएं। आपको यह देखना है कि JEE के एग्जाम में किस-किस टॉपिक से प्रश्न पूछे जाते हैं और उसमें किस टॉपिक का कितना महत्व होता है। साथ ही जिस वर्ष जो IIT एग्जाम कंडक्ट करवाने वाली है, उसका किस टॉपिक पर ज्यादा फोकस रहता है।

जिस स्टूडेंट को सिलेबस अच्छे से समझ में आ जाता है, उसके लिए टाइम मैनेजमेंट करना बहुत ही सरल हो जाता है। वह इसलिए क्योंकि उसे यह पता होता है कि उसे किस टॉपिक पर कितना टाइम देना है और किस पर कितना। इसलिए आपको यही काम सबसे पहले करना है और अपने सिलेबस को पूरी तरह से समझना है।

#2. सब्जेक्ट्स को टॉपिक्स में बांटें 

अब जब आपने JEE के सिलेबस को अच्छे से समझ लिया है तो आपको हरेक टॉपिक के बारे में अच्छे से जानकारी हो गई होगी। JEE में तीन तरह के सब्जेक्ट होते हैं जिनके नाम फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स हैं। अब इन तीन सब्जेक्ट्स में भी कई तरह के टॉपिक होते हैं। ऐसे में आपको अब अगला काम यह करना होगा कि आपको हर सब्जेक्ट के मिलते जुलते टॉपिक को केटेगरी अनुसार बाँट देना है।

ऐसा करने से एक तरह से आपका टाइम मैनेजमेंट ही हो रहा होगा। वह इसलिए क्योंकि यदि आप एक ही दिन में दो बिलकुल विपरीत टॉपिक को पढ़ते हैं तो इसमें ज्यादा समय लगता है तो वहीं दो एक जैसे टॉपिक को पढ़ने से आप अपना बहुत टाइम बचा सकते हैं। इसलिए आप हर टॉपिक के अनुसार केटेगरी बना लें और एक जैसे टॉपिक को एक साथ में रखें।

#3. अपना एक टाइमटेबल बनाएं

अब तक आपने सिलेबस को अच्छे से समझ लिया है और उन्हें उनके टॉपिक के अनुसार कुछ चुनिंदा केटेगरी में भी बाँट दिया है। अब आपको अगला काम करना है, उन सभी के अनुसार अपने हर दिन का एक फिक्स टाइमटेबल तय करना। अब आप यह देखें कि आपका JEE का एग्जाम कितने दिनों में है और उसके अनुसार आपके पास कितना समय शेष बचा है।

ऐसे में बचे हुए दिन के अनुसार आपके सिलेबस और उसमें केटेगरी के अनुसार विषयों का चुनाव करें। इससे आपको उन्हें प्रायोरिटी देने और उसी के अनुसार ही अपना टाइम टेबल सेट करने में बहुत सहायता मिलेगी। 

यह एक तरह से टाइम मैनेजमेंट की बहुत सही तकनीक है जो बहुत ही कम स्टूडेंट्स को पता होती है। वह इसलिए क्योंकि अधिकतर स्टूडेंट इसके बारे में सोचते नहीं हैं और कम महत्वपूर्ण विषयों पर पहले का समय व्यर्थ कर देते हैं और महत्वपूर्ण विषय को कम समय दे पाते हैं।

#4. डाउट वाली चीजें अलग से रखें

अब जब आप पढ़ने बैठेंगे या यूँ कहें कि JEE की तैयारी करने बैठेंगे तो अवश्य ही आपको रह-रह कर कई तरह के डाउट आएंगे। कभी किसी टॉपिक पर डाउट आ गया तो कभी कोई चीज़ ठीक से समझ नहीं आ रही होगी। कभी कोई प्रश्न सोल्व नहीं हो रहा होगा तो कभी कुछ और। ऐसे में स्टूडेंट क्या करते हैं कि वे उस चीज़ पर अटक कर रह जाते हैं या उसमें बहुत सा समय व्यर्थ कर देते हैं।

ऐसे में आपको यह गलती नहीं करनी है। यदि आप कहीं पर अटक जाते हैं तो उस पर कुछ मिनट के लिए ही ध्यान दें। यदि फिर भी वह सोल्व नहीं हो रही है तो उसे मार्क करके या कहीं और नोट डाउन करके रख लें। उसके बाद आप उससे आगे का पढ़ना शुरू कर दें।

इस तरह से दिन के अंत में आपके जो-जो भी डाउट थे, उन्हें फिर से देखें और सोल्व करें। कई बार क्या होता है कि किसी चीज़ में हमें उसी समय उत्तर नहीं मिलता है लेकिन कुछ समय बाद उसका आसानी से उत्तर मिल जाता है। यह भी एक परफेक्ट टाइम मैनेजमेंट तकनीक है।

#5. सही कोचिंग का चुनाव

जो स्टूडेंट्स जल्द से जल्द JEE का एग्जाम क्रैक करना चाहते हैं और यदि उन्हें लगता है कि वे केवल अपने दम पर ही इसे क्रैक कर लेंगे तो वे बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। वह इसलिए क्योंकि ऐसा करने वाले लाखों में से एक या दो स्टूडेंट ही होते हैं। अब यह आप ही तय कर लें कि क्या आप उन लाखों स्टूडेंट में से एक या दो स्टूडेंट हैं या नहीं।

इसलिए यदि आपको जल्द से जल्द JEE का एग्जाम क्रैक करना है और वह भी अच्छे नंबर के साथ तो उसके लिए सही JEE कोचिंग इंस्टीट्यूट का चुनाव किया जाना अत्यंत आवश्यक हो जाता (Top JEE Coaching in India) है। आज के समय में यदि हम देश के टॉप JEE कोचिंग संस्थान की बात करें तो उसमें सीकर की मैट्रिक्स अकैडमी का नाम सबसे पहले आता है। वह इसलिए क्योंकि वहाँ ना केवल टॉप लेवल की फैकल्टी पढ़ा रही है बल्कि JEE के लिए परफेक्ट स्टडी मटेरियल भी बनाया गया है।

इसके बाद कोटा का एलन इंस्टीट्यूट और दिल्ली का आकाश इंस्टीट्यूट आता है। सीकर की ही प्रिंस अकैडमी और कौटिल्य भी इसमें बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। ऐसे में आपको किसी अच्छे कोचिंग इंस्टीट्यूट से ही JEE की कोचिंग लेनी चाहिए ताकि आपकी तैयारी में कोई कमी ना रहे और वहाँ से आप टाइम मैनेजमेंट की और भी बेहतर तकनीक सीख सकें।

#6. रिवीजन भी है जरुरी

अब बहुत से स्टूडेंट JEE की तैयारी करते समय एक और गलती करते हैं और वह है समय के साथ-साथ पढ़े गए टॉपिक की रिवीजन नहीं करना। यदि आप भी उन स्टूडेंट्स में से एक हैं तो यह आपकी बहुत बड़ी गलती होगी। वह इसलिए क्योंकि आपने जिस टॉपिक को जितना टाइम लगाकर पढ़ा है और आप उसे अगले एक महीने तक फिर से नहीं पढ़ते हैं तो आपको फिर से उतना ही टाइम लगने वाला है।

ऐसे में आपकी पहले वाली सारी मेहनत बेकार चली जाएगी और समय व्यर्थ होगा वो अलग। इसलिए आप यह नियम बना लें कि आपने पूरे दिन में जो कुछ भी पढ़ा है, दिन के आखिर में एक या आधा घंटा उसकी रिवीजन करेंगे। इसी के साथ ही हर सप्ताह एक दिन पूरे सप्ताह का रिवीजन करेंगे। फिर अगले महीने में भी एक दिन पिछले महीने पढ़े गए सभी टॉपिक की एक बार रिवीजन करेंगे।

#7. सुबह जल्दी उठकर पढ़ें

स्टूडेंट्स के बीच आज के समय में यह चलन बना हुआ (JEE Advanced Time Management) है कि वे रात को देर तक पढ़ते हैं और सुबह देर से उठते हैं। अब पढ़ाई तो वे भी उतनी ही करते हैं लेकिन उसका पहले जैसा परिणाम नहीं मिलता है। हमारे बड़े-बुजुर्ग कहते थे कि सुबह के समय जल्दी उठना चाहिए और जल्दी सो जाना चाहिए। ऐसे में आपको सोचना चाहिए कि वे ऐसा क्यों कहते थे या इसके पीछे क्या तर्क होता था।

तो यहाँ हम आपको बता दें कि सुबह के समय वातावरण अधिक सकारात्मक होता है, सूर्य की किरणें शक्तिशाली होती है जो दिमाग को एकाग्र करने और बुद्धि का विकास करने में सहायक होती है। ऐसे में सुबह सूर्य की किरणों के साथ पढ़ने से ना केवल आपको चीज़े लंबे समय तक याद रहेगी बल्कि आपका शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहेगा।

#8. ब्रेक लेते रहें

अब आप सोचते हैं कि बिना आराम किए या बिना ब्रेक लिए लगातार पढ़ते रहेंगे तो इससे आप उन स्टूडेंट्स से आगे निकल जाएंगे जो आराम भी करते हैं या एंटरटेनमेंट के लिए कुछ समय निकालते हैं। तो यहाँ हम आपको बता दें कि आप बिलकुल भी सही नहीं कर रहे हैं या आपकी सोच गलत है। वह इसलिए क्योंकि लगातार पढ़ते रहने से दिमाग थक जाता है और वह चीज़ों को समझने में ज्यादा समय लगाता है।

इसलिए यदि आप पढ़ने के दौरान बीच-बीच में छोटे-छोटे ब्रेक लेते रहेंगे तो इससे आपकी सोचने-समझने की क्षमता बढ़ेगी। यह आपको तेज गति से पढ़ने में भी सहायता करेगी। इसी के साथ ही आपको योग व प्राणायाम करना भी शुरू कर देना चाहिए क्योंकि यह भी आपकी बुद्धि को तीक्ष्ण करने में बहुत सहायक सिद्ध होगा।

#9. मन ना भटकने दें

ऊपर हमने आपको कहा कि आपको JEE की तैयारी के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेते रहना चाहिए या कुछ ना कुछ एंटरटेनमेंट के साधन ढूंढ लेने चाहिए लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप पूरा समय उसी में ही लगे रहें या अपना ध्यान भटकने दें। इसके लिए आप एक निश्चित समय निर्धारित करें और वह भी ज्यादा नहीं होना चाहिए।

उदाहरण के तौर पर यदि आप एक दिन में 10 घंटे पढ़ाई कर रहे हैं तो आप एक घंटा आराम कर सकते हैं या एंटरटेनमेंट कर सकते हैं। साथ ही जिस समय आप JEE की तैयारी कर रहे हो, उस समय आपको अपना ध्यान इधर-उधर नहीं भटकने देना चाहिए। आप जब पढ़ रहे हैं तो पूरी तरह से उस पर ध्यान केंद्रित करें और फिर जब ब्रेक का समय हो, तभी बाकी चीजें देखें।

#10. टेस्ट लेते रहें

बेहतर टाइम मैनेजमेंट के लिए आपको समय-समय पर अपना टेस्ट भी लेते रहना चाहिए। उदाहरण के तौर पर आप अपने पिछले महीने की परफॉरमेंस का आंकलन करें और देखें कि इस महीने आप उसकी तुलना में क्या कर रहे हैं। यदि आपको कोई सुधार नहीं दिखता है या बहुत ही कम परिवर्तन दिखता है तो फिर आपको अपनी स्ट्रेटेजी को बदलने की जरुरत है।

इसलिए आपको समय-समय पर अपना टेस्ट लेते रहना (JEE Mains Time Management) चाहिए। यह आपको अपनी स्ट्रेटेजी को और बेहतर बनाने और आपकी JEE की तैयारी को और अधिक मजबूत करने का ही काम करेगी।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस आर्टिकल में आपने JEE की तैयारी करने के लिए उचित समय प्रबंधन या टाइम मैनेजमेंट की तकनीक के बारे में पूरी जानकारी ले ली (JEE Time Management) है। आखिर में एक बात हम आपको फिर से बताना चाहेंगे कि यदि आप JEE का एग्जाम देने को लेकर सीरियस हैं और इसे अच्छे स्कोर के साथ क्रैक करना चाहते हैं तो टाइम मैनेजमेंट के साथ-साथ एक अच्छा कोचिंग इंस्टीट्यूट इसमें आपकी बहुत मदद कर सकता है।

इसके लिए सीकर की मैट्रिक्स अकैडमी बहुत ही सही अकैडमी (Top JEE Coaching in India) है। वह इसलिए क्योंकि यहाँ स्टूडेंट्स के लिए डाउट सेंटर बनाए गए हैं जहाँ स्टूडेंट्स किसी भी समय जाकर अपने डाउट क्लियर कर सकते हैं। अब यदि समय रहते स्टूडेंट्स के डाउट क्लियर हो रहे हैं तो इससे उनका बहुत समय बच जाता है। इसके बाद के कुछ इंस्टीट्यूट के नाम प्रिंस अकैडमी, एलन, आकाश व रेजोनेंस हैं।

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प्रश्न: जेईई मेन की तैयारी के लिए कितने महीने चाहिए?

उत्तर: जेईई मेन की तैयारी के लिए 4 से 8 महीने चाहिए। यदि आप मैट्रिक्स सीकर जैसे नंबर एक इंस्टिट्यूट से इसकी कोचिंग लेते हैं तो आपको इतने समय में पूरी तैयारी करवा दी जाएगी।

प्रश्न: क्या जेईई मेन के लिए 75% आवश्यक है?

उत्तर: जेईई मेन के लिए 75% अंक लाना पर्याप्त है। फिर जब आपको जेईई एडवांस देना होगा तो उससे पहले आपको जेईई मेन के एग्जाम को पास करना होगा।

प्रश्न: जेईई की तैयारी के लिए कितने महीने चाहिए?

उत्तर: जेईई की तैयारी के लिए सामान्य तौर पर 6 महीने से लेकर एक वर्ष का समय पर्याप्त होता है। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप कितनी जल्दी चीज़ों को समझ पाते हैं।

प्रश्न: जी टॉपर्स कितने घंटे सोते हैं?

उत्तर: जी टॉपर्स सामान्य तौर पर 7 से 8 घंटे सोते हैं। यह आदर्श दिनचर्या और बेहतर स्टडी के लिए आवश्यक भी है।

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Allen Or Gurukripa Sikar: आप सभी ने एलन इंस्टीट्यूट का नाम तो सुन ही रखा होगा। अब जो कोई भी JEE और NEET की तैयारी करने जा रहा है या कर रहा है, उसमें से हर किसी ने एलन इंस्टीट्यूट का नाम सुन रखा होगा। हालाँकि एलन के जिस इंस्टीट्यूट का नाम देशभर में प्रसिद्ध है और जहाँ से यह JEE और NEET की कोचिंग देने का ब्रांड बना है वह कोटा शहर का एलन इंस्टीट्यूट है।

अब एलन कोटा का नाम ऐसा चला कि आज के समय में एलन ने देश के कई राज्यों के सैकड़ों शहरों में अपने नाम के इंस्टीट्यूट खोल रखे हैं जिनमें से उनका एक प्रसिद्ध इंस्टीट्यूट सीकर शहर का भी (Gurukripa vs Allen) है। सीकर शहर में एलन के अलावा और भी कई ऐसे इंस्टीट्यूट हैं जो बहुत फेमस हैं जिसमें से एक नाम गुरुकृपा का भी है। गुरुकृपा को शोर्ट फॉर्म में GCI भी कहते हैं जिसकी फुल फॉर्म गुरुकृपा करियर इंस्टीट्यूट है।

अब जो छात्र सीकर शहर से JEE और NEET की कोचिंग ले रहे हैं या लेने की सोच रहे हैं वे अक्सर गुरुकृपा और एलन में से कौन सा बेहतर है, इसको लेकर शंका में रहते (Gurukripa Or Allen Sikar) हैं। ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ एलन या गुरुकृपा में से कौन अच्छा है, इसी के बारे में ही बात करने जा रहे हैं।

गुरुकृपा और एलन में से कौन सा बेहतर है?

आपने अवश्य ही एलन का नाम सुन रखा होगा और आप यह भी सोचते होंगे कि यदि हम JEE और NEET की कोचिंग ले रहे हैं तो उसमें एलन एक बहुत बड़ा नाम है। किन्तु आप यह मत सोचिए कि इसमें एलन ही सबसे ऊपर है या एलन की टक्कर में कोई और इंस्टीट्यूट ही नहीं है।

वहीं जब बात शहरों के सबसे फेमस कोचिंग सेंटर की आ जाती है तो कई बार यह देखने में आता है कि उस शहर में कई ऐसे कोचिंग सेंटर भी हैं जहाँ पर एलन से बढ़िया कोचिंग दी जा रही (Which is best Allen or Gurukripa) है।

ऐसा ही कुछ सीकर शहर के साथ भी है क्योंकि कोटा के बाद जिस शहर का नाम JEE और NEET की कोचिंग देने में सबसे ज्यादा लिया जाता है, वह राजस्थान का सीकर शहर ही है। अब सीकर शहर में एलन तो है ही लेकिन इसके अलावा गुरुकृपा सहित कई अन्य इंस्टीट्यूट भी हैं जहां पर JEE और NEET की कोचिंग देने का काम किया जाता है।

ऐसे में सीकर शहर में एलन ज्यादा बढ़िया कोचिंग देता है या फिर गुरुकृपा, यह एक बड़ा प्रश्न (Allen Or Gurukripa Sikar) है। इसी के साथ ही क्या यही दोनों इंस्टीट्यूट ही सीकर शहर में JEE और NEET की कोचिंग देने में टॉप पर हैं, यह एक दूसरा प्रश्न है। ऐसे में हम आपके एक एक प्रश्न का जवाब देंगे ताकि आपके मन की हरेक शंका पर पूर्ण विराम लग सके।

एलन और गुरुकृपा सीकर में से JEE की कोचिंग कहाँ है बेहतर?

सबसे पहले हम बात करते हैं JEE के बारे में क्योंकि छात्र इसी की कोचिंग ज्यादा संख्या में लेते हैं। अब यदि सीकर शहर में या किसी अन्य शहर में भी JEE और NEET की तैयारी करने के लिए 100 छात्र आ रहे हैं तो उसमें से 70 से 80 प्रतिशत छात्र JEE की कोचिंग लेने आते हैं तो बाकी के NEET की कोचिंग लेने के लिए। इसलिए हम पहले दोनों ही इंस्टीट्यूट को JEE की कोचिंग देने में compare करेंगे।

ऐसे में सीकर शहर में JEE की कोचिंग देने की बात आती है और उसके लिए एलन और गुरुकृपा के बीच में देखा जाए तो अवश्य ही एलन का नाम गुरुकृपा से बहुत ऊपर आता है। JEE की कोचिंग देने के लिए एलन में जो फैकल्टी और ट्रेड मार्क सेट किया गया है, गुरुकृपा अभी तक उसके आसपास भी नहीं है। वह इसलिए क्योंकि एलन की फैकल्टी का एक्सपीरियंस और उनके पढ़ाने का तरीका गुरुकृपा से बहुत ज्यादा बेहतर है।

इसी के साथ ही यदि हम स्टूडेंट्स के एग्जाम रिजल्ट की बात करें तो उसमें भी एलन में JEE की कोचिंग ले रहे स्टूडेंट्स का रेश्यो गुरुकृपा से बहुत ज्यादा है। साथ ही यह हर वर्ष बढ़ता ही जा रहा है। हालाँकि यह एक अलग बात है कि एलन के द्वारा JEE में चयनित हुए बच्चों की लिस्ट सीकर शहर की अलग से नहीं बल्कि उनके सभी इंस्टीट्यूट में पढ़ रहे छात्रों की एक साथ जारी की जाती (Which is best Allen or Gurukripa) है। फिर भी एलन सीकर में पढ़ रहे बच्चों का रिजल्ट गुरुकृपा से बहुत ज्यादा ऊपर है।

JEE कोचिंग में एलन है सीकर के टॉप 5 इंस्टीट्यूट में

अब यदि हम सीकर शहर के टॉप 5 JEE कोचिंग सेंटर की बात करेंगे तो उसमें एलन का स्थान दूसरे नंबर पर आता है। वहीं गुरुकृपा का नाम टॉप 5 में भी नहीं है। तो आप सोच रहे होंगे कि JEE की कोचिंग देने में गुरुकृपा इंस्टीट्यूट का नाम कौन से स्थान पर है तो वह है छठा स्थान। तो इस तरह से सीकर शहर में गुरुकृपा इंस्टीट्यूट JEE की कोचिंग देने में छठे स्थान पर है तो वहीं एलन का स्थान दूसरे नंबर पर है।

ऐसे में जो इंस्टीट्यूट सीकर शहर में JEE की कोचिंग देने में पहले स्थान पर आता है उसका नाम मैट्रिक्स अकैडमी है। इस तरह से हम मैट्रिक्स इंस्टीट्यूट को सीकर शहर की टॉप लेवल की JEE अकैडमी कह सकते हैं। इसका कारण यह है कि मैट्रिक्स अकैडमी में JEE की तैयारी जिस लेवल की दी जा रही है, वह अद्भुत है।

इसका परिणाम मैट्रिक्स के स्टूडेंट्स का JEE एग्जाम में लगातार सेलेक्ट होना ही नहीं है बल्कि सीकर शहर में टॉप रैंक लाना भी है। इस कारण मैट्रिक्स इस स्थान में पहले नंबर है तो वहीं एलन दूसरे नंबर पर।

एलन और गुरुकृपा सीकर में से NEET की कोचिंग कहाँ है बेहतर?

