CBSE और State Board में क्या अंतर है?

जब एक बच्चा इस दुनिया में आता है तो उसके पेरेंट्स के ऊपर उसकी पूरी जिम्मेदारी आ जाती है। उसके बाद उसका पूरा ध्यान रखना और उसे बेस्ट से बेस्ट चीज़ लाकर देना उसके पेरेंट्स का मुख्य लक्ष्य बन जाता (CBSE and state board difference in Hindi) है। जब तक बच्चा छोटा होता है और घर पर रहता है तो ज्यादा चिंता नहीं रहती है लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होने लगता है, फिर जिम्मेदारियां भी बढ़ती चली जाती है।

इसी में एक सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है बच्चे का सही स्कूल में एडमिशन करवाना। अब बहुत से पेरेंट्स इस बात को लेकर टेंशन में रहते हैं कि उनके बच्चे के लिए सीबीएसई बोर्ड ज्यादा बेहतर रहेगा या स्टेट बोर्ड। ऐसी बात नहीं है कि बड़े बच्चों के पेरेंट्स को ही यह टेंशन रहती हो, अब तो छोटी क्लास में पढ़ रहे बच्चों के पेरेंट्स को भी इसकी टेंशन होने लगी है।

ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम आपके साथ इसी टॉपिक पर ही बात करने वाले (CBSE or state board mein kya antar hai) हैं। आज हम आपको बताएँगे कि सीबीएसई और स्टेट बोर्ड के बीच क्या कुछ अंतर होता है और आपके बच्चे के लिए दोनों में से कौन सा ज्यादा बेहतर हो सकता है।

सीबीएसई और स्टेट बोर्ड के बीच अंतर

जब भी किसी से यह सवाल पूछा जाता है कि CBSE और State बोर्ड के बीच क्या कुछ अंतर होता है तो हर कोई यही बोलेगा कि CBSE स्कूल भारत सरकार के अंतर्गत आते हैं तो वहीं State बोर्ड के स्कूल राज्य सरकार के अंतर्गत आते हैं। अब यह तो नाम से ही पता चल जाता है कि स्टेट बोर्ड वाला राज्य सरकार संभालती होगी तो वहीं CBSE को केंद्र सरकार संभालती (CBSE and state board difference in Hindi) है।

अब यदि आप उनसे इसके बारे में और पूछेंगे तो उन्हें ज्यादा पता नहीं होगा। कुछ लोग कह देंगे कि CBSE का मतलब इंग्लिश मीडियम होता है तो स्टेट बोर्ड में हिंदी में पढ़ाई करवाई जाती है। अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो आप गलत हैं। वह इसलिए क्योंकि CBSE और स्टेट बोर्ड दोनों में ही हिंदी और अंग्रेजी दोनों मीडियम में पढ़ाई करवाई जाती है।

कहने का मतलब यह हुआ कि सीबीएसई और स्टेट बोर्ड दोनों तरह के स्कूल में ही इंग्लिश मीडियम और हिंदी मीडियम होता है। फिर इन दोनों के बीच क्या कुछ अंतर है? आइए कुछ पॉइंट्स के जरिए जान लेते (CBSE vs state board) हैं।

#1. सरकार द्वारा संचालित

दोनों स्कूल के बीच सबसे बड़ा जो अंतर देखने को मिलता है, वह है सरकार का भिन्न होना। जहाँ CBSE स्कूल को भारत सरकार के द्वारा नियंत्रित किया जाता है तो वहीं स्टेट बोर्ड के स्कूल को उस राज्य की राज्य सरकार के द्वारा देखा जाता है।

इस तरह से सीबीएसई स्कूल को पूरे देश में एक साथ केंद्र सरकार के द्वारा नियंत्रित किया जाता है और उसके लिए नीति निर्धारण किया जाता है। वहीं स्टेट बोर्ड पर पूरी तरह से राज्य सरकार का नियंत्रण होने के कारण अलग अलग राज्यों में अलग अलग नीतियाँ देखने को मिल सकती है। उदाहरण के तौर पर राजस्थान के लिए अलग तो हरियाणा के लिए अलग।

#2. भाषा का अंतर

ऊपर हमने आपको बताया कि CBSE और स्टेट बोर्ड दोनों में ही हिंदी व अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करवाई जाती है लेकिन हर जगह ऐसा होना जरुरी नहीं है। चिंता मत कीजिए क्योंकि आप यह लेख हिंदी में पढ़ रहे हैं तो आपके राज्य में तो हिंदी मीडियम होगा ही। चलिए हम स्पष्ट रूप से आपको बता देते हैं।

पूरे देश में सीबीएसई स्कूल की पढ़ाई हिंदी व अंग्रेजी दोनों माध्यम में करवाई जाती है। वहीं स्टेट बोर्ड के स्कूल में उस राज्य की स्थानीय भाषा को प्राथमिकता दी जाती है। उदाहरण के तौर पर राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में स्टेट बोर्ड स्कूल हिंदी मीडियम में होंगे तो वहीं गुजरात में गुजराती में तो वहीं उड़ीसा में ओड़िया भाषा में। इसलिए आप स्कूल में जाकर यह पता कर लें कि वह कौन सी भाषा में पढ़ाई करवाता है।

#3. सिलेबस का अंतर

अब मुख्य अंतर जो होता है वह होता है सिलेबस का। चूँकि सीबीएसई स्कूल को भारत सरकार के द्वारा संभाला जाता है तो उसके सभी स्कूल का सिलेबस एक जैसा होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि पूरे देश में जो भी सीबीएसई स्कूल है, फिर चाहे वह बंगाल में हो या तमिलनाडु में, हिंदी मीडियम हो या इंग्लिश मीडियम, उन सभी का सिलेबस एक जैसा ही होगा।

वहीं जो स्टेट बोर्ड के स्कूल होते हैं, उनका सिलेबस वहाँ की राज्य सरकार के द्वारा बनाया और बदला जाता है। ऐसे में सभी स्टेट बोर्ड के स्कूल का सिलेबस एक दूसरे से अलग होता है। हालाँकि मोटे तौर पर उन सभी का सिलेबस एक जैसा होता है लेकिन उसके टॉपिक, चैप्टर, पाठ्यक्रम इत्यादि भिन्न भाषा और लेखन शैली में होते हैं। उदाहरण के तौर पर आपको यही लेख विभिन्न वेबसाइट पर अलग अलग रूप में पढ़ने को मिल जाएगा।

#4. कम्पटीशन लेवल

इस बात को आप बहुत ध्यान से पढ़िए क्योंकि इसी पर ही आगे चलकर आपके बच्चे का भविष्य निर्भर करता है। वहीं यदि आप स्वयं स्टूडेंट हैं तो आपको यह बात अच्छे से समझ में आ जाएगी। जो सीबीएसई स्कूल होते हैं, उनका सिलेबस या लेवल कुछ इस तरह से डिजाईन किया जाता है कि यह राष्ट्रीय स्तर पर नौकरी करने या काम पाने के लिए उत्तम होता है।

वहीं स्टेट बोर्ड के स्कूल में उस तरह का लेवल रखा जाता है जिसे पढ़कर स्टूडेंट्स राज्य स्तर के काम कर सकें, उन्हें समझ सकें या सरकारी नौकरी पा सकें। कहने का अर्थ यह हुआ कि CBSE स्कूल में पढ़कर आप सेंट्रल गवर्नमेंट की नौकरी की तैयारी कर सकते हैं जबकि स्टेट बोर्ड के स्कूल में पढ़कर आप स्टेट की सरकारी नौकरी की तैयारी कर पाते हैं।

#5. ज्यादा फोकस किस पर

ऊपर हमने जो पॉइंट आपके सामने रखा, यह वाला पॉइंट भी उससे जुड़ा ही हुआ है। इस पॉइंट के माध्यम से हम आपको यह समझाना चाह रहे हैं कि दोनों स्कूल में से कौन सा स्कूल किस चीज़ पर ज्यादा फोकस करता है। तो कुछ विषय जैसे कि साइंस और मैथ्स का लेवल और टॉपिक सभी स्टेट बोर्ड और सीबीएसई बोर्ड में एक जैसे ही रहते हैं।

