CBSE और State Board में क्या अंतर है?
जब एक बच्चा इस दुनिया में आता है तो उसके पेरेंट्स के ऊपर उसकी पूरी जिम्मेदारी आ जाती है। उसके बाद उसका पूरा ध्यान रखना और उसे बेस्ट से बेस्ट चीज़ लाकर देना उसके पेरेंट्स का मुख्य लक्ष्य बन जाता (CBSE and state board difference in Hindi) है। जब तक बच्चा छोटा होता है और घर पर रहता है तो ज्यादा चिंता नहीं रहती है लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होने लगता है, फिर जिम्मेदारियां भी बढ़ती चली जाती है।
इसी में एक सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है बच्चे का सही स्कूल में एडमिशन करवाना। अब बहुत से पेरेंट्स इस बात को लेकर टेंशन में रहते हैं कि उनके बच्चे के लिए सीबीएसई बोर्ड ज्यादा बेहतर रहेगा या स्टेट बोर्ड। ऐसी बात नहीं है कि बड़े बच्चों के पेरेंट्स को ही यह टेंशन रहती हो, अब तो छोटी क्लास में पढ़ रहे बच्चों के पेरेंट्स को भी इसकी टेंशन होने लगी है।
ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम आपके साथ इसी टॉपिक पर ही बात करने वाले (CBSE or state board mein kya antar hai) हैं। आज हम आपको बताएँगे कि सीबीएसई और स्टेट बोर्ड के बीच क्या कुछ अंतर होता है और आपके बच्चे के लिए दोनों में से कौन सा ज्यादा बेहतर हो सकता है।
सीबीएसई और स्टेट बोर्ड के बीच अंतर
जब भी किसी से यह सवाल पूछा जाता है कि CBSE और State बोर्ड के बीच क्या कुछ अंतर होता है तो हर कोई यही बोलेगा कि CBSE स्कूल भारत सरकार के अंतर्गत आते हैं तो वहीं State बोर्ड के स्कूल राज्य सरकार के अंतर्गत आते हैं। अब यह तो नाम से ही पता चल जाता है कि स्टेट बोर्ड वाला राज्य सरकार संभालती होगी तो वहीं CBSE को केंद्र सरकार संभालती (CBSE and state board difference in Hindi) है।
अब यदि आप उनसे इसके बारे में और पूछेंगे तो उन्हें ज्यादा पता नहीं होगा। कुछ लोग कह देंगे कि CBSE का मतलब इंग्लिश मीडियम होता है तो स्टेट बोर्ड में हिंदी में पढ़ाई करवाई जाती है। अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो आप गलत हैं। वह इसलिए क्योंकि CBSE और स्टेट बोर्ड दोनों में ही हिंदी और अंग्रेजी दोनों मीडियम में पढ़ाई करवाई जाती है।
कहने का मतलब यह हुआ कि सीबीएसई और स्टेट बोर्ड दोनों तरह के स्कूल में ही इंग्लिश मीडियम और हिंदी मीडियम होता है। फिर इन दोनों के बीच क्या कुछ अंतर है? आइए कुछ पॉइंट्स के जरिए जान लेते (CBSE vs state board) हैं।
#1. सरकार द्वारा संचालित