अब बात करते हैं NEET एग्जाम की। NEET की कोचिंग JEE की तुलना में कम स्टूडेंट्स लेते हैं और इसका एक कारण है NEET एग्जाम का बहुत ज्यादा मुश्किल होना। साथ ही प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की फीस भी बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में अगर स्टूडेंट NEET एग्जाम को अच्छे स्कोर के साथ क्रैक नहीं कर पाता है तो उसे सरकारी मेडिकल कॉलेज नहीं मिल पाता है।

फिर उसे प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की भारी भरकम फीस देकर डॉक्टर की पढ़ाई करनी पड़ती है या फिर NEET एग्जाम की फिर से तैयारी करनी पड़ती है। ऐसे में अगर आपको NEET एग्जाम को जल्द से जल्द और अच्छे स्कोर के साथ क्रैक करना है तो उसके लिए आपको टॉप लेवल के इंस्टीट्यूट से पढ़ना (Gurukripa vs Allen) होगा।

तो अगर हम गुरुकृपा और एलन के बीच NEET की कोचिंग देने की तुलना करेंगे तो पाएंगे कि गुरुकृपा इसमें बाजी मार जाता है। सीकर शहर में गुरुकृपा इंस्टीट्यूट नीट की बेहतर कोचिंग देता है और दूसरे नंबर पर आता है जबकि एलन का नाम तीसरे नंबर पर है।

गुरुकृपा और एलन दोनों ही NEET कोचिंग में हैं पहले 5 इंस्टीट्यूट में

ऐसे में गुरुकृपा और एलन दोनों ही सीकर शहर में नीट की बेहतर कोचिंग दे रहे हैं। कुछ वर्षों पहले तक गुरुकृपा की रैंक नंबर एक थी। एक तरह से सीकर शहर में NEET की कोचिंग देने में गुरुकृपा इंस्टीट्यूट का दबदबा था और उसके बाद एलन का नंबर आता (Gurukripa Or Allen Sikar) था।

हालाँकि जब से मैट्रिक्स अकैडमी ने अपने यहाँ NEET की कोचिंग देनी शुरू की है और उसके बाद वहाँ के स्टूडेंट्स ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है। उसे देखते हुए गुरुकृपा और एलन एक-एक रैंक नीचे खिसक कर क्रमशः दूसरे और तीसरे रैंक पर आ गए हैं और मैट्रिक्स अकैडमी इसमें भी नंबर एक अकैडमी बन गई है। ऐसे में आप अपनी सुविधा अनुसार तीनों में से किसी भी इंस्टीट्यूट से NEET की कोचिंग ले सकते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल को पढ़कर आपको यह तो पता चल ही गया होगा कि JEE और NEET की कोचिंग देने में गुरुकृपा और एलन में से कौन सा बेहतर (Allen Or Gurukripa Sikar) है। अब हम ओवरऑल किसी एक को बेहतर नहीं कह सकते हैं क्योंकि JEE की कोचिंग देने में एलन गुरुकृपा से बेहतर है तो वहीं NEET की कोचिंग देने में गुरुकृपा एलन से।

हालाँकि अगर हम ओवरऑल JEE और NEET की कोचिंग देने की बात करें तो उसमें एलन और गुरुकृपा से भी ऊपर नंबर मैट्रिक्स अकैडमी का आता है। मैट्रिक्स अकैडमी पिछले कई वर्षों से नंबर एक पोजीशन पर बनी हुई है। इसका कारण है वहाँ के स्टूडेंट्स का सीकर शहर में टॉप रैंक लाना और स्टूडेंट्स के रेश्यो के हिसाब से भी सबसे बेहतर प्रदर्शन करना।

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प्रश्न: सीकर में सबसे अच्छी कोचिंग कौन सी है?

उत्तर: सीकर में सबसे अच्छी कोचिंग में मैट्रिक्स अकैडमी का नाम अहले नंबर पर आता है उसके बाद एलन, गुरुकृपा,प्रिंस, कौटिल्य इत्यादि का नाम लिया जाता है

प्रश्न: क्या सीकर नीट के लिए अच्छा है?

उत्तर: आज के समय में सीकर शहर नीट की कोचिंग लेने के लिए सबसे बेस्ट शहर माना जाता है जिसनें कोटा को भी पीछे छोड़ दिया है

प्रश्न: सीकर में नीट के लिए कौन सी कोचिंग सबसे अच्छी है?

उत्तर: सीकर में नीट के लिए मैट्रिक्स की कोचिंग सबसे अच्छी है इसके बाद एलन इंस्टिट्यूट की कोचिंग अच्छी मानी जाती है

प्रश्न: सीकर में नीट के लिए कौन सी कोचिंग रैंक 1 है?

उत्तर: सीकर में नीट के लिए मैट्रिक्स अकैडमी की कोचिंग रैंक 1 है

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Computer Science Engineering Jobs: अगर हम आज के समय की बात करें तो कंप्यूटर साइंस एक ऐसा करियर ऑप्शन है जिसमें सबसे ज्यादा और तेजी से विकसित होने वाले जॉब ऑप्शन हैं। अब हर चीज़ ऑनलाइन या यूँ कहें कि डिजिटल होती जा रही है। हम हर चीज़ अपने कंप्यूटर या मोबाइल के जरिए करने लगे हैं। फिर चाहे वह किसी ऐप के जरिए हो या सॉफ्टवेयर या वेबसाइट के जरिए।

ऐसे में इन सभी को हैंडल करने या बनाने के लिए कंप्यूटर साइंस की डिग्री लिए हुए इंजीनियर की ही जरुरत पड़ती है। यही कारण है कि बहुत से स्टूडेंट्स कंप्यूटर साइंस में ही अपना करियर बनाने में लगे हुए हैं। हालाँकि इसमें एक तरह का करियर ऑप्शन नहीं होता (Computer science me kya scope hai) है बल्कि कई तरह की टेक्नोलॉजी या प्लेटफॉर्म में करियर बनाने का मौका मिलता है।

ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम आपके साथ इसी बात पर ही चर्चा करने वाले (Computer Science Career Options) हैं। इस लेख में हम एक-एक करके आपको सभी महत्वपूर्ण और टॉप करियर ऑप्शन बताएँगे जो आप कंप्यूटर साइंस के जरिए कर सकते हैं। चलिए शुरू करते हैं।

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जॉब्स

कंप्यूटर साइंस का मतलब हुआ कंप्यूटर में महारत हासिल करना। फिर चाहे वह सॉफ्टवेयर की फील्ड में हो या हार्डवेयर की। अब इसमें भी अलग-अलग तरह की टेक्नोलॉजी होती है। जैसे कि जावा, डिजाईन, एंगुलर, AI इत्यादि। साथ ही देश में कई तरह के इंजीनियरिंग कॉलेज हैं जो कंप्यूटर साइंस में पढ़ाने और डिग्री देने का काम करते हैं। इसमें से IIT और NIT को टॉप लेवल का कॉलेज माना जाता है।

अगर आपको देश के इन टॉप कॉलेज में एडमिशन लेना है तो उसके लिए आपको JEE एग्जाम की तैयारी करनी होती है। इसके लिए आपको इन एग्जाम में अच्छा स्कोर लेना होता (Computer Science Me Career Options) है जिसमें आपकी मदद देश के टॉप JEE कोचिंग इंस्टीट्यूट करते हैं। कुछ टॉप कोचिंग इंस्टीट्यूट के नाम मैट्रिक्स सीकर, एलन कोटा, आकाश दिल्ली है। यहाँ से पढ़कर आपको JEE एग्जाम अच्छे स्कोर से क्रैक करने में बहुत मदद मिलती है।

इसके बाद आप आसानी से अच्छे सैलरी पैकेज पर देश और दुनिया की टॉप कंपनियों में अपना करियर बना सकते हैं। तो आइए जाने आप किस-किस फील्ड में कंप्यूटर साइंस के अंतर्गत जॉब (Computer Science Engineering Jobs) ले सकते हैं और अपने करियर को एक नई उड़ान दे सकते हैं।

#1. वेब डेवलपर

कंप्यूटर साइंस में जिस करियर ऑप्शन की सबसे पहले बात की जाती है वह है वेब डेवलपर की। इसमें विभिन्न तरह की वेबसाइट या ऐप को डिजाईन किया जाता है और उन्हें तरह-तरह की कोडिंग लैंग्वेज के तहत एक सुंदर रूप दिया जाता है। अब यह लैंग्वेज भी तरह-तरह की होती है। उदाहरण के तौर पर HTML, CSS, JavaScript, React, Angular इत्यादि।

ऐसे में आप इनमें से किसी भी एक या दो लैंग्वेज को चुन सकते हैं और उसमें महारत हासिल कर सकते हैं। उसके बाद आप कंप्यूटर साइंस के तहत किसी भी बड़ी कंपनी में वेब डेवलपर के तहत जॉब पा सकते हैं। इसमें आपको आगे बढ़ने के कई मौके मिलेंगे।

#2. डाटा साइंटिस्ट

आज के समय में डाटा की बहुत ज्यादा डिमांड है। चाहे कोई बड़ी कंपनी हो या छोटी कंपनी, हर कोई अपनी पॉलिसी का निर्माण डाटा को आधार बनाकर ही कर रहा है। कहने का मतलब यह हुआ कि हर कंपनी के द्वारा कस्टमर की एक्टिविटी को ध्यान में रखकर ही निर्णय लिए जा रहे हैं।

ऐसे में डाटा साइंटिस्ट की भूमिका बहुत अहम हो जाती है। इसके लिए आपके अंदर जिन-जिन स्किल्स का होना जरुरी है उनमें से कुछ स्किल्स के नाम Python, SQL, Machine Learning, Statistics हैं। ऐसे में आप डाटा साइंटिस्ट के रूप में कंप्यूटर साइंस के अंतर्गत अपना करियर बना सकते हैं।

#3. डाटा एडमिनिस्ट्रेटर

डाटा साइंटिस्ट की तरह ही कंप्यूटर साइंस में डाटा एडमिनिस्ट्रेटर की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है। ये डाटा टूल्स को मैनेज करने का काम करते हैं। एक तरह से डाटा को किस तरीके से इस्तेमाल किया जाता है और कहाँ इस्तेमाल किया जाता है, यह देखने का जिम्मा इन्हीं डाटा एडमिनिस्ट्रेटर के पास ही होता है।

इसमें तरह-तरह के टूल्स के जरिए डाटा को नियंत्रित करना और उनकी रिपोर्ट्स बनाकर देना शामिल होता है। जैसे कि आप माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल या गूगल स्प्रेडशीट का इस्तेमाल कर सकते हैं और उसमें तरह-तरह की कोडिंग के तहत डाटा को मैनेज कर सकते हैं।

#4. सॉफ्टवेयर इंजीनियर

कंप्यूटर साइंस में डिग्री लेने के बाद जिस फील्ड में सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स को जॉब दी जाती है, वह सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के तहत ही दी जाती है। इसमें भी जूनियर, असिस्टेंट, सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तहत जॉब दी जाती है। शुरू में तो आप जूनियर के तहत ही नौकरी पर लगते हैं लेकिन अगर आपने बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में डिग्री ली है तो आप सीधे सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तहत भी काम कर सकते हैं।

इसमें आपको एंगुलर, जावा, एंड्राइड इत्यादि के तहत कोडिंग करने का काम दिया जाता है। वहीं अलग-अलग प्लेटफॉर्म की अलग-अलग लैंग्वेज में भी काम करने के मौके मिलते रहते हैं। इसलिए आपको शुरुआत में किसी काम को ना नहीं कहना चाहिए।

#5. सॉफ्टवेयर टेस्टर

जब भी किसी ऐप या सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जाता है तो उसकी तरह-तरह की टेस्टिंग की जाती है। एक तरह से कोई भी कंपनी अपना प्रोडक्ट लॉन्च करने से पहले उसकी हर तरीके से जांच करवाना चाहती है और उसके बाद ही उसे यूजर या क्लाइंट के सामने दिखाती है।

ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि फाइनल लॉन्च से पहले उसमें यह देख लिया जाए कि उसमें किसी तरह की कोई कमी ना रह जाए। अब यह जांचने का काम टेस्टर का होता है जो अलग-अलग डिवाइस पर उसकी हर तरीके से टेस्टिंग करता है। फिर जो जो कमी रह गई है, वह उन्हें नोट डाउन करके डेवलपर को भेज देता है।

#6. साइबर सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट

जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी विकसित हो रही है, वैसे-वैसे ही उसकी सुरक्षा करने के मापदंड भी बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में किसी भी कंपनी को अपने यहाँ साइबर सिक्योरिटी को हैंडल करने के लिए लोग रखने होते हैं। उन्हें किसी भी तरह के वायरस, अटैक या मैलवेयर से कंपनी के सिस्टम को बचाकर रखना होता है।

अब यह काम साइबर सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट के द्वारा ही किया जाता है। वे यह सुनिश्चित करने का काम करते हैं कि कंपनी की कोई भी जानकारी लीक ना होने पाए या डाटा किसी और के हाथ ना लग जाए।

#7. एथिकल हैकर

बहुत से लोग हैकिंग या हैकर का नाम सुनकर यह सोचते हैं कि वे गलत काम ही करते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। कंप्यूटर साइंस में एक करियर ऑप्शन ये भी है लेकिन एथिकल हैकिंग के रूप में। यह एक तरह से साइबर सिक्योरिटी से मिलती जुलती ही फील्ड है लेकिन थोड़ी अलग।

इस तरह की जॉब में आपको किसी और कंपनी का सिस्टम हैक नहीं करना होता है बल्कि उसे दूसरे हैकर से बचाना होता है। अब आप सुनते होंगे कि फलाना देश के किसी हैकर ने अपने देश की कंपनी पर अटैक किया है और उसके सिस्टम को हैक कर लिया है। तो इसे ही बचाने का काम एथिकल हैकर करते हैं।

#8. मशीन लर्निंग इंजीनियर

अब बारी आती है मशीन को सिखाने वाले या उसे समझने वाले इंजीनियर की। आज के समय में अधिकतर काम मशीन की सहायता से ही किया जा रहा है। अब उस मशीन को इंस्ट्रक्शन देने या उसे समझने के लिए भी तो लोग चाहिए होंगे ना।

इसके तहत आपको कई तरह की स्किल्स में महारत हासिल करने की जरुरत होती है। उदाहरण के तौर पर कुछ स्किल्स के नाम Deep Learning, TensorFlow, PyTorch, Natural Language Processing हैं। इसके तहत आप मशीन लर्निंग इंजीनियर में अच्छा करियर बना सकते हैं।

#9. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंजीनियर

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या फिर AI का नाम आजकल बहुत चलन में है और आगे का दौर भी इसी AI का ही है। यह AI जितनी तेजी से विकसित हो रही है, उसे देखते हुए यह कहना बहुत मुश्किल है कि आगे यह क्या कुछ नहीं कर सकती है।

ऐसे में आज के समय में हरेक कंपनी में AI मॉडल पर काम करने वाले इंजीनियर की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है। यह एक तेजी से उभरती हुई करियर फील्ड है जिसमें आप बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसलिए यदि आप भविष्य को देखते हुए अपना करियर बनाने को इच्छुक हैं तो यह फील्ड आपके बहुत काम आने वाली है।

#10. UI/ UX डिज़ाइनर

यह एक तरह से ग्राफ़िक्स डिजाईन करने वाली फील्ड है। अब आप सोच रहे होंगे कि ग्राफ़िक्स डिजाईन का कंप्यूटर साइंस की फील्ड से क्या संबंध। तो आज आप यह जान लें कि ग्राफ़िक्स डिजाइनर का काम केवल सिंपल ग्राफ़िक्स बनाने का ही नहीं होता है बल्कि वेबसाइट में कोडिंग के तहत बनाए जाने वाले ग्राफ़िक्स भी आते हैं।

इनकी पोस्ट सिंपल ग्राफ़िक्स डिजाईन करने वालों से बहुत ऊपर होती है और उन्हें सैलरी भी ज्यादा मिलती है। ऐसे में आप UI डिज़ाइनर के तहत भी अपना करियर बना सकते हैं और इसमें एक अच्छी जॉब पा सकते हैं।

#11. हार्डवेयर इंजीनियर

कंप्यूटर साइंस में हार्डवेयर इंजीनियर का भी बहुत महत्व है। इसके तहत आपको कंप्यूटर के तरह-तरह के पार्ट्स की पूरी जानकारी होनी चाहिए। उसमें किस तरह के पार्ट का क्या काम होता है, उसमें किस-किस तरह की कमी देखी जा सकती है और उनमें किस तरह से सुधार किया जा सकता है, यह सब इसके अंतर्गत आता है।

एक तरह से कंप्यूटर में आ रही दिक्कत को ठीक करना और उसे काम करने वाली हालत में लाना ही हार्डवेयर इंजीनियर का काम होता है। सॉफ्टवेयर कंपनियों में यदि किसी इंजीनियर का कंप्यूटर ठीक से काम नहीं कर रहा है या उसमें कोई गड़बड़ी दिखने के संकेत मिलते हैं तो हार्डवेयर इंजीनियर को ही बुलाया जाता है।

#12. टेक्निकल राइटर

यह राइटिंग से जुड़ी फील्ड हो जाती है लेकिन इसके लिए सामान्य राइटर को नहीं लिया जाता है। कहने का मतलब यह हुआ कि आपको टेक्नोलॉजी से जुड़े किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस को समझने के लिए एक टेक्निकल डॉक्यूमेंट की जरुरत पड़ती है।

उस टेक्निकल डॉक्यूमेंट में सभी तरह की टर्म्स एंड कंडीशन दी गई होती है जो एक टेक्निकल राइटर ही लिख सकता है। ऐसे में इस तरह की फील्ड भी बहुत चलन में है जो लोगों को राइटिंग के साथ-साथ टेक्निकल में भी बेहतर एक्सपीरियंस देने का काम करती है।

#13. आईटी कंसलटेंट

हर कंपनी में कई तरह के आईटी कंसलटेंट को भी रखा जाता है जो उस कंपनी की पॉलिसी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। एक तरह से यह कंसलटेंट कई तरह की कंपनियों के लिए भी काम कर सकते हैं और उन्हें उनके द्वारा दी जा रही सर्विस के लिए समय-समय पर गाइड कर सकते हैं।

#14. प्रोजेक्ट मैनेजर

हर कंपनी में कई तरह के प्रोजेक्ट पर काम किया जाता है और हर प्रोजेक्ट को हैंडल करने के लिए एक मैनेजर की जरुरत पड़ती है। उस मैनेजर का काम प्रोजेक्ट के अंतर्गत काम कर रहे सभी टेक्निकल पर्सन को इंस्ट्रक्शन देना और प्रोजेक्ट का सही से क्रियानव्यन करवाना होता है।

#15. टेक्निकल टीचिंग

आप चाहें तो कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करके टीचिंग की फील्ड में भी जा सकते हैं। अब यहाँ टीचर बनने का अर्थ यह नहीं कि आप केवल कॉलेज या यूनिवर्सिटी में ही पढ़ा सकते हैं बल्कि हर बड़ी कंपनी में भी इसके लिए हायरिंग की जाती है। अब कोई भी कंपनी जब किसी फ्रेशर को अपने यहाँ रखती है तो उसे 2 से 3 महीने के लिए ट्रेनिंग देती है। अब यह ट्रेनिंग देने का काम ही टेक्निकल टीचिंग स्टाफ का होता है।

इस तरह से आज आपने कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जॉब्स के 15 तरह के ऑप्शन के बारे में पूरी जानकारी ले ली (Computer Science Career Options) है। इसके अलावा भी कई तरह की फील्ड होती है जिसमें आप अपना करियर बना सकते हैं। उदाहरण के तौर पर:

  • डिजिटल फोरेंसिक एक्सपर्ट
  • सिस्टम आर्किटेक्ट
  • क्वांटम कंप्यूटिंग रिसर्चर
  • कंप्यूटर विजन इंजीनियर
  • नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग स्पेशलिस्ट
  • VR/AR डेवलपर
  • DevOps इंजीनियर
  • आईओटी डेवलप
  • रोबोटिक्स इंजीनियर
  • गेम डेवलपर
  • ब्लॉकचेन डेवलपर
  • बिग डाटा इंजीनियर
  • क्लाउड आर्किटेक्ट
  • नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर
  • सिस्टम एनालिस्ट इत्यादि।

समय के साथ-साथ कंप्यूटर साइंस में और भी कई तरह के करियर ऑप्शन उभर कर सामने आते रहते हैं। ऐसे में आप हमेशा अपनी स्किल्स और इंटरेस्ट को पहचान कर ही आगे बढ़ें।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने जान लिया है कि कंप्यूटर साइंस में आप किस-किस फील्ड में अपना करियर (Computer Science Engineering Jobs) बना सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। हालाँकि हम आपको यह भी बता दें कि यदि आप वाकई में इसे लेकर सीरियस हैं तो इसके लिए आपको एक अच्छे कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने की जरुरत पड़ेगी। अब अच्छे कॉलेज में एडमिशन चाहिए तो उसके लिए टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से तैयारी करनी भी जरुरी होती है।

ऐसे में जब हमने जांच पड़ताल की तो पाया कि सीकर शहर की मैट्रिक्स अकैडमी इस लिस्ट में टॉप पर थी। मैट्रिक्स ने पिछले कुछ वर्षों से JEE में टॉप लेवल का रिजल्ट दिया है। इसके बाद एलन कोटा और आकाश दिल्ली का नाम आता है जिन्होंने JEE की अच्छी कोचिंग देने का काम किया है।

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प्रश्न: कंप्यूटर साइंस करने से कौन सी नौकरी मिलती है?