वहीं अब हम बात SST अर्थात सामाजिक विज्ञान की करें तो वह पूरी तरह से अलग हो सकता है। सीबीएसई स्कूल में भारत से संबंधित मुख्य विषयों के बारे में बताया जाता है जबकि स्टेट बोर्ड में वहाँ के इतिहास, भूगोल, संस्कृति पर ज्यादा फोकस किया जाता है। अब बच जाते हैं भाषा के सब्जेक्ट तो वह तो हमने आपको ऊपर बता ही दिया है कि यह राज्य के अनुसार निर्धारित किए जाते हैं। CBSE में हिंदी, अंग्रेजी व एक तीसरी भाषा का विकल्प होता है।

#6. स्कूल चेंज करना

यदि आप CBSE बोर्ड में पढ़ रहे हैं तो आपको भारत के किसी भी राज्य के दूसरे CBSE स्कूल में जाने में कभी कोई समस्या नहीं होगी। उदाहरण के तौर पर आप आज राजस्थान के CBSE स्कूल में पढ़ रहे हैं लेकिन किसी कारणवश आपको जम्मू कश्मीर शिफ्ट होना पड़ता है तो आप वहाँ भी आसानी से ट्रान्सफर करवा पाएंगे।

हालाँकि यदि आप स्टेट बोर्ड में पढ़ रहे हैं और आपको दूसरे स्टेट के स्टेट बोर्ड या सीबीएसई में भी जाना है तो कुछ मुश्किलें आ सकती हैं। सामान्य तौर पर सीबीएसई के स्कूल से स्टेट बोर्ड में कम बच्चे जाते हैं लेकिन स्टेट बोर्ड से सीबीएसई में जाने वाले ज्यादा होते हैं।

#7. आज के समय में महत्व

अब यदि हम आज के समय के अनुसार बात करें तो हर दिन के साथ स्टेट बोर्ड के स्कूल का महत्व कम होता जा रहा है जबकि CBSE स्कूल का लेवल बढ़ता जा रहा है। हालाँकि यह पूर्ण रूप से नहीं कहा जा सकता है क्योंकि यह व्यक्ति की स्थिति, उसकी प्राथमिकताओं और अन्य कारकों पर निर्भर करता है। आइए अब हम उसके बारे में भी बात कर लेते हैं।

CBSE या State बोर्ड: आपके लिए कौन सा है बेहतर?

ऊपर हमने आपको दोनों तरह के स्कूल के बीच में कई तरह के अंतर बताए। अब हम आपको यह भी बता देते हैं कि आपके बच्चे या स्वयं आपके लिए दोनों में से कौन सा और किन परिस्थितियों में बेहतर हो सकता है।

  1. यदि आपको भारत सरकार की नौकरी की तैयारी करनी है जैसे कि आईएस, आईपीएस इत्यादि तो उसके लिए CBSE बोर्ड के स्कूल ज्यादा बेहतर विकल्प साबित होते हैं।
  2. यदि आप राज्य सरकार की नौकरी करना चाहते हैं और उसके लिए तैयारी कर रहे हैं तो फिर आपके लिए स्टेट बोर्ड से बेहतर स्कूल कोई और नहीं हो सकता है।
  3. उदाहरण के तौर पर यदि आपको राजस्थान में RAS या इसके जैसे अन्य एग्जाम देने हैं तो उसके लिए राजस्थान के स्टेट बोर्ड स्कूल ही सबसे बेहतर विकल्प होते हैं।
  4. सामान्य तौर पर राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में कम्पटीशन बहुत ज्यादा होता है जबकि राज्य स्तर में कम कम्पटीशन देखने को मिलता है। ऐसे में स्टेट बोर्ड के स्कूल में पढ़कर राज्य की परीक्षा को जल्दी क्लियर किया जा सकता है।
  5. वहीं अगर हम सरकार नौकरी की बात ना करें और प्राइवेट सेक्टर की नौकरी की बात करें तो उसमें भी यदि आप अपने राज्य में रहकर ही नौकरी करने को इच्छुक हैं तो उसके लिए भी स्टेट बोर्ड एक बेहतर विकल्प होगा।
  6. वहीं CBSE बोर्ड के स्कूल आपको उन नौकरियों के लिए तैयार करते हैं जो मल्टी नेशनल या नेशनल कंपनियां होती है।
  7. वहीं यदि आप आगे चलकर मेडिकल या इंजीनियरिंग की तैयारी करना चाहते हैं तो उसमें दोनों ही अच्छे हैं। हालाँकि दोनों में से बेहतर की बात की जाए तो सीबीएसई बोर्ड को स्टेट बोर्ड से ज्यादा बेहतर कहा जा सकता है।
  8. अब इसमें भी हम सभी स्टेट बोर्ड को सीबीएसई से कमतर नहीं कह सकते हैं क्योंकि कुछ राज्यों के स्टेट बोर्ड भी सीबीएसई को टक्कर देते हैं।
  9. पैसों की बात की जाए तो सामान्य तौर पर सीबीएसई स्कूल में ज्यादा फीस लगती है तो वहीं स्टेट बोर्ड के स्कूल में शिक्षा कम पैसों में हासिल की जा सकती है।
  10. हर राज्य में स्टेट बोर्ड के स्कूल का सिलेबस अलग होता है। ऐसे में यदि आपका अलग-अलग राज्यों में ट्रांसफर होता रहता है तो आपको सीबीएसई स्कूल में ही एडमिशन लेना चाहिए।

टॉप CBSE स्कूल

अब यदि हम देश के टॉप 5 CBSE बोर्ड के स्कूल की बात करें तो उनकी लिस्ट इस प्रकार है:

  1. केंद्रीय विद्यालय
  2. नवोदय विद्यालय
  3. मैट्रिक्स हाई स्कूल, सीकर
  4. दून स्कूल, देहरादून
  5. श्रीराम स्कूल, नईदिल्ली

टॉप स्टेट बोर्ड स्कूल

अब स्टेट बोर्ड के टॉप स्कूल की बात की जाए तो यह हर राज्य के अनुसार अलग अलग हो सकते हैं। यहाँ हम कुछ चुनिंदा हिंदी राज्यों के टॉप स्टेट बोर्ड स्कूल आपके सामने रखने जा रहे हैं:

  1. मैट्रिक्स वर्ल्ड स्कूल, सीकर (राजस्थान बोर्ड)
  2. कालीबाड़ी स्कूल, शिमला (हिमाचल प्रदेश बोर्ड)
  3. एमजीएम हायर सेकेंडरी स्कूल, भोपाल (मध्य प्रदेश बोर्ड)
  4. जेवियर स्कूल, जयपुर (राजस्थान बोर्ड)
  5. नेतरहाट विद्यालय, झारखंड (झारखंड बोर्ड)

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने यह जान लिया (CBSE and state board difference in Hindi) है कि आपके राज्य के अनुसार कौन से बोर्ड का स्कूल आपके लिए या आपके बच्चों के लिए बेहतर हो सकता है। साथ ही हमने आपको दोनों बोर्ड के टॉप स्कूल के नाम भी दे दिए हैं।

स्टेट बोर्ड के मामले में तो हर राज्य के अलग स्कूल टॉप पर आते हैं लेकिन उन सभी में मैट्रिक्स स्कूल टॉप पर आता है। वहीं केंद्रीय और नवोदय विद्यालय तो भारत सरकार के स्कूल हैं जिनकी शाखाएं भारत के विभिन्न शहरों में होती है।

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12वीं के बाद क्या करें? जाने 12वीं के बाद करियर ऑप्शन

एक स्टूडेंट के जीवन का सबसे मुख्य हिस्सा दसवीं और बारहवीं क्लास के बाद आता है। दसवीं के बाद उसे 4 स्ट्रीम में से किसी एक स्ट्रीम को चुनना होता है। इन 4 स्ट्रीम को नॉन मेडिकल, मेडिकल, कॉमर्स व आर्ट्स के नाम से जाना जाता है।

फिर इसके बाद असली परीक्षा 12वीं के बाद आती (Best career options after 12th in Hindi) है। वह इसलिए क्योंकि 12 वीं के बाद लिया गया निर्णय ही उसके आगे के करियर को बनाने या बिगाड़ने दोनों का काम कर सकता है। पहले के समय में तो ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं हुआ करती थी। इस कारण स्टूडेंटस वही कर लेते थे जैसा कि बाकी सब कहते थे।