दोनों स्कूल के बीच सबसे बड़ा जो अंतर देखने को मिलता है, वह है सरकार का भिन्न होना। जहाँ CBSE स्कूल को भारत सरकार के द्वारा नियंत्रित किया जाता है तो वहीं स्टेट बोर्ड के स्कूल को उस राज्य की राज्य सरकार के द्वारा देखा जाता है।
इस तरह से सीबीएसई स्कूल को पूरे देश में एक साथ केंद्र सरकार के द्वारा नियंत्रित किया जाता है और उसके लिए नीति निर्धारण किया जाता है। वहीं स्टेट बोर्ड पर पूरी तरह से राज्य सरकार का नियंत्रण होने के कारण अलग अलग राज्यों में अलग अलग नीतियाँ देखने को मिल सकती है। उदाहरण के तौर पर राजस्थान के लिए अलग तो हरियाणा के लिए अलग।
#2. भाषा का अंतर
ऊपर हमने आपको बताया कि CBSE और स्टेट बोर्ड दोनों में ही हिंदी व अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करवाई जाती है लेकिन हर जगह ऐसा होना जरुरी नहीं है। चिंता मत कीजिए क्योंकि आप यह लेख हिंदी में पढ़ रहे हैं तो आपके राज्य में तो हिंदी मीडियम होगा ही। चलिए हम स्पष्ट रूप से आपको बता देते हैं।
पूरे देश में सीबीएसई स्कूल की पढ़ाई हिंदी व अंग्रेजी दोनों माध्यम में करवाई जाती है। वहीं स्टेट बोर्ड के स्कूल में उस राज्य की स्थानीय भाषा को प्राथमिकता दी जाती है। उदाहरण के तौर पर राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में स्टेट बोर्ड स्कूल हिंदी मीडियम में होंगे तो वहीं गुजरात में गुजराती में तो वहीं उड़ीसा में ओड़िया भाषा में। इसलिए आप स्कूल में जाकर यह पता कर लें कि वह कौन सी भाषा में पढ़ाई करवाता है।
#3. सिलेबस का अंतर
अब मुख्य अंतर जो होता है वह होता है सिलेबस का। चूँकि सीबीएसई स्कूल को भारत सरकार के द्वारा संभाला जाता है तो उसके सभी स्कूल का सिलेबस एक जैसा होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि पूरे देश में जो भी सीबीएसई स्कूल है, फिर चाहे वह बंगाल में हो या तमिलनाडु में, हिंदी मीडियम हो या इंग्लिश मीडियम, उन सभी का सिलेबस एक जैसा ही होगा।
वहीं जो स्टेट बोर्ड के स्कूल होते हैं, उनका सिलेबस वहाँ की राज्य सरकार के द्वारा बनाया और बदला जाता है। ऐसे में सभी स्टेट बोर्ड के स्कूल का सिलेबस एक दूसरे से अलग होता है। हालाँकि मोटे तौर पर उन सभी का सिलेबस एक जैसा होता है लेकिन उसके टॉपिक, चैप्टर, पाठ्यक्रम इत्यादि भिन्न भाषा और लेखन शैली में होते हैं। उदाहरण के तौर पर आपको यही लेख विभिन्न वेबसाइट पर अलग अलग रूप में पढ़ने को मिल जाएगा।
#4. कम्पटीशन लेवल
इस बात को आप बहुत ध्यान से पढ़िए क्योंकि इसी पर ही आगे चलकर आपके बच्चे का भविष्य निर्भर करता है। वहीं यदि आप स्वयं स्टूडेंट हैं तो आपको यह बात अच्छे से समझ में आ जाएगी। जो सीबीएसई स्कूल होते हैं, उनका सिलेबस या लेवल कुछ इस तरह से डिजाईन किया जाता है कि यह राष्ट्रीय स्तर पर नौकरी करने या काम पाने के लिए उत्तम होता है।