उत्तर: कंप्यूटर साइंस करने से कोडिंग या डेवलपमेंट की नौकरी मिलती है। इसमें आप डाटा, एंगुलर, एंड्राइड इत्यादि क्षेत्र में नौकरी कर सकते हैं।

प्रश्न: कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की सैलरी कितनी होती है?

उत्तर: कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की सैलरी शुरूआती तौर पर 20 हज़ार से 50 हज़ार के बीच में होती है जो आगे चलकर लाखों में हो जाती है

प्रश्न: कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जॉब क्या हैं?

उत्तर: कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जॉब में व्यक्ति को कई तरह की कोडिंग लैंग्वेज में काम करना होता है यह कोडिंग लैंग्वेज html, css, python, java इत्यादि कई तरह की हो सकती है

प्रश्न: कंप्यूटर साइंस लेने से क्या बन सकते हैं?

उत्तर: कंप्यूटर साइंस लेने से व्यक्ति इंजीनियर की डिग्री हासिल करता है इसके बाद वह कंपनी में सॉफ्टवेर इंजीनियर के तहत काम करता है

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NEET me Kitne Marks Chahiye: बहुत से स्टूडेंट्स यह जानना चाहते हैं कि आखिरकार उन्हें नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए? अब इसके बारे में यदि आप इंटरनेट पर सर्च करते हैं तो हर वेबसाइट आपको गोल-गोल जवाब देती है या गलत जानकारी देती है। आप चाहे हिंदी भाषा की कोई वेबसाइट देख लें या फिर अंग्रेजी में, आपको कहीं से भी इसका सही से उत्तर नहीं मिलेगा।

यहाँ तक कि आपको नीट की आधिकारिक वेबसाइट पर भी इसके बारे में सही से जानकारी नहीं मिलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि नीट के तहत सरकारी कॉलेज में एडमिशन लेने का प्रोसेस बहुत ही पेचीदा और जटिल है। ऐसे में अधिकतर या यूँ कहें कि जो लोग इस फील्ड से नहीं गुजरे हैं, उन्हें इसके बारे में सही से नहीं पता होता है। हमने भी इंटरनेट पर इसके बारे में बहुत छानबीन की लेकिन ठीक से क्लेअरिटी नहीं मिली।

आखिर में जाकर हमने नीट में सेलेक्ट हो चुके स्टूडेंट्स और टॉप सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़ रहे स्टूडेंट्स से इस प्रोसेस को जाना। इसके बाद ही हम यह आर्टिकल लिख रहे हैं ताकि आप तक संपूर्ण जानकारी सही रूप में पहुंचे। इस आर्टिकल से हम आपके नीट में पास होने के लिए कितने नंबर चाहिए (NEET me Passing Marks Kitne Chahiye) से लेकर नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए, इत्यादि सभी डाउट क्लियर करने वाले हैं। चलिए शुरू करते हैं।

नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए?

तो जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि यह प्रक्रिया बहुत ही पेचीदा है और इसके तहत सरकारी कॉलेज में एडमिशन लेने की प्रक्रिया भी बहुत जटिल है। अब डॉक्टर की पढ़ाई करना और एक अच्छा डॉक्टर बनना कोई सरल काम थोड़ी ना है। ठीक वैसे ही नीट का एग्जाम क्लियर करना और फिर अच्छा सरकारी कॉलेज लेना कोई सरल काम कैसे हो सकता है।

इसके लिए हम आपको शुरू से लेकर अंत तक इस जटिल प्रक्रिया को विभिन्न भागों में समझाने का प्रयास करेंगे। तो इसमें मुख्य रूप से जो संस्थान भूमिका निभाते (NEET me Kitne Marks Chahiye) हैं, उनके नाम हैं:

  1. National Testing Agency (NTA) / राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी
  2. Medical Counselling Committee (MCC) / मेडिकल काउंसलिंग कमेटी
  3. State Medical Counselling Committees / राज्य मेडिकल काउंसलिंग कमेटी
  4. All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) / अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)
  5. अन्य केंद्रीय व राज्य सरकारी मेडिकल कॉलेज

तो यदि आपको नीट के तहत सरकारी कॉलेज में एडमिशन लेना है तो आपको ऊपर बताई गई इन पांच संस्थाओं का नीट के एग्जाम में क्या कुछ योगदान होता है, उसके बारे में समझना होगा। इसके बाद ही आप यह जान पाएंगे कि नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर (NEET Exam me Kitne Marks Chahiye) चाहिए। तो चलिए जानते हैं।

#1. National Testing Agency (NTA) / राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी

नीट एग्जाम में सबसे पहला और मुख्य रोल आता है NTA का जिसे हम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी भी कहते हैं। वह इसलिए क्योंकि नीट का एग्जाम यही कंडक्ट करवाती है। ऐसे में नीट का एग्जाम बनाना, उसके नंबर देना और स्टूडेंट्स को रैंक देना, इसी संस्थान के द्वारा किया जाता है। तो NTA का काम नीट का एग्जाम कंडक्ट करवाने से लेकर सभी स्टूडेंट्स को नीट के तहत उसके नंबर और रैंक देने तक ही सीमित होता है।

#2. Medical Counselling Committee (MCC) / मेडिकल काउंसलिंग कमेटी

अब सरकारी मेडिकल कॉलेज में दूसरा मुख्य भाग है एमसीसी का जो केंद्रीय स्तर पर मेडिकल काउंसलिंग कमेटी होती है। इसके तहत देशभर के बड़े से बड़े डॉक्टर और चयन करने वाला पैनल बैठता है। इनका काम स्टूडेंट्स को नीट में मिले नंबर और रैंक के आधार पर देशभर के सेंट्रल और स्टेट मेडिकल कॉलेज में उनका एडमिशन करवाने के लिए काउंसलिंग करने का होता है।

#3. State Medical Counselling Committees / राज्य मेडिकल काउंसलिंग कमेटी

अब एमसीसी तो केंद्रीय स्तर पर ही मुख्य भूमिका निभाता है क्योंकि स्टेट या राज्य के मेडिकल कॉलेज में राज्य की मेडिकल काउंसलिंग कमेटी का ज्यादा वर्चस्व होता है। ऐसे में हर राज्य की अपनी अलग एमसीसी होती है। उदाहरण के तौर पर हरियाणा की अलग एमसीसी होगी तो वहीं उड़ीसा की अलग। यह उसी राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स की नीट के स्कोर के तहत काउंसलिंग करते हैं।

#4. All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) / अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)

यह देश के टॉप लेवल के मेडिकल कॉलेज होते हैं। जिस प्रकार इंजीनियरिंग के लिए देश के टॉप कॉलेज IIT होते हैं तो उसी तरह मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए एम्स को टॉप कॉलेज की श्रेणी में रखा गया है। अभी देश में 20 एम्स है तो वहीं जल्द ही कुछ और एम्स को शुरू करने का काम चल रहा है। एम्स में सेंट्रल एमसीसी के जरिए ही एडमिशन लिया जा सकता है।

#5. अन्य केंद्रीय व राज्य सरकारी मेडिकल कॉलेज

मेडिकल कॉलेज में केवल एम्स ही नहीं आते हैं बल्कि अन्य केंद्रीय व राज्य स्तरीय कॉलेज भी आते हैं। अब अगर हम एम्स के अलावा अन्य केंद्रीय सरकारी मेडिकल कॉलेज की बात करें तो उसमें कुछ के नाम JIPMER, BHU, AMU इत्यादि हैं। वहीं राज्य स्तर पर कई तरह के मेडिकल कॉलेज होते हैं। केंद्रीय कॉलेज में केंद्रीय एमसीसी तो वहीं राज्य के कॉलेज में केंद्र और राज्य एमसीसी दोनों काउंसलिंग लेते हैं।

तो इस तरह से आपने नीट में सरकारी कॉलेज लेने के लिए प्रमुख संस्थाओं और उनकी कार्यप्रणाली के बारे में जान लिया है। इससे आपको यह तो पता चल गया होगा कि नीट का एग्जाम क्लियर करना और उसके तहत अच्छा सरकारी मेडिकल कॉलेज लेना कितना कठिन काम होता है। तो इसके लिए आपको कोचिंग भी टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से ही लेनी चाहिए।

तो कुछ प्रसिद्ध नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट के नाम मैट्रिक्स सीकर, आकाश दिल्ली, एलन कोटा है। यदि आप इन इंस्टीट्यूट से नीट की कोचिंग लेते हैं तो अवश्य ही आप जल्द से जल्द नीट का एग्जाम अच्छे स्कोर के साथ क्लियर कर पाएंगे। इसमें भी मैट्रिक्स अकैडमी ने तो पिछले कुछ वर्षों में ही नीट की कोचिंग देनी शुरू की है और देखते ही देखते पहले नंबर पर आ गई है।

अब बात करते हैं, नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए (NEET me Kitne Marks Chahiye), के बारे में। तो अब जब आपने सभी संस्थाओं के बारे में जान लिया है तो आइए इस रहस्य से भी पर्दा उठा लिया जाए। आइए जाने।

नीट में कितने नंबर पर सरकारी कॉलेज मिलेगा?

इसे हम चरण दर चरण समझाने का प्रयास करते हैं। चलिए शुरू करते हैं।

  1. सबसे पहले तो आपको नीट का फॉर्म भरना होगा। उसके तहत NTA आपका नीट एग्जाम कंडक्ट करवाएगा और आपको पूरी तैयारी के साथ वह देना होगा।
  2. अब NTA के द्वारा नीट का रिजल्ट निकाला जाएगा और उसके अनुसार आपको पासिंग मार्क्स, कट ऑफ नंबर व रैंक दी जाएगी।
  3. अब यह पासिंग मार्क्स तो सभी के एक समान होते हैं लेकिन एक स्टूडेंट को रैंक 4 तरह की दी जाती है।
  4. सबसे पहले रैंक उसकी All In India (AIQ) रैंक होती है तो वहीं दूसरी उसकी अपनी जाति के अनुसार AIQ होती है।
  5. तीसरी रैंक उसके राज्य के कुल स्टूडेंट्स के अनुसार रैंक होती है तो चौथी रैंक उसके राज्य में जाति के अनुसार उसकी रैंक होती है।
  6. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि सेंट्रल और स्टेट मेडिकल कॉलेज में राज्य और स्टूडेंट्स की जाति के अनुसार सीट्स आरक्षित होती है।
  7. अब जब आपको NTA के द्वारा नंबर और रैंक दे दी जाती है तो शुरू होता है MCC और स्टेट MCC का काम।
  8. MCC की ऑफिसियल वेबसाइट में आप काउंसलिंग के लिए आवेदन करते हैं तो साथ के साथ स्टेट की एमसीसी में भी आवेदन करना होता है।
  9. इसमें आपको अपनी प्रेफेरेंस और रैंक को ध्यान में रखकर सभी कॉलेज को क्रमानुसार भरना होता है। देशभर में लगभग 400 मेडिकल कॉलेज हैं। आप इसमें से सभी को या कुछ चुनिंदा को क्रमानुसार भर सकते हैं।
  10. अब जो सेंट्रल मेडिकल कॉलेज होते हैं, उसमें 100 प्रतिशत सीट्स पर काउंसलिंग सेंट्रल एमसीसी ही करती है और किसी भी राज्य का स्टूडेंट इसमें जा सकता है। हालाँकि सीट्स के लिए स्टूडेंट्स की जाति को अवश्य देखा जाता है।
  11. वहीं जो राज्य स्तर के मेडिकल कॉलेज हैं, उस पर 85 प्रतिशत सीट्स पर काउंसलिंग स्टेट एमसीसी करता है तो बाकी 15 प्रतिशत सीट्स पर सेंट्रल एमसीसी करता है।
  12. कहने का मतलब यह हुआ कि स्टेट के सभी मेडिकल कॉलेज पर उसी राज्य की काउंसलिंग कमेटी 85 परसेंट सीट्स पर स्टूडेंट्स को एडमिशन दिलवाती है तो बाकी 15 परसेंट पर सेंट्रल मेडिकल काउंसलिंग कमेटी।
  13. इसे आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि मध्य प्रदेश के किसी राज्य स्तर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में कुल 100 सीट है तो उसमें मध्य प्रदेश राज्य के ही 85 स्टूडेंट्स लिए जाएंगे जो स्टेट एमसीसी चुनेगी तो वहीं 15 स्टूडेंट्स मध्य प्रदेश सहित पूरे देश के किसी भी राज्य से हो सकते हैं जिन्हें सेंट्रल एमसीसी चुनती है।
  14. इसी कारण हर स्टूडेंट की राज्य स्तरीय कट ऑफ भी अलग निकलती है। वह इसलिए क्योंकि हर राज्य में नीट का एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स, उसमें पास होने वाले स्टूडेंट्स, वहाँ के मेडिकल कॉलेज में कुल खाली सीट इत्यादि अलग-अलग होती है।
  15. हर स्टूडेंट को अपनी रैंक और कट ऑफ मार्क्स के हिसाब से सरकारी मेडिकल कॉलेज मिलता है। ऐसे में सभी स्टूडेंट्स को बहुत ही ध्यान से काउंसलिंग में भाग लेना होता है और कॉलेज के क्रम चुनने होते हैं।

यह प्रक्रिया पेचीदा जरुर है क्योंकि इसमें केंद्र और राज्य स्तर पर मेडिकल कॉलेज का वर्गीकरण किया गया है। बहुत से स्टूडेंट्स इस प्रक्रिया को सही भी नहीं मानते हैं क्योंकि कुछ राज्यों में मेडिकल सीट पर बहुत ज्यादा कम्पटीशन देखने को मिलता (NEET Exam me Kitne Marks Chahiye) है तो कुछ में बहुत कम।

उदाहरण के तौर पर केरल राज्य में कम्पटीशन बहुत कम है तो वहीं राजस्थान में बहुत ज्यादा है। जहाँ कुछ राज्यों में जनरल श्रेणी के लिए नीट की कट ऑफ 640 नंबर से ऊपर चली जाती है तो कुछ राज्यों में यह 580 के आसपास रहती है। हालाँकि यदि आप जनरल श्रेणी में आते हैं तो आपको 600 से ऊपर नंबर और आरक्षित श्रेणी वालों को 550 से ऊपर नंबर स्कोर करने पर ध्यान देना चाहिए।

नीट में पास होने के लिए कितने नंबर चाहिए?

अब बात करते हैं नीट में पासिंग मार्क्स के बारे में (NEET me Passing Marks Kitne Chahiye)। अभी तक तो आपने जाना कि नीट में सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए या क्या कट ऑफ रहती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कट ऑफ से कम नंबर पाने वाले स्टूडेंट्स नीट एग्जाम में फेल हो जाते हैं। दरअसल नीट एक फार्मूला के तहत पासिंग मार्क्स भी निकालती है जिसे Minimum Qualifying Percentile कहा जाता है।

अभी तक आपने परसेंटेज के बारे में सुन रखा होगा लेकिन यह परसेंटाइल इससे अलग होती है। इसके लिए एक फार्मूला बनाया गया है, जो कि इस प्रकार है:

नीट में Minimum Qualifying Percentile = (आपके टोटल नंबर * 100) / टॉप करने वाले स्टूडेंट के मार्क्स

अब इसे एक उदाहरण से समझ लेते हैं। मान लीजिए कि नीट का एग्जाम 100 नंबर का होता है और उसमें आपके 45 नंबर आए हैं। इस हिसाब से आपके परसेंट तो 45 प्रतिशत बने लेकिन नीट में प्रतिशत कोई मायने नहीं रखते और इसके लिए परसेंटाइल ही मायने रखती है। तो ऊपर दिए गए फार्मूला के अनुसार हमें टॉप स्टूडेंट के मार्क्स जानने हैं। तो मान लीजिए जिस स्टूडेंट ने टॉप किया है, उसने नीट में 100 में से 90 नंबर लिए हैं। तो फार्मूला लगाकर देखते हैं।

(45 * 100) / 90 = 4500 / 90 = 50

तो इस तरह से आपने देखा कि आपके परसेंट तो 45 थे लेकिन टॉप स्कोर करने वाले स्टूडेंट के हिसाब से आपके परसेंटाइल 50 हो गए। अब यदि वह स्टूडेंट 100 में से 100 नंबर लेकर आता है तो आपके परसेंटाइल 45 होते। इसी तरह नीट में मिलने वाले पासिंग मार्क्स अर्थात परसेंटाइल टॉप स्टूडेंट के द्वारा स्कोर किए गए मार्क्स पर निर्भर करते हैं।

अब यह पासिंग मार्क्स भी जातियों के आधार पर होते हैं। जनरल कैटेगरी वाले स्टूडेंट्स को न्यूनतम 50 परसेंटाइल, जनरल विकलांग को 45 परसेंटाइल, अन्य सभी आरक्षित वर्ग व उसके तहत आने वाले विकलांगों को 40 परसेंटाइल लाने होते हैं।

इसलिए यदि आप जल्द से जल्द नीट में अपना सिलेक्शन करवाना चाहते हैं और वह भी अच्छे मार्क्स के साथ तो आपका टॉप लेवल के नीट कोचिंग सेंटर में पढ़ना बहुत जरुरी हो जाता है। मैट्रिक्स सीकर, आकाश दिल्ली, एलन कोटा जैसे इंस्टीट्यूट इस मामले में आपको सही गाइडेंस और स्टडी मटेरियल देते हैं। मैट्रिक्स में तो इसके लिए अलग से डाउट सेंटर भी बनाए गए हैं जहाँ स्टूडेंट्स किसी भी समय जाकर अपने डाउट क्लियर कर सकते हैं।

निष्कर्ष

उक्त लेख के माध्यम से आपने नीट में सरकारी कॉलेज के लिए कितने नंबर चाहिए (NEET me Kitne Marks Chahiye), के बारे में पूरी जानकारी ले ली है। यह प्रक्रिया पेचीदा अवश्य है लेकिन हमने आपको इस लेख में साफ़ व स्पष्ट शब्दों में समझाने का प्रयास किया है। यदि अभी भी आपको कोई शंका है या कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट कर हमसे पूछ सकते हैं।

Related FAQs

प्रश्न: अगर मुझे नीट में 550 अंक मिलते हैं तो क्या मुझे सरकारी कॉलेज मिल सकता है?

उत्तर: यदि आपको नीट में 550 अंक मिलते हैं तो आपको सरकारी कॉलेज मिल सकता है लेकिन यह पूर्ण रूप से उस समय निकाली गई कट ऑफ, आपके राज्य की मेडिकल सीट और आपके द्वारा काउंसलिंग के समय चुने गए कॉलेज की प्रेफेरेंस पर निर्भर करता है।

प्रश्न: Obc के लिए mbbs के लिए नीट में कितने अंक आवश्यक हैं?

उत्तर: Obc के लिए mbbs के लिए नीट में कम से कम 500 से अधिक अंक आवश्यक हैं। हालाँकि यह आंकड़ा हर राज्य के अनुसार बदल भी सकता है।

प्रश्न: नीट में कितने marks आने पर सरकारी कॉलेज मिलता है?

उत्तर: यदि आप सामान्य श्रेणी में आते हैं तो आपका ध्यान नीट में 620 से अधिक अंक लाने पर होना चाहिए, तभी जाकर आपको सरकारी कॉलेज मिलेगा।

प्रश्न: क्या नीट में 600 अंकों वाला सरकारी कॉलेज मिल सकता है?

उत्तर: नीट में 600 अंक एक अच्छा स्कोर है लेकिन आज के समय में कम्पटीशन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। ऐसे में आपका ध्यान 620 से अधिक अंक लेने पर होना चाहिए लेकिन यदि आप आरक्षित वर्ग से आते हैं तो 600 में काम चल जाएगा।

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JEE Main or JEE Advanced: जो स्टूडेंट्स नॉन मेडिकल फील्ड से हैं और आगे चलकर इंजीनियरिंग में पढ़ाई करना चाहते हैं तो उनका सपना देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने का होता है। अब भारत सरकार के द्वारा इसके लिए हर वर्ष JEE का एग्जाम लिया जाता है लेकिन बहुत से स्टूडेंट्स ऐसे हैं जो JEE के इस एग्जाम के दो नाम सुनकर शंका में पड़ जाते हैं।

दरअसल JEE एग्जाम के दो हिस्से होते हैं जिन्हें हम JEE Main और JEE Advanced के नाम से जानते हैं। पहले के समय में इनके कुछ और नाम थे लेकिन आज के समय में इनके नाम JEE Main और JEE Advanced है। अब जो स्टूडेंट्स इंजीनियर बनना चाहते हैं और इसके लिए JEE का एग्जाम देना चाहते हैं वे अवश्य ही यह जानना चाहते हैं कि JEE Main और JEE Advanced के बीच क्या अंतर (JEE Main and JEE Advanced Difference in Hindi) है।

ऐसे में आज हम आपकी इसी शंका का समाधान करने हेतु ही यहाँ आए हैं। आज के इस लेख में आपको ना केवल इन दोनों पेपर के बीच का समूचा अंतर जानने को मिलेगा बल्कि साथ ही हम आपको यह भी बताएँगे कि JEE Main और JEE Advanced क्या है (JEE Main or JEE Advanced Kya Hai) और इनका क्या महत्व है। तो चलिए शुरू करते हैं।

JEE Main और JEE Advanced के बीच क्या अंतर है?