हालाँकि आज समय वैसा नहीं रहा (12th ke baad kya kare) है। अब इन्टरनेट पर सारी जानकारी उपलब्ध है। ऐसे में स्टूडेंट भी अपनी क्षमता, लेवल, रुचि इत्यादि को ध्यान में रखकर ही 12 वीं के बाद सही करियर विकल्प चुनता है। एक सही करियर विकल्प का चुनाव करना आपको बहुत तेज गति से उन्नति के रास्ते पर लेकर जाता है।

आज का हमारा यह लेख इसी विषय पर आधारित है। चलिए जानते हैं बारहवीं के बाद आपके पास क्या कुछ करियर विकल्प होते हैं।

12वीं के बाद करियर ऑप्शन

मुख्य रूप से 12वीं के बाद का करियर विकल्प आपके द्वारा दसवीं क्लास के बाद चुनी गई स्ट्रीम पर तय होता है। अब आपने अपनी 11 वीं और 12 वीं क्लास की पढ़ाई चारों में से किस स्ट्रीम में की है, इस पर आपका बारहवीं के बाद का करियर विकल्प निर्भर करता है।

ऐसे में हम आपके सामने चारों तरह की स्ट्रीम के बाद किस-किस तरह के करियर विकल्प होते हैं, पहले उन्हें रख देते हैं। यहाँ हम आपके सामने चारों स्ट्रीम के मुख्य 10 करियर विकल्प (12th ke baad career option in Hindi) रखेंगे। चलिए जानते हैं:

#1. 12वीं के बाद साइंस में करियर

जिन स्टूडेंट्स ने अपनी बारहवीं की पढ़ाई नॉन मेडिकल से की है अर्थात जिनके मुख्य सब्जेक्ट्स फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स थे, वे इन स्ट्रीम में से किसी एक को चुन सकते हैं:

  • बी.टेक (इंजीनियरिंग)
  • बी.आर्क (आर्किटेक्चर)
  • बीसीए (कंप्यूटर अनुप्रयोग)
  • एनडीए (राष्ट्रीय रक्षा अकादमी)
  • बी.एससी (भौतिकी, रसायन, गणित)
  • मर्चेंट नेवी
  • कमर्शियल पायलट
  • डाटा साइंस
  • रोबोटिक्स
  • एथिकल हैकिंग

इसमें से भी इंजीनियरिंग को मुख्य करियर विकल्प माना जाता है। वह इसलिए क्योंकि इंजीनियरिंग में भी सब कैटेगरी होती है और वह भी कई सारी। जैसे कि कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, सिविल, मैकेनिकल, केमिकल इंजीनियरिंग इत्यादि।

#2. 12वीं के बाद मेडिकल कोर्स

अब बात करते हैं उन स्टूडेंट्स की जिनके बारहवीं में मुख्य सब्जेक्ट्स फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी थे। इसके तहत आप इनमें अपना करियर बना सकते हैं:

  • एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी)
  • बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी)
  • बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी)
  • बीएचएमएस (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी)
  • बीपीटी (बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी)
  • बी.एससी नर्सिंग
  • फार्मेसी (बी.फार्म)
  • पशु चिकित्सा विज्ञान (बी.वी.एससी)
  • बीएमएलटी (मेडिकल लैब तकनीक में स्नातक)
  • बायोटेक्नोलॉजी

अब इसमें भी MBBS मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए एक प्रमुख करियर विकल्प है। इसके लिए आपको बहुत ही कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और तब जाकर आप एक सही डॉक्टर बन पाते हैं।

#3. 12वीं के बाद कॉमर्स में करियर

जिन स्टूडेंट्स ने दसवीं के बाद कॉमर्स स्ट्रीम ली थी या जिनके सब्जेक्ट्स अकाउंट्स, बिज़नेस, मैथ्स इत्यादि थे, उनके लिए यह सब करियर विकल्प होते हैं:

  • बी.कॉम (बैचलर ऑफ कॉमर्स)
  • बीबीए (बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन)
  • सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंसी)
  • सीएस (कंपनी सेक्रेटरी)
  • सीएमए (कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंसी)
  • बीएमएस (बैचलर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज)
  • बीएचएम (बैचलर ऑफ होटल मैनेजमेंट)
  • अर्थशास्त्र में स्नातक
  • Actuarial साइंस
  • डिजिटल मार्केटिंग

अब इसमें भी बीकॉम कॉमर्स स्टूडेंट्स के लिए पहली पसंद होती है। हालाँकि इसे करने के लिए इतनी प्रतिस्पर्धा देखने को नहीं मिलती है। फिर भी देश के टॉप कॉलेज में एडमिशन के लिए तैयारी तो करनी पड़ती ही है। वहीं बहुत से कॉमर्स स्टूडेंट्स सीए या सीएस बनने की भी तैयारी करते हैं।

#4. 12वीं के बाद आर्ट्स में करियर

आखिरी स्ट्रीम बच गई आर्ट्स की। अब इसमें सब्जेक्ट्स या विषय स्टूडेंट की रुचि पर निर्भर करते हैं। हालाँकि कुछ सब्जेक्ट्स कम्पलसरी होते हैं, जैसे कि अंग्रेजी, हिंदी इत्यादि। अब इसके करियर विकल्प इस प्रकार हैं:

  • बीए (बैचलर ऑफ आर्ट्स)
  • पत्रकारिता और जनसंचार
  • फैशन डिजाइनिंग
  • होटल मैनेजमेंट
  • मनोविज्ञान
  • कानून (एलएलबी)
  • समाज कार्य (बीएसडब्ल्यू)
  • फाइन आर्ट्स
  • यात्रा और पर्यटन
  • एनीमेशन और मल्टीमीडिया

आर्ट्स स्टूडेंट्स के लिए भी बीए सबसे पहली पसंद होती है। हालाँकि आज के समय में स्टूडेंट्स बाकी के करियर विकल्प भी चुनने लगे हैं।

12वीं के बाद क्या करें?

ऊपर आपने जाना कि दसवीं के बाद आपके द्वारा चुनी गई स्ट्रीम के अनुसार आप कौन-कौन से करियर विकल्प चुन सकते (12th ke baad kya kare) हैं। अब हम आपको बताएँगे कि बारहवीं के बाद स्टूडेंट्स के द्वारा कौन से करियर विकल्प प्रमुख तौर पर चुने जाते हैं और उनके लिए तैयारी कहाँ से और कैसे की जाती है।

कहने का अर्थ यह हुआ कि हम आपको बताएँगे कि बारहवीं के बाद स्टूडेंट्स के द्वारा देश के टॉप कॉलेज में एडमिशन पाने के लिए कौन कौन से कोचिंग सेंटर की मदद ली जा सकती है।

#1. इंजीनियरिंग के लिए JEE

सबसे पहले बात करते हैं इंजीनियरिंग की। तो देशभर में इंजीनियरिंग के टॉप कॉलेज IIT होते हैं जिसकी फुल फॉर्म भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology) होती है। इसमें एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स को JEE जैसी कठिन परीक्षा से होकर गुजरना पड़ता है। JEE की फुल फॉर्म संयुक्त प्रवेश परीक्षा (Joint Entrance Examination) होती है।

अब अगर किसी स्टूडेंट को JEE क्रेक करना है तो उसे दसवीं के बाद से ही इसकी तैयारी में लग जाना चाहिए। बहुत से स्टूडेंट तो बारहवीं के बाद भी एक से दो वर्ष का गैप लेते हैं ताकि उन्हें देश की टॉप IIT में चुन लिए जाए। ऐसे में अगर आपको जल्द से जल्द JEE क्रैक कर टॉप IIT में एडमिशन लेना है तो उसके लिए जरुरी है देश के टॉप JEE कोचिंग सेंटर से पढ़ाई करना। आइए जाने देश के टॉप 5 JEE कोचिंग सेंटर के नाम।