वहीं स्टेट बोर्ड के स्कूल में उस तरह का लेवल रखा जाता है जिसे पढ़कर स्टूडेंट्स राज्य स्तर के काम कर सकें, उन्हें समझ सकें या सरकारी नौकरी पा सकें। कहने का अर्थ यह हुआ कि CBSE स्कूल में पढ़कर आप सेंट्रल गवर्नमेंट की नौकरी की तैयारी कर सकते हैं जबकि स्टेट बोर्ड के स्कूल में पढ़कर आप स्टेट की सरकारी नौकरी की तैयारी कर पाते हैं।
#5. ज्यादा फोकस किस पर
ऊपर हमने जो पॉइंट आपके सामने रखा, यह वाला पॉइंट भी उससे जुड़ा ही हुआ है। इस पॉइंट के माध्यम से हम आपको यह समझाना चाह रहे हैं कि दोनों स्कूल में से कौन सा स्कूल किस चीज़ पर ज्यादा फोकस करता है। तो कुछ विषय जैसे कि साइंस और मैथ्स का लेवल और टॉपिक सभी स्टेट बोर्ड और सीबीएसई बोर्ड में एक जैसे ही रहते हैं।
वहीं अब हम बात SST अर्थात सामाजिक विज्ञान की करें तो वह पूरी तरह से अलग हो सकता है। सीबीएसई स्कूल में भारत से संबंधित मुख्य विषयों के बारे में बताया जाता है जबकि स्टेट बोर्ड में वहाँ के इतिहास, भूगोल, संस्कृति पर ज्यादा फोकस किया जाता है। अब बच जाते हैं भाषा के सब्जेक्ट तो वह तो हमने आपको ऊपर बता ही दिया है कि यह राज्य के अनुसार निर्धारित किए जाते हैं। CBSE में हिंदी, अंग्रेजी व एक तीसरी भाषा का विकल्प होता है।
#6. स्कूल चेंज करना
यदि आप CBSE बोर्ड में पढ़ रहे हैं तो आपको भारत के किसी भी राज्य के दूसरे CBSE स्कूल में जाने में कभी कोई समस्या नहीं होगी। उदाहरण के तौर पर आप आज राजस्थान के CBSE स्कूल में पढ़ रहे हैं लेकिन किसी कारणवश आपको जम्मू कश्मीर शिफ्ट होना पड़ता है तो आप वहाँ भी आसानी से ट्रान्सफर करवा पाएंगे।
हालाँकि यदि आप स्टेट बोर्ड में पढ़ रहे हैं और आपको दूसरे स्टेट के स्टेट बोर्ड या सीबीएसई में भी जाना है तो कुछ मुश्किलें आ सकती हैं। सामान्य तौर पर सीबीएसई के स्कूल से स्टेट बोर्ड में कम बच्चे जाते हैं लेकिन स्टेट बोर्ड से सीबीएसई में जाने वाले ज्यादा होते हैं।
#7. आज के समय में महत्व
अब यदि हम आज के समय के अनुसार बात करें तो हर दिन के साथ स्टेट बोर्ड के स्कूल का महत्व कम होता जा रहा है जबकि CBSE स्कूल का लेवल बढ़ता जा रहा है। हालाँकि यह पूर्ण रूप से नहीं कहा जा सकता है क्योंकि यह व्यक्ति की स्थिति, उसकी प्राथमिकताओं और अन्य कारकों पर निर्भर करता है। आइए अब हम उसके बारे में भी बात कर लेते हैं।
CBSE या State बोर्ड: आपके लिए कौन सा है बेहतर?