सबसे पहले तो आप यह जान लें कि यह दोनों ही एग्जाम स्टूडेंट्स के देशभर के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन करवाने के लिए लिए जाते हैं। बस एक छोटा लेवल है तो दूसरा थोड़ा बड़ा लेवल है। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो JEE Main का एग्जाम होता है, वो फर्स्ट लेवल होता है तो वहीं JEE Advanced का लेवल आखिरी लेवल होता (JEE Main and JEE Advanced Difference in Hindi) है।

अब कुछ स्टूडेंट्स तो IIT और JEE के बीच क्या अंतर होता है (IIT and JEE Difference in Hindi), इसके बारे में भी जानना चाहते हैं। वह इसलिए क्योंकि हम में से बहुत से JEE के एग्जाम को IIT का एग्जाम भी कह देते हैं जो कि गलत भी नहीं है। ऐसे में आर्टिकल के लास्ट में हम आपको इसके बारे में भी बताएँगे। तो चलिए शुरू करते हैं।

#1. फुल फॉर्म और पुराने नाम

JEE Main और JEE Advanced के बीच के अंतर को समझने से पहले आप यह समझ लें कि इन दोनों की फुल फॉर्म क्या है और इनका पहले क्या नाम था। इनकी फुल फॉर्म और इनके पुराने नाम जानकर आपको दोनों के बीच का आधे से ज्यादा अंतर तो यहीं क्लियर हो जाएगा क्योंकि लोगों ने इनके पुराने नाम ही सुन रखे होते हैं।

तो JEE Main की फुल फॉर्म Joint Entrance Examination – Main होती है तो वहीं JEE Advanced की फुल फॉर्म Joint Entrance Examination – Advanced है। अब आप कहेंगे कि इससे हमें क्या ही पता चला क्योंकि दोनों में JEE की फुल फॉर्म तो एक जैसी ही है। ऐसे में आप इनका पुराना नाम सुन लें।

तो JEE Main को पहले AIEEE के नाम से जाना जाता था तो वहीं JEE Advanced को IIT – JEE के नाम से जाना जाता था। अब बहुत लोगों ने अवश्य ही AIEEE का नाम सुन रखा होगा। वह इसलिए क्योंकि AIEEE का एग्जाम देशभर की NIT में एडमिशन के लिए लिया जाता था तो वहीं IIT – JEE का एग्जाम IIT में एडमिशन के लिए लिया जाता था। आज भी वैसा ही होता है लेकिन कुछ परिवर्तनों के साथ।

#2. किस कॉलेज में एडमिशन मिलेगा

अब यह तो आप जान ही गए हैं कि JEE के यह दोनों ही एग्जाम स्टूडेंट्स को देश के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन करवाने के उद्देश्य से कंडक्ट करवाए जाते हैं लेकिन किस एग्जाम से किस तरह के कॉलेज में एडमिशन मिलता है, यह जानना भी तो जरुरी है।

तो JEE Main के द्वारा आपको देशभर की 32 NITs (National Institutes of Technology), 26 IIITs (Indian Institutes of Information Technology) और 40 GFTIs (Government Funded Technical Institutes) में एडमिशन मिलता है। वहीं यदि आप JEE Advanced को क्लियर कर देते हैं तो आपको देशभर की 23 IITs (Indian Institutes of Technology) में एडमिशन मिलता है।

#3. एग्जाम कौन लेता है?

अब बात करते हैं JEE Main और JEE Advanced का एग्जाम कंडक्ट करवाने वाली एजेंसी के बारे में। तो JEE Main का एग्जाम NTA अर्थात National Testing Agency के द्वारा कंडक्ट करवाया जाता है वर्ष 2018 तक तो यह एग्जाम Central Board of Secondary Education कंडक्ट करवा रही थी लेकिन 2019 से यह दायित्व नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के द्वारा निभाया जा रहा है।

वहीं यदि हम JEE Advanced एग्जाम की बात करें तो इसे आईआईटी ज्वाइंट एडमिशन बोर्ड (IIT Joint Admission Board) के द्वारा कंडक्ट करवाया जाता है। इसमें 23 IIT में से टॉप 7 IIT आती है जिनके नाम रुड़की, खड़गपुर, दिल्ली, कानपुर, बॉम्बे, हैदराबाद और गुवाहाटी आईआईटी है। अब यह रोटेशन के हिसाब से हरेक IIT के द्वारा कंडक्ट करवाया जाता है।

#4. एग्जाम की शुरुआत

यह भी JEE Main और JEE Advanced के बीच का एक महत्वपूर्ण अंतर (JEE Main and JEE Advanced Difference in Hindi) है। इसलिए आपका इसके बारे में भी जानना जरुरी हो जाता है। तो JEE Main एग्जाम की शुरुआत आज से लगभग 22 वर्ष पहले सन 2002 में हुई थी तो वहीं JEE Advanced की शुरुआत आज से 63 वर्ष पहले सन 1961 में ही हो गई थी। कहने का अर्थ यह हुआ कि JEE Main एग्जाम JEE Advanced से बहुत बाद में शुरू हुआ था।

#5. एग्जाम का स्तर

अब करते हैं JEE Main और JEE Advanced के स्तर की बात। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि इन दोनों एग्जाम में से कौन सा एग्जाम ज्यादा कठिन होता है और कौन सा ज्यादा सरल। तो यह तो सीधी सी बात है कि लेवल एक का एग्जाम लेवल दो वाले से सरल ही होगा। इस तरह से JEE Main का एग्जाम JEE Advanced की तुलना में थोड़ा सरल जरुर होता है लेकिन इतना भी नहीं। वह इसलिए क्योंकि हर वर्ष इसमें लाखों स्टूडेंट्स बैठते हैं लेकिन सेलेक्ट होने वाले स्टूडेंट्स बहुत कम होते हैं।

साथ ही स्टूडेंट्स को टॉप लेवल के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए स्कोर भी उसी लेवल का लाना होता है। ऐसे में उसे टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ना चाहिए अन्यथा वह JEE Main में ही सेलेक्ट नहीं हो पाएगा, JEE Advanced तो बहुत दूर की बात है। भारत के कुछ टॉप JEE कोचिंग इंस्टीट्यूट के नाम मैट्रिक्स अकैडमी सीकर, कोटा का एलन इंस्टीट्यूट, दिल्ली आकाश इंस्टीट्यूट है।

#6. एक साल में कितनी बार

अब बात करते हैं कि यह JEE Main और JEE Advanced का एग्जाम एक साल में कितनी बार कंडक्ट करवाया जाता है और कब-कब करवाया जाता है। तो JEE Main का एग्जाम एक साल में दो बार लिया जाता है। पहला पेपर जनवरी में होता है तो दूसरा पेपर अप्रैल के महीने में होता है। ऐसे में अगर आपका जनवरी वाला पेपर अच्छा नहीं गया है तो आप अप्रैल में वापस इसे दे सकते हैं।

वहीं JEE Advanced का एग्जाम साल में बस एक बार लिया जाता है और वह JEE Main के दोनों एग्जाम हो जाने के बाद उसके रिजल्ट के आधार पर लिया जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि जिन स्टूडेंट्स ने JEE Main का एग्जाम पास कर लिया है और टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आए हैं, वे ही JEE Advanced के एग्जाम में बैठ सकते हैं। JEE Advanced का एग्जाम जून के महीने में लिया जाता है।

#7. एग्जाम का क्राइटेरिया

अब आपने यह तो जान लिया है कि JEE Main और JEE Advanced का एग्जाम (JEE Main or JEE Advanced) साल में कितनी बार लिया जाता है लेकिन साथ में यह भी जान लें कि यह एग्जाम कितनी शिफ्ट में होता है। तो JEE Main का पेपर एक ही शिफ्ट में होगा जो 3 घंटे की होगी। इसमें आपसे फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स के प्रश्न पूछे जाएंगे।

वहीं अगर हम JEE Advanced की बात करें तो इसमें एक ही दिन में दो शिफ्ट में पेपर होते हैं। हरेक शिफ्ट 3-3 घंटे की होती है और सब्जेक्ट्स वही रहते हैं। इस तरह से JEE Main का एग्जाम 3 घंटों का तो वहीं JEE Advanced का एग्जाम 6 घंटों का होता है।

#8. किस लैंग्वेज में होता है एग्जाम

JEE Main का एग्जाम हिंदी व अंग्रेजी सहित 13 भारतीय भाषाओं में लिया जाता है। यह 13 भाषाएँ हिंदी, अंग्रेजी, आसामी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू है। वहीं JEE Advanced का एग्जाम केवल हिंदी और अंग्रेजी में ही लिया जाता है।

#9. एग्जाम फीस

अब यदि हम आपके साथ JEE Main और JEE Advanced को देने के लिए फीस की बात करें तो वह भी एक मुख्य अंतर है। वह इसलिए क्योंकि JEE Advanced की फीस JEE Main की तुलना में बहुत ज्यादा होती है। अब यह फीस भी स्टूडेंट्स की जातियों के अनुसार अलग-अलग होती है। JEE Main के लिए जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट्स को 1000 रुपए, जनरल EWS व OBC को 900 रुपए, SC, ST, विकलांग और थर्ड जेंडर के लिए 500 रुपए होती है।

वहीं JEE Advanced की फीस भारतीय नागरिकों के लिए 3200 से लेकर 1600 रुपए के बीच में होती है। वहीं यदि हम विदेशी नागरिकों की बात करें तो यह 100 से 200 डॉलर तक होती है जो भारतीय मुद्रा के अनुसार 9 से 20 हज़ार के बीच होती है।

#10. एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

अब करते हैं JEE Main और JEE Advanced के बीच मुख्य अंतर की बात। वह है JEE का एग्जाम कौन दे सकता है और कौन नहीं। तो इसके लिए वैसे तो कई मापदंड होते हैं लेकिन यहाँ हम आपको दोनों के बीच के अंतर वाले क्राइटेरिया को बताने जा रहे हैं। तो JEE Main एग्जाम को देने के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती है जबकि JEE Advanced के लिए अधिकतम आयु सीमा 25 वर्ष (आरक्षित वर्ग के लिए 30 वर्ष) है।

JEE Main को लगातार तीन वर्षों तक अधिकतम 6 प्रयास के तहत दिया जा सकता है तो वहीं JEE Advanced के लिए अधिकतम 2 प्रयास और वह भी बारहवीं के साथ वाला वर्ष और उसका अगला वर्ष ही होता है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई स्टूडेंट 2024 में अपनी बारहवीं का एग्जाम देता है तो वह वर्ष 2024 और 2025 का JEE Advanced का एग्जाम ही दे सकता है, 2026 या उसके बाद के वर्षों का नहीं।

JEE Main और JEE Advanced क्या है?

अब जब आपने JEE Main और JEE Advanced के बीच के सभी अंतर को जान लिया है तो बारी आती है इन दोनों के बीच क्या समानता है, इसके बारे में जानने की। कहने का मतलब यह हुआ कि भारत सरकार को यह दो एग्जाम क्यों लेने पड़ते हैं और JEE Main और JEE Advanced का आपस में क्या संबंध (JEE Main or JEE Advanced Kya Hai) है, इसके बारे में भी तो आपको जानना चाहिए।

तो सबसे पहले तो आप यह जान लें कि केवल वही स्टूडेंट्स JEE Advanced के एग्जाम में बैठ सकते हैं जिन्होंने JEE Main का एग्जाम दे रखा हो और वे टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आते हो। इस तरह से JEE Advanced का एग्जाम JEE Main एग्जाम के रिजल्ट के आधार पर कंडक्ट करवाया जाता है। साथ ही JEE Main के तहत एलिजिबिलिटी के जो भी क्राइटेरिया हैं, वे अपने आप ही JEE Advanced के लिए मान्य होते हैं।

आइए सिलसिलेवार तरीके से जान लेते हैं:

  1. JEE Main का एग्जाम देशभर के सभी केंद्रीय व राज्य सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज (IIT को छोड़कर) में एडमिशन के लिए कंडक्ट करवाया जाता है।
  2. इसके लिए देश के मान्यता प्राप्त बोर्ड से पढ़ रहे स्टूडेंट को नॉन मेडिकल स्ट्रीम या फिर फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ सब्जेक्ट के साथ अपनी बारहवीं कक्षा में न्यूनतम 75 प्रतिशत अंक (आरक्षित वर्ग के स्टूडेंट्स के लिए 65 प्रतिशत) लाना अनिवार्य होता है।
  3. यदि कोई स्टूडेंट न्यूनतम प्रतिशत वाले क्राइटेरिया में फेल हो जाता है लेकिन यदि वह अपने बोर्ड के टॉप 20 प्रतिशत स्टूडेंट्स में आता है तो भी वह JEE Main के एग्जाम में बैठ सकता है।
  4. अब वह स्टूडेंट हर वर्ष आयोजित होने वाली दोनों JEE Main में बैठ सकता है जो जनवरी और अप्रैल में होती है।
  5. अब यदि स्टूडेंट JEE Main को अच्छे स्कोर के साथ पास कर लेता है और टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आ जाता है तो वह JEE Advanced का एग्जाम दे सकता है।
  6. इसमें इस बात का ध्यान रखें कि यदि उस स्टूडेंट ने 2023 में JEE Main का एग्जाम दिया है और पहले 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आया है तो वह 2024 के JEE Advanced में नहीं बैठ सकता है।
  7. अब यदि स्टूडेंट ने साल में होने वाली दोनों JEE Main की परीक्षा दी है तो उसने जिस भी परीक्षा में अच्छा स्कोर किया है या बेस्ट स्कोर किया है तो वही मान्य होगा।
  8. इस तरह से JEE Main के सभी नियमों का पालन करते हुए और इस एग्जाम में सेलेक्ट होने वाले टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स ही JEE Advanced के एग्जाम में बैठ सकते हैं।
  9. JEE Advanced का एग्जाम एक ही दिन में दो शिफ्ट में होता है और इसमें पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या और अंक निर्धारित नहीं होते हैं।
  10. फिर कुछ ही दिनों में JEE Advanced का रिजल्ट आ जाता है और स्टूडेंट्स को उनके स्कोर के आधार पर IIT में एडमिशन मिलता है और बाकी स्टूडेंट्स अन्य कॉलेज में एडमिशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

इस तरह से आपने जान लिया है कि यह JEE Main और JEE Advanced का एग्जाम (JEE Main or JEE Advanced) कितना मुश्किल होता है और इसमें आपको अच्छा स्कोर करना कितना जरुरी है। इसलिए आपको टॉप लेवल के JEE कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ना होगा। इसमें कुछ एक नाम ही आते हैं जो मैट्रिक्स सीकर, एलन कोटा और आकाश दिल्ली है।

IIT और JEE में क्या अंतर है?

अब आप यह भी जान लें कि IIT और JEE में क्या अंतर (IIT and JEE Difference in Hindi) है। वैसे तो आपको अभी तक का आर्टिकल पढ़कर इसके बारे में समझ आ ही गया होगा। तो IIT का अर्थ तो केंद्रीय सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से होता है जबकि JEE का अर्थ देश की IIT सहित अन्य केंद्रीय सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन पाने के लिए कंडक्ट करवाया जाने वाला एग्जाम होता है।

निष्कर्ष

इस तरह से आपने इस आर्टिकल को पढ़कर यह जान लिया है कि JEE Main और JEE Advanced के बीच क्या अंतर होता (JEE Main and JEE Advanced Difference in Hindi) है और दोनों में क्या संबंध है। आशा है कि अब आपके मन में JEE के इन दोनों एग्जाम को लेकर कोई शंका शेष नहीं रह गई होगी।

जिन स्टूडेंट्स को IIT में एडमिशन लेना होता है, उसे यह दोनों ही एग्जाम देने होते हैं तो जिन स्टूडेंट्स को IIT के अलावा अन्य टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में जाना होता है तो उसके लिए केवल JEE Main का एग्जाम देना ही सही रहता है।

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प्रश्न: जेईई मेंस और एडवांस में क्या फर्क है?

उत्तर: जेईई मेंस और एडवांस में इतना सा फर्क होता है कि JEE Main NIT, IIIT और अन्य सरकारी कॉलेज में एडमिशन के लिए कंडक्ट करवाया जाता है तो वहीं JEE Advanced का एग्जाम IIT में एडमिशन करवाता है।

प्रश्न: 12 वीं के बाद jee एडवांस के लिए कितने प्रयास होते हैं?

उत्तर: 12 वीं के बाद jee एडवांस के लिए लगातार दो वर्षों तक दो प्रयास मिलते हैं।

प्रश्न: जेईई एडवांस का मतलब क्या होता है?

उत्तर: जेईई एडवांस का मतलब होता है देशभर के 23 IIT में एडमिशन करवाने के लिए लिया जाने वाला एग्जाम। इसके तहत स्टूडेंट्स को हर वर्ष IIT की इंजीनियरिंग ब्रांच में एडमिशन दिया जाता है।

प्रश्न: क्या हमें जेईई मेन और एडवांस दोनों देना है?

उत्तर: जो स्टूडेंट्स IIT से पढ़ना चाहते हैं उन्हें अवश्य ही यह दोनों एग्जाम देने होंगे। वहीं जो स्टूडेंट्स IIT के अलावा अन्य सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ना चाहते हैं वे बस जेईई मेन दे सकते हैं।

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बहुत से स्टूडेंट्स यह सोच-सोच कर परेशान रहते हैं कि IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत (IIT Ke Liye 12 Me Kitne Percentage Chahiye) कितने चाहिए होते हैं। दरअसल IIT में एडमिशन लेने के लिए क्राइटेरिया बहुत टफ होता है और उसका पालन किया जाना बहुत ही जरुरी होता है। अगर कोई भी स्टूडेंट किसी भी क्राइटेरिया में थोड़ा सा भी चूक जाता है तो उसका IIT में सिलेक्शन नहीं हो पाता है, फिर चाहे उसने JEE का एग्जाम क्लियर ही क्यों ना कर लिया हो।

इसलिए भारत के शिक्षा मंत्रालय व नेशनल टेस्टिंग एजेंसी जो कि IIT JEE का पेपर लेती है, उसके द्वारा जो भी नियम बनाए जाते हैं, उसके बारे में आपको अवश्य ही जानकारी होनी चाहिए। वहीं कुछ स्टूडेंट्स ऐसे भी हैं जो IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत के बारे में जानने को इच्छुक रहते हैं।

ऐसे में आज हम आपको IIT में एडमिशन लेने के लिए आपको बारहवीं में कुल कितने प्रतिशत अंक (IIT Ke Liye Kitne Percentage Chahiye) लाने होते हैं और यदि आपके उतने अंक नहीं आते हैं तो फिर क्या नियम हैं, इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। चलिए जानते हैं।

IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत | IIT Ke Liye 12 Me Kitne Percentage Chahiye

क्या आप जानते हैं कि भारत सरकार के किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना हो तो वहाँ स्टूडेंट्स की जाति के आधार पर अलग-अलग स्टैण्डर्ड बनाए गए होते हैं। यह स्टैण्डर्ड एग्जाम फीस से लेकर उसमें सिलेक्शन से जुड़े होते हैं।

कहने का मतलब यह हुआ कि आपको चाहे JEE का एग्जाम देने के लिए फीस भरनी हो, उसमें आयु का क्राइटेरिया हो या 12 वीं में नंबर का या फिर टोटल एटेम्पट का या कोई और, हर किसी को जाति के आधार पर बांटा गया होता (JEE Main Ke Liye 12th Me Kitne Percentage Chahiye) है।

ऐसे में जो मापदंड जनरल कैटेगरी के लिए हैं, वह OBC, SC, ST के लिए भी हो, यह जरुरी नहीं है। ऐसे में IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत OBC के लिए अलग हो सकते (IIT Ke Liye Kitne Percentage Chahiye) हैं तो SC, ST के लिए अलग। इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको स्टूडेंट्स को हरेक वर्ग या जाति के आधार पर IIT में एडमिशन लेने के लिए मिनिमम कितने नंबर चाहिए और उसके लिए क्या क्राइटेरिया होता है, उसके बारे में बताने वाले हैं।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत Open/ General

सबसे पहले बात करते हैं उन स्टूडेंट्स के बारे में जो जनरल कैटेगरी या यूँ कहें कि ओपन कैटेगरी में आते हैं। सीधे शब्दों में कहा जाए तो वे सभी स्टूडेंट्स जो OBC, SC, ST कैटेगरी में नहीं आते हैं और ना ही वे विकलांग हैं। साथ ही वे आर्थिक रूप से सक्षम भी हैं।

अब उन सभी स्टूडेंट्स को IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत के रूप में 75 प्रतिशत का स्कोर लेना जरुरी होता है। कहने का मतलब यह हुआ कि जिन जनरल स्टूडेंट्स के 12 वीं में 75 प्रतिशत से कम अंक आए हैं, वे JEE का एग्जाम नहीं दे सकते हैं।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत General EWS

अब बात करते हैं उन स्टूडेंट्स के बारे में जो हैं तो जनरल कैटेगरी में लेकिन वे आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं या निर्धन परिवार या कम आय की श्रेणी में आते हैं। ऐसे स्टूडेंट्स को भी अपनी बारहवीं कक्षा में कम से कम 75 प्रतिशत का स्कोर करना जरुरी होता है अन्यथा वे भी IIT में प्रवेश नहीं ले सकते हैं।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत OBC

अब आती है बात OBC कैटेगरी के स्टूडेंट्स की। इसकी फुल फॉर्म होती है Other Backward Classes जो कई जातियों का समूह होता है। यह बहुत बड़ी कैटेगरी होती है और इन्हें ही सबसे ज्यादा रिजर्वेशन भी मिलता है जो कि 27 प्रतिशत के आसपास है।