  • मैट्रिक्स JEE अकैडमी (सीकर, राजस्थान)
  • एलन करियर इंस्टीट्यूट (कोटा, राजस्थान)
  • रेज़ोनेंस (कोटा, राजस्थान)
  • आकाश इंस्टीट्यूट (नई दिल्ली)
  • FIITJEE (नई दिल्ली)

आज के समय में सीकर का मैट्रिक्स इंस्टीट्यूट और कोटा का एलन पहले दो स्थान पर है जहाँ स्टूडेंट्स को टॉप लेवल की JEE कोचिंग दी जा रही है। कुछ वर्षों पहले तक एलन टॉप पर था लेकिन लगातार आए मैट्रिक्स अकैडमी के रिजल्ट ने इसे टॉप पर ला दिया है।

#2. डॉक्टर के लिए NEET

डॉक्टर बनने के लिए नीट की परीक्षा दी जाती है। इसी के माध्यम से ही स्टूडेंट्स को देश के टॉप सरकारी कॉलेज में एडमिशन मिलता है। यदि सरकारी कॉलेज नहीं मिलता है तो फिर भारी भरकम फीस देकर प्राइवेट कॉलेज से MBBS की पढ़ाई करनी पड़ती है।

ऐसे में ज्यादातर मेडिकल स्टूडेंट्स का यही लक्ष्य होता है कि वे देश के टॉप गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में एडमिशन ले लें। वहाँ भी उनका सिलेक्शन MBBS के लिए ही हो, यह भी एक चुनौती से कम नहीं है। अब इसके लिए भी हम आपको देश के टॉप 5 NEET कोचिंग सेंटर के नाम दे देते हैं:

  • मैट्रिक्स नीट डिविजन (सीकर, राजस्थान)
  • एलन करियर इंस्टीट्यूट (कोटा, राजस्थान)
  • आकाश इंस्टीट्यूट (नई दिल्ली)
  • फिजिक्स वाला (नोएडा)
  • नारायणा अकादमी (हैदराबाद)

JEE की कोचिंग की तरह ही नीट की कोचिंग देने में भी टॉप 2 नीट कोचिंग सेंटर में मैट्रिक्स और एलन का नाम सामने आता है। अब यदि आप आंकड़ों को निकाल कर देखेंगे तो अवश्य ही एलन के ज्यादा स्टूडेंट्स का नीट के एग्जाम में चयन हुआ है लेकिन अगर आप स्टूडेंट्स के कुल अनुपात में से चयनित होने वाले स्टूडेंट्स का अनुपात देखेंगे तो उसमें मैट्रिक्स बाजी मार जाता है।

#3. चार्टेड अकाउंटेंट के लिए

जो स्टूडेंट्स सीए बनना चाहते हैं, उनके लिए भी देशभर में कई कोचिंग सेंटर खुले हुए हैं। हालाँकि अधिकतर स्टूडेंट्स घर पर रहकर ही ICAI (इंस्टीट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया) के जरिए अपनी सीए की तैयारी करते हैं। आइए हम आपको इसमें भी टॉप 5 कोचिंग सेंटर के नाम बता देते हैं:

  • चाणक्य अकैडमी फॉर सीए
  • अल्डाइन CA (देशभर में)
  • सुपरप्रोफ्स
  • विद्याश्री अकादमी
  • जेके शाह क्लासेज (मुंबई)

ऐसे में आप इनमें से किसी भी क्लासेज या अकैडमी को ज्वाइन कर सकते हैं और अपनी सीए की तैयारी कर सकते हैं। हालाँकि इसके लिए घर पर रहकर भी तैयारी की जा सकती है क्योंकि आपको किसी कॉलेज में एडमिशन के लिए तैयारी नहीं करनी होती है बल्कि सीधा सीए बनने की तैयारी करनी होती है।

#4. सरकारी नौकरी के लिए

अब बात करते हैं सरकारी नौकरी लेने की। पहली बात तो यह है कि सरकारी नौकरी पाने की तैयारी हर स्ट्रीम का स्टूडेंट कर सकता है और इसमें किसी तरह की रोकटोक नहीं है। ऐसे में देशभर में सरकारी नौकरी दिलवाने के लिए टॉप 5 कोचिंग इंस्टीट्यूट के नाम हैं:

  • टाइम्स IAS (दिल्ली)
  • पैरामाउंट (दिल्ली, देशभर में)
  • Career Power (Bankers Adda) (देशभर में)
  • केडी कैंपस (दिल्ली)
  • विजन आईएस

तो यह थे देशभर के टॉप 5 कोचिंग सेंटर्स की लिस्ट जो JEE, NEET, CA और गवर्नमेंट जॉब्स की तैयारी करवाते हैं। हालाँकि इनके अलावा भी सैकड़ों कोचिंग सेंटर्स हैं जहाँ इन सभी की तैयारी करवाई जाती है लेकिन अगर टॉप कोचिंग सेंटर्स की बात हो तो इन्हीं का ही नाम आता (12th ke baad career option in Hindi) है।

सही करियर विकल्प में कोचिंग का महत्व

अब हम आखिर में बात कर लेते हैं कि आखिर करियर को बनाने या उसे चुनने में कोचिंग का क्या महत्व होता है। क्या कोचिंग के जरिए ही स्टूडेंट्स का सिलेक्शन हो पाता है या इसमें उनका कोई अलग से योगदान भी है!! क्या कोचिंग इंस्टीट्यूट स्टूडेंट्स को सही मार्गदर्शन दे पाते हैं या उनसे केवल भारी भरकम फीस ही लेते हैं!!

आइए आपके इन सभी प्रश्नों के उत्तर हम आपको दे देते हैं। अब हम 10 पॉइंट्स में समझेंगे कि एक सही कोचिंग सेंटर स्टूडेंट की जिंदगी कैसे बना सकता (Best career options after 12th in Hindi) है।

  • एक्सपर्ट गाइडेंस: टॉप कोचिंग सेंटर में पढ़ा रहे टीचर्स का एक्सपीरियंस लेवल और स्टूडेंट्स के साथ व्यवहार भी कमाल का होता है। वे स्टूडेंट्स पर बारीकी से नज़र रखते हैं और उन्हें समय-समय पर सही गाइडेंस भी देते रहते हैं।
  • टाइम मैनेजमेंट: टॉप लेवल के कोचिंग इंस्टीट्यूट स्टूडेंट्स को टाइम मैनेजमेंट का हुनर भी सिखाते हैं। अगर जल्द से जल्द सिलेक्शन करवाना है तो उसमें टाइम मैनेजमेंट बहुत जरुरी हो जाता है।
  • रेगुलर मॉक टेस्ट: कोचिंग सेंटर्स के द्वारा समय-समय पर टेस्ट लिए जाते हैं जिससे स्टूडेंट्स की प्रैक्टिस होती रहती है। ऐसे में वह रियल एग्जाम में घबराता नहीं है और जल्द से जल्द उसे सही तरीके से कर पाता है।
  • अपडेटेड इनफार्मेशन: इंस्टीट्यूट में पढ़कर स्टूडेंट को हर दिन अपडेटेड और लेटेस्ट इनफार्मेशन मिलती है जबकि घर पर रहकर या छोटे लेवल के कोचिंग सेंटर्स पुरानी इनफार्मेशन के साथ ही काम करते रहते हैं।
  • करियर काउंसलिंग: स्टूडेंट्स की समय-समय पर काउंसलिंग की जानी भी बहुत जरुरी होती है अन्यथा वह मेंटल प्रेशर में आ जाता है। यह सुविधा भी इन कोचिंग सेंटर्स के द्वारा दी जाती है।
  • डाउट सोल्विंग: कुछ इंस्टीट्यूट अलग से डाउट सोल्विंग की सुविधा भी प्रदान करते हैं जैसे कि JEE और नीट के लिए मैट्रिक्स या सरकारी के लिए पैरामाउंट कोचिंग सेंटर। वहाँ पर स्टूडेंट किसी भी समय जाकर अपने डाउट पूछ सकता है।
  • अनुशासन: कोचिंग सेंटर में अनुशासन की भावना भी विकसित की जाती है। घर पर रहकर या ऐसे ही किसी कोचिंग सेंटर में अनुशासन की कमी प्रमुख तौर पर देखने को मिल जाती है।
  • कॉम्पिटिशन का माहौल: अगर स्टूडेंट अच्छे कोचिंग सेंटर में पढ़ रहा है तो वहाँ का कम्पटीशन भी वैसा ही होता है। ऐसे में कम्पटीशन का माहौल बना रहता है तो यह स्टूडेंट के लिए बहुत सही रहता है।
  • सेंटर नोट्स: जितना बड़ा और अच्छे स्तर का इंस्टीट्यूट होता है, वहाँ के नोट्स भी उतने ही प्रभावी और पॉइंट टू पॉइंट होते हैं। ऐसे में यह नोट्स भी स्टूडेंट्स को तेज गति से आगे बढ़ने में मदद करते हैं।
  • आत्म विश्वास बढ़ना: अच्छे कोचिंग सेंटर से कई स्टूडेंट्स का चयन बड़े-बड़े कॉलेज में होता रहता है और कुछ तो बड़े पदों पर भी पहुँच जाते हैं। ऐसे में वह कोचिंग सेंटर उन स्टूडेंट्स को अपने यहाँ स्पीच देने या अपना अनुभव शेयर करने के लिए बुलाते हैं जो करंट स्टूडेंट्स का हौसला बढ़ाने में सहायक होता है।

