अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के अंको का क्या महत्व हैं?
वार्षिक एवम् बोर्ड परीक्षा के पूर्व अर्द्ध वार्षिक परीक्षा हो या प्री बोर्ड परीक्षा हो, इनका होना आवश्यक होता है। इन परीक्षाओं से बच्चों को अपनी तैयारी का और शिक्षकों को अपने पढ़ाए गए पाठ्यक्रम का बच्चों ने कितना सीखा मुख्य परीक्षा से पहले जायजा मिल जाता है। बोर्ड परीक्षा वाले छात्रों को मुख्य परीक्षा से पहले प्रश्न पत्रों का पैटर्न समझ आ जाता है। साथ ही बच्चे वार्षिक परीक्षा के लिए भी तैयारी शुरू करते हैं। इसके अलावा अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के अंकों के माध्यम से स्कूलों में कक्षा 9 वीं और 11 वीं के बच्चों का परीक्षा परिणाम भी तैयार किया जाता हैं।
अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में प्राप्त हुए अंकों के आधार पर बच्चों के स्तर का आंकलन हो जाता है कि बच्चे पढ़ाई के मामले में कितने गहरे पानी में हैं। इन परीक्षाओं में प्राप्त अंकों से बच्चों की कमियों और ताकत के बारे में पता चल जाता हैं। अर्द्ध वार्षिक परीक्षा बच्चों के लिए एक मित्र की तरह होती हैं, जो उन्हें सच्चाई का आइना दिखाती हैं। अतः अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के अंकों का अत्यंत महत्व है। हमने इस ब्लॉग में राजस्थान के प्रसिद्ध शिक्षकों के विचारों को विस्तृत रूप में लिखा है, जो आपके लिए उपयोगी होंगे।
अर्द्ध वार्षिक परीक्षा और इसके अंकों का महत्व
स्कूलों में पढ़ने वाले कई बच्चों को लगता हैं कि अर्द्ध वार्षिक परीक्षाएं अपने लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं। कुछ बच्चे सोचते हैं कि ये परीक्षाएं तो केवल 10वीं और 12वीं बोर्ड वाले बच्चों के लिए ही महत्वपूर्ण हैं। जबकि विशेषज्ञों और स्कूल शिक्षकों के अनुसार ये परीक्षाएं और इनके अंक, स्कूल की प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण होते है।
हम सब जानते हैं कि बोर्ड कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए वास्तविक परीक्षा में अच्छे मार्क्स लाने का दबाव होता है इसलिए उनके पेपर पैटर्न को जानने के लिए अर्द्ध वार्षिक परीक्षाएं महत्वपूर्ण होती हैं। इन परीक्षाओं से शिक्षकों द्वारा पढ़ाई गई सामग्री से बच्चे कितने प्रश्न कर पा रहें है तथा बच्चे लिखते समय कैसा लिख रहे हैं इत्यादि महत्वपूर्ण बातों का पता चलता है। इन परीक्षाओं के अंक पूरे सत्र के ओवरलॉल रिजल्ट में औसतन 20 प्रतिशत का हिस्सा रखते हैं, इसलिए विद्यार्थी स्कूल की कोई भी कक्षा में हो उनको अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के अंकों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। CBSE और State Board में यह प्रणाली अलग हो सकती है इसलिए आपको CBSE और STATE BOARD के बीच का अंतर जान लेना चाहिए।
कक्षा के अंतिम परिणाम में भूमिका
अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के अंक पूरे सत्र के अंतिम परिणाम में 20 से 30 प्रतिशत का योगदान रखते हैं, इसलिए इन परीक्षाओं के अंकों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
स्कूलों के आंतरिक मूल्यांकन में योगदान
स्कूल छात्रों की प्रगति को ट्रैक करने और बोर्ड परिक्षाओं का मूल्यांकन करने के लिए अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के अंकों का उपयोग किया जाता है।
कमजोरियों की पहचान करने में भूमिका
अर्द्ध वार्षिक परीक्षा बच्चों को उनकी कमजोरियों को पहचानने और उन्हें अंतिम परीक्षा तक अपनी ताकत में बदलने का अवसर प्रदान करती है।
वास्तविक परीक्षा के अभ्यास में भूमिका
अर्द्ध वार्षिक परीक्षाएं बच्चों को बोर्ड के वास्तविक परीक्षा पैटर्न, प्रश्न पत्र के प्रकार और उस समय पेपर अटेम्प्ट कैसे किया जाना चाहिए जैसी बातों से पहले ही अवगत करवा देती है।
आत्मविश्वास और प्रेरणा देने में भूमिका
नियमित मूल्यांकन से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है। यह उनको अपनी कमजोरियों को सुधारने के लिए प्रेरित करता है और बच्चे अंतिम परीक्षा के लिए बेहतर तैयारी कर पाते है।
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अर्द्ध वार्षिक परीक्षाओं में सफलता पाने के सुझाव
अर्द्ध वार्षिक परीक्षाएं वार्षिक स्कूल सत्र के बीच में आयोजित होती हैं। इन परीक्षाओं में विद्यार्थियों के सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का आधा भाग प्रश्नों के माध्यम से पूछा जाता है। ये परीक्षाएं छात्रों की अनियमित पढ़ाई के चलते तनाव और चिंता का कारण बन जाती हैं। इसलिए हमने मैट्रिक्स हाईं स्कूल के विषय विशेषज्ञ शिक्षकों से छात्रों को परीक्षा की तैयारी के लिए सुझाव मांगे जो इस प्रकार हैं। ये सुझाव अपनाकर कोई भी विद्यार्थी अपनी अर्द्ध वार्षिक परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकता हैं।