हालाँकि भारत सरकार के द्वारा OBC कैटेगरी में आने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत का आंकड़ा 75 प्रतिशत ही रखा गया है। ऐसे में यदि आप OBC श्रेणी में आते हैं तो भी आपको 75 प्रतिशत या उससे अधिक अंक अपनी बारहवीं कक्षा के बोर्ड में लाने होंगे।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत SC

अब यदि हम Schedule Caste की बात करें तो उन्हें भारत सरकार के द्वारा राहत दी गई है। इस श्रेणी में आने वाले सभी स्टूडेंट्स को बारहवीं क्लास में कम से कम 65 प्रतिशत अंक लाने होते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो स्टूडेंट्स SC कैटेगरी में आते हैं, उन्हें IIT में एडमिशन लेने के लिए कम से कम 65 प्रतिशत अंक अपनी बारहवीं क्लास में लाने होंगे।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत ST

अब जो स्टूडेंट्स ST कैटेगरी में आते हैं, उन्हें भी SC कैटेगरी की तरह ही अपनी बारहवीं क्लास में न्यूनतम 65 प्रतिशत अंक स्कोर करने होते हैं तभी वे IIT में एडमिशन लेने के लिए एलिजिबल हो पाते हैं।

  • IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत PwD

अब वे सभी स्टूडेंट्स जो चाहे ऊपर दी गई किसी भी श्रेणी में आते हैं लेकिन यदि वे शारीरिक रूप से विकलांग हैं तो उन्हें भी भारत सरकार राहत प्रदान करती है। तो विकलांग की श्रेणी में आने वाले सभी तरह की जातियों के स्टूडेंट्स को 12 वीं क्लास में न्यूनतम 65 प्रतिशत अंक लाने होते हैं। यह सभी जाति के स्टूडेंट्स के लिए एक समान है फिर चाहे वह जनरल श्रेणी का हो या ST का।

न्यूनतम प्रतिशत के साथ बेस्ट कोचिंग का महत्व

अब आपने अपनी कैटेगरी के हिसाब से न्यूनतम प्रतिशत अंक प्राप्त कर लिए हैं या आपको विश्वास है कि इतने प्रतिशत तो आपके आ ही जाएंगे तो केवल इतना ही काफी नहीं होता है। वह इसलिए क्योंकि आप बारहवीं में न्यूनतम प्रतिशत अंक लेकर IIT के लिए होने वाले JEE के एग्जाम में बैठने के लिए तो एलिजिबल हो जाएंगे लेकिन तब क्या होगा जब आप एग्जाम ही ना क्लियर कर पाएं या इसमें टॉप स्टूडेंट्स में अपनी जगह ना बना पाएं।

इसलिए जितना ध्यान आपको अपनी बारहवीं क्लास के न्यूनतम प्रतिशत पर देने की जरुरत है, उतना ही ध्यान आपको JEE एग्जाम की तैयारी पर देने की भी है। इसके लिए आपको जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी से ही इस पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए। यहाँ हम आपको JEE एग्जाम की तैयारी करने के लिए देश के कुछ चुनिंदा कोचिंग सेंटर्स के नाम देने जा रहे हैं जहाँ से आप अपनी तैयारी को मजबूत कर सकते हैं:

  1. मैट्रिक्स IIT अकैडमी, सीकर
  2. आकाश इंस्टीट्यूट, दिल्ली
  3. एलन इंस्टीट्यूट, कोटा
  4. प्रिंस अकैडमी, सीकर
  5. कौटिल्य अकैडमी, सीकर

एक तरह से यह कुछ ऐसे इंस्टीट्यूट या JEE के कोचिंग सेंटर हैं जहाँ पढ़कर आप अपनी तैयारी को और मजबूत कर सकते हैं। वह इसलिए क्योंकि टॉप और अच्छे कोचिंग सेंटर से आपको सही गाइडेंस मिलती है, एग्जाम को कैसे क्रैक किया जाता है, इसके सीक्रेट पता चलते हैं और समय पर आपके सभी डाउट सोल्व होते हैं।

मैट्रिक्स और एलन जैसे इंस्टीट्यूट इसमें बहुत अच्छा काम कर रहे हैं तो वहीं आकाश ने तो देशभर में अपनी ब्रांच खोल रखी है। मैट्रिक्स अकैडमी पिछले कुछ वर्षों से टॉप पर बनी हुई है क्योंकि वहाँ टोटल स्टूडेंट्स में से IIT में सेलेक्ट होने वाले स्टूडेंट्स का नंबर अन्य इंस्टीट्यूट की तुलना में बहुत बेहतर है।

IIT के लिए कौन-से बोर्ड हैं मान्य?

अब आप सोच रहे हैं कि आप जिस बोर्ड से हैं, क्या उस बोर्ड से भी आप IIT में बैठ सकते हैं या उसमें एडमिशन ले सकते हैं। तो यहाँ हम आपको एक चीज़ पहले ही क्लियर कर दें कि भारत सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त बोर्ड से पढ़ने पर ही आपको JEE एग्जाम में बैठने दिया जाएगा या फिर यूँ कहें कि IIT में एडमिशन मिल पाएगा।

तो इसमें केंद्र सरकार के दोनों मुख्य बोर्ड जिन्हें हम सीबीएसई और ICSE के नाम से जानते हैं, वह आते हैं। इसके अलावा सभी राज्य के राज्य बोर्ड भी इसके अंतर्गत आते हैं। उदाहरण के तौर पर राजस्थान राज्य का राजस्थान बोर्ड, मिजोरम राज्य का मिजोरम बोर्ड, छत्तीसगढ़ राज्य का छत्तीसगढ़ बोर्ड इत्यादि।

इस तरह से CBSE, ICSE और सभी राज्यों के स्टेट बोर्ड में पढ़ रहे सभी स्टूडेंट्स को IIT में प्रवेश पाने के लिए अपनी अपनी जाति के अनुसार न्यूनतम प्रतिशत का क्राइटेरिया पूरा करना होता है। इसके बाद जाकर वह IIT में एडमिशन ले सकता है।

शिक्षा मंत्रालय का एक नया नियम

अब यहाँ पर आप इस बात को ध्यान से पढ़ें क्योंकि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के द्वारा वर्ष 2023 में एक अधिसूचना जारी की गई थी और इसमें IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत (IIT Ke Liye 12 Me Kitne Percentage Chahiye) के नियम में थोड़ी ढील दी गई है। पहले वाले नियम के अनुसार सामान्य/ जनरल, OBC और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को न्यूनतम 75 प्रतिशत तो वहीं SC, ST व विकलांग श्रेणी में आने वाले स्टूडेंट्स को न्यूनतम 65 प्रतिशत अंक बारहवीं कक्षा में लाने होते थे और तभी वे IIT के लिए एलिजिबल हो पाते थे।

हालाँकि बहुत वर्षों से यह प्रश्न उठाया जा रहा था कि कई स्टेट बोर्ड में मार्किंग बहुत ही हार्ड होती है, जैसे कि राजस्थान बोर्ड को ही ले लीजिए। ऐसे में कुछ स्टेट बोर्ड के स्टूडेंट्स अपने बोर्ड में अच्छे परसेंटेज लाकर भी IIT के लिए न्यूनतम प्रतिशत का क्राइटेरिया पूरा नहीं कर पाते थे। ऐसे में शिक्षा मंत्रालय ने पहले वाले नियम को तो रखा ही है लेकिन जो स्टूडेंट्स इस नियम में फेल हो जाते हैं, उन्हें कुछ राहत दी गई है।

नए नियम के अनुसार वे सभी स्टूडेंट्स भी IIT में एडमिशन लेने और JEE का एग्जाम देने के लिए सक्षम माने जाएंगे जो अपने-अपने बोर्ड में टॉप 20 परसेंट स्टूडेंट्स में आते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि आपने राजस्थान बोर्ड से बारहवीं का एग्जाम दिया है और आप जनरल श्रेणी के हैं लेकिन यदि आपके केवल 70 प्रतिशत आते हैं तो पहले वाले नियम के अनुसार आप IIT में नहीं बैठ पाएंगे।

लेकिन नए नियम के अनुसार यदि आप राजस्थान बोर्ड में चयनित होने वाले टोटल स्टूडेंट्स में से फर्स्ट 20 परसेंट में आते हैं तो फिर आप बारहवीं में 70 प्रतिशत होने के बावजूद भी IIT में बैठ सकते हैं और JEE का एग्जाम दे सकते हैं। यह नियम सभी जातियों के स्टूडेंट्स के लिए एक समान है।

IIT में एडमिशन कैसे मिलेगा?

अब हम आपको सीधे सीधे शब्दों में IIT में एडमिशन लेने की पूरी प्रक्रिया समझा देते हैं। इसके लिए आपको मुख्य तौर पर तीन चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। इसमें पहला चरण बारहवीं में न्यूनतम प्रतिशत (IIT Ke Liye Kitne Percentage Chahiye) वाला है तो दूसरा और तीसरा चरण JEE के ही दो तरह के एग्जाम से जुड़ा हुआ है। चलिए इसके बारे में भी जान लेते हैं।

  • बारहवीं में न्यूनतम प्रतिशत या टॉप 20 प्रतिशत स्टूडेंट्स

सबसे पहले तो आपको ऊपर बताए गए नियमों के अनुसार बारहवीं क्लास में न्यूनतम अंक लाने होंगे। IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत OBC, General, GEN-EWS स्टूडेंट्स के लिए 75 प्रतिशत तो वहीं SC, ST और विकलांग स्टूडेंट्स के लिए 65 प्रतिशत है।

वहीं जो स्टूडेंट्स अपने-अपने बोर्ड में पास होने वाले टॉप 20 परसेंट स्टूडेंट्स में आए तो वे भी IIT में बैठ सकते (JEE Main Ke Liye 12th Me Kitne Percentage Chahiye) हैं, फिर चाहे वे ऊपर वाले नियम में पास होते हो या फेल।

  • JEE Main में पहले 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आना

अब जिन स्टूडेंट्स ने ऊपर वाला नियम पास कर लिया है तो वे JEE Main एग्जाम में बैठने को एलिजिबल हो जाते हैं। यह एग्जाम वर्ष में दो बार (जनवरी और अप्रैल) आयोजित करवाया जाता है। इसमें लाखों स्टूडेंट्स बैठते हैं। ऐसे में यदि आप शुरूआती 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आते हैं तो आप आगे का एग्जाम देने के लिए एलिजिबल हो जाते हैं।

  • JEE Advance की कट ऑफ क्लियर करना

अब जो स्टूडेंट्स JEE Main के शुरूआती 2.5 लाख स्टूडेंट्स में आते हैं उनका मई-जून के महीने में JEE एडवांस का एग्जाम लिया जाता है। इसमें पास होने के लिए कट ऑफ को क्लियर करना जरुरी होता है जो हर वर्ष अलग-अलग हो सकती है।

इस कट ऑफ को क्लियर करने के बाद आपको अपनी पसंद के कॉलेज और स्ट्रीम के अनुसार आगे की तैयारी करनी होती है जो कि अलग प्रक्रिया है। इसी के बाद ही आपको IIT में प्रवेश मिल पाता है।

निष्कर्ष

इस तरह से आपने यह जान लिया है कि IIT के लिए 12 वीं में न्यूनतम प्रतिशत (IIT Ke Liye 12 Me Kitne Percentage Chahiye) कितने चाहिए होते हैं। आज के इस आर्टिकल में हमने आपको स्टूडेंट्स की कैटेगरी अर्थात जातियों के आधार पर यह बता दिया है कि किस स्टूडेंट को कितने प्रतिशत अंक चाहिए होते हैं ताकि वह IIT में एडमिशन पा सके।

साथ ही हमने आपको शिक्षा मंत्रालय के द्वारा स्टूडेंट्स को न्यूनतम प्रतिशत में दी गई राहत के बारे में भी बता दिया है जो वर्ष 2023 में दी गई थी। ऐसे में अब बहुत से ऐसे स्टूडेंट्स जिनकी बोर्ड मार्किंग बहुत टफ होती थी, उन्हें भी राहत मिलती है।

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प्रश्न: Jee में सिलेक्शन के लिए कितने मार्क्स चाहिए?

उत्तर: Jee में सिलेक्शन के लिए मार्क्स या यूँ कहें कि कट ऑफ हर वर्ष अलग-अलग निकलती है। ऐसे में आपको अधिक से अधिक स्कोर करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

प्रश्न: आईआईटी का पेपर कितनी बार दे सकते हैं?

उत्तर: आईआईटी का पेपर अपनी बारहवीं कक्षा का एग्जाम देने वाले वर्ष और उसके अगले वर्ष तक ही दे सकते हैं। इस तरह से एक स्टूडेंट आईआईटी का पेपर अधिकतम 2 बार ही दे सकता है।

प्रश्न: आईआईटी का एग्जाम कौन सा स्टूडेंट दे सकता है?

उत्तर: आईआईटी का एग्जाम वह स्टूडेंट दे सकता है जिसने JEE Main का एग्जाम देने के सभी नियमों का पालन किया हो और उसका रिजल्ट टॉप 2.5 लाख स्टूडेंट्स में से हो।

प्रश्न: IIT में कितने चांस मिलते हैं?

उत्तर: IIT में हर स्टूडेंट को अधिकतम दो चांस मिलते हैं। यह चांस भी उसे बारहवीं कक्षा के एग्जाम वाले वर्ष और उसके अगले वर्ष तक ही मिलता है।

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Engineering Courses List: क्या आप 12वीं के बाद इंजीनियरिंग कोर्स के विकल्प देख रहे हैं? आज के समय में इंजीनियरिंग एक ऐसी फील्ड है जो लोगों की पहली पसंद बनता जा रहा है। अब आप चाहे अपने परिवार की बात कर लें या फिर दोस्तों की, हर जगह आपको इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हुए स्टूडेंट्स या उसमें पढ़ाई पूरी करके नौकरी करते हुए जान पहचान के लोग मिल जाएंगे।

ऐसे में यदि आप भी आगे चलकर इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने को इच्छुक हैं तो उसके लिए आपको अभी से ही तैयारी करने की जरुरत है। हालाँकि हमारा आज का विषय इंजीनियरिंग करने या नहीं करने से नहीं जुड़ा हुआ है बल्कि इंजीनियरिंग में क्या कुछ किया जा सकता है, उससे जुड़ा हुआ है। वह इसलिए क्योंकि जब भी इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने की बात आती है तो ज्यादातर सभी को कुछ एक डिग्री के नाम ही पता होते हैं।

उदाहरण के तौर पर आपको कंप्यूटर साइंस, सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग करने या बीटेक की डिग्री के बारे में पता होगा। लेकिन यदि हम आपको कहें कि मेडिकल की फील्ड में भी बीटेक की जाती है तो यह सुनकर आपको कैसा लगेगा!

ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम आपके सामने लगभग सभी तरह की इंजीनियरिंग फील्ड और उनके बारे में बेसिक जानकारी (B Tech Branches List) रखने जा रहे हैं। आइए जाने बीटेक में कौन कौन सी ब्रांच होती है।

12वीं के बाद इंजीनियरिंग कोर्स | Engineering Courses List

अब ऊपर आपने इंजीनियरिंग की डिग्री से जुड़े जो भी नाम पढ़े, वह सबसे फेमस है। कहने का मतलब यह हुआ कि यह तीन से चार डिग्री इंजीनियरिंग या बीटेक में सबसे ज्यादा चुनी जाने वाली डिग्री होती है लेकिन इनके अलावा या इनके जैसी और भी डिग्री होती है जो स्टूडेंट्स की पसंद बनकर उभर रही (Engineering Courses List After 12th) है।

वहीं कुछ स्टूडेंट्स यह भी जानना चाहते हैं कि बीटेक में सबसे अच्छी ब्रांच कौन सी है या फिर इंजीनियरिंग में कौन सी ब्रांच अच्छी है!! तो आज हम आपको आपके इस प्रश्न का भी उत्तर देंगे। इसी के साथ ही आपको देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज अर्थात IIT में एडमिशन लेने के लिए किन टॉप इंस्टीट्यूट से पढ़ना चाहिए, इसके बारे में भी बताएँगे।

कुछ चुनिंदा इंस्टीट्यूट के नाम मैट्रिक्स अकैडमी सीकर, आकाश इंस्टीट्यूट दिल्ली है। इसके बारे में हम आपको बाद में बताएँगे। इसलिए आर्टिकल को आखिर तक पढ़ना ना भूलें।

तो आइए सबसे पहले जान लेते हैं कि बीटेक में कौन कौन सी ब्रांच होती है (B Tech Branches List) और उसमें क्या कुछ पढ़ाया जाता है या उससे आप भविष्य में क्या बन सकते हैं।

#1. कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (Computer Science Engineering)

आज के समय में जो इंजीनियरिंग ब्रांच सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है या जिसका सबसे ज्यादा बोलबाला है, वह यही कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग है। वह इसलिए क्योंकि हर जगह ऑनलाइन व डिजिटल प्लेटफार्म का दबदबा है। ऐसे में उसे हैंडल करने या उसे नियंत्रित करने के लिए कंप्यूटर साइंस इंजीनियर की ही जरुरत पड़ती है।

इस इंजीनियरिंग को करने वाले लोग सॉफ्टवेयर कंपनियों सहित अन्य उन सभी कंपनियों में काम करते हैं, जहाँ सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर इंजीनियर की जरुरत पड़ती है। अब यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के तहत किस तरह के कोर्स को करते हैं या किस चीज़ पर ज्यादा फोकस करते हैं।

वह इसलिए क्योंकि इंजीनियरिंग की इस फील्ड में अलग अलग लैंग्वेज सहित कई तरह के कोर्स होते हैं जो समय के साथ-साथ अपडेट भी होते हैं और बदलते भी रहते हैं। उदाहरण के तौर पर आज के समय में लोग इस फील्ड में AI या इससे संबंधित कोर्स को भी करने लगे हैं। इसमें आपको कोडिंग सिखाई जाती है और वही आगे चलकर आपका मुख्य काम होता है।

#2. इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग (Information Technology Engineering)

अब बात करते हैं सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में ही एक दूसरी मुख्य फील्ड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के बारे में। तो यह भी कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की तरह ही एक अन्य इंजीनियरिंग ब्रांच मानी जाती है। तो कुछ स्टूडेंट्स कंप्यूटर साइंस में पढ़ते हैं तो वहीं कुछ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में पढ़ते हैं।

इन दोनों में मूलभूत अंतर यही होता है कि जहाँ एक ओर कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर दोनों की पढ़ाई करवाई जाती है तो वहीं इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी की इस फील्ड में आपको मुख्यतया सॉफ्टवेयर की ही पढ़ाई करवाई जाएगी। इस कोर्स को करके आप डाटा साइंटिस्ट, कंप्यूटर साइंस इंजीनियर, एनालिस्ट इत्यादि की नौकरी कर पाते हैं।

#3. इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (Electronics and Communication Engineering)

यह वाली फील्ड भी कुछ हद्द तक ऊपर वाली दोनों फील्ड से मिलती जुलती ही है लेकिन इसका काम थोड़ा अलग होता है। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों की पढ़ाई करवाई जाती है तो वहीं इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी वाली इंजीनियरिंग में सॉफ्टवेयर पर ध्यान रखा जाता है।

तो वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग वह होती है, जहाँ हार्डवेयर वाले पार्ट पर ज्यादा फोकस किया जाता है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स वाले उपकरण किस तरह से काम करते हैं, उनमें क्या कुछ पार्ट्स होते हैं, वे आपस में किस तरह से कम्यूनिकेट करते हैं, इत्यादि के बारे में जानकारी दी जाती है। इसे पढ़कर भी आपकी सॉफ्टवेयर कंपनियों सहित हार्डवेयर और टेलिकॉम कंपनियों में नौकरी लगती है।

#4. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Electrical Engineering)

जिस प्रकार कंप्यूटर साइंस और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी मिलती जुलती फील्ड मानी जाती है, ठीक उसी तरह इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग भी मिलती जुलती इंजीनियरिंग फील्ड है। जहाँ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में हार्डवेयर पर ज्यादा फोकस रखा जाता है और कुछ सॉफ्टवेयर वाला पार्ट भी पढ़ाया जाता है तो वहीं इलेक्ट्रिकल पूर्ण रूप से हार्डवेयर पर फोकस रखती है।

हालाँकि इस वाली इंजीनियरिंग फील्ड में आपको पॉवर अर्थात बिजली के बारे में ज्यादा पढ़ाया जाएगा। ऐसे में पॉवर को समझना और उसे हैंडल करने का काम ही इस इंजीनियरिंग फील्ड का मुख्य फोकस होता है।

#5. केमिकल इंजीनियरिंग (Chemical Engineering)

यह पूरी तरह से एक अलग इंजीनियरिंग फील्ड हो जाती है। नॉन मेडिकल में जो केमिस्ट्री या रसायन विज्ञान पढ़ाया जाता है, बस उसी को ही एडवांस और उच्च स्तर पर इस इंजीनियरिंग फील्ड में पढ़ाया जाता है। तभी इसका नाम केमिकल इंजीनियरिंग रखा गया है अर्थात रसायन में इंजीनियरिंग।

इसमें आपको थर्मोडायनामिक्स, फ्लूइड मैकेनिक्स, केमिकल प्रोसेस डिज़ाइन इत्यादि सब्जेक्ट्स के बारे में पढ़ाया जाता है। वहीं यदि हम नौकरी की बात करें तो आपको फर्टिलाइजर इंडस्ट्री, पेट्रोकेमिकल कंपनियाँ, फार्मा मैन्युफैक्चरिंग इत्यादि में नौकरी मिल सकती है।