निष्कर्ष

इस तरह से आज आपने जाना कि 12वीं के बाद आपके पास क्या कुछ करियर विकल्प हो सकते (Best career options after 12th in Hindi) हैं और आपके लिए कौन से कोचिंग सेंटर बेस्ट हो सकते हैं। जहाँ JEE और NEET में मैट्रिक्स सबसे टॉप पर है तो वहीं सीए के लिए चाणक्य और सरकारी के लिए टाइम्स सबसे ऊपर है।

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आज के समय में एक चीज़ बहुत कॉमन हो चली है और वह है स्टूडेंट का प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते-करते अचानक से सुसाइड कर लेना। अब आप ही सोचिए, उस बच्चे ने आखिरकार इतना बड़ा कदम क्यों उठाया? अगर उसे सही समय पर सही गाइडेंस मिल जाती, मेंटर व प्रोफेशनल का साथ मिलता और पढ़ाई को अच्छे से मैनेज (JEE NEET exam stress management tips in Hindi) करने के उपाय सुझाए जाते, तो क्या ऐसी नौबत आती!!

इसलिए आज का हमारा यह आर्टिकल बहुत ही सेंसिटिव टॉपिक पर है और वह है JEE और NEET की तैयारी करते समय स्ट्रेस मैनेजमेंट कैसे किया जाए। आज का यह टॉपिक उन सभी स्टूडेंट्स के लिए लिखा जा रहा है जो JEE और NEET की तैयारी (JEE NEET ki taiyari kaise kare) करते हुए खुद को बहुत ज्यादा दबाव में पा रहे हैं या धीरे-धीरे यह दबाव बढ़ता जा रहा है।

JEE और NEET की तैयारी के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट

हम आपको उदाहरण देते हैं। मान लीजिए दो कैंडिडेट हैं और दोनों को एक ही कंपनी में इंटरव्यू देने जाना है। अब पहले वाले कैंडिडेट ने रातभर जाग-जाग कर इंटरव्यू की सारी पढ़ाई की। इस दौरान उसने सिर्फ 2 से 3 घंटे की नींद ली। इंटरव्यू रूम में जाने से पहले भी वह बुक खोलकर रटे-रटाये उत्तर दोहरा रहा है।

वहीं दूसरा कैंडिडेट जिसे अपने मेंटर का सही मार्गदर्शन मिला। उसे उसके मेंटर ने बताया कि इंटरव्यू में रटे रटाये उत्तर देने की बजाए खुलकर बात करनी चाहिए लेकिन उसमें कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए। अपनी कमजोरी बतानी चाहिए लेकिन उस कमजोरी को ताकत कैसे बनाया जा सकता है, वह भी जानना चाहिए।

अब जरा आप ही बताइए कि जो इंटरव्यू लेने वाला होगा, वह दोनों में से किसे सलेक्ट करेगा? आपका उत्तर होगा, दूसरे वाले को। लेकिन ऐसा क्यों? तैयारी तो पहले वाले ने ज्यादा की थी ना तो दूसरा वाला क्यों सलेक्ट होगा? तो इसका सीधा सा जवाब है कि दूसरे वाले ने स्मार्ट तरीके से तैयारी की जबकि पहले वाला बस रट्टा मारने में ही रह गया।

आशा है कि आपको हमारा आशय थोड़ा बहुत तो समझ आ गया (JEE NEET ki taiyari kaise kare) होगा। अब हम JEE और NEET की तैयारी करने में होने वाले स्ट्रेस पर वापस आते हैं। आइए इसके कारण, उपाय और अन्य चीज़ों के बारे में जान लेते हैं।

स्ट्रेस होने के कारण

JEE और NEET की तैयारी करते समय होने वाले स्ट्रेस के एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं। उनमें से कुछ चुनिंदा कारणों को हम आपके सामने रख देते (Exam stress causes and effects in Hindi) हैं।

  1. आज के समय में कम्पटीशन इतना ज्यादा बढ़ गया है कि पूछिए मत। हर किसी को एक दूसरे से आगे निकलना है और यही तनाव का मुख्य कारण भी है।
  2. सलेबस इतना ज्यादा है कि स्टूडेंट को समझ ही नहीं आता कि वह क्या पढ़े और क्या नहीं। 11वीं और 12वीं क्लास की बुक्स, तरह-तरह के नोट्स और अलग-अलग ऑथर की बुक्स इत्यादि की भरमार है।
  3. खुद की कैपबिलिटी से अधिक उम्मीदें रखना। हम यह नहीं कह रहे कि आप स्वयं को कम आंके लेकिन आप अपने से इतनी भी उम्मीद ना लगाएं, जो आपका विश्वास बढ़ाने की बजाए उल्टा उसे गिरा दे।
  4. सामाजिक दबाव भी स्ट्रेस को बहुत ज्यादा बढ़ाता है। खासतौर पर स्टूडेंट के पेरेंट्स उससे बहुत ज्यादा उम्मीदें लगाए रखते हैं और यह भी तनाव का मुख्य कारण है।
  5. कोचिंग क्लासेज और टीचर्स का स्टूडेंट के साथ कम इंटरेक्शन। बहुत से और खासतौर पर बड़े-बड़े कोचिंग सेंटर्स ऐसे हैं जो अपने यहाँ भर-भर कर स्टूडेंट तो ले लेते हैं लेकिन उसके अनुपात में इतने टीचर्स नहीं होते।
  6. इसे हम स्टूडेंट टीचर रेश्यो के तहत भी ले सकते हैं। अब टीचर्स की संख्या स्टूडेंट्स की संख्या से बहुत कम होगी तो अवश्य ही वे स्टूडेंटस को कम टाइम दे पाएंगे। इससे स्टूडेंट का तनाव और बढ़ता चला जाता है।
  7. सिर्फ कम रेश्यो ही नहीं बल्कि टीचर का अनुभव कैसा है, यह भी बहुत मायने रखता है। JEE और NEET की तैयारी करते समय एक स्टूडेंट का सही मार्गदर्शन उसका टीचर ही कर सकता है। अब अगर वही अनुभवी नहीं है तो स्ट्रेस तो होगा ही।
  8. स्टूडेंट का गलत संगत में पड़ना या शहर की चकाचौंध में खो जाना। बहुत बार यह देखने में आता है कि स्टूडेंट चाहकर भी इतना पढ़ नहीं पाता या टाइम नहीं निकाल पाता।
  9. इसे हम अनुचित समय प्रबंधन या बैड टाइम मैनेजमेंट भी कह सकते हैं। जब टाइम ही सही से मैनेज नहीं किया गया तो पूरे दिन का शेड्यूल बिगड़ जाता है।
  10. बुरा ही सोचते रहना भी स्ट्रेस बढ़ने का कारण है। ऊपर हमने आपको बताया कि आप खुद से ज्यादा उम्मीदें ना लगाएं क्योंकि इससे स्ट्रेस बढ़ता है। अब वहीं कुछ ऐसे स्टूडेंट भी होते हैं जो हमेशा अपने आप को दूसरों से कमतर आंकते हैं तो इस कारण भी स्ट्रेस बढ़ता है।