स्कूल परिसर में पढ़ाई
स्कूल में पढ़ने वाले छात्र कभी भी अपनी क्लास मिस न करें, समय समय पर चलने वाले रिवीजन सत्रों को ध्यानपुर्वक अटैंड करें। रिवीजन सत्र के दौरान नोट्स बनाएं या ब्रेन मैप बनाएं और इनका उपयोग आप स्वाध्याय(Self Study) के समय करें। रिवीजन क्लास में बनाए शॉर्ट नोट्स को सुबह और रात में सोते समय दोहराने की आदत डालें, ताकि चीजें लंबे समय तक याद रखी जा सके।
कमज़ोर विषयों का अभ्यास करें
परीक्षा से पहले छात्र अपने कमज़ोर विषयों को मजबूत करने के लिए टीचर द्वारा दिए गए कार्य को पूरा करें, विषय के पाठों से प्रश्न हल करें, गलत होने पर अपने शिक्षक से सलाह लें। अगर कोई प्रश्न छूटता है तो उसे दोहराते समय ध्यान से पढ़ें।
अध्ययन योजना (Time Table) बनाना
छात्र अपनी तैयारी करने के लिए एक सुव्यवस्थित एवम् उचित समय सारणी बनाएं। इसके अनुसार अपने दिन को फिक्स करें। जो समय जिस विषय या काम के लिए बांटा जाए उस समय वही कार्य करें ताकि समय प्रबंधन हो सके।
साप्ताहिक टेस्ट/ Mock Test में भाग ले
छात्र स्कूल में होने वाले साप्तहिक टेस्ट और Mock Test में नियमित रूप से भाग लें। इससे छात्रों को अपनी पढाई का स्तर जानने का अवसर मिल जाता है। सप्ताह में पढ़ाये गए विषय में अगर कुछ समझ न आये तो इस टेस्ट के माध्यम से सुधार करने का मौका भी मिल जाता है। मैट्रिक्स हाई स्कूल सीकर के विषेशज्ञों के अनुसार नियमित टेस्ट देने से छात्रों में आत्मविश्वास और पढ़ने की ललक पैदा होती हैं। छात्र अपनी ही कक्षा के विद्यार्थियों से एक हेल्थी कॉम्पिटिशन करने लगता है, जो उनको अच्छे अंक लाने में मदद करता है।
सभी विषयों का रिवीजन
दोहराव (Revision) करना किसी भी परीक्षा में सफलता पाने की प्राथमिक कुंजी है। छात्रों को सामाजिक अध्ययन, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे सैद्धांतिक विषयों (Theory Subject’s) के रिवीजन की तो सबसे अधिक आवश्यकता होती है। रिवीजन करने से कठिन विषयों के कॉन्सेप्ट्स की गहरी समझ विकसित होती है और चीजें लंबे समय तक याद रहती है। इसी कारण से स्कूल शिक्षा विशेषज्ञ हमेशा कहते है स्कूल में प्रतिदिन पढ़ाए गए का प्रतिदिन रिवीजन जरूर करें।
निष्कर्ष
अर्द्ध वार्षिक परीक्षाएं छात्रों के स्कूली शिक्षा का एक अभिन्न अंग है जिसमें छात्र अपनी फाइनल एग्जाम से पहले अपनी तैयारी को जांच सकते हैं। इन परीक्षाओं में प्राप्त हुए अंकों के आधार पर वो अपने कमज़ोर हिस्सों को पहचानकर उनमें सुधार कर सकते है। इस परीक्षा के अंक 9वीं और 11वीं कक्षा के फाइनल रिजल्ट बनाने के काम आते है। इनसे शिक्षकों को पता चलता हैं कि बच्चों को विषय के किन हिस्सों में सुधार करवाना है चूंकि ये सत्र के मध्य में आयोजित की जाती है, तो सुधार करवाने के लिए समय भी मिल जाता है।
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FAQs
अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे छात्रों को अपनी ताकत और कमजोरियों का आंकलन करने,अपने प्रदर्शन से सीखने और दीर्घकालिक शैक्षणिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मज़बूत नींव रखने में मदद मिलती हैं।
छात्रों को इन परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए एक सुव्यवस्थित समय सारणी बनाकर सभी विषयों को अच्छी तरह से कवर करना चाहिए। चूंकि इन परीक्षाओं में सिलेब्स का आधा भाग पूछा जाता हैं तो छात्रों पर पढ़ाई का बोझ भी अधिक नहीं होता है।
हां, अर्द्ध वार्षिक परीक्षाओं के अंक छात्रों के आखिरी परिणाम से 20 से 30 प्रतिशत तक हिस्सा रखते हैं। जैसे किसी कक्षा की आखिरी परीक्षा में 80 अंक का पूरे पाठ्यक्रम का पेपर लिया जाता हैं शेष 20 अंक के लिए अर्द्ध वार्षिक परीक्षाओं के अंक जोड़कर परिणाम जारी किया जाता है।
हां, जरूर मॉक टेस्ट देने चाहिए इससे आपका समय प्रबंधन ठीक होगा और आपको अपने सिलेबस के कमजोर हिस्सों का पता चल जाएगा, जिनमें आप सुधार करके अपने प्रदर्शन को बेहतर बना सकते हैं।
हां, आप अर्द्ध वार्षिक परीक्षाओं में पूरे अंक प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आपको समय पर अपने पाठ्यक्रम का आधा हिस्सा एक समय सारणी बनाकर नियमित रूप से अध्ययन करते हुए पूरा करना है। परीक्षा के समय रिवीजन करने के लिए बनाए गए नोट्स पढ़ सकते है।





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