#6. सिविल इंजीनियरिंग (Civil Engineering)

अब हम जो भी कंस्ट्रक्शन का काम देखते हैं, फिर चाहे वह बड़े-बड़े भवन हो, सरकारी ऑफिस हो, पुल, ब्रिज, सड़क इत्यादि कुछ भी हो, वह सभी काम सिविल इंजीनियर ही करता है। एक तरह से जो भी निर्माण कार्य हो रहा है, वह सिविल इंजीनियरिंग के अंतर्गत ही पढ़ाया और सिखाया जाता है।

इसमें आपको मुख्य तौर पर फिजिक्स और उससे मिलते जुलते सब्जेक्ट्स के बारे में पढ़ाया जाएगा। वहीं यदि हम नौकरी लगने के बारे में बात करें तो इंजीनियरिंग की इस फील्ड में सरकारी नौकरियां भी अन्य इंजीनियरिंग फील्ड की तुलना में बहुत ज्यादा होती है। वहीं प्राइवेट काम भी इसमें बहुत अच्छा है।

#7. मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Mechanical Engineering)

ऊपर आपने जो इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के बारे में पढ़ा तो वह तो बात थी इलेक्ट्रिकल उपकरण की सेटिंग करने की बात लेकिन यदि हम मशीन के डिजाईन की बात करें तो वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग के अंतर्गत आती है। कहने का मतलब आप ऐसे समझ सकते हैं कि बहुत हद्द तक इंजीनियरिंग की इन फ़ोनों फील्ड का काम एक दूसरे से जुड़ा हुआ भी होता है।

मैकेनिकल इंजीनियरिंग का काम किसी मशीन को डिजाईन करना, उसका प्रोटोटाइप बनाना, थर्मल एनर्जी में काम करना या मैन्युफैक्चरिंग में काम करना इत्यादि होता है। इस कारण ही इसे मैकेनिकल इंजीनियरिंग का नाम दिया गया है क्योंकि इसमें सब खेल मशीन से ही जुड़ा हुआ होता है।

#8. बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग (Biotechnology Engineering)

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि इंजीनियरिंग में सिर्फ कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स इत्यादि ब्रांच ही नहीं होती है। ऐसे में यदि आप 12वीं के बाद इंजीनियरिंग कोर्स (Engineering Courses List) देख रहे हैं तो उसमें एक ब्रांच मेडिकल फील्ड की भी है। मेडिकल फील्ड का नाम सुनते ही लोगों को लगता है कि इसमें सिर्फ डॉक्टर या फिर नर्स, फार्मा इत्यादि की पढ़ाई होती है तो आप गलत हैं।

बायोटेक्नोलॉजी या बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में आपको दवाइयों और उनके फार्मूला के बारे में पढ़ाया जाता है। अब आप या हम जब भी बीमार होते हैं तो डॉक्टर हमें दवाइयां लिख कर देता है। तो यह दवाइयां बनाने वाली कंपनियां भी तो अपने यहाँ रिसर्च करने और नई दवाइयां बनाने, अभी की दवाइयों की टेस्टिंग करने इत्यादि के लिए इंजीनियर रखती है। तो उसी की पढ़ाई इस ब्रांच में करवाई जाती है।

#9. एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (Aerospace Engineering)

इस वाली फील्ड को हम प्रीमियम इंजीनियरिंग ब्रांच भी कह सकते हैं क्योंकि यह सभी तरह के कॉलेज में नहीं होती है। वह इसलिए क्योंकि इसकी पढ़ाई एकदम अलग और एडवांस होती है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह एयरोस्पेस से जुड़ी हुई इंजीनियरिंग फील्ड है जिसमें स्पेस क्राफ्ट्स, उनके पार्ट्स, इंजन, सिस्टम इत्यादि के बारे में बताया जाता है।

एक तरह से इस इंजीनियरिंग फील्ड में आपको स्पेस क्राफ्ट के डिजाईन और उसके विकास के बारे में बताया जाता है। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़कर आपको इसरो, नासा, डिफेंस जैसी फील्ड में नौकरी मिल सकती है।

#10. मरीन इंजीनियरिंग (Marine Engineering)

जहाजों और समुद्री उपकरणों के डिज़ाइन और मैन्युफैक्चरिंग के बारे में पढ़ने के लिए मरीन इंजीनियरिंग की जाती है। इसमें जहाजों के उपकरण और उसमें रहन-सहन इत्यादि के बारे में पढ़ाया जाता है। यह भी एक प्रीमियम इंजीनियरिंग फील्ड होती है जिसमें नौसेना में नौकरी मिलती है।

#11. ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग (Automobile Engineering)

यह एक तरह से मैकेनिकल इंजीनियरिंग ही हो जाती है लेकिन इसमें मुख्यतया व्हीकल के निर्माण से संबंधित सिखाया और पढ़ाया जाता है। इसमें पढ़ाई करने के बाद आपको कार कंपनियों में नौकरी मिल सकती है।

#12. इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग (Electrical and Electronics Engineering)

यह इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का मिला जुला रूप होता है। इसमें आपको दोनों तरह की इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवाई जाती है।

#13. रोबोटिक्स इंजीनियरिंग (Robotics Engineering)

पहले इस इंजीनियरिंग फील्ड का चलन कम था लेकिन आज के समय में और भविष्य को देखते हुए इस इंजीनियरिंग फील्ड में स्कोप बहुत बढ़ गया है। वह इसलिए क्योंकि आगे का जमाना रोबोट्स पर ही निर्धारित रहने वाला है और उसके लिए रोबोटिक्स इंजीनियरिंग करना बहुत जरुरी है।

#14. फूड टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग (Food Technology Engineering)

आप जो भी खाना खाते हैं, उसकी क्वालिटी और उसकी शुद्धता मापने का काम फूड टेक्नोलॉजी इंजीनियर का ही होता है। यहाँ हम सरकारी अधिकारी की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि उन इंजीनियर की बात कर रहे हैं जिनकी सहायता से सरकारी अधिकारी इस क्षेत्र में काम करते हैं। तो खाने से जुड़ी हुई यह इंजीनियरिंग फील्ड भी बहुत महत्वपूर्ण होती है।

#15. अन्य इंजीनियरिंग कोर्स

ऊपर हमने आपको सभी मुख्य इंजीनियरिंग फील्ड के बारे में बता दिया है। हालाँकि हमने आपको यह भी कहा था कि आज हम आपको छोटी से लेकर बड़ी इंजीनियरिंग फील्ड के बारे में बताने वाले हैं। ऐसे में अब हम आपको अन्य इंजीनियरिंग फील्ड के बारे में भी बता देते हैं।

  • नैनो टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग (Nanotechnology Engineering)
  • एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग (Agricultural Engineering)
  • एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग (Environmental Engineering)
  • माइनिंग इंजीनियरिंग (Mining Engineering)
  • पेट्रोलियम इंजीनियरिंग (Petroleum Engineering)
  • टेक्सटाइल इंजीनियरिंग (Textile Engineering)
  • मैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग (Material Science and Engineering)
  • इंडस्ट्रियल एंड प्रोडक्शन इंजीनियरिंग (Industrial and Production Engineering)
  • सेरेमिक इंजीनियरिंग (Ceramic Engineering)
  • बायोमेडिकल इंजीनियरिंग (Biomedical Engineering)
  • ऑप्टिकल इंजीनियरिंग (Optical Engineering)
  • मैटेरियल्स इंजीनियरिंग (Materials Engineering)
  • टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (Telecommunication Engineering)
  • इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग (Instrumentation Engineering)
  • पावर इंजीनियरिंग (Power Engineering)
  • साउंड इंजीनियरिंग (Sound Engineering)
  • गेमिंग इंजीनियरिंग (Gaming Engineering)
  • ओशन इंजीनियरिंग (Ocean Engineering)
  • रेलवे इंजीनियरिंग (Railway Engineering)
  • कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग (Construction Engineering)
  • फायर प्रोटेक्शन इंजीनियरिंग (Fire Protection Engineering)
  • फिजिक्स इंजीनियरिंग (Engineering Physics)
  • कंट्रोल सिस्टम इंजीनियरिंग (Control Systems Engineering)
  • डाटा इंजीनियरिंग (Data Engineering)

आशा है कि अब आपको यह समझ में आ गया होगा कि बीटेक में कौन कौन सी ब्रांच होती (Engineering Courses List After 12th) है। अब हम आपको यह भी बताने वाले हैं कि इंजीनियरिंग में कौन सी ब्रांच अच्छी है। तो आइए उसके बारे में भी जान लेते हैं।

बीटेक में सबसे अच्छी ब्रांच कौन सी है?

अब यदि आप इंजीनियरिंग की सबसे अच्छी या टॉप मोस्ट ब्रांच की बात करें तो वह आज के समय में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग मानी जाती है। वह इसलिए क्योंकि आज के समय में सब काम ऑनलाइन होने लगा है। अब जब सब काम ऑनलाइन हो रहा है तो अवश्य ही उसे हैंडल करने या उसे बनाने के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर चाहिए होते हैं।

अब वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर का काम कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग करके ही हो पाता है। साथ ही कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के अंदर ही आपके पास कई तरह के विकल्प होते हैं। यहाँ हम आपको यह समझाना चाह रहे हैं कि आपको इसी इंजीनियरिंग फील्ड के अंतर्गत ही कई अन्य इंजीनियरिंग फील्ड या ऑप्शन मिलेंगे। जैसे कि:

  • डेटा साइंस (Data Science)
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (AI & Machine Learning)
  • साइबर सिक्योरिटी (Cybersecurity)
  • क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing)
  • सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट (Software Development)
  • वेब डेवलपमेंट (Web Development)
  • नेटवर्किंग (Networking)

अब इसमें और भी कई फील्ड होती है जिसके बारे में हम आपको किसी अन्य आर्टिकल में विस्तार से बताएँगे। ऐसे में अगर आज के समय में बीटेक में सबसे अच्छी ब्रांच की बात हो तो वह कंप्यूटर साइंस इंजीनियर है। उसके बाद इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स, सिविल व मैकेनिकल ब्रांच का नंबर आता है।

इंजीनियरिंग करने के लिए टॉप कोचिंग इंस्टीट्यूट

अब हम आपको यह भी बता दें कि यदि आपको इंजीनियरिंग या बीटेक करनी है तो उसके लिए भारत में सबसे बेस्ट कॉलेज IIT होते हैं और उसके बाद NIT का नंबर आता है। इसलिए यदि आपको इन कॉलेज में एडमिशन लेना है और वो भी अपनी मनपसंद की इंजीनियरिंग ब्रांच में तो उसके लिए आपको JEE का एग्जाम अच्छे स्कोर के साथ पास करना होता है।

इसके लिए आपको टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ना होता है। ऐसे में भारत के कुछ टॉप इंजीनियरिंग कोचिंग सेंटर के नाम इस प्रकार हैं:

  1. मैट्रिक्स IIT अकैडमी, सीकर
  2. आकाश इंस्टीट्यूट, दिल्ली
  3. एलन इंस्टीट्यूट, कोटा
  4. प्रिंस अकैडमी, सीकर
  5. कौटिल्य अकैडमी, सीकर

तो आप इनमें से किसी भी इंस्टीट्यूट से JEE की तैयारी कर सकते हैं। इनमें से मैट्रिक्स अकैडमी नंबर एक पर आती है क्योंकि वहाँ के स्टूडेंट्स का रिजल्ट पिछले कुछ वर्षों में टॉप लेवल का रहा है। वहाँ की सबसे मुख्य बात यह है कि वहाँ स्टूडेंट टीचर रेश्यो और स्टूडेंट्स के डाउट का खासतौर पर ध्यान रखा जाता है। इसी कारण वहाँ का रिजल्ट भी टॉप लेवल का आ रहा है।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने 12वीं के बाद इंजीनियरिंग कोर्स (Engineering Courses List) के सभी ऑप्शन के बारे में विस्तार से जानकारी ले ली है। इसी के साथ ही आपने उन सभी इंजीनियरिंग फील्ड के बारे में थोड़ा बहुत जान भी लिया है। इतना ही नहीं, हमने आपको टॉप लेवल के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए कहाँ से तैयारी करनी चाहिए, इसके बारे में भी बता दिया है।

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प्रश्न: Engineering कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: Engineering कई प्रकार की होती है जिसमें से मुख्य इंजीनियरिंग ब्रांच कंप्यूटर साइंस, सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल इत्यादि है।

प्रश्न: इंजीनियर की सबसे बड़ी डिग्री कौन सी है?

उत्तर: इंजीनियर की सभी डिग्री अपने आप में बड़ी और मुख्य होती है। फिर भी कुछ प्रीमियम इंजीनियरिंग की डिग्री की बात की जाए तो उसमें एयरोस्पेस, मरीन इंजीनियरिंग की डिग्री आती है।

प्रश्न: भविष्य में कौन सी इंजीनियरिंग की मांग है?

उत्तर: भविष्य में AI, डाटा साइंस से संबंधित कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग और रोबोटिक्स इंजीनियरिंग की मांग सबसे ज्यादा रहने वाली है।

प्रश्न: सरकारी नौकरी के लिए कौन सा इंजीनियर सबसे अच्छा है?

उत्तर: सरकारी नौकरी में सबसे ज्यादा सिविल इंजीनियर को लिया जाता है। इसके बाद इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल व कंप्यूटर साइंस इंजीनियर को लिया जाता है।

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Medical Courses List: जब कभी भी मेडिकल फील्ड की बात आती है तो सबसे पहले सभी के दिमाग में एक ही कोर्स आता है और वह है MBBS। अब वे सभी लोग गलत भी नहीं हैं क्योंकि डॉक्टर बनने की पहली सीढी यही MBBS की डिग्री ही होती है। हालाँकि डॉक्टर बनने के लिए यही डिग्री ली जाए, यह जरुरी नहीं है।

वह इसलिए क्योंकि MBBS की डिग्री केवल एलोपैथी डॉक्टर बनने के लिए जरुरी है, वहीं आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक या अन्य तरह का डॉक्टर बनने के लिए अलग डिग्री होती है। अब मेडिकल कोर्स लिस्ट में डॉक्टर के अलावा भी कई सारी फील्ड होती है। जैसे कि नर्सिंग, फार्मास्युटिकल, तकनीशियन इत्यादि। डॉक्टर बनने के लिए तो नीट का एग्जाम देना पड़ता है जो बहुत मुश्किल होता है।

वहीं कई स्टूडेंट्स ऐसे भी होते हैं जो NEET के बिना 12 वीं के बाद मेडिकल कोर्स (Bina NEET ke Medical Course) के बारे में जानने को इच्छुक होते हैं। ऐसे में आज हम आपको नीट एग्जाम के बिना 12वीं में कौन-कौन से मेडिकल कोर्स होते हैं और नीट के साथ कौन-कौन से कोर्स होते हैं, इन सभी के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं। चलिए शुरू करते हैं।

मेडिकल कोर्स लिस्ट | Medical Courses List

वैसे तो मेडिकल लाइन में कई तरह के कोर्स होते हैं लेकिन उसमें सबसे पहली फील्ड या यूँ कहें कि सबसे टॉप की फील्ड डॉक्टर की ही होती है। उसमें भी सबसे महत्वपूर्ण कोर्स MBBS का ही माना जाता है। वह इसलिए क्योंकि आगे जाकर एक बड़ा डॉक्टर या सर्जन बनने के लिए MBBS ही शुरूआती कोर्स होता है। इसे मेडिकल का अंडर ग्रेजुएशन कोर्स भी कहा जाता है। उसके बाद स्टूडेंट्स पोस्ट ग्रेजुएशन करते हैं जो अलग-अलग कैटेगरी में होती है।

हालाँकि इसके अलावा भी कई तरह के कोर्स होते हैं जिन्हें हम मेडिकल लाइन कोर्स लिस्ट (Medical Line Course List) के तहत आपको देने वाले हैं। ऐसे में आइए जाने मेडिकल कोर्स लिस्ट के तहत आने वाले हरेक कोर्स के बारे में।

#1. अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्स (Undergraduate Medical Courses)

यहाँ पर हम उन सभी कोर्स के बारे में बताने वाले हैं जो 12 वीं के बाद मेडिकल कोर्स लिस्ट में आते हैं। इनमें से ज्यादातर कोर्स को करने के लिए आपको नीट का एग्जाम पास करना होता है तो वहीं कुछ में नीट के बिना भी एडमिशन लिया जा सकता है। आइए जाने।

  • MBBS (Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery): यह डॉक्टर बनने का मुख्य कोर्स होता है। इसके लिए नीट यूजी का एग्जाम देना होता है जिसकी फुल फॉर्म National Eligibility cum Entrance Test – Undergraduate होती है। इसकी पढ़ाई 5.5 वर्ष की होती है जिसमें 4.5 वर्ष के लिए पढ़ाई और एक वर्ष के लिए इंटर्नशिप होती है।

MBBS की पढ़ाई आप सरकारी और प्राइवेट में से किसी में भी कर सकते हैं। जहाँ सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए नीट एग्जाम का पास करना जरुरी होता है तो प्राइवेट में इंटरनल प्रोसेस होता है। नीट एग्जाम को जल्द से जल्द पास करने के लिए आपका टॉप कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ना जरुरी है।

देश के कुछ टॉप नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट के नाम मैट्रिक्स अकैडमी सीकर, कोटा इंस्टीट्यूट कोटा, आकाश इंस्टीट्यूट दिल्ली है। सरकारी मेडिकल कॉलेज में MBBS की प्रति वर्ष फीस 10 हज़ार से एक लाख के बीच तो वहीं प्राइवेट में 10 लाख से 25 लाख तक होती है। टॉप मेडिकल कॉलेज में एम्स आते हैं।

  • BDS (Bachelor of Dental Surgery): अब अगर आप डेंटिस्ट बनना चाहते हैं तो उसके लिए BDS का कोर्स करना होता है। इसकी अवधि 5 साल की होती है जिसमें 4 साल की पढ़ाई और एक साल की इंटर्नशिप होती है। इसका खर्चा सरकारी में अधिकतम एक लाख और प्राइवेट में 5 लाख प्रति वर्ष का होता है।
  • BAMS (Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery): अब यदि आप आयुर्वेद में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो उसके लिए यह कोर्स करना होता है। इसके लिए भी नीट एग्जाम पास कर सरकारी कॉलेज में एडमिशन लिया जाता है। यह भी 5.5 साल का कोर्स है। सरकारी कॉलेज में प्रति वर्ष 50 हज़ार तो वहीं प्राइवेट में 3 लाख तक लगते हैं।
  • BHMS (Bachelor of Homeopathic Medicine and Surgery): यह होम्योपैथी चिकित्सा या यूँ कहें कि होम्योपैथिक डॉक्टर बनने के लिए किया जाता है।
  • BUMS (Bachelor of Unani Medicine and Surgery): यूनानी मेडिकल फील्ड में डॉक्टर बनने के लिए यह कोर्स किया जाता है।
  • BPT (Bachelor of Physiotherapy): फिजियोथेरेपिस्ट बनने के लिए यह कोर्स किया जाता है।
  • B.Sc Nursing: इसके लिए नीट का एग्जाम देने की जरुरत नहीं होती है। हालाँकि नीट एग्जाम के स्कोर की मदद से आपको अच्छा कॉलेज जरुर मिल सकता है।
  • Bachelor of Pharmacy (B. Pharm): फार्मास्युटिकल अर्थात दवाइयों की फील्ड में काम करने के लिए यह कोर्स किया जाता है। इससे आप दवाई बेचने वाली कंपनियों या मेडिकल स्टोर्स में काम करने के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
  • Bachelor of Technology (Biomedical Engineering): यह एक सामान्य इंजीनियरिंग कोर्स की तरह ही होता है जिसकी अवधि 4 वर्ष की होती है। इसकी डिग्री लेने के बाद आप दवाई वाली कंपनियों में रिसर्च या इंजीनियर के तौर पर काम करते हैं।

#2. पोस्टग्रेजुएट मेडिकल कोर्स (Postgraduate Medical Courses)

अब बात करते हैं मेडिकल कोर्स लिस्ट (Medical Courses List) में पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स के बारे में। तो इसके बारे में आप यह जान लें कि यह कोर्स आप 12 वीं के बाद नहीं कर सकते हैं बल्कि उससे पहले आपको ऊपर बताए गए कोर्स में से कोई एक कोर्स करना होगा। उसके बाद ही आप यह कोर्स कर सकते हैं। साथ ही इसमें अच्छा कॉलेज लेने के लिए आपको नीट पीजी अर्थात पोस्ट ग्रेजुएशन का एग्जाम देना होता है।

  • MD (Doctor of Medicine): डॉक्टर में ही एक हाई डिग्री जो MBBS के बाद ही की जाती है। यह कोर्स 3 साल का होता है और नीट पीजी का एग्जाम पास करना होता है।
  • MS (Master of Surgery): यह करके आप सर्जन बन जाते हैं। इसके लिए भी सभी क्राइटेरिया MD के समान ही है।
  • MDS (Master of Dental Surgery): यह BDS कोर्स के बाद किया जाता है अर्थात डेंटिस्ट में हायर डिग्री लेना।
  • M.Sc (Master of Science in Medical Fields): यह कोर्स मेडिकल साइंस में रिसर्च करने के लिए किया जाता है। बीएससी नर्सिंग के बाद इसे किया जाता है।
  • Masters in Technology (Biomedical Engineering): इंजीनियरिंग में ही हायर डिग्री जिसे बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद किया जाता है।