ऊपर हमने आपको JEE और NEET की तैयारी करते समय स्ट्रेस बढ़ने के चुनिंदा 10 कारण बता दिए हैं। अब बारी आती है, स्ट्रेस मैनेजमेंट के उपाय जानने की। तो आइए इसके बारे में भी जान लेते हैं।

स्ट्रेस मैनेजमेंट के उपाय

वैसे तो स्ट्रेस मैनेजमेंट के भी कई तरह के उपाय हैं। हमने भी सभी तरह के उपाय देखे और पढ़े। साथ ही सफल होने वाले स्टूडेंट्स की कहानियां भी पढ़ी और जाना कि किन-किन तरीकों के कारण उनका स्ट्रेस कम हुआ।

इतना ही नहीं, उन्होंने ना केवल स्ट्रेस को कम किया बल्कि JEE और NEET में अच्छी रैंक भी हासिल की। तो चलिए ऐसे ही कुछ चुनिंदा उपायों (JEE NEET exam stress management tips in Hindi) के बारे में जान लेते हैं।

#1. टाइम मैनेजमेंट है सबसे जरुरी

स्ट्रेस को मैनेज करना है तो उसके उपाय में अपना टाइम मैनेज करना सबसे पहले आता है। आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि जब दिन की शुरुआत ही बुरी हो तो पूरा दिन ही ख़राब जाता है। तो वही चीज़ JEE और NEET की तैयारी करने में भी लागू होती है।

अगर आपके दिन की शुरुआत ही आलस, कामचोरी या ऐसी ही किसी आदत में जाती है तो पुरे दिन का शेड्यूल ख़राब होता है। इसके लिए आप पूरे दिन का निर्धारित शेड्यूल बनाएं और उसी के अनुसार ही चलें। फिर देखिए कैसे आपकी तैयारी भी अच्छे से होती है और स्ट्रेस भी कम हो जाता है।

#2. खुद को पहचानना

आप चाहे JEE की तैयारी कर रहे हो या नीट के एग्जाम की, आपको पहले अपने आप का आंकलन करना जरुरी है। अपने आप को पहचानने का मतलब है कि आप खुद से पूछें कि क्या आप यह कर सकते हैं? अगर कर सकते हैं तो आपको इसमें कितना टाइम लगेगा? अब क्या आपके पास उतना टाइम है?

इतने टाइम में आपका कितना खर्च होगा और क्या आपके पेरेंट्स उतना खर्चा उठा सकते हैं? क्या आपको लोन लेने की जरुरत है? आपके ऊपर कोई पारिवारिक दबाव तो नहीं है? इत्यादि। ऐसे ही कई प्रश्न अपने आप से पूछें और उसके बाद ही आगे का फैसला लें।

#3. सही शहर का चुनाव

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि कोचिंग लेने के लिए सही शहर का चुनाव किया जाना भी बहुत जरुरी हो जाता है। अब कहने को तो मेट्रो सिटी में हर तरह की फैसिलिटी मिलती है और बड़े से बड़े कोचिंग सेंटर भी वहाँ होते हैं लेकिन अगर हम पढ़ाई वाले माहौल की बात करें तो वह ना के बराबर होता है।

फिर चाहे आप दिल्ली को ले लीजिए या फिर मुंबई को। हर जगह बड़े से बड़े कोचिंग सेंटर तो हैं लेकिन ज्यादातर स्टूडेंट मौज मस्ती में ही रहते हैं। रही बात कोटा की तो वहाँ स्टूडेंट पर इतना ज्यादा प्रेशर बनाया जाता है कि वह ना चाहते हुए भी स्ट्रेस में आ जाता है। ऐसे में आप सीकर या जयपुर जैसे शहरों का चुनाव कर सकते हैं।

#4. सही कोचिंग का चुनाव

स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए जितना ध्यान सही शहर को चुनने में लगाना होता है, उससे ज्यादा ध्यान सही कोचिंग सेंटर को चुनने में लगाना चाहिए। वह इसलिए क्योंकि एक कोचिंग सेंटर ही आपकी जिंदगी बना भी सकता है और उसे बिगाड़ भी सकता है।

एक अच्छे कोचिंग सेंटर में स्टूडेंट को सभी तरह की फैसिलिटी तो दी जाएगी ही लेकिन उसी के साथ ही वहाँ स्टूडेंट टीचर रेश्यो, टीचर्स का एक्सपीरियंस और स्टूडेंट से डील करने की तकनीक इत्यादि बहुत मायने रखती है।

ऊपर हमने दो शहर बताए जो कोचिंग के लिए सही हैं। जब हमने इन शहरों में खुले कोचिंग सेंटर के बारे में जांच पड़ताल की तो कुछ चुनिंदा कोचिंग सेंटर उभर कर सामने आए। इसमें सीकर का मैट्रिक्स कोचिंग सेंटर और कौटिल्य अच्छा लगा तो वहीं जयपुर का एलन कोचिंग सेंटर।

#5. हर दिन है नया

हमने इस पॉइंट को खासतौर पर इसलिए डाला है क्योंकि यह पिछले साल JEE में टॉप करने वाले कुछ स्टूडेंट्स ने हाईलाइट किया था। उनके अनुसार यह सिर्फ और सिर्फ स्टूडेंट की सोच पर निर्भर करता है।

कुछ स्टूडेंट अगला दिन आने पर यह सोचते हैं कि ओह्ह, तैयारी के लिए एक दिन और कम हो गया जबकि कुछ स्टूडेंट अगले दिन को एक नए दिन के तौर पर देखते हैं। इसलिए आप भी हर नए दिन को तैयारी के लिए एक और दिन के तौर पर देखें।

#6. जरुरी चीज़ों को हाईलाइट करें

जब एग्जाम पास आने लगते हैं तो देखने में आता है कि ज्यादातर स्टूडेंट हड़बड़ी में पढ़ते हैं या दूसरे स्टूडेंट्स से नोट्स मांगते फिरते हैं। ऐसे में आप पहले दिन से ही जरुरी चीज़ों के नोट्स बनाना शुरू कर देंगे तो बहुत हेल्प होगी।

इसके लिए आप बुक में भी जरुरी चीजों को मार्कर से हाईलाइट करें, कॉपी में नोट्स बनाएं ताकि एक क्विक रिविजन की जा सके।

#7. डाउट को छोड़े नहीं

अब ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि आप JEE और NEET की तैयारी कर रहे हो और आपके कोई भी डाउट ही ना हो। आपके जो भी डाउट हो, उन्हें नोट करके रख लें और फिर अगले दिन अपने टीचर से उन डाउट को क्लियर करवाएं।

यही बात हमें सीकर के मैट्रिक्स कोचिंग की अच्छी लगी कि उन्होंने अपने कोचिंग सेंटर में जगह-जगह डाउट सेंटर बनाकर रखे हैं जहाँ स्टूडेंट्स कभी भी अपने डाउट लेकर आ सकते हैं। अब ऐसी ही फैसिलिटी अन्य कोचिंग सेंटर्स भी देने लगे हैं।

#8. पूरी नींद और उचित खानपान

अगर आप कम सोएंगे तो इसका मतलब यह नहीं कि आप ज्यादा तैयारी कर पाएंगे। इससे आप दिमागी तौर पर थक जाएंगे और स्ट्रेस भी बढ़ता चला जाएगा। इसलिए नींद पूरी लें, ना ही ज्यादा और ना ही कम।

साथ ही अपना खानपान भी सही रखें क्योंकि गलत खानपान भी स्ट्रेस को बढ़ाता है। ऐसे में आप बाहर का खाने से बचें। फ़ास्ट फूड, तला फला भी ना खाएं। रोजाना बादाम, चने, दाल, दूध, दही इत्यादि अवश्य लें।

#9. योग व प्राणायाम

स्ट्रेस को कम करने में योग बहुत ही प्रभावी रहता है। आप सुबह के समय जल्दी उठने की आदत डालें और कम से कम 30 मिनट के लिए योग व प्राणायाम करने का नियम बना लें। फिर देखिए आपका स्ट्रेस भी कम होता है और आप ध्यान लगाकर पढ़ पाते हैं।