ऊपर हमने आपको दोनों तरह के स्कूल के बीच में कई तरह के अंतर बताए। अब हम आपको यह भी बता देते हैं कि आपके बच्चे या स्वयं आपके लिए दोनों में से कौन सा और किन परिस्थितियों में बेहतर हो सकता है।
- यदि आपको भारत सरकार की नौकरी की तैयारी करनी है जैसे कि आईएस, आईपीएस इत्यादि तो उसके लिए CBSE बोर्ड के स्कूल ज्यादा बेहतर विकल्प साबित होते हैं।
- यदि आप राज्य सरकार की नौकरी करना चाहते हैं और उसके लिए तैयारी कर रहे हैं तो फिर आपके लिए स्टेट बोर्ड से बेहतर स्कूल कोई और नहीं हो सकता है।
- उदाहरण के तौर पर यदि आपको राजस्थान में RAS या इसके जैसे अन्य एग्जाम देने हैं तो उसके लिए राजस्थान के स्टेट बोर्ड स्कूल ही सबसे बेहतर विकल्प होते हैं।
- सामान्य तौर पर राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में कम्पटीशन बहुत ज्यादा होता है जबकि राज्य स्तर में कम कम्पटीशन देखने को मिलता है। ऐसे में स्टेट बोर्ड के स्कूल में पढ़कर राज्य की परीक्षा को जल्दी क्लियर किया जा सकता है।
- वहीं अगर हम सरकार नौकरी की बात ना करें और प्राइवेट सेक्टर की नौकरी की बात करें तो उसमें भी यदि आप अपने राज्य में रहकर ही नौकरी करने को इच्छुक हैं तो उसके लिए भी स्टेट बोर्ड एक बेहतर विकल्प होगा।
- वहीं CBSE बोर्ड के स्कूल आपको उन नौकरियों के लिए तैयार करते हैं जो मल्टी नेशनल या नेशनल कंपनियां होती है।
- वहीं यदि आप आगे चलकर मेडिकल या इंजीनियरिंग की तैयारी करना चाहते हैं तो उसमें दोनों ही अच्छे हैं। हालाँकि दोनों में से बेहतर की बात की जाए तो सीबीएसई बोर्ड को स्टेट बोर्ड से ज्यादा बेहतर कहा जा सकता है।
- अब इसमें भी हम सभी स्टेट बोर्ड को सीबीएसई से कमतर नहीं कह सकते हैं क्योंकि कुछ राज्यों के स्टेट बोर्ड भी सीबीएसई को टक्कर देते हैं।
- पैसों की बात की जाए तो सामान्य तौर पर सीबीएसई स्कूल में ज्यादा फीस लगती है तो वहीं स्टेट बोर्ड के स्कूल में शिक्षा कम पैसों में हासिल की जा सकती है।
- हर राज्य में स्टेट बोर्ड के स्कूल का सिलेबस अलग होता है। ऐसे में यदि आपका अलग-अलग राज्यों में ट्रांसफर होता रहता है तो आपको सीबीएसई स्कूल में ही एडमिशन लेना चाहिए।
टॉप CBSE स्कूल
अब यदि हम देश के टॉप 5 CBSE बोर्ड के स्कूल की बात करें तो उनकी लिस्ट इस प्रकार है:
- केंद्रीय विद्यालय
- नवोदय विद्यालय
- मैट्रिक्स हाई स्कूल, सीकर
- दून स्कूल, देहरादून
- श्रीराम स्कूल, नईदिल्ली
टॉप स्टेट बोर्ड स्कूल
अब स्टेट बोर्ड के टॉप स्कूल की बात की जाए तो यह हर राज्य के अनुसार अलग अलग हो सकते हैं। यहाँ हम कुछ चुनिंदा हिंदी राज्यों के टॉप स्टेट बोर्ड स्कूल आपके सामने रखने जा रहे हैं:
- मैट्रिक्स वर्ल्ड स्कूल, सीकर (राजस्थान बोर्ड)
- कालीबाड़ी स्कूल, शिमला (हिमाचल प्रदेश बोर्ड)
- एमजीएम हायर सेकेंडरी स्कूल, भोपाल (मध्य प्रदेश बोर्ड)
- जेवियर स्कूल, जयपुर (राजस्थान बोर्ड)
- नेतरहाट विद्यालय, झारखंड (झारखंड बोर्ड)
निष्कर्ष
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने यह जान लिया (CBSE and state board difference in Hindi) है कि आपके राज्य के अनुसार कौन से बोर्ड का स्कूल आपके लिए या आपके बच्चों के लिए बेहतर हो सकता है। साथ ही हमने आपको दोनों बोर्ड के टॉप स्कूल के नाम भी दे दिए हैं।
स्टेट बोर्ड के मामले में तो हर राज्य के अलग स्कूल टॉप पर आते हैं लेकिन उन सभी में मैट्रिक्स स्कूल टॉप पर आता है। वहीं केंद्रीय और नवोदय विद्यालय तो भारत सरकार के स्कूल हैं जिनकी शाखाएं भारत के विभिन्न शहरों में होती है।
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