#3. सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स (Certificate & Diploma Courses)

अब हम जिन कोर्स की लिस्ट रख रहे हैं, उनमें से किसी को भी करने के लिए नीट एग्जाम नहीं देना पड़ता है। तभी इन्हें डिप्लोमा कोर्स कहा जाता है। अब यह आप 10 वीं, 12 वीं के बाद कर सकते हैं जो कोर्स के आधार पर तय होता है। यह 6 महीने से लेकर 2 साल तक के लिए हो सकते हैं और इनकी फीस भी 20 हज़ार से लेकर 2 लाख तक हो सकती है।

  • Diploma in Medical Lab Technology (DMLT)
  • Diploma in Radiology
  • Diploma in Anesthesia
  • Certificate in Nutrition and Dietetics
  • Certificate in Emergency Medical Technology

#4. पैरामेडिकल कोर्स (Paramedical Courses)

ये उस तरह के कोर्स होते हैं जो अस्पताल में डॉक्टर और नर्स की सहायता करने के उद्देश्य से किए जाते हैं। इन्हें करके ही लैब तकनीशियन, रेडियोग्राफर, ओटी टेक्नीशियन इत्यादि बना जाता है।

  • X-Ray Technology
  • OT Technician
  • Bachelor of Optometry
  • B.Sc in Medical Laboratory Technology (MLT)

#5. रिसर्च और पीएचडी कोर्स (Research & PhD Courses)

अब हम मेडिकल लाइन कोर्स लिस्ट (Medical Line Course List) में जिन कोर्स को बताने वाले हैं, वह मेडिकल फील्ड में सबसे हायर या टॉप मोस्ट कोर्स हैं। इनके लिए आपके पास ना केवल अंडर ग्रेजुएशन की डिग्री का होना जरुरी है बल्कि पोस्ट ग्रेजुएशन भी होनी जरुरी है। तभी आप इसमें आगे बढ़ सकते हैं।

एक तरह से आपके पास MD, MS, M.Sc इत्यादि की डिग्री होनी चाहिए। यह कोर्स भी 3 से 6 साल तक के हो सकते हैं। इनकी फीस भी 20 हज़ार से 3 लाख प्रति वर्ष होती है जो सरकारी और प्राइवेट कॉलेज में अलग-अलग होती है।

  • PhD in Biomedical Sciences
  • PhD in Clinical Research
  • PhD in Genetics
  • PhD in Medical Microbiology

तो यह थे मेडिकल कोर्स लिस्ट में आने वाले सभी तरह के मेडिकल कोर्स। अब यह आप पर मिर्भर करता है कि आप किस तरह का कोर्स करना चाहते हैं या आपकी रुचि किसमें है। इसी के साथ ही आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि आपके पास उस तरह के संसाधन है या नहीं।

कहने का मतलब यह हुआ कि किस कोर्स को करने में कितना समय लगता है, उसके लिए कितनी तैयारी करने की जरुरत है, कितना पैसा लगेगा, इत्यादि को ध्यान में रखकर ही आगे बढ़ना चाहिए। ज्यादातर स्टूडेंट्स मेडिकल में नीट एग्जाम की तैयारी करते हैं क्योंकि अगर उनका अच्छा स्कोर आ गया तो उन्हें अच्छा सरकारी मेडिकल कॉलेज मिल जाएगा।

अब प्राइवेट कॉलेज में तो एक साल की ही फीस 10 लाख से ऊपर होती है तो वहीं सरकारी में यह 10 हज़ार से ही शुरू होती है। ऐसे में नीट एग्जाम की अच्छे से तैयारी की जानी बहुत जरुरी होती है। ऐसे में हम आपको इसके बारे में भी थोड़ी जानकारी दे देते हैं।

टॉप नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट इन इंडिया

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि अगर आपको जल्द से जल्द नीट एग्जाम पास करना है और वो भी अच्छे स्कोर के साथ तो उसके लिए आपका टॉप लेवल के नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट से कोचिंग लेना भी जरुरी हो जाता है। ऐसे में हम आपको टॉप 5 नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट इन इंडिया के बारे में बताने वाले हैं।

  1. मैट्रिक्स नीट डिविजन, सीकर
  2. एलन इंस्टिट्यूट, कोटा
  3. आकाश इंस्टिट्यूट, दिल्ली
  4. गुरुकृपा इंस्टिट्यूट, सीकर
  5. रेजोनेंस अकैडमी, दिल्ली

इस लिस्ट में सीकर की मैट्रिक्स अकैडमी का नाम सबसे पहले आता है। कुछ साल पहले एलन कोटा नंबर एक इंस्टीट्यूट था लेकिन मैट्रिक्स अकैडमी ने पिछले कुछ सालों में जो प्रदर्शन किया है, उस कारण वह नंबर एक नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट बन गया है और एलन दूसरे नंबर पर खिसक गया है।

अब जैसा कि हमने आपको पहले ही बोला था कि आज के इस आर्टिकल में हम आपको NEET के बिना 12 वीं के बाद मेडिकल कोर्स (Bina NEET ke Medical Course) के बारे में भी बताएंगे तो अब उसका समय भी आ गया है। ऊपर आपने मेडिकल कोर्स लिस्ट की पूरी सूची देख ली है लेकिन किस कोर्स में नीट जरुरी है और किस में नहीं, इसमें अभी भी आपको शंका होगी।

ऐसे में आइए इसके बारे में आपकी हरेक शंका को दूर कर दिया जाए और नीट एग्जाम के बिना कौन-कौन से मेडिकल कोर्स हो सकते हैं, वह भी आपको बता देते हैं।

NEET के बिना 12 वीं के बाद मेडिकल कोर्स

यहाँ पर हम कुल 13 नाम या कोर्स लिस्ट में रखने जा रहे हैं जिनमें नीट एग्जाम देने की जरुरत नहीं पड़ती (Bina NEET ke Medical Course) है:

  1. B.Sc. Nursing (Bachelor of Science in Nursing)
  2. Diploma in Pharmacy (D.Pharm)
  3. Bachelor of Pharmacy (B.Pharm)
  4. Diploma in Medical Lab Technology (DMLT)
  5. Diploma in Operation Theatre Technology (OTT)
  6. B.Sc. Radiology and Imaging Technology
  7. BAMS (Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery)
  8. BHMS (Bachelor of Homeopathic Medicine and Surgery)
  9. BUMS (Bachelor of Unani Medicine and Surgery)
  10. BNYS (Bachelor of Naturopathy and Yogic Sciences)
  11. Bachelor of Physiotherapy (BPT)
  12. Bachelor of Occupational Therapy (BOT)
  13. Diploma in Public Health Management

तो यह थे वह सभी कोर्स की लिस्ट जिनके लिए आपको नीट की तैयारी नहीं करनी है। हालाँकि इनमें से कुछ कोर्स में अच्छा या यूँ कहें कि टॉप लेवल का कॉलेज लेना है तो वहाँ नीट एग्जाम को कंसीडर किया जाता है लेकिन केवल वही एक पैमाना नहीं होता है।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने मेडिकल कोर्स लिस्ट (Medical Courses List) के बारे में पूरी जानकारी ले ली है। साथ ही आपने यह भी जान लिया है कि किस कोर्स को करने के लिए नीट एग्जाम देना होता है तो उसके बिना भी कौन-कौन से मेडिकल कोर्स किए जा सकते हैं।

इतना ही नहीं, नीट एग्जाम को जल्द से जल्द पास करने के लिए कौन से नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट आपके लिए बेस्ट हैं, उसके बारे में भी हमने आपको बता दिया है। आशा है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। यदि फिर भी आपके मन में कोई शंका रह गई तो आप नीचे कमेंट कर हमसे पूछ सकते हैं।

Related FAQs

प्रश्न: मेडिकल फील्ड में सबसे अच्छा कोर्स कौन सा है?

उत्तर: मेडिकल फील्ड में सबसे अच्छा कोर्स डॉक्टर बनने का होता है। इसमें भी सबसे बड़ी डिग्री MBBS की ही मानी जाती है लेकिन भविष्य में आयुर्वेद डॉक्टर की मांग बहुत रहने वाली है।

प्रश्न: 2 साल का कौन सा मेडिकल कोर्स है?

उत्तर: 2 साल का मेडिकल कोर्स डिप्लोमा, पैरामेडिकल या सर्टिफिकेट कोर्स होता है। इसमें आप कई तरह के कोर्स कर सकते हैं जिसके बारे में हमने इस आर्टिकल में भी बताया है।

प्रश्न: किस मेडिकल फील्ड की सबसे ज्यादा डिमांड है?

उत्तर: मेडिकल की हरेक फील्ड में बराबर का काम है क्योंकि मेडिकल की हरेक फील्ड का दूसरी मेडिकल फील्ड से संबंध होता है।

प्रश्न: मेडिकल लाइन में सबसे अच्छा कोर्स कौन सा होता है?

उत्तर: मेडिकल लाइन में सबसे अच्छा कोर्स जैसी कोई बात नहीं होती है क्योंकि यह व्यक्ति विशेष की रुचि और कौशल पर निर्भर करता है।

इन्हें भी पढ़ें:

Top Medical Colleges in India: हमारे देश में मेडिकल की पढ़ाई को बहुत महंगा माना जाता है लेकिन सभी कॉलेज में ऐसा नहीं है। दरअसल जो सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं वहाँ फीस बहुत कम लगती है और होनहार स्टूडेंट्स को तो स्कॉलरशिप भी दी जाती है। यह स्कॉलरशिप भारत सरकार व राज्य सरकार के द्वारा अलग-अलग मापदंडों के आधार पर दी जाती है।

अब यदि हम देश के टॉप मेडिकल कॉलेज की बात करें तो उसमें एक नाम सबसे पहले आता है और वह है AIIMS जो कि सरकारी मेडिकल कॉलेज है। AIIMS की फुल फॉर्म अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) होती है। भारत देश में AIIMS की कई ब्रांच अलग अलग राज्यों के शहरों में खुली हुई है लेकिन आप यह मत सोच लें कि बस AIIMS ही सरकारी मेडिकल कॉलेज है।

देश में अन्य सरकारी कॉलेज भी है जो टॉप मेडिकल कॉलेज (Top 10 Medical Colleges in India) की श्रेणी में आते हैं। इसके अलावा कई प्राइवेट कॉलेज भी हैं जो टॉप मेडिकल कॉलेज इन इंडिया में अच्छी रैंकिंग लिए हुए हैं। ऐसे में आज हम आपके सामने इसी लिस्ट को ही रखने वाले हैं। आइए जानते हैं।

टॉप मेडिकल कॉलेज इन इंडिया 2024 | Top Medical Colleges in India 2024

भारत देश में किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी की रैंकिंग निकालने का काम NIRF के द्वारा किया जाता है। यह एक सरकारी संस्थान है जिसकी फुल फॉर्म नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ़्रेमवर्क (National Institutional Ranking Framework) होती है।

अब NIRF के द्वारा ही हर वर्ष भारत देश के हर सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की रैंकिंग निकाली जाती है और उन्हें अपनी वेबसाइट पर पब्लिश किया जाता है। इनकी वेबसाइट पर सिर्फ मेडिकल कॉलेज की ही नहीं बल्कि इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, लॉ इत्यादि सभी क्षेत्र के कॉलेज और यूनिवर्सिटी की रैंकिंग अपलोड की जाती है।

इसी के साथ ही यह संस्था हर कॉलेज को मिले स्कोर को भी अपलोड करती है जिन्हें विभिन्न पैमानों पर आंका जाता है। ऐसे में आज हम आपके सामने NIRF के द्वारा AIIMS सहित भारत के सभी मेडिकल कॉलेज का आंकलन कर निकाली गई टॉप 50 मेडिकल कॉलेज इन इंडिया की सूची (Top Medical Colleges in India) रखने जा रहे हैं।

रैंक नाम शहर राज्य

स्कोर

1 AIIMS दिल्ली नई दिल्ली दिल्ली 94.46
2 पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ चंडीगढ़ 80.83
3 क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर तमिलनाडु 75.11
4 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेस बेंगलुरु कर्नाटक 71.92
5 जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च पुदुचेरी पुदुचेरी 70.74
6 संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस लखनऊ उत्तर प्रदेश 70.07
7 बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी वाराणसी उत्तर प्रदेश 69.54
8 अमृता विश्व विद्यापीठम कोयंबटूर तमिलनाडु 68.81
9 कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल मणिपाल कर्नाटक 67.42
10 मद्रास मेडिकल कॉलेज एंड गवर्नमेंट जनरल हॉस्पिटल चेन्नई तमिलनाडु 64.12
11 डॉ. डी. वाई. पाटिल विद्यापीठ पुणे महाराष्ट्र 64.1
12 सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेस चेन्नई तमिलनाडु 63.72
13 श्री चित्रा तिरुनाल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम केरल 63.68
14 AIIMS ऋषिकेश ऋषिकेश उत्तराखंड 63.16
15 AIIMS भुवनेश्वर खोरधा ओडिशा 62.97
16 AIIMS जोधपुर जोधपुर राजस्थान 62.57
17 वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज एंड सफदरजंग हॉस्पिटल नई दिल्ली दिल्ली 62.36
18 एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी चेन्नई तमिलनाडु 62
19 किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ उत्तर प्रदेश 61.95
20 श्री रामचंद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च चेन्नई तमिलनाडु 61.62
21 शिक्षा ‘ओ’ अनुसंधान भुवनेश्वर ओडिशा 61.28
22 इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च कोलकाता पश्चिम बंगाल 60.47
23 दत्ता मेघे इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च वर्धा महाराष्ट्र 60.14
24 मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली दिल्ली 59.63
25 कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी भुवनेश्वर ओडिशा 59.6
26 AIIMS पटना पटना बिहार 58.24
27 अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़ उत्तर प्रदेश 58.07
28 सेंट जॉन्स मेडिकल कॉलेज बेंगलुरु कर्नाटक 58.03
29 लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज नई दिल्ली दिल्ली 57.8
30 आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज पुणे महाराष्ट्र 57.68
31 AIIMS भोपाल भोपाल मध्य प्रदेश 57.66
32 यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज दिल्ली दिल्ली 57.65
33 कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मैंगलोर मंगलुरु कर्नाटक 57.12
34 इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज नई दिल्ली दिल्ली 56.89
35 गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल चंडीगढ़ चंडीगढ़ 56.53
35 महार्षि मार्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी अंबाला हरियाणा 56.53
37 जामिया हमदर्द नई दिल्ली दिल्ली 55.53
38 AIIMS रायपुर रायपुर छत्तीसगढ़ 55.27
39 जेएसएस मेडिकल कॉलेज मैसूर कर्नाटक 55
40 दयानंद मेडिकल कॉलेज लुधियाना पंजाब 54.48
41 पीएसजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च कोयंबटूर तमिलनाडु 53.11
42 गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, तिरुवनंतपुरम तिरुवनंतपुरम केरल 52.3
43 सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज जयपुर राजस्थान 51.91
44 मेडिकल कॉलेज कोलकाता पश्चिम बंगाल 51.87
45 गुजरात कैंसर एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट अहमदाबाद गुजरात 51.77
46 एम.एस. रामैया मेडिकल कॉलेज बेंगलुरु कर्नाटक 51.76
47 महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट पुदुचेरी पुदुचेरी 51.02
48 उस्मानिया मेडिकल कॉलेज हैदराबाद तेलंगाना 50.99
49 क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज लुधियाना पंजाब 50.96
50 पंडित भगवत दयाल शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज रोहतक हरियाणा 50.71

ऊपर आपने देखा कि भारत देश में कौन-कौन सा मेडिकल कॉलेज किस क्रम में और कितना स्कोर लिए हुए है। अब इसमें आपको कई तरह के AIIMS के नाम भी दिखाई दिए होंगे जो NIRF ने अपनी टॉप मेडिकल कॉलेज इन इंडिया 2024 की लिस्ट में डाले हुए हैं।

अब यह जरुरी नहीं है कि सभी तरह के AIIMS टॉप पर ही आएं क्योंकि उनके अलावा भी कई सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज ऐसे हैं जो इस लिस्ट में ऊपर आते हैं। हालाँकि इसमें AIIMS दिल्ली का नाम शीर्ष पर बना हुआ है जिसे भारत का टॉप मेडिकल कॉलेज माना जाता है।

आपने भी अवश्य ही AIIMS दिल्ली का नाम पहले सुन रखा होगा। यह इसलिए ही सभी ने सुना हुआ है क्योंकि यह आज से नहीं बल्कि कई वर्षों से देश में टॉप लेवल का मेडिकल कॉलेज बना हुआ है जहाँ एडमिशन लेना सभी मेडिकल स्टूडेंट्स का सपना होता है। अब हम आपके सामने NIRF के द्वारा जारी पिछले कुछ वर्षों के टॉप 10 मेडिकल कॉलेज की लिस्ट भी रख देते हैं।

टॉप 10 मेडिकल कॉलेज इन इंडिया 2023 | Top 10 Medical Colleges in India 2023

रैंक नाम शहर राज्य

स्कोर

1 AIIMS दिल्ली नई दिल्ली दिल्ली 94.32
2 पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ चंडीगढ़ 81.1
3 क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर तमिलनाडु 75.29
4 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेस बैंगलोर कर्नाटक 72.46
5 जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च पुदुचेरी पुदुचेरी 72.1
6 अमृता विश्व विद्यापीठम कोयंबटूर तमिलनाडु 70.84
7 संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस लखनऊ उत्तर प्रदेश 69.62
8 बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी वाराणसी उत्तर प्रदेश 68.75
9 कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल मणिपाल कर्नाटक 66.19
10 श्री चित्रा तिरुनाल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम केरल 65.24

टॉप 10 मेडिकल कॉलेज इन इंडिया 2022 | Top 10 Medical Colleges in India 2022

रैंक नाम शहर राज्य

स्कोर

1 AIIMS दिल्ली नई दिल्ली दिल्ली 91.6
2 पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ चंडीगढ़ 79
3 क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर तमिलनाडु 72.84
4 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेस बैंगलोर कर्नाटक 71.56
5 बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी वाराणसी उत्तर प्रदेश 68.12
6 जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च पुदुचेरी पुदुचेरी 67.64
7 संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस लखनऊ उत्तर प्रदेश 67.18
8 अमृता विश्व विद्यापीठम कोयंबटूर तमिलनाडु 66.49
9 श्री चित्रा तिरुनाल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम केरल 65.17
10 कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल मणिपाल कर्नाटक 63.89

टॉप 10 मेडिकल कॉलेज इन इंडिया 2021 | Top 10 Medical Colleges in India 2021

रैंक नाम शहर राज्य

स्कोर

1 AIIMS दिल्ली नई दिल्ली दिल्ली 92.07
2 पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ चंडीगढ़ 82.62
3 क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर तमिलनाडु 75.33
4 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेस बैंगलोर कर्नाटक 73.62
5 संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस लखनऊ उत्तर प्रदेश 72.45
6 अमृता विश्व विद्यापीठम कोयंबटूर तमिलनाडु 69.25
7 बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी वाराणसी उत्तर प्रदेश 67.62
8 जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च पुदुचेरी पुदुचेरी 67.42
9 किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ उत्तर प्रदेश 64.67
10 कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल मणिपाल कर्नाटक 63.6

इस तरह से आपने पिछले चार वर्षों के टॉप मेडिकल कॉलेज इन इंडिया की लिस्ट जान ली है जिसे NIRF के द्वारा पब्लिश किया गया है। अब यह लिस्ट NIRF के द्वारा कई पैमानों और मापदंडों को आधार बनाकर तैयार की जाती है, जैसे कि:

  • उस मेडिकल कॉलेज के टीचर्स और फैकल्टी कैसी है, उनका एक्सपीरियंस कितना है, वे किस तरह से स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं।
  • उस मेडिकल कॉलेज में किस-किस तरह की फैसिलिटी और अन्य सुविधाएँ दी जाती है, वहाँ उन फैसिलिटी का इस्तेमाल किस तरह से किया जाता है।
  • वहाँ पर स्टूडेंट्स का लेवल कैसा है अर्थात वहाँ स्टूडेंट्स का स्कोर कितना आता है, वे अलग-अलग एग्जाम में कैसा परफॉर्म करते हैं और उनका ओवरऑल एक्सपीरियंस कैसा है।
  • वहाँ हॉस्टल की सुविधा किस तरह की है, स्टडी एनवायरनमेंट कैसा है और हॉस्टल में अन्य क्या कुछ सुविधाएँ उपलब्ध है।
  • उस मेडिकल कॉलेज से संबंधित हॉस्पिटल में किस तरह के डॉक्टर हैं, वहाँ किस तरह की ट्रेनिंग दी जाती है और उन्हें इंटरनेशनल स्तर पर किस तरह से परखा जाता है।

इसके अलावा भी कई तरह के मापदंड होते हैं जिनके आधार पर NIRF के द्वारा भारत के टॉप मेडिकल कॉलेज की लिस्ट (Top 10 Medical Colleges in India 2024) निकाली जाती है। अब इसमें भी यदि आप एक चीज़ कॉमन देखेंगे तो पाएंगे कि इन सभी में AIIMS दिल्ली पहले नंबर पर बना हुआ है।

ऐसे में यदि हम देश के टॉप मेडिकल कॉलेज की बात करेंगे तो उसमें AIIMS दिल्ली का ही नाम प्रमुख तौर पर लिया जाता है। तो आइए AIIMS दिल्ली के बारे में और अधिक जान लेते हैं।

AIIMS दिल्ली – देश का टॉप मेडिकल कॉलेज | Number 1 Medical College in India

AIIMS दिल्ली की फुल फॉर्म अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली (All India Institute of Medical Sciences Delhi) होती है। यह भारत का टॉप मेडिकल कॉलेज है जो भारत की राजधानी दिल्ली के एम्स मेट्रो के पास में ही स्थित है।

इस कॉलेज की स्थापना आज से लगभग 68 वर्ष पहले सन 1956 में हुई थी। यदि हम इसके आदर्श वाक्य को जाने तो वह संस्कृत में “शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्” और अंग्रेजी में “The body is indeed the primary instrument of dharma” होता है।

यह भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आता है। हर वर्ष इसके लिए लगभग 4 हज़ार करोड़ का बजट पास किया जाता है। वर्तमान में AIIMS दिल्ली के डीन डॉक्टर कौशल कुमार वर्मा और डायरेक्टर डॉक्टर एम श्रीनिवास (Number 1 Medical College in India) है।

वहीं यदि हम यहाँ के स्टाफ की बात करें तो यहाँ 800 से ज्यादा फैकल्टी और 10 हज़ार से ज्यादा एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ काम करता है। लगभग 3700 से अधिक स्टूडेंट्स मेडिकल की अलग-अलग स्ट्रीम में पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से कुछ अंडर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं तो कुछ पोस्ट ग्रेजुएशन।

टॉप मेडिकल कॉलेज में एडमिशन कैसे लें?