#10. पेरेंट्स के साथ बातचीत करते रहना

आप चाहे दूसरे शहर में रहकर JEE और NEET की तैयारी कर रहे हो लेकिन हर दिन अपने पेरेंट्स से साथ बात जरुर करें। अगर रोजाना बात नहीं हो पाती है तो दो दिन में एक बार तो जरुर करें। इससे आपको भी घर के बारे में पता चलता रहेगा और पेरेंट्स को भी आपकी स्थिति का पता रहेगा।

#11. सीनियर के साथ कॉन्टेक्ट में रहना

आप जिस भी कोचिंग सेंटर में पढ़ते हो, वहाँ आपका सीनियर बैच भी होगा। आपको उनमें से कुछ सीनियर के साथ कॉन्टेक्ट बनाना चाहिए। ये सीनियर आपकी बहुत तरीके से मदद कर सकते हैं, खासतौर पर स्ट्रेस को कम करने में।

#12. सही फ्रेंड सर्कल बनाएं

आपका फ्रेंड सर्कल अर्थात दोस्तों की मंडली कैसी है, यह भी बहुत मायने रखती है। यदि यह अच्छा फ्रेंड सर्कल है तो आप दोगुनी गति से JEE और NEET की तैयारी कर पाते हैं और वहीं अगर यह बुरा है तो आपका जीवन बर्बाद कर देगा।

#13. बैकअप तैयार रखें

चाहे आपकी तैयारी कितनी ही मजबूत क्यों ना हो या आपको अपने आप पर कितना ही विश्वास क्यों ना हो लेकिन हमेशा एक बैकअप प्लान तैयार रखें। हम यह नहीं कह रहे हैं कि आपका JEE और NEET में सलेक्शन नहीं होगा लेकिन हमेशा अपनी तैयारी पूरी करके ही चलना चाहिए।

अगर आपके पास बैकअप प्लान होगा तो आपका स्ट्रेस अपने आप ही कम हो जाएगा। हालाँकि इस बात का भी ध्यान रखें कि बैकअप प्लान के चक्कर में अपनी JEE और NEET की तैयारी को कमजोर ना पड़ने दें। बैकअप प्लान को एक आखिरी विकल्प के तौर पर ही रखें।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने जाना कि JEE और NEET की तैयारी (JEE NEET exam stress management tips in Hindi) करते समय स्ट्रेस होने के क्या कुछ कारण हो सकते हैं। वहीं स्ट्रेस मैनेज करने के लिए क्या कुछ उपाय किए जा सकते हैं। आशा है कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। आप अपना फीडबैक नीचे कमेंट सेक्शन में दे सकते हैं।

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JEE/NEET की तैयारी के लिए सीकर क्यों बन रहा है स्टूडेंट्स की पहली पसंद!!

राजस्थान का सीकर शहर कोई ज्यादा बड़ा शहर नहीं है। पहले के समय में बहुत कम लोग ही इसके बारे में जानते थे। हालाँकि अब परिस्थितियां बहुत बदल चुकी हैं। अब अगर आप किसी ऐसे स्टूडेंट से सीकर के बारे में पूछेंगे जो अभी दसवीं से बारहवीं में पढ़ रहा हो तो उसका कोई ना कोई जानकार सीकर में JEE और NEET की तैयारी करता हुआ पाया जाएगा।

इतना ही नहीं, उनमें से बहुत से स्टूडेंट तो खुद सीकर जाकर JEE और NEET की तैयारी (Sikar JEE NEET Coaching) करने का मन बना रहे होंगे। लेकिन ऐसा क्यों? कुछ साल पहले जब हम JEE और NEET की तैयारी करने वाले शहर की बात करते थे तो उसमें केवल एक ही नाम आता था और वह था राजस्थान का कोटा शहर। हालाँकि अब कोटा का वर्चस्व राजस्थान का ही दूसरा शहर सीकर तोड़ता जा रहा है।

अब सीकर शहर में ऐसा क्या है जो वह JEE और NEET की तैयारी करने और करवाने दोनों में स्टूडेंट्स और टीचर्स की पहली पसंद बनता जा रहा है? आज के इस आर्टिकल में हम आपको इसी के बारे में ही बताने वाले हैं। चलिए जानते हैं आखिरकार क्यों है सीकर JEE और NEET की तैयारी करने के लिए स्टूडेंट्स की पहली पसंद।

JEE/NEET की तैयारी के लिए सीकर है स्टूडेंट्स की पहली पसंद

सीकर शहर स्टूडेंट्स की पहली पसंद ही नहीं बल्कि देश में भी JEE और NEET तैयारी करवाने के लिए नंबर वन (Sikar JEE NEET Coaching) बनता जा रहा है। इसके पीछे एक या दो नहीं बल्कि कई कारण हैं। उन्हीं में से 5 मुख्य कारण आज हम आपको बताएँगे।

#1. सीकर के JEE/NEET कोचिंग सेंटर्स

सीकर को JEE/NEET की तैयारी करवाने के लिए देश में नंबर वन लाने में जिसकी सबसे अहम भूमिका है, वह है सीकर शहर में खुले दर्जनों कोचिंग सेंटर्स। अब आप कहेंगे कि इस तरह के JEE/NEET कोचिंग सेंटर्स तो आज के समय में किस शहर में नहीं खुले हैं। हम देश के किसी भी शहर में चले जाएं, वहाँ दर्जनों JEE/NEET के कोचिंग सेंटर्स मिल जाएंगे।

ऐसे में आज हम आपको बता दें कि सीकर शहर के कुछ कोचिंग सेंटर्स ऐसे हैं जिन्होंने JEE/NEET की तैयारी करवाने में अपना परचम पूरे देश में लहरा दिया है। पहले हम आपको सीकर के टॉप 5 JEE/NEET के कोचिंग सेंटर्स की लिस्ट दे देते हैं:

अब इसमें मैट्रिक्स सीकर का नंबर वन कोचिंग सेंटर है तो उसके बाद एलन का नाम आता है। इसके बाद क्रमानुसार गुरुकृपा, कौटिल्य और प्रिंस अकादमी का नाम आता है।

अब इन कोचिंग सेंटर्स ने अपना JEE/NEET कोचिंग सेंटर खोलने से पहले कई वर्षों की रिसर्च की है। उन्होंने देखा कि ऐसा क्या है जो हम स्टूडेंट्स को JEE/NEET की तैयारी करवाने के लिए दे सकते हैं। इसके बाद ही उन्होंने देशभर में से ऐसे टीचर्स की खोज की जिनका ना केवल एक्सपीरियंस अच्छा हो बल्कि वे स्टूडेंट्स के नेचर और उनके सीखने की क्षमता का आंकलन कर उन्हें पढ़ा सकें।

इसी का परिणाम है कि आज सीकर शहर मुख्यतया इन्हीं पांच कोचिंग सेंटर्स की बदोलत देश का नंबर वन JEE/NEET कोचिंग शहर बनता जा रहा है। इसमें भी मैट्रिक्स और गुरुकृपा के द्वारा किया गया काम शानदार रहा है।

#2. सीकर शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर

अब आपने सीकर के फेमस JEE/NEET कोचिंग सेंटर के बारे में तो जान लिया है लेकिन अब हम जानेंगे सीकर शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में। अब हमने ऊपर बात की कि JEE और NEET के कोचिंग सेंटर तो हर शहर में हैं लेकिन क्या आपके शहर में वैसा माहौल है? नहीं ना। बस यही चीज़ सीकर को बाकी शहरों से अलग करती है।

सीकर शहर में आपको कोचिंग सेंटर्स के अलावा दर्जनों लाइब्रेरी, स्टूडेंट्स एरिया, किताबों की दुकाने, हॉस्टल, व अन्य फैसिलिटी आराम से मिल जाएगी। एक तरह से कहा जाए तो यह पूरा शहर ही कोचिंग सेंटर बनता जा रहा है। अब स्टूडेंट का JEE/NEET में सक्सेस रेट तब बढ़ जाता (Sikar NEET Coaching) है जब उसके आसपास का माहौल भी पढ़ने वाला हो।

आप आज ही सीकर शहर में निकल जाएं या फिर सीकर में रह रहे किसी स्टूडेंट या लोकल से पूछ लें कि वहाँ का माहौल और इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा है। आप पाएंगे कि धीरे-धीरे सीकर शहर स्टूडेंट्स की कोचिंग के हिसाब से ढलता दिख रहा है।

साथी ही यहाँ के कोचिंग सेंटर्स ने भी इसमें बहुत बढ़िया काम किया है। खासतौर पर मैट्रिक्स और प्रिंस अकैडमी ने तो वर्ल्ड क्लास हॉस्टल की सुविधाएँ प्रदान की हुई हैं। उनके हॉस्टल भी कोचिंग सेंटर के पास ही हैं। ऐसे में बाहर से आकर पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को किसी तरह की समस्या नहीं होती है।

#3. कम लागत में बेहतर रिजल्ट

जो स्टूडेंट्स JEE/NEET की तैयारी करने जाते हैं, अभी तक उनकी बात हुई लेकिन अब हम बात करते हैं उनके पेरेंट्स की। दरअसल अपने बच्चे को दूसरे शहर में पढ़ने के लिए भेजना एक अलग बात है लेकिन साथ ही उसके लिए भारी भरकम फीस चुकाना एक अलग बात।

अब कोटा ले लीजिए या फिर अन्य बड़े शहर, जैसे कि दिल्ली, मुंबई, जयपुर इत्यादि। हर जगह आपको कोचिंग सेंटर की भारी भरकम फीस तो चुकानी ही होगी और साथ ही बच्चों के रहने के लिए हॉस्टल का खर्चा भी बहुत ज्यादा हो जाता है। इतना ही नहीं, बाकी सभी चीजें भी बहुत महँगी होती है, जैसे कि कामवाली का खर्चा ले लो या बाहर से कुछ खरीदना हो इत्यादि।

अब सीकर भारत की थर्ड टायर सिटी है। यह बड़े शहरों जैसी ना तो खर्चीली है और ना ही स्टूडेंट्स का मन भटकाती है। कहने का मतलब यह हुआ कि यहाँ के कोचिंग सेंटर्स की फीस भी बाकी शहरों की तुलना में कम है और साथ ही रहने, खाने-पीने का खर्चा भी बहुत कम है।

अब मजेदार बात यह है कि यह कम खर्चे में भी वह सभी फैसिलिटी प्रोवाइड कर रही है जो सभी बड़े शहर दोगुने पैसे लेकर करते हैं। यही कारण है कि स्टूडेंट्स के साथ ही पेरेंट्स के लिए भी सीकर शहर JEE और NEET की तैयारी करवाने के लिए पहली पसंद (Sikar JEE Coaching) बनता जा रहा है।

#4. स्टूडेंट्स पर ज्यादा फोकस

अब एक चीज़ और है जो सीकर शहर को JEE/NEET की तैयारी करवाने के लिए स्टूडेंट्स और पेरेंट्स की फर्स्ट चॉइस बनाती है, वह है कम भीड़ के कारण स्टूडेंट्स पर ज्यादा फोकस। दरअसल अगर आप कोटा या दिल्ली जैसे शहर को देखेंगे तो वहाँ स्टूडेंट्स का हुजूम उमड़ता दिखाई देता है। ऐसे में वहाँ के कोचिंग सेंटर्स भी स्टूडेंट्स को भर-भरकर ले लेते हैं।

अब अगर आप उनके बैच में जाकर देखेंगे तो वहाँ के एक-एक बैच में 100 से 200 स्टूडेंट्स पढ़ते हुए दिखाई देते हैं। आखिरी पंक्ति में बैठे स्टूडेंट तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए टीचर्स माइक का इस्तेमाल करते हैं। अब जरा आप ही सोचकर देखिए कि जब टीचर को ही माइक से बोलना पड़ रहा है तो आखिर में बैठा वह स्टूडेंट अपने डाउट कैसे पूछ पाएगा?

चलो मान लीजिए कि आपका बच्चा पहली लाइन में बैठा है लेकिन क्या टीचर इतने स्टूडेंट्स के डाउट अपनी क्लास में सुन पाएगा और उनका जवाब दे पाएगा? नहीं ना, बस यही कारण है कि ये शहर JEE/NEET की तैयारी (Sikar NEET Coaching) करवाने में अब पिछड़ते जा रहे हैं और सीकर आगे बढ़ता जा रहा है।

सीकर में चाहे स्टूडेंट्स ज्यादा आ जाएं लेकिन वहाँ के टॉप कोचिंग सेंटर्स ने एक स्पष्ट नीति बना रखी है कि उनके एक बैच में मैक्सिमम 50 से 60 स्टूडेंट्स ही होंगे। इससे फायदा यह होता है कि टीचर्स अपने स्टूडेंट्स पर ज्यादा फोकस कर पाते हैं और उन्हें सुन पाते हैं। वहीं मैट्रिक्स अकैडमी में तो बाकायदा अलग से डाउट सेंटर्स बना रखे हैं ताकि स्टूडेंट्स के डाउट क्लास के अलावा अलग से भी सोल्व करवाए जा सकें।

#5. लगातार बढ़ता रिजल्ट

अब हम कितनी ही बात कर लें लेकिन बात तो आखिर में JEE/NEET के एग्जाम रिजल्ट की ही आती है। शहर चाहे कितना ही अच्छा क्यों ना हो या कोचिंग सेंटर्स कैसी ही फैसिलिटी क्यों ना देते हो लेकिन जब तक स्टूडेंट्स वैसा रिजल्ट लेकर नहीं आते, तब तक वो बात नहीं बनती।

तो हमने इस बारे में भी बहुत रिसर्च की है और पाया है कि JEE/NEET में सलेक्ट होने वाले स्टूडेंट्स के परसेंटेज में सीकर में स्टडी कर रहे स्टूडेंट्स का रेश्यो बढ़ता जा रहा है। एक तरह से देखा जाए तो हर साल सीकर से सलेक्ट होने वाले स्टूडेंट बढ़ रहे हैं। सबसे मुख्य बात यह है सीकर में पढ़ रहे टोटल स्टूडेंट्स में से कितने परसेंटेज स्टूडेंट्स ने एग्जाम क्रैक किया।

आइए हम आपको आंकड़ों से समझा देते हैं। जहाँ देशभर में JEE/NEET की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स का सलेक्शन रेश्यो 1.3% है तो वहीं सीकर शहर का 7.48% है। अब आप खुद ही सोचिए कि नेशनल परसेंटेज की तुलना में सीकर शहर का सलेक्शन रेश्यो लगभग 6 गुना है। इसी से ही आप समझ सकते हैं कि सीकर में किस लेवल की कोचिंग दी जा रही है और वहाँ का रिजल्ट कैसा है।

वहीं अगर हम सीकर शहर में ही पढ़ रहे स्टूडेंट्स की ही बात करें तो वहाँ 2024 में JEE के एग्जाम में टॉप करने वाले स्टूडेंट का नाम मयंक सोनी (Sikar JEE Coaching) है जो मैट्रिक्स अकैडमी से पढ़े हुए हैं। वहीं दूसरे नंबर पर एलन सीकर के कृष गुप्ता, तीसरे पर मैट्रिक्स के मोहित मोदी, चौथे पर मैट्रिक्स के अमन नेहरा और पांचवें पर मैट्रिक्स की ही आतिशी जी हैं।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने जाना कि सीकर शहर में ऐसी क्या चीजें हैं जो इसे कोटा या बाकी बड़े शहरों की तुलना में JEE/NEET की तैयारी करने के लिए स्टूडेंट्स की पहली पसंद बना रहा (Sikar JEE NEET Coaching) है।

इसके अलावा भी बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो सीकर को टॉप पर ला रही हैं। जैसे कि वहाँ हो रहा विकास, स्टूडेंट्स को दी जा रही फैसिलिटी, स्कूलिंग स्ट्रक्चर, कोचिंग सेंटर्स का रवैया, टीचर्स का नेचर इत्यादि। हालाँकि हमने यहाँ पांच प्रमुख कारण आपके सामने रखे हैं ताकि आपको बेहतर आईडिया हो सके।

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