अब यदि आप भी मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते हैं और उसके लिए देश के टॉप मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने को इच्छुक हैं तो उसके लिए आपको नीट का एग्जाम देना होता है। नीट एक शोर्ट फॉर्म है जिसे अंग्रेजी में NEET करके लिखा जाता है। अब यदि आप इसकी फुल फॉर्म जानना चाहते हैं तो NEET की फुल फॉर्म नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (National Eligibility cum Entrance Test) होती है।

भारत सरकार के द्वारा हर वर्ष नीट का एग्जाम लिया जाता है और इसके माध्यम से देश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू की जाती है। नीट का एग्जाम बहुत ही कठिन होता है और टॉप मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए तो आपको और भी ज्यादा मेहनत करने की जरुरत पड़ती है।

ऐसे में आपका टॉप लेवल के नीट कोचिंग सेंटर से पढ़ना उतना ही जरुरी हो जाता है। ऐसे में यदि हम देश के कुछ चुनिंदा और टॉप लेवल के नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट की बात करें तो उनके नाम इस प्रकार हैं:

रैंक 1. मैट्रिक्स नीट डिवीज़न (Matrix NEET Division)

रैंक 2. गुरुकृपा सीकर या Gurukripa Career Institute (GCI)

रैंक 3: एलन करियर इंस्टिट्यूट, कोटा

रैंक 4: करियर पॉइंट, कोटा

रैंक 5: नारायण अकैडमी, जयपुर

तो यह थे देश के टॉप नीट कोचिंग सेंटर्स जहाँ से आप अपनी तैयारी को और मजबूत कर सकते हैं। यह ध्यान रखें कि यदि आपको टॉप मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेना है तो उसके लिए तैयारी भी टॉप कोचिंग इंस्टीट्यूट से ही करनी होगी।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने टॉप मेडिकल कॉलेज इन इंडिया की पूरी लिस्ट (Top Medical Colleges in India) जान ली है। साथ ही आपने NIRF के द्वारा जारी की गई पिछले कुछ वर्षों की लिस्ट भी पढ़ ली है। इतना ही नहीं, हमने आपको इन मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए किन कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ाई करनी चाहिए, उसमें भी टॉप 5 नीट कोचिंग सेंटर्स की लिस्ट दे दी है।

NEET का एग्जाम बहुत ही मुश्किल माना जाता है और बहुत से स्टूडेंट्स को तो अच्छा मेडिकल कॉलेज पाने के लिए 2 से 3 वर्ष का ड्रॉप भी लेना पड़ता है लेकिन यदि आप पहले से ही अपना बेस मजबूत रखेंगे और टॉप मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई कर लेंगे तो अवश्य ही आपका सिलेक्शन कोई नहीं रोक पाएगा।

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Top 10 IIT Colleges in India Rank Wise: भारत देश में जो भी स्टूडेंट इंजीनियरिंग या इससे संबंधित कोर्स को करना चाहता है तो उसका सपना होता है कि वह देश के टॉप से टॉप कॉलेज में पढ़े। अब कहने को तो देश के हर शहर और राज्य में सैकड़ों इंजीनियरिंग कॉलेज है जिसमें से कुछ प्राइवेट है तो कुछ सरकारी। हालाँकि हर स्टूडेंट का सपना होता है कि उसे इनमें से टॉप लेवल के कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने का मौका मिले।

तो यह बात तो सभी को ही पता होगी कि यदि हम देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज की बात करें तो उसमें सबसे पहला नाम IIT का ही आता है। IIT की फुल फॉर्म इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Indian Institute of Technology) होती है जिसे हिंदी में भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान के नाम से जाना जाता है। अब यह तो आप सभी जानते हैं कि IIT को इंजीनियरिंग के टॉप कॉलेज माना जाता है लेकिन अब IIT भी तो एक नहीं बल्कि कई है।

यहाँ हम यह कहना चाह रहे हैं कि हमारे देश में IIT की कोई एक ब्रांच नहीं है बल्कि यह अलग-अलग राज्यों में कई ब्रांच के रूप में स्थित है। अब यह प्रश्न उठता है कि इनमें से कौन सा IIT टॉप पर आता है तो कौन सा उसके बाद। इसके लिए हम आपको देश की शीर्ष रैंकिंग संस्थान NIRF की मदद से देश की टॉप 10 IIT के नाम और उनकी जानकारी (Top 10 IIT Colleges in India 2024) देंगे।

देश की टॉप 10 IIT के नाम | Top 10 IIT Colleges in India Rank Wise

सबसे पहले तो आप यह जान लें कि हमारे देश में कुल कितनी IIT खुली हुई है। तो यह IIT सरकारी कॉलेज होते हैं जो भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत काम करते हैं। इसकी शुरुआत वर्ष 1950 को ही हो गई थी और तब से देशभर में समय-समय पर कई IIT खोली जा चुकी है।

यदि हम आज के समय की बात करें तो देश में कुल 23 IIT खोली जा चुकी है जहाँ हजारों स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग और अन्य संबंधित कोर्स की पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं भारत सरकार ने वर्ष 2023 में विदेश में भी 2 IIT खोलने का प्रस्ताव रखा है जिसमें से एक अबू धाबी है तो एक तंज़ानिया।

ऐसे में आप सबसे पहले इन सभी IIT के नाम, उनके स्थापना वर्ष, किस राज्य में स्थित है, उनकी वेबसाइट का लिंक, स्टूडेंट्स और फैकल्टी का काउंट इत्यादि जान लीजिए। नीचे हम हर IIT के स्थापना वर्ष के क्रम के अनुसार उनके नाम व अन्य जानकारी (Best IIT Colleges in India) दे रहे हैं।

नंबर

IIT का नाम स्थापना वर्ष राज्य वेबसाइट लिंक फैकल्टी काउंट

स्टूडेंट काउंट

1 IIT खड़गपुर 1951 पश्चिम बंगाल www.iitkgp.ac.in 928 15,862
2 IIT बॉम्बे 1958 महाराष्ट्र www.iitb.ac.in 759 12,976
3 IIT मद्रास 1959 तमिलनाडु www.iitm.ac.in 674 10,238
4 IIT कानपुर 1959 उत्तर प्रदेश www.iitk.ac.in 655 8,346
5 IIT दिल्ली 1961 दिल्ली home.iitd.ac.in 687 12,543
6 IIT गुवाहाटी 1994 असम www.iitg.ac.in 539 7,849
7 IIT रुड़की 1847 उत्तराखंड www.iitr.ac.in 585 9,735
8 IIT रोपड़ 2008 पंजाब www.iitrpr.ac.in 179 2,768
9 IIT भुवनेश्वर 2008 ओडिशा www.iitbbs.ac.in 178 2,597
10 IIT गांधीनगर 2008 गुजरात www.iitgn.ac.in 143 2,010
11 IIT हैदराबाद 2008 तेलंगाना www.iith.ac.in 306 3,946
12 IIT जोधपुर 2008 राजस्थान www.iitj.ac.in 238 3,308
13 IIT पटना 2008 बिहार www.iitp.ac.in 166 2,883
14 IIT इंदौर 2009 मध्य प्रदेश www.iiti.ac.in 204 2,323
15 IIT मंडी 2009 हिमाचल प्रदेश www.iitmandi.ac.in 197 2,343
16 IIT (BHU) वाराणसी 1919 उत्तर प्रदेश www.iitbhu.ac.in 381 7,980
17 IIT पलक्कड़ 2015 केरल iitpkd.ac.in 127 972
18 IIT तिरुपति 2015 आंध्र प्रदेश www.iittp.ac.in 119 1,168
19 IIT (ISM) धनबाद 1926 झारखंड www.iitism.ac.in 414 6,660
20 IIT भिलई 2016 छत्तीसगढ़ www.iitbhilai.ac.in 71 806
21 IIT धारवाड़ 2016 कर्नाटक www.iitdh.ac.in 86 866
22 IIT जम्मू 2016 जम्मू और कश्मीर www.iitjammu.ac.in 116 1,178
23 IIT गोवा 2016 गोवा iitgoa.ac.in
24 IIT मद्रास – ज़ांज़ीबार 2023 ज़ांज़ीबार, तंज़ानिया www.iitmz.ac.in 50
25 IIT दिल्ली – अबू धाबी 2023 अबू धाबी, यूएई abudhabi.iitd.ac.in 52

इस तरह से आपने देश और विदेश में स्थित सभी IIT के नाम और उनके बारे में मूलभूत जानकारी ले ली है। अब हम आपके सामने देश की टॉप 10 IIT के नाम (Best IIT Colleges in India) और उनके बारे में कुछ अन्य जानकारी रखने जा रहे हैं। यह रैंकिंग देश की NIRF संस्था जारी करती है। आइए जाने इसके बारे में।

टॉप 10 आईआईटी कॉलेज 2024 | Top 10 IIT Colleges in India 2024

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि देशभर की सभी IIT और उनकी रैंकिंग NIRF के द्वारा निकाली जाती है और यह कार्य हर वर्ष किया जाता है। इतना ही नहीं, NIRF के द्वारा देश में स्थित सभी अन्य कॉलेज और यूनिवर्सिटी की भी रैंकिंग निकाली जाती है।

NIRF की फुल फॉर्म नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ़्रेमवर्क (National Institutional Ranking Framework) होती है। ऐसे में आज हम NIRF के द्वारा वर्ष 2024 के लिए सेलेक्ट किए गए टॉप 10 IIT के नाम और उनके स्कोर आपके सामने रखने जा रहे हैं।

रैंक

संस्थान का नाम

स्कोर

1 IIT मद्रास, चेन्नई 89.46
2 IIT दिल्ली, नई दिल्ली 86.66
3 IIT बॉम्बे, मुंबई 83.09
4 IIT कानपुर 82.79
5 IIT खड़गपुर 76.88
6 IIT रुड़की 76
7 IIT गुवाहाटी 71.86
8 IIT हैदराबाद 71.55
9 IIT (बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी), वाराणसी 66.69
10 IIT (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स), धनबाद 64.83

इस तरह से इस लिस्ट में IIT मद्रास टॉप पर है और उसके बाद क्रमशः दिल्ली, बॉम्बे, कानपूर, खड्गपुर इत्यादि IIT के नाम आते हैं। अब NIRF के द्वारा तो हर वर्ष टॉप 10 IIT की लिस्ट जारी की जाती है। इस लिस्ट में कभी कोई IIT ऊपर आ जाती है तो कभी कोई नीचे चली जाती है।

हालाँकि अधिकतर यही 10 IIT ही इस लिस्ट में बनी रहती है और एक दो पायदान ऊपर या नाचे खिसकती रहती है। ऐसे में अब हम आपके सामने पिछले 3 वर्षों की रैंकिंग भी रख देते हैं ताकि आपको बेहतर आईडिया मिल सके।

टॉप 10 आईआईटी कॉलेज 2023 | Top 10 IIT colleges in India 2023

रैंक संस्थान का नाम

स्कोर

1 IIT मद्रास, चेन्नई 89.79
2 IIT दिल्ली, नई दिल्ली 87.09
3 IIT बॉम्बे, मुंबई 80.74
4 IIT कानपुर 80.65
5 IIT रुड़की 75.64
6 IIT खड़गपुर 73.76
7 IIT गुवाहाटी 70.32
8 IIT हैदराबाद 70.28
9 IIT इंदौर 63.93
10 IIT (बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी), वाराणसी 63.74

टॉप 10 आईआईटी कॉलेज 2022 | Top 10 IIT colleges in India 2022

रैंक संस्थान का नाम

स्कोर

1 IIT मद्रास, चेन्नई 90.04
2 IIT दिल्ली, नई दिल्ली 88.12
3 IIT बॉम्बे, मुंबई 83.96
4 IIT कानपुर 82.56
5 IIT खड़गपुर 78.89
6 IIT रुड़की 76.7
7 IIT गुवाहाटी 72.98
8 IIT हैदराबाद 68.03
9 IIT (बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी), वाराणसी 63.51
10 IIT (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस), धनबाद 63.5

टॉप 10 आईआईटी कॉलेज 2021 | Top 10 IIT colleges in India 2021

रैंक संस्थान का नाम

स्कोर

1 IIT मद्रास, चेन्नई 90.19
2 IIT दिल्ली, नई दिल्ली 88.96
3 IIT बॉम्बे, मुंबई 85.16
4 IIT कानपुर 83.22
5 IIT खड़गपुर 82.03
6 IIT रुड़की 78.08
7 IIT गुवाहाटी 73.84
8 IIT हैदराबाद 68.69
9 IIT (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस), धनबाद 64.07
10 IIT इंदौर 62.56

इस तरह से आज आपने लगभग 4 वर्षों (2021 से लेकर 2024) तक की टॉप 10 IIT कॉलेज की लिस्ट उनके स्कोर सहित देख ली है। इसमें आपने देखा होगा कि जहाँ एक ओर टॉप 2 से लेकर टॉप 10 की रैंकिंग में अधिकतर IIT वही बने हुए हैं लेकिन उनकी रैंकिंग ऊपर नीचे होती जा रही है तो शीर्ष पर IIT मद्रास ही टिकी हुई है।

इतना ही नहीं, IIT मद्रास पिछले कुछ वर्षों से ही नहीं बल्कि एक दशक से भी लंबे समय से टॉप 10 IIT में नंबर एक IIT बनी हुई है। ऐसे में आज हम आपको IIT मद्रास सहित कुछ एक टॉप IIT के बारे में मूलभूत जानकारी भी दे देते हैं।

IIT मद्रास – देश का टॉप IIT कॉलेज | Top 1 IIT Colleges in India

IIT मद्रास की स्थापना आज से लगभग 65 वर्ष पहले सन 1959 में हुई थी। इसका आदर्श वाक्य संस्कृत में “सिद्धिर्भवति कर्मजा” तो वहीं अंग्रेजी में “Success is born out of action” है। इसके लिए लगभग एक हज़ार करोड़ का बजट हर वर्ष भारत सरकार के द्वारा दिया जाता है।

वर्तमान में IIT मद्रास के चेयरमैन पवन कुमार गोयनका है तो वहीं डायरेक्टर वि कामकोटी है। अकेडमिक स्टाफ लगभग 674 टीचर्स का है तो वहीं स्टूडेंट्स की संख्या 10 हज़ार के आसपास है। यह भारत के दक्षिण में स्थित राज्य तमिलनाडु के चेन्नई प्रान्त में स्थित है।

इस संस्थान का कैंपस 620 एकड़ में फैला हुआ है। यहाँ पर बॉयज और गर्ल्स हॉस्टल दोनों की ही सुविधा है। यहाँ पर लगभग सभी तरह के इंजीनियरिंग कोर्स और अन्य संबंधित डिग्री की पढ़ाई करवाई जाती है। इनमें से कुछ मुख्य कोर्स के नाम इस प्रकार है:

  • एयरोस्पेस इंजीनियरिंग
  • एप्लाइड मैकेनिक्स और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग
  • बायोटेक्नोलॉजी
  • केमिकल इंजीनियरिंग
  • केमिस्ट्री
  • सिविल इंजीनियरिंग
  • कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग
  • डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
  • इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
  • इंजीनियरिंग डिज़ाइन
  • मानविकी और सामाजिक विज्ञान
  • मैनेजमेंट स्टडीज
  • गणित (MA)
  • मैकेनिकल इंजीनियरिंग
  • मेडिकल साइंस और टेक्नोलॉजी
  • मेटलर्जिकल और मटेरियल्स इंजीनियरिंग
  • ओसियन इंजीनियरिंग
  • फिजिक्स

इसमें यदि आपको एडमिशन लेना है तो उसके लिए JEE का एग्जाम देना होता है। यह JEE का एग्जाम भी दो पार्ट में होता है जिसे JEE Main और JEE Advance के नाम से जाना जाता है। इसमें टॉप स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स को ही IIT मद्रास (Top 1 IIT Colleges in India) या उसके नीचे वाली IIT में एडमिशन मिल पाता है। वह भी उनकी पसंदीदा फील्ड या कोर्स में।

टॉप IIT में एडमिशन कैसे लें?

अब यदि आप अपना सिलेक्शन इन टॉप IIT में करवाना चाहते हैं तो उसके लिए आपको हर वर्ष आयोजित होने वाले JEE एग्जाम की तैयारी करनी होती है। अब हर वर्ष लाखों स्टूडेंट्स के द्वारा JEE का एग्जाम दिया जाता है लेकिन उनमें से कुछ हज़ार का ही इसमें सिलेक्शन हो पाता है।

इन कुछ हज़ार में से भी टॉप स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स ही इन टॉप IIT में जा पाते हैं। ऐसे में आपको JEE की तैयारी किसी टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से ही करनी होगी तभी आगे चलकर आप टॉप लेवल का स्कोर कर पाएंगे।

अब यदि हम आपको भारत देश के टॉप JEE कोचिंग संस्थान के बारे में बताएं तो उसमें से कुछ नाम प्रमुख तौर पर सामने आते हैं। उनके नाम है:

  1. मैट्रिक्स JEE अकैडमी, सीकर
  2. एलन इंस्टिट्यूट, कोटा
  3. आकाश इंस्टिट्यूट, दिल्ली
  4. प्रिंस अकैडमी, सीकर
  5. रेजोनेंस अकैडमी, दिल्ली

तो यह हैं देशभर की टॉप JEE अकैडमी जहाँ पढ़कर आपको हाई लेवल की एजुकेशन और ट्रेनिंग मिलेगी। इसमें भी मैट्रिक्स अकैडमी आज से ही नहीं बल्कि पिछले कई वर्षों से टॉप पर बनी हुई है। वजह है यहाँ JEE की करवाई जाने वाली ट्रेनिंग और यहाँ से लगातार टॉप IIT में सेलेक्ट होते स्टूडेंट्स का रेश्यो।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने देश भर के टॉप 10 IIT के नाम (Top 10 IIT Colleges in India Rank Wise) और उनके बारे में मूलभूत जानकारी ले ली है। इसी के साथ ही आपने यह भी जान लिया है कि यदि आपको इन टॉप लेवल के IIT में अपना सिलेक्शन करवाना है तो उसके लिए आपको JEE की तैयारी कहाँ से करनी होगी।

इस बात का मुख्य तौर पर ध्यान रखें कि सभी IIT अपने आप में बढ़िया है लेकिन जो स्टूडेंट्स टॉप लेवल के IIT से इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर निकलते हैं, उन्हें उतनी ही अच्छी जॉब और हाई पैकेज मिलते हैं। अब इसके लिए टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट से JEE की कोचिंग ली जानी भी उतनी ही जरुरी हो जाती है।

Related FAQs

प्रश्न: भारत में कौन सा नंबर 1 IIT है?

उत्तर: भारत में नंबर 1 IIT के तौर पर आईआईटी मद्रास का नाम लिया जाता है जो तमिलनाडु राज्य में स्थित है। यह पिछले एक दशक से नंबर 1 IIT बना हुआ है।

प्रश्न: आईआईटी में कौन सा कॉलेज फर्स्ट रैंक है?

उत्तर: आईआईटी में मद्रास वाला कॉलेज फर्स्ट रैंक पर है, वह भी आज से नहीं बल्कि पिछले एक दशक से। NIRF के द्वारा इसे कई वर्षों से फर्स्ट रैंक दिया जा रहा है।

प्रश्न: आईआईटी मद्रास नंबर 1 क्यों है?

उत्तर: आईआईटी मद्रास के नंबर 1 होने के एक नहीं कई कारण है। इसमें वहाँ का अनुशासन, आसपास का वातावरण, सीनियर्स का सहयोग, टीचर्स का एक्सपीरियंस, कई तरह की फैसिलिटी व वहाँ होने वाला शोध इत्यादि शामिल है।

प्रश्न: क्या आईआईटी दिल्ली आईआईटी मद्रास से बेहतर है?

उत्तर: NIRF के द्वारा हर वर्ष सभी आईआईटी को रैंकिंग दी जाती है। इस वर्ष अर्थात वर्ष 2024 में आईआईटी मद्रास की रैंकिंग एक है तो वहीं आईआईटी दिल्ली की रैंकिंग पांच है